गमलीएल उसने तारसी शाऊल को सिखाया
भीड़ बिलकुल चुप हो गयी। कुछ ही क्षण पहले, उन्होंने प्रेरित पौलुस को लगभग मार ही डाला था। तारसी शाऊल के नाम से भी प्रसिद्ध, उसे रोमी टुकड़ियों ने बचाया था और अब वह यरूशलेम में मंदिर के निकट सीढ़ियों पर से लोगों का सामना कर रहा था।
चुप होने के लिए अपने हाथ से इशारा करते हुए, पौलुस ने इब्रानी में बोलना शुरू किया, उसने कहा: “हे भाइयो, और पितरो, मेरा प्रत्युत्तर सुनो, जो मैं अब तुम्हारे साम्हने कहता हूं। . . . मैं तो यहूदी मनुष्य हूं, जो किलिकिया के तरसुस में जन्मा; परन्तु इस नगर में गमलीएल के पांवों के पास बैठकर पढ़ाया गया, और बापदादों की व्यवस्था की ठीक रीति पर सिखाया गया; और परमेश्वर के लिये ऐसी धुन लगाए था, जैसे तुम सब आज लगाए हो।”—प्रेरितों २२:१-३.
जब उसका जीवन ख़तरे में था, तब पौलुस ने अपना प्रत्युत्तर यह कहने के द्वारा क्यों शुरू किया कि उसने गमलीएल से शिक्षा पायी थी? गमलीएल कौन था, और उसके द्वारा सिखाए जाने में क्या सम्मिलित था? क्या इस प्रशिक्षण ने शाऊल को तब भी प्रभावित किया जब वह मसीही प्रेरित पौलुस बन चुका था?
गमलीएल कौन था?
गमलीएल एक जाना-माना फरीसी था। वह प्राचीन हिलेल का पोता था, जिसने फरीसी यहूदीवाद की दो मुख्य विचारधाराओं में से एक की संस्थापना की थी।a हिलेल के सिखाने का ढंग उसके प्रतिद्वंद्वी शाम्माई से अधिक सहिष्णु माना जाता था। सामान्य युग ७० में यरूशलेम के मंदिर के विनाश के बाद, बॆत हिलेल (हिलेल सदन) बॆत शाम्माई (शाम्माई सदन) से अधिक पसन्द किया जाता था। हिलेल सदन यहूदीवाद की औपचारिक अभिव्यक्ति बन गया, चूँकि अन्य सभी मत मंदिर के विनाश के साथ ग़ायब हो गए। बॆत हिलेल के फ़ैसले अकसर मिशना में यहूदी व्यवस्था का आधार हैं, जो तलमूद का आधार बनी। और बॆत हिलेल की प्रधानता में प्रत्यक्षतः गमलीएल का प्रभाव एक प्रमुख तत्व था।
गमलीएल इतना सम्मानित था कि वह पहला व्यक्ति था जो रब्बान कहलाया, एक पदवी जो रब्बी से भी ऊँची थी। असल में, गमलीएल इतना अधिक आदरणीय व्यक्ति बन गया कि उसके विषय में मिशना कहती है: “जब प्राचीन रब्बान गमलीएल की मृत्यु हुई तब तोरह का वैभव जाता रहा, और शुद्धता और साधुता [अक्ष. “अलगाव”] चली गयी।”—सोतह ९:१५.
गमलीएल द्वारा सिखाया गया—कैसे?
जब प्रेरित पौलुस ने यरूशलेम में भीड़ से कहा कि वह “गमलीएल के पांवों के पास बैठकर पढ़ाया गया,” तो उसका क्या अर्थ था? गमलीएल जैसे शिक्षक का शिष्य होने में क्या सम्मिलित था?
ऐसे प्रशिक्षण के सम्बन्ध में, अमरीका के यहूदी धर्मविज्ञान शिक्षणालय का प्रोफ़ॆसर डोव ज़्लॉटनीक लिखता है: “मौखिक व्यवस्था की यथार्थता, अतः उसकी विश्वसनीयता, लगभग पूरी तरह से गुरु-शिष्य सम्बन्ध पर निर्भर करती है: व्यवस्था को सिखाने में गुरु द्वारा दिया गया ध्यान और उसे सीखने में शिष्य की एक्रागता। . . . इसलिए, शिष्यों से आग्रह किया जाता था कि विद्वानों के पाँवों के पास बैठें . . . ‘और प्यास के साथ उनके शब्द पीएँ।’”—एवोत १:४, मिशना।
अपनी पुस्तक यीशु मसीह के समय में यहूदी लोगों का इतिहास (अंग्रेज़ी) में, एमील शूरर प्रथम-शताब्दी रबीनी शिक्षकों के तरीक़ों पर प्रकाश डालता है। वह लिखता है: “अधिक प्रसिद्ध रब्बी अकसर अपने पास बड़ी संख्या में ऐसे युवाओं को इकट्ठा करते थे जो शिक्षा के इच्छुक थे, उन्हें बहुशाखी और शब्दबहुल ‘मौखिक व्यवस्था’ से अच्छी तरह परिचित कराने के उद्देश्य से। . . . शिक्षा में स्मरण-शक्ति का अथक निरन्तर प्रयोग सम्मिलित था। . . . शिक्षक अपने विद्यार्थियों के सामने उनके फ़ैसले के लिए कई कानूनी प्रश्न लाता था और उन्हें उनका उत्तर देने देता था या स्वयं उनके उत्तर देता था। विद्यार्थियों को भी अनुमति थी कि शिक्षक के सामने प्रश्न रखें।”
रब्बियों की दृष्टि से, विद्यार्थियों पर मात्र उत्तीर्ण होने का दायित्व नहीं था, उससे कहीं अधिक था। ऐसे शिक्षकों से शिक्षा ले रहे विद्यार्थियों को चिताया जाता था: “जो कोई सीखी हुई बातों में से एक भी भूलता है—शास्त्र के अनुसार वह मानो अपने जीवन का उत्तरदायी है।” (एवोत ३:८) सबसे अधिक प्रशंसा उस छात्र को मिलती थी जो “एक पलस्तर किए हुए कूँए” के समान था “जिसका एक बूँद पानी नहीं खोता।” (एवोत २:८) इस क़िस्म का था वह प्रशिक्षण जो पौलुस ने गमलीएल से प्राप्त किया। उस समय वह तारसी शाऊल, अपने इब्रानी नाम से प्रसिद्ध था।
गमलीएल की शिक्षाओं का अभिप्राय
फरीसी शिक्षा के सामंजस्य में, गमलीएल ने मौखिक व्यवस्था में विश्वास को बढ़ावा दिया। अतः उसने उत्प्रेरित शास्त्र से अधिक महत्त्व रब्बियों की परंपराओं को दिया। (मत्ती १५:३-९) मिशना गमलीएल को यह कहते हुए उद्धृत करती है: “अपने लिए एक शिक्षक [एक रब्बी] लो और संदेह से मुक्त हो जाओ, ऐसा न हो कि तुम अटकलबाज़ी लगाकर अधिक दशमांश दे दो।” (एवोत १:१६) इसका अर्थ था कि जब इब्रानी शास्त्र स्पष्ट रूप से नहीं कहता कि क्या किया जाना है, तो एक व्यक्ति को फ़ैसला करने के लिए स्वयं अपनी तर्कशक्ति का प्रयोग नहीं करना था अथवा अपने अंतःकरण के अनुसार नहीं चलना था। इसके बजाय, उसे एक योग्य रब्बी ढूँढना था जो उसके लिए फ़ैसला करता। गमलीएल के अनुसार, केवल इसी प्रकार एक व्यक्ति पाप करने से बच सकता था।—रोमियों १४:१-१२ से तुलना कीजिए।
लेकिन, सामान्य रूप से गमलीएल अपने धर्म-सम्बन्धी कानूनी नियमों में एक अधिक सहिष्णु, उदार मनोवृत्ति के लिए जाना जाता था। उदाहरण के लिए, उसने स्त्रियों के प्रति विचारशीलता दिखायी जब उसने नियम बनाया कि वह “एक पत्नी को [उसके पति की मृत्यु के] एक साक्षी की गवाही पर पुनःविवाह करने की अनुमति” देता। (येवामोत १६:७, मिशना) इसके साथ-साथ, त्यागी हुई स्त्री के बचाव के लिए, गमलीएल ने त्याग-पत्र के प्रकाशन में कई प्रतिबन्ध लगाए।
यह भाव यीशु मसीह के आरंभिक अनुयायियों के साथ गमलीएल के व्यवहार में भी दिखता है। प्रेरितों की पुस्तक बताती है कि जब अन्य यहूदी अगुवों ने यीशु के प्रेरितों को मार डालना चाहा जिन्हें उन्होंने प्रचार करने के लिए गिरत्नतार किया था, तो “गमलीएल नाम एक फरीसी ने जो व्यवस्थापक और सब लोगों में माननीय था, न्यायालय में खड़े होकर प्रेरितों को थोड़ी देर के लिये बाहर कर देने की आज्ञा दी। तब उस ने कहा, हे इस्राएलियो, जो कुछ इन मनुष्यों से किया चाहते हो, सोच समझ के करना। . . . मैं तुम से कहता हूं, इन मनुष्यों से दूर ही रहो और उन से कुछ काम न रखो; . . . कहीं ऐसा न हो, कि तुम परमेश्वर से भी लड़नेवाले ठहरो।” गमलीएल की सलाह मानी गयी, और प्रेरितों को छोड़ दिया गया।—प्रेरितों ५:३४-४०.
इसका पौलुस के लिए क्या अर्थ था?
पौलुस सा.यु. प्रथम शताब्दी के एक सर्वश्रेष्ठ रबीनी शिक्षक द्वारा प्रशिक्षित और शिक्षित किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रेरित द्वारा गमलीएल के उल्लेख ने यरूशलेम में भीड़ को प्रेरित किया कि उसके भाषण पर ख़ास ध्यान दें। लेकिन उसने उनसे एक ऐसे शिक्षक के बारे में बात की जो गमलीएल से कहीं श्रेष्ठ है—यीशु, मसीहा। अब पौलुस ने गमलीएल के नहीं, परन्तु यीशु के शिष्य के रूप में भीड़ को सम्बोधित किया।—प्रेरितों २२:४-२१.
क्या गमलीएल के प्रशिक्षण ने एक मसीही के रूप में पौलुस की शिक्षा को प्रभावित किया? संभवतः, शास्त्र और यहूदी व्यवस्था में कड़ी शिक्षा एक मसीही शिक्षक के रूप में पौलुस के लिए उपयोगी सिद्ध हुई। फिर भी, बाइबल में प्राप्त पौलुस की ईश्वरीय रूप से उत्प्रेरित पत्रियाँ स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि उसने गमलीएल के फरीसी विश्वास की मूल शिक्षाओं को अस्वीकार किया। पौलुस ने अपने संगी यहूदियों और सभी अन्य लोगों को यहूदीवाद के रब्बियों या मनुष्यों की परंपराओं की ओर नहीं, बल्कि यीशु मसीह की ओर निर्दिष्ट किया।—रोमियों १०:१-४.
यदि पौलुस गमलीएल का शिष्य बना रहा होता, तो उसने बड़ी प्रतिष्ठा का आनन्द लिया होता। गमलीएल के मण्डल के अन्य लोगों ने यहूदीवाद के भविष्य को रूप देने में योग दिया। उदाहरण के लिए, गमलीएल के पुत्र सिमियोन ने, जो संभवतः पौलुस का सहपाठी था, रोम के विरुद्ध यहूदी विद्रोह में एक प्रमुख भूमिका निभायी। मंदिर के विनाश के बाद, गमलीएल के पोते गमलीएल द्वितीय ने महासभा का अधिकार पुनःस्थापित किया, उसे यावनेह स्थानांतरित किया। गमलीएल द्वितीय का पोता जूडाह हा-नासी मिशना का संकलनकर्ता था, जो हमारे समय तक यहूदी मत की आधार-शिला बन गयी है।
गमलीएल के विद्यार्थी के रूप में, शायद तारसी शाऊल यहूदीवाद में अति प्रमुख बन गया होता। फिर भी, ऐसी जीवनवृत्ति के सम्बन्ध में पौलुस ने लिखा: “जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। बरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं।”—फिलिप्पियों ३:७, ८.
एक फरीसी के रूप में अपनी जीवनवृत्ति को ठुकराने और यीशु मसीह का अनुयायी बनने के द्वारा, पौलुस अपने पिछले शिक्षक की सलाह का व्यावहारिक प्रयोग कर रहा था कि ‘परमेश्वर से लड़नेवाला ठहरने’ से दूर रहे। यीशु के शिष्यों को सताना बन्द करने के द्वारा पौलुस ने परमेश्वर से लड़ना छोड़ दिया। इसके बजाय, मसीह का अनुयायी बनने के द्वारा, वह ‘परमेश्वर का एक सहकर्मी’ बन गया।—१ कुरिन्थियों ३:९.
सच्ची मसीहियत का संदेश हमारे समय में भी यहोवा के जोशीले साक्षियों द्वारा उद्घोषित किया जाना जारी है। पौलुस की तरह, इनमें से अनेक ने अपने जीवन में उल्लेखनीय परिवर्तन किए हैं। कुछ लोगों ने तो उज्ज्वल जीवनवृत्ति छोड़ दी है ताकि राज्य-प्रचार गतिविधि में और अधिक हिस्सा ले सकें, सचमुच एक ऐसा काम जो “परमेश्वर की ओर से है।” (प्रेरितों ५:३९) वे कितने ख़ुश हैं कि उन्होंने पौलुस के उदाहरण का अनुकरण किया है, न कि उसके पिछले शिक्षक, गमलीएल का!
[फुटनोट]
a कुछ स्रोतों के अनुसार गमलीएल हिलेल का पुत्र था। इस विषय में तलमूद स्पष्ट नहीं है।
[पेज 29 पर तसवीरें]
प्रेरित पौलुस के रूप में, तारसी शाऊल ने सब जातियों के लोगों को सुसमाचार सुनाया