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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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अपने आपको पढ़ने में लौलीन कीजिए

“मेरे आने तक पवित्र-शास्त्र पढ़कर सुनाने, उपदेश देने और सिखाने में लगा रह।”—१ तीमुथियुस ४:१३, NHT.

१. बाइबल पढ़ने से हम कैसे लाभ प्राप्त कर सकते हैं?

यहोवा परमेश्‍वर ने मनुष्यजाति को पढ़ना और लिखना सीखने की अद्‌भुत क्षमता दी है। उसने अपना वचन, बाइबल भी दिया है ताकि हम अच्छी तरह शिक्षित किए जा सकें। (यशायाह ३०:२०, २१) लाक्षणिक रूप से, उसके पन्‍ने हमें इब्राहीम, इसहाक, और याकूब जैसे परमेश्‍वर का भय माननेवाले कुलपिताओं के साथ ‘चलने’ में समर्थ करते हैं। हम सारा, रिबका, और निष्ठावान मोआबी रूत जैसी धर्म-परायण स्त्रियों को ‘देख’ सकते हैं। जी हाँ, और हम यीशु मसीह को अपना पहाड़ी उपदेश देते हुए ‘सुन’ सकते हैं। पवित्र शास्त्र से ये सारी ख़ुशी और महान शिक्षण हमारा हो सकता है यदि हम अच्छे पाठक हैं।

२. क्या बात सूचित करती है कि यीशु और उसके प्रेरित अच्छी तरह पढ़ सकते थे?

२ निस्संदेह, परिपूर्ण मनुष्य यीशु मसीह के पास अत्युत्तम पठन क्षमता थी, और निश्‍चित ही वह इब्रानी शास्त्र को भली-भाँति जानता था। इसलिए, जब इब्‌लीस ने उसकी परीक्षा ली, तब यीशु ने बारंबार उनका हवाला दिया और कहा, “यह . . . लिखा है।” (मत्ती ४:४, ७, १०) एक अवसर पर नासरत के आराधनालय में, उसने यशायाह की भविष्यवाणी के एक भाग को सार्वजनिक रूप से पढ़ा और अपने आप पर लागू किया। (लूका ४:१६-२१) यीशु के प्रेरितों के बारे में क्या? अपने लेखनों में उन्होंने अकसर इब्रानी शास्त्र को उद्धृत किया। हालाँकि यहूदी शासकों ने पतरस और यूहन्‍ना को अशिक्षित और साधारण समझा क्योंकि वे उच्च शिक्षा के इब्रानी स्कूलों में शिक्षित नहीं थे, उनकी ईश्‍वरीय रूप से उत्प्रेरित पत्रियाँ स्पष्टतः साबित करती हैं कि वे अच्छी तरह पढ़ सकते और लिख सकते थे। (प्रेरितों ४:१३) लेकिन क्या पढ़ने की क्षमता सचमुच महत्त्वपूर्ण है?

“ख़ुश है वह जो . . . पढ़ता है”

३. शास्त्र और मसीही प्रकाशनों को पढ़ना इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है?

३ शास्त्र का यथार्थ ज्ञान लेना और उसे लागू करना अनन्त जीवन में परिणित हो सकता है। (यूहन्‍ना १७:३) अतः यहोवा के साक्षी समझते हैं कि पवित्र शास्त्र को और यहोवा द्वारा अभिषिक्‍त मसीहियों के विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग के माध्यम से प्रदान किए गए मसीही प्रकाशनों को पढ़ना तथा अध्ययन करना निहायत महत्त्वपूर्ण है। (मत्ती २४:४५-४७) दरअसल, विशेषकर बनाए गए प्रहरीदुर्ग प्रकाशनों का प्रयोग करने से हज़ारों लोगों को पढ़ना और इस प्रकार परमेश्‍वर के वचन का जीवन-दायक ज्ञान प्राप्त करना सिखाया गया है।

४. (क) परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने, अध्ययन करने, और लागू करने से ख़ुशी क्यों मिलती है? (ख) पढ़ने के बारे में, पौलुस ने तीमुथियुस से क्या कहा?

४ परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने, अध्ययन करने, और लागू करने से ख़ुशी मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम इस प्रकार परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करते और उसका आदर करते हैं, उसकी आशीष प्राप्त करते हैं, और आनन्द का अनुभव करते हैं। यहोवा चाहता है कि उसके सेवक ख़ुश हों। अतः उसने याजकों को प्राचीन इस्राएल के लोगों को अपनी व्यवस्था पढ़कर सुनाने की आज्ञा दी। (व्यवस्थाविवरण ३१:९-१२) जब प्रतिलिपिक एज्रा और अन्य लोगों ने यरूशलेम में एकत्रित सभी लोगों को व्यवस्था पढ़कर सुनायी, तब उसके अर्थ को स्पष्ट किया गया, और इसके परिणामस्वरूप “बड़ा आनन्द” हुआ। (नहेमायाह ८:६-८, १२) बाद में मसीही प्रेरित पौलुस ने अपने सहकर्मी, तीमुथियुस से कहा: “मेरे आने तक पवित्र-शास्त्र पढ़कर सुनाने, उपदेश देने और सिखाने में लगा रह।” (१ तीमुथियुस ४:१३, NHT) एक और अनुवाद कहता है: “अपने आपको शास्त्र के सार्वजनिक पठन में लौलीन करो।”—नया अंतरराष्ट्रीय अनुवाद, (अंग्रेज़ी)।

५. प्रकाशितवाक्य १:३ ख़ुशी को पठन के साथ कैसे जोड़ता है?

५ यह बात कि हमारी ख़ुशी परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने और अनुप्रयोग करने पर निर्भर करती है, प्रकाशितवाक्य १:३ (NW) में स्पष्ट की गयी है। वहाँ हमसे कहा गया है: “ख़ुश है वह जो इस भविष्यवाणी के शब्दों को ऊँचे स्वर में पढ़ता है और वे जो इसे सुनते हैं, और जो इस में लिखी हुई बातों का पालन करते हैं; क्योंकि नियुक्‍त समय निकट है।” जी हाँ, हमें प्रकाशितवाक्य में और सम्पूर्ण शास्त्र में दिए गए परमेश्‍वर के भविष्यसूचक शब्दों को ऊँचे स्वर में पढ़ने और सुनने की ज़रूरत है। वास्तव में ख़ुश व्यक्‍ति वह है जिसका “आनन्द यहोवा की व्यवस्था में है, और उसकी व्यवस्था को वह धीमे स्वर में दिन और रात पढ़ता है।” (NW) इसका परिणाम? “जो कुछ वह . . . करे वह सफल होता है।” (भजन १:१-३) अतः, भले कारणों के लिए ही यहोवा का संगठन हम में से हरेक व्यक्‍ति से व्यक्‍तिगत रूप से, परिवारों के तौर पर, और मित्रों के साथ उसके वचन को पढ़ने और उसका अध्ययन करने का आग्रह करता है।

ध्यान लगाकर विचार कीजिए और मनन कीजिए

६. यहोशू को क्या पढ़ने की आज्ञा दी गयी थी, और यह लाभदायक कैसे था?

६ आप परमेश्‍वर के वचन और मसीही प्रकाशनों के अपने पठन से ज़्यादा से ज़्यादा लाभ कैसे पा सकते हैं? सम्भवतः आप वह करना लाभदायक पाएँ जो प्राचीन इस्राएल के परमेश्‍वर का भय माननेवाले अगुवे, यहोशू ने किया था। उसे आज्ञा दी गयी थी: “व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे मुँह से न हटे, और तू उसे धीमे स्वर में रात और दिन पढ़ना, ताकि उसमें लिखी सभी बातों के अनुसार करने के लिए सावधानी बरत सके; क्योंकि तब तू अपने मार्ग को सफल करेगा और तब तू बुद्धिमत्तापूर्वक कार्य करेगा।” (यहोशू १:८, NW) ‘धीमे स्वर में पढ़ने’ का अर्थ है धीमी आवाज़ में अपने आपको वे शब्द कहना। यह याद रखने के लिए एक सहायक है, क्योंकि यह विषय को मन में बिठा देता है। यहोशू को परमेश्‍वर की व्यवस्था “रात और दिन” या नियमित रूप से पढ़नी थी। यह सफल होने और परमेश्‍वर-प्रदत्त ज़िम्मेदारियों को बुद्धिमत्तापूर्वक पूरा करने का तरीक़ा था। परमेश्‍वर के वचन का ऐसा नियमित पठन इसी तरह आपको मदद दे सकता है।

७. परमेश्‍वर के वचन को पढ़ते समय हमें रत्नतार पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं करना चाहिए?

७ परमेश्‍वर के वचन को पढ़ते समय रत्नतार पर ध्यान केंद्रित मत कीजिए। यदि आपने कुछ समयावधि को बाइबल या कोई मसीही प्रकाशन पढ़ने में बिताने की योजना बनायी है, तो शायद आप अपना समय लेना चाहें। यह विशेषकर ज़रूरी है जब आप महत्त्वपूर्ण मुद्दों को याद रखने के हेतु से अध्ययन कर रहे हैं। और जब आप पढ़ते हैं, तब ध्यान लगाकर विचार कीजिए। बाइबल लेखक के कथनों का विश्‍लेषण कीजिए। अपने आपसे पूछिए, ‘लेखक का उद्देश्‍य क्या है? इस जानकारी का मुझे क्या करना चाहिए?’

८. शास्त्रों को पढ़ते वक़्त मनन करना क्यों लाभदायक है?

८ पवित्र शास्त्र को पढ़ते वक़्त मनन करने में समय बिताइए। यह आपको बाइबल वृत्तान्तों को याद रखने और शास्त्रीय सिद्धान्तों को लागू करने में मदद देगा। परमेश्‍वर के वचन पर मनन करना और इस प्रकार मुद्दों को अपने मन में बिठाना, आपको हृदय से बोलने, निष्कपट जिज्ञासुओं को कुछ ऐसा बोलने के बजाय जिसकी वज़ह से आप शायद बाद में पछताएँ, यथार्थ उत्तर देने में समर्थ करेगा। एक ईश्‍वरीय रूप से उत्प्रेरित नीतिवचन कहता है: “धर्मी मन में सोचता है कि क्या उत्तर दूं।”—नीतिवचन १५:२८.

नए मुद्दों को पुराने के संग जोड़िए

९, १०. नए शास्त्रीय मुद्दों को उन मुद्दों के संग जोड़ने से जिन्हें आप पहले से जानते हैं, आपका बाइबल पठन कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?

९ अधिकांश मसीहियों को यह स्वीकार करना होगा कि एक समय में वे परमेश्‍वर, उसके वचन, और उसके उद्देश्‍यों के बारे में बहुत कम जानते थे। परन्तु आज ये मसीही सेवक, सृष्टि और पाप में मनुष्य के पतन से लेकर, मसीह के बलिदान का उद्देश्‍य समझा सकते हैं, इस दुष्ट रीति-व्यवस्था के विनाश के बारे में बता सकते हैं, और दिखा सकते हैं कि कैसे आज्ञाकारी मनुष्यजाति को परादीस पृथ्वी पर अनन्त जीवन की आशीष दी जाएगी। यह ज़्यादातर इसलिए सम्भव हुआ है क्योंकि यहोवा के इन सेवकों ने बाइबल और मसीही प्रकाशनों का अध्ययन करने के द्वारा “परमेश्‍वर का ज्ञान” लिया है। (नीतिवचन २:१-५) उन्होंने सीखे गए नए मुद्दों को धीरे-धीरे उन पुराने मुद्दों के संग जोड़ा है जिन्हें पहले ही समझा जा चुका था।

१० नए शास्त्रीय मुद्दों को उन मुद्दों के संग जोड़ना जिन्हें आप पहले से जानते हैं, लाभदायक और फलदायी है। (यशायाह ४८:१७) जब बाइबल नियम, सिद्धान्त, या यहाँ तक कि कुछ अप्रत्यक्ष विचार प्रस्तुत किए जाते हैं, तो इन्हें उन विचारों के संग जोड़िए जिन्हें आप पहले से जानते हैं। जानकारी का तालमेल उस के साथ बिठाइए जो आपने ‘खरी बातों’ के सम्बन्ध में सीखी हैं। (२ तीमुथियुस १:१३) ऐसी जानकारी को तलाशिए जो परमेश्‍वर के साथ आपके सम्बन्ध को मज़बूत करने में, अपने मसीही व्यक्‍तित्व को सुधारने में, या दूसरों के संग बाइबल सच्चाइयों को बाँटने में आपकी मदद कर सकती है।

११. उस विषय को पढ़ते समय आप शायद क्या करें जब बाइबल आचरण के बारे में कुछ कहती है? सचित्रित कीजिए।

११ उस विषय को पढ़ते समय जब बाइबल, आचरण के बारे में कुछ कहती है, अंतर्ग्रस्त सिद्धान्त को समझने की कोशिश कीजिए। उस पर मनन कीजिए, और निर्णय कीजिए कि समान स्थितियों में आप क्या करते। याकूब के पुत्र यूसुफ ने पोतीपर की पत्नी के साथ लैंगिक अनैतिकता करने से बारबार इनकार किया, और कहा: “मैं ऐसी बड़ी दुष्टता करके परमेश्‍वर के विरोध में कैसे पाप कर सकता हूं।” (NHT) (उत्पत्ति ३९:७-९) इस हृदयस्पर्शी वृत्तान्त में, आप एक अंतर्ग्रस्त सिद्धान्त पाते हैं—लैंगिक अनैतिकता परमेश्‍वर के विरुद्ध में पाप है। आप इस सिद्धान्त को परमेश्‍वर के वचन में अन्य कथनों के साथ मानसिक रूप से जोड़ सकते हैं, और यदि ऐसा कुकर्म करने का प्रलोभन आए तो आप इस ज्ञान से लाभ उठाएँगे।—१ कुरिन्थियों ६:९-११.

शास्त्रीय घटनाओं का मानसिक चित्र खींचिए

१२. जैसे-जैसे आप बाइबल वृत्तान्तों को पढ़ते हैं, तब उनका मानसिक चित्र क्यों खींचें?

१२ पढ़ते समय मुद्दों को अपने मन में बिठाने के लिए, जो हो रहा है उसका मानसिक चित्र खींचिए। मैदानों, घरों, लोगों को मानसिक रूप से देखिए। उनकी आवाज़ सुनिए। तंदूर में सिक रही रोटियों की ख़ुशबू लीजिए। कल्पना में दृश्‍यों को फिर से देखिए। तब आपका पठन एक हृदयस्पर्शी अनुभव होगा, क्योंकि आप एक प्राचीन शहर को देख सकते हैं, एक ऊँचे पहाड़ पर चढ़ सकते हैं, सृष्टि के करिश्‍मों पर आश्‍चर्य कर सकते हैं, या बड़े विश्‍वासवाले पुरुषों और स्त्रियों के साथ संगति कर सकते हैं।

१३. न्यायियों ७:१९-२२ में जो अभिलिखित है, उसका वर्णन आप कैसे करेंगे?

१३ मान लीजिए आप न्यायियों ७:१९-२२ पढ़ रहे हैं। जो हो रहा है उसका मानसिक चित्र खींचिए। न्यायी गिदोन और तीन सौ शूरवीर इस्राएली पुरुषों ने मिद्यानी छावनी की सीमा पर अपना-अपना स्थान ले लिया है। रात के क़रीब दस बज चुके हैं, जो “मध्य रात्रि” का आरंभ है। मिद्यानी संतरियों ने अभी-अभी चौकी संभाली है, और इस्राएल के सोए हुए शत्रुओं की छावनी पर अँधेरा छाया हुआ है। देखो! गिदोन और उसके पुरुष नरसिंगों से सज्जित हैं। उनके पास पानी के बड़े-बड़े घड़े हैं जिनसे उनके बाएँ हाथ में पकड़ी हुई मशालें ढकी हुई हैं। अचानक ही, सौ पुरुषों की तीन टुकड़ियाँ नरसिंगे फूँकती हैं, घड़े फोड़ती हैं, मशालों को ऊँचा उठाती हैं, और चिल्लाती हैं: “यहोवा की तलवार और गिदोन की तलवार।” आप छावनी को देखते हैं। मिद्यानी भागने और चिल्लाने लगते हैं! जब तीन सौ लोग अपने नरसिंगे फूँकना जारी रखते हैं, परमेश्‍वर मिद्यानियों की तलवारों को एक दूसरे के विरुद्ध चलवा देता है। मिद्यान को भगा दिया गया है, और यहोवा ने इस्राएल को विजय दिलायी है।

मूल्यवान सबक़ सीखना

१४. एक बच्चे को नम्र होने की ज़रूरत को सिखाने के लिए न्यायियों अध्याय ९ का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है?

१४ परमेश्‍वर के वचन को पढ़ने से हम कई सबक़ सीख सकते हैं। उदाहरणार्थ, सम्भवतः आप अपने बच्चों के मन में नम्र होने की ज़रूरत को बिठाना चाहते हैं। गिदोन के पुत्र जोताम की भविष्यवाणी में जो कहा गया था, उसका मानसिक चित्र खींचना और उसके महत्त्व को समझना आसान होना चाहिए। न्यायियों ९:८ पढ़ना शुरू कीजिए। “किसी युग में,” जोताम ने कहा, “वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले।” जैतून के वृक्ष, अंजीर के वृक्ष, और दाखलता ने शासन करने से इनकार किया। लेकिन दीन झड़बेड़ी शासक बनने में ख़ुश थी। अपने बच्चों को यह वृत्तान्त ऊँचे स्वर में पढ़कर सुनाने के बाद, आप समझा सकते हैं कि मूल्यवान वृक्षों ने लायक़ व्यक्‍तियों को सूचित किया जिन्होंने अपने संगी इस्राएलियों पर राजकत्व का पद नहीं चाहा। झड़बेड़ी ने, जो केवल ईंधन के लिए उपयोगी थी, अभिमानी अबीमेलेक के राजकत्व को सूचित किया, एक ऐसा हत्यारा जो दूसरों पर प्रभुता करना चाहता था लेकिन जिसका योताम की भविष्यवाणी की पूर्ति में अन्त हो गया। (न्यायियों, अध्याय ९) कौन-सा बच्चा बड़ा होकर झड़बेड़ी की तरह बनना चाहेगा?

१५. रूत की पुस्तक में निष्ठा के महत्त्व को कैसे विशिष्ट किया गया है?

१५ निष्ठा के महत्त्व को रूत नामक बाइबल पुस्तक में स्पष्ट किया गया है। मान लीजिए आपके परिवार के सदस्य उस वृत्तान्त को ऊँचे स्वर में बारी-बारी से पढ़ रहे हैं और जो वह कहता है उसे समझने की कोशिश कर रहे हैं। आप मोआबिन रूत को अपनी विधवा सास, नाओमी के साथ बैतलहम के सफ़र पर जाते देखते हैं, और आप रूत को यह कहते हुए सुनते हैं: “तेरे लोग मेरे लोग होंगे, और तेरा परमेश्‍वर मेरा परमेश्‍वर होगा।” (रूत १:१६) मेहनती रूत बोअज़ के खेत में लवनेवालों के पीछे बीनती हुई दिख रही है। आप उसे रूत की यह कहते हुए प्रशंसा करते सुनते हैं: “मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है।” (रूत ३:११) जल्द ही, बोअज़ रूत को ब्याह लेता है। देवर-विवाह की व्यवस्था के सामंजस्य में, वह बोअज़ द्वारा “नाओमी के” एक पुत्र जनती है। रूत दाऊद की और अंततः यीशु मसीह की पुरखिन बनती है। इस प्रकार उसे उसका “पूरा बदला” मिला। इसके अतिरिक्‍त, इस शास्त्रीय वृत्तान्त को पढ़नेवाले एक मूल्यवान सबक़ सीखते हैं: यहोवा के प्रति निष्ठावान रहिए, और आपको बहुतायत में आशीष मिलेगी।—रूत २:१२; ४:१७-२२; नीतिवचन १०:२२; मत्ती १:१, ५, ६.

१६. तीन इब्रानी कौन-सी परीक्षा से गुज़रे, और यह वृत्तान्त हमारी मदद कैसे कर सकता है?

१६ शद्रक, मेशक, और अबेदनगो नामक इब्रानियों का वृतान्त हमें कष्टप्रद स्थितियों में परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार रहने में मदद दे सकता है। उस घटना का मानसिक चित्र खींचिए, जैसे-जैसे दानिय्येल अध्याय ३ ऊँचे स्वर में पढ़ा जाता है। दूरा की तराई में एक ऊँची स्वर्ण मूर्ति खड़ी है, जहाँ बाबुलीय अधिकारी इकट्ठे हुए हैं। संगीत वाद्यों की आवाज़ के साथ, वे नीचे गिरते हैं और उस मूर्ति की उपासना करते हैं जिसे राजा नबूकदनेस्सर ने खड़ी की है। इसका अर्थ है कि शद्रक, मेशक, और अबेदनगो को छोड़ सारे ही ऐसा करते हैं। आदरपूर्वक, लेकिन दृढ़ होकर वे राजा से कहते हैं कि वे उसके देवताओं की सेवा और स्वर्ण मूर्ति की उपासना नहीं करेंगे। इन युवा इब्रानियों को धधकते हुए भट्टे में झोंका जाता है। लेकिन क्या होता है? अन्दर देखते हुए, राजा चार हट्टे-कट्टे पुरुषों को देखता है, जिनमें से एक का “स्वरूप ईश्‍वर के पुत्र के सदृश्‍य” था। (दानिय्येल ३:२५) तीनों इब्रानियों को भट्टे से बाहर लाया जाता है, और नबूकदनेस्सर उनके परमेश्‍वर की स्तुति करता है। इस वृत्तान्त का मानसिक चित्र खींचना फलदायक रहा है। और परीक्षा के अधीन यहोवा के प्रति वफ़ादारी के सिलसिले में यह क्या ही सबक़ देता है!

एक परिवार के तौर पर बाइबल पढ़ने से लाभ उठाइए

१७. एक साथ बाइबल पढ़ने से आपका परिवार जो लाभदायक बातें सीख सकता है, उनमें से कुछ को संक्षिप्त में बताइए।

१७ यदि आप एक साथ बाइबल पढ़ने में नियमित रूप से समय बिताते हैं तो आपका परिवार अनेक लाभों का आनन्द ले सकता है। उत्पत्ति से शुरू करते हुए, आप सृष्टि को देख सकते हैं और मनुष्य के मूल परादीस घर में झाँक सकते हैं। आप वफ़ादार कुलपिताओं तथा उनके परिवारों के अनुभवों को बाँट सकते हैं और जब वे लाल समुद्र को सूखे पाँव पार करते हैं, आप इस्राएलियों के पीछे-पीछे जा सकते हैं। आप चरवाहे युवा दाऊद को पलिश्‍ती दानव गोलियत पर जीत हासिल करते हुए देख सकते हैं। आपका परिवार यरूशलेम में यहोवा के मंदिर के निर्माण को नोट कर सकता है, बाबुलीय सेना द्वारा उसके विनाश को देख सकता है, और अधिपति जरूब्बाबेल के अधीन उसके पुनःनिर्माण को देख सकता है। बैतलहम के निकट दीन चरवाहों के साथ आप भी यीशु के जन्म की स्वर्गदूतीय घोषणा सुन सकते हैं। आप उसके बपतिस्मे और उसकी सेवकाई के बारे में विवरण हासिल कर सकते हैं, छुड़ौती के रूप में उसे अपने मानवी जीवन को त्यागते हुए देख सकते हैं, और उसके पुनरुत्थान के आनन्द के भागी हो सकते हैं। उसके बाद, जैसे-जैसे मसीहियत फैलती है, आप प्रेरित पौलुस के साथ सफ़र करके कलीसियाओं की स्थापना देख सकते हैं। फिर, प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में, आपका परिवार भविष्य के बारे में प्रेरित यूहन्‍ना के भव्य दर्शन का आनन्द ले सकता है, जिसमें मसीह का हज़ार वर्षीय शासन भी शामिल है।

१८, १९. पारिवारिक बाइबल पठन के सम्बन्ध में कौन-से सुझाव दिए गए हैं?

१८ यदि आप एक परिवार के तौर पर बाइबल को ऊँचे स्वर में पढ़ रहे हैं, तो उसे स्पष्टता और उत्साह के साथ पढ़िए। शास्त्र के कुछ भाग पढ़ते समय, परिवार का एक सदस्य—सम्भवतः पिता—सामान्य वर्णन को पढ़ सकता है। अन्य सदस्य बाइबल किरदारों की भूमिका अदा कर सकते हैं, और उपयुक्‍त भाव के साथ अपने भागों को पढ़ सकते हैं।

१९ जैसे-जैसे एक परिवार के तौर पर आप बाइबल पठन में भाग लेते हैं, आपकी पढ़ने की क्षमता सुधर सकती है। सम्भव है कि परमेश्‍वर के बारे में आपका ज्ञान बढ़ेगा, और इससे आपको उसके और भी नज़दीक आना चाहिए। आसाप ने गाया: “परमेश्‍वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।” (भजन ७३:२८) यह आपके परिवार को मूसा की तरह होने में मदद देगा, जो “अनदेखे को,” अर्थात्‌ यहोवा परमेश्‍वर को, “मानो देखता हुआ दृढ़ रहा।”—इब्रानियों ११:२७.

पठन और मसीही सेवकाई

२०, २१. हमारी प्रचार नियुक्‍ति पठन क्षमता से कैसे सम्बन्धित है?

२० “अनदेखे” व्यक्‍ति की उपासना करने की हमारी कामना से हमें अच्छे पाठक होने के लिए मेहनत करने को प्रेरित होना चाहिए। अच्छी तरह पढ़ने की क्षमता हमें परमेश्‍वर के वचन से साक्ष्य देने में मदद देती है। यह हमें राज्य-प्रचार कार्य करने में निश्‍चित ही मदद देती है जिसकी नियुक्‍ति यीशु ने अपने अनुयायियों को दी, जब उसने कहा: “तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ।” (मत्ती २८:१९, २०; प्रेरितों १:८) साक्ष्य देना यहोवा के लोगों का मुख्य कार्य है, और पठन क्षमता हमें इसे पूरा करने में मदद देती है।

२१ एक अच्छा पाठक और परमेश्‍वर के वचन का एक कुशल शिक्षक होने के लिए मेहनत की आवश्‍यकता है। (इफिसियों ६:१७) सो, ‘अपने आप को परमेश्‍वर का ग्रहणयोग्य ठहराने का प्रयत्न कीजिए, और सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाइए।’ (२ तीमुथियुस २:१५) अपने आपको पढ़ने में लौलीन करने के द्वारा शास्त्रीय सच्चाई के अपने ज्ञान को तथा यहोवा के एक साक्षी के रूप में अपनी क्षमता को बढ़ाइए।

आपके उत्तर क्या हैं?

◻ ख़ुशी परमेश्‍वर का वचन पढ़ने पर कैसे निर्भर करती है?

◻ बाइबल में आप जो पढ़ते हैं उस पर मनन क्यों करें?

◻ शास्त्रों को पढ़ते समय सम्बन्ध और मानसिक चित्रण का प्रयोग क्यों करें?

◻ बाइबल पठन से कौन-से कुछ सबक़ सीखे जाने हैं?

◻ एक परिवार के तौर पर बाइबल ऊँचे स्वर में क्यों पढ़ें, और पठन का मसीही सेवकाई से क्या सम्बन्ध है?

[पेज 13 पर तसवीरें]

एक परिवार के तौर पर बाइबल पढ़ते समय, वृत्तान्तों का मानसिक चित्र खींचिए और उनके महत्त्व पर मनन कीजिए

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