हमारा सपने देखना ज़रूरी है
क्या आपको सपने आते हैं? यह मान लेना निरापद होगा कि आपको आते हैं, क्योंकि हम सभी सोते वक़्त सपने देखते हैं, चाहे हम दावा भी क्यों न करें कि हम नहीं देखते। यह अनुमान लगाया गया है कि सभी सपनों में से ९५ प्रतिशत सपने याद नहीं रहते। आपको कौन-से याद रहते हैं? दरअसल, हमें वे आम तौर पर याद रहते हैं जो हमने जागने से मात्र कुछ समय पहले देखे होते हैं।
सपनों के जाँचकर्ताओं ने पाया है कि नींद एक क्रमिक प्रक्रिया है जो पहले कुछ घंटों में बहुत गहरी होती है और उसके बाद हल्की होती जाती है। सपने देखना ख़ास तौर पर तीव्र गति से आँख झपकने की अवधियों के दौरान होता है, जिसे आर.इ.एम निद्रा कहते हैं। यह ग़ैर आर.इ.एम निद्रा के साथ बदलती रहती है। ग़ैर आर.इ.एम./आर.इ.एम. निद्रा का प्रत्येक चक्र लगभग ९० मिनट तक चलता है, और रात में ये चक्र पाँच या छः बार दोहराए जाते हैं, जिनमें से आख़िरी चक्र हमारे जागने से कुछ ही पहले होता है।
यह सोचना एक ग़लती है कि नींद के दौरान आपका मस्तिष्क सक्रियता के निम्न स्तर पर होता है। ऐसा पाया गया है कि मस्तिष्क जागृतावस्था की कुछ अवस्थाओं से ज़्यादा सपनों में अधिक सक्रिय रहता है, मस्तिष्क नली की कुछ तंत्रिका कोशिकाओं को छोड़, जो कि चेतना और स्मृत्ति से जुड़ी हुई होती हैं। ये आर.इ.एम निद्रा के दौरान आराम करती हुई जान पड़ती हैं। लेकिन सामान्य तौर पर मस्तिष्क की स्नायु कोशिकाओं में लगातार अन्तरकोशिकीय संचार होता है।
हमारा मस्तिष्क शरीर का आश्चर्यजनक रूप से जटिल अंग है जिसमें अरबों संघटक हैं जो एक सैकण्ड में लगभग सौ से दो या तीन सौ संकेत उत्पन्न करते हैं। एक मानवी मस्तिष्क में पृथ्वी पर जितने मनुष्य हैं उनसे ज़्यादा संघटक हैं। कुछ खोजकर्ता अनुमान लगाते हैं कि इसमें २० अरब से लेकर ५० अरब से ज़्यादा संघटक होते हैं। मानव शरीर के बारे में बाइबल लेखक दाऊद ने जो कहा था उस बात की इसकी जटिलता पुष्टि करती है: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं।”—भजन १३९:१४.
सपनों की दुनिया
हमारी जागृतावस्था के दौरान में, हमारी पाँच इन्द्रियाँ लगातार मस्तिष्क को सूचना और प्रतिबिम्ब पहुँचाती रहती हैं, लेकिन नींद के दौरान ऐसा नहीं होता। मस्तिष्क बिना किसी बाहरी संवेदी सहायता के स्वयं अपने अन्दर प्रतिबिम्बों को उत्पन्न करता है। इसलिए, हम जो सपनों में देखते हैं और उनमें जिन क्रियाओं का हम अनुभव करते हैं वे कभी-कभी मति-भ्रम जैसी होती हैं। यह हमारे लिए ऐसे कार्य करना संभव कराता है जो प्राकृतिक नियमों के उल्लंघन हों, जैसे सुपरमैन की तरह उड़ना या पहाड़ की चोटी से बिना चोट लगे गिरना। समय विरूपित हो जाता है जिससे भूतकाल ऐसा दिखता है मानो वह वर्तमान हो। या यदि हम भागने की कोशिश कर रहे हैं तो हमें लगता है कि अपनी गति पर क़ाबू नहीं है—हमारे पैर उठते नहीं। गहरे प्रभाव और अनुभवों को जिन्हें हमने शायद जागृतावस्था के समय के दौरान अनुभव किया हो, निश्चित ही हमारे सपनों को प्रभावित कर सकते हैं। अनेक लोग जिन्होंने युद्ध की भंयकर नृशंसता का अनुभव किया है आसानी से उन्हें भूल नहीं सकते, ना ही कुछ लोग अपराधियों द्वारा हमला किए जाने के एहसास को भूल सके हैं। जब हम जागृत होते हैं तब ऐसे परेशान करनेवाले अनुभव हमारे सपनों में आ सकते हैं, और दुःस्वपनों का कारण बन सकते हैं। जब हम सोने जाते हैं तो जो सामान्य बातें हमारे मन में होती हैं वे हमारे सपनों में आ सकती हैं।
कभी-कभी जब हम किसी समस्या को सुलझाने की कोशिश कर रहे होते हैं, तो हमें नींद के दौरान समाधान मिलता है। यह शायद प्रतिबिम्बित करे कि सभी निद्रा में सपने देखना शामिल नहीं होता। इसका एक भाग सोच-विचार करना है।
स्वप्न और हमारे मस्तिष्क के बारे में एक पुस्तक कहती है: “नींद में मानसिक प्रक्रिया का सबसे सामान्य रूप है सोचना ना कि सपने देखना। नींद में सोचने के साथ संवेदनात्मक दृष्टिभ्रम नहीं होता और यह अनोखा नहीं होता। यह सामान्य, अकसर बीते हुए कल या आनेवाले कल की वास्तविक-जीवन घटनाओं से सम्बन्धित सोचने, और आम तौर पर साधारण, असृजनात्मक, और बार-बार आने की ओर प्रवृत्त रहता है।”
कुछ लोग महसूस करते हैं कि उनके सपनों के विषयों में उनके लिए ख़ास सन्देश हैं। सपनों के अर्थ जानने के लिए, वह अपने बिस्तर के पास एक नोटपैड रखते हैं ताकि जब वे जागें तो उन्हें लिख सकें। ऐसी पुस्तकों की उपयोगिता के बारे में जो स्वप्न चिन्हों का अर्थ बताने की कोशिश करती हैं, एन फैराडे की सपनों का खेल (अंग्रेज़ी) कहती है: “वे सपनों की पुस्तकें जिनमें आप स्वप्न मूलविषयों और चिन्हों के अर्थ ढूँढ़ते हैं दोनों ही बेकार हैं, चाहे वे पारम्परिक हों या किसी आधुनिक मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त पर आधारित हों।”
क्योंकि ऐसा लगता है कि सपने मुख्यतः मस्तिष्क ही में पैदा होते हैं, तो यह सोचना तर्कसंगत नहीं है कि इनमें हमारे लिए ख़ास सन्देश हैं। हमें इन्हें मस्तिष्क के सामान्य कार्य के रूप में देखना चाहिए, जो इसे स्वास्थ्यपूर्ण स्थिति में बनाए रखने में मदद देते हैं।
लेकिन उन लोगों के बारे में क्या जो कहते हैं कि उन्होंने किसी रिश्तेदार या किसी दोस्त की मृत्यु का सपना देखा और अगले दिन यह जाना कि वह व्यक्ति मर गया है? क्या यह सूचित नहीं करता कि सपने भविष्य पूर्वबता सकते हैं? अगले लेख में, हम विचार करेंगे कि भविष्यसूचक सपनों के पीछे क्या है।