पति और प्राचीन— ज़िम्मेदारियों को संतुलित करना
‘अध्यक्ष एक ही पत्नी का पति हो।’ —१ तीमुथियुस ३:२.
१, २. पादरीय कौमार्यव्रत अशास्त्रीय क्यों है?
प्रथम शताब्दी में, विश्वासी मसीही अपनी विभिन्न ज़िम्मेदारियों को संतुलित करने के बारे में चिन्तित थे। जब प्रेरित पौलुस ने कहा कि जो मसीही अविवाहित रहता है वह “और भी अच्छा करेगा,” तब क्या उसका अर्थ यह था कि ऐसा पुरुष मसीही कलीसिया में ओवरसियर के रूप में सेवा करने के लिए अधिक उपयुक्त होगा? क्या वह असल में अविवाहित अवस्था को प्राचीनपद के लिए एक माँग बना रहा था? (१ कुरिन्थियों ७:३८, NW) कैथोलिक पादरियों से कौमार्यव्रत की माँग की जाती है। लेकिन क्या पादरीय कौमार्यव्रत शास्त्रीय है? पूर्वी रूढ़िवादी गिरजे अपने पैरिश पादरियों को विवाहित पुरुष होने की अनुमति देते हैं, लेकिन अपने बिशपों को नहीं। क्या यह बाइबल के सामंजस्य में है?
२ मसीह के १२ प्रेरितों में से अनेक, मसीही कलीसिया के बुनियादी सदस्य, विवाहित पुरुष थे। (मत्ती ८:१४, १५; इफिसियों २:२०) पौलुस ने लिखा: “क्या हमें यह अधिकार नहीं, कि किसी मसीही बहिन को ब्याह कर के लिए फिरें, जैसा और प्रेरित और प्रभु के भाई और कैफा [पतरस] करते हैं?” (१ कुरिन्थियों ९:५) न्यू कैथोलिक एनसाइक्लोपीडिया (अंग्रेज़ी) मानती है कि “कौमार्यव्रत के नियम का उद्गम गिरजे से है” और कि “न[ए] नि[यम] के सेवक कौमार्यव्रत के लिए बाध्य नहीं थे।” यहोवा के साक्षी शास्त्रीय नमूने पर चलते हैं न कि गिरजे के नियम पर।—१ तीमुथियुस ४:१-३.
प्राचीनपद और विवाह संगत हैं
३. कौन-से शास्त्रीय तथ्य दिखाते हैं कि मसीही ओवरसियर विवाहित पुरुष हो सकते हैं?
३ यह माँग करने से कहीं हटकर कि ओवरसियरों के रूप में नियुक्त पुरुष अविवाहित हों, पौलुस ने तीतुस को लिखा: “मैं इसलिये तुझे क्रेते में छोड़ आया था, कि तू शेष रही हुई बातों को सुधारे, और मेरी आज्ञा के अनुसार नगर नगर प्राचीनों [यूनानी, प्रॆसबाइटॆरॉस] को नियुक्त करे। जो निर्दोष और एक ही पत्नी के पति हों, जिन के लड़केबाले विश्वासी हों, और जिन्हें लुचपन और निरंकुशता का दोष नहीं। क्योंकि अध्यक्ष [यूनानी, एपिसकोपॉस, जिससे शब्द “बिशप” आता है] को परमेश्वर का भण्डारी होने के कारण निर्दोष होना चाहिए।”—तीतुस १:५-७.
४. (क) हम कैसे जानते हैं कि विवाह मसीही ओवरसियरों के लिए एक माँग नहीं है? (ख) एक ऐसे अविवाहित भाई को जो एक प्राचीन है क्या लाभ है?
४ दूसरी ओर, विवाह प्राचीनपद के लिए एक शास्त्रीय माँग नहीं है। यीशु अविवाहित रहा। (इफिसियों १:२२) प्रथम-शताब्दी मसीही कलीसिया का एक उल्लेखनीय ओवरसियर, पौलुस उस समय अविवाहित था। (१ कुरिन्थियों ७:७-९) आज, अनेक अविवाहित मसीही हैं जो प्राचीनों के रूप में सेवा करते हैं। उनकी अविवाहित अवस्था संभवतः उन्हें ओवरसियरों के रूप में अपने कर्तव्य निभाने के लिए अधिक समय देती है।
‘विवाहित पुरुष का ध्यान बंट जाता है’
५. विवाहित भाइयों को कौन-सा शास्त्रीय तथ्य स्वीकार करना चाहिए?
५ जब एक मसीही पुरुष विवाह करता है, तब उसे समझना चाहिए कि वह नयी ज़िम्मेदारियाँ ले रहा है जो उसका समय और ध्यान माँगेंगी। बाइबल कहती है: “अविवाहित पुरुष प्रभु की बातों की चिन्ता करता है कि वह प्रभु को कैसे प्रसन्न करे, पर विवाहित पुरुष सांसारिक बातों की चिन्ता करता है कि अपनी पत्नी को कैसे प्रसन्न करे, और उसका ध्यान बंट जाता है।” (१ कुरिन्थियों ७:३२-३४, NHT) किस अर्थ में ध्यान बंट जाता है?
६, ७. (क) कौन-से एक तरीक़े से विवाहित पुरुष का “ध्यान बंट जाता है”? (ख) पौलुस विवाहित मसीहियों को क्या सलाह देता है? (ग) यह कोई कार्य-नियुक्ति स्वीकार करने के एक पुरुष के निर्णय को कैसे प्रभावित कर सकता है?
६ एक बात तो यह है कि विवाहित पुरुष स्वयं अपने शरीर पर अधिकार खो देता है। पौलुस ने इसे काफ़ी स्पष्ट किया: “पत्नी को अपनी देह पर अधिकार नहीं पर उसके पति का अधिकार है; वैसे ही पति को भी अपनी देह पर अधिकार नहीं, परन्तु पत्नी को।” (१ कुरिन्थियों ७:४) कुछ जो विवाह करने की सोच रहे हैं शायद महसूस करें कि इसका ख़ास महत्त्व नहीं क्योंकि उनके विवाह में लैंगिक सम्बन्ध कोई बड़ी बात नहीं होगी। लेकिन, चूँकि विवाह-पूर्व पवित्रता एक शास्त्रीय माँग है, मसीही अपने भावी साथी की अंतरंग ज़रूरतों को वास्तव में नहीं जानते।
७ पौलुस दिखाता है कि जो दम्पति “आत्मा की बातों पर मन लगाते हैं,” उन्हें भी एक दूसरे की लैंगिक ज़रूरतों पर विचार करना चाहिए। उसने कुरिन्थ के मसीहियों को सलाह दी: “पति अपनी पत्नी का हक्क पूरा करे; और वैसे ही पत्नी भी अपने पति का। तुम एक दूसरे से अलग न रहो; परन्तु केवल कुछ समय तक आपस की सम्मति से कि प्रार्थना के लिये अवकाश मिले, और फिर एक साथ रहो, ऐसा न हो, कि तुम्हारे असंयम के कारण शैतान तुम्हें परखे।” (रोमियों ८:५; १ कुरिन्थियों ७:३, ५) दुःख की बात है कि परस्त्रीगमन के मामले हुए हैं जब इस सलाह को नहीं माना गया था। क्योंकि ऐसा है, तो एक विवाहित मसीही को कोई ऐसी कार्य-नियुक्ति स्वीकार करने से पहले जो उसे अपनी पत्नी से लम्बे समय तक अगल रखेगी, ध्यानपूर्वक स्थिति पर विचार करना चाहिए। अब उसके पास गतिविधि की वह स्वतंत्रता नहीं रही जो अविवाहित अवस्था में थी।
८, ९. (क) पौलुस का क्या अर्थ था जब उसने कहा कि विवाहित मसीही “संसार की बातों की चिन्ता” करते हैं? (ख) विवाहित मसीहियों को क्या करने के लिए चिन्तित होना चाहिए?
८ किस अर्थ में यह कहा जा सकता है कि विवाहित मसीही पुरुष, जिनमें प्राचीन सम्मिलित हैं, “संसार [कॉसमॉस] की बातों की चिन्ता” करते हैं? (१ कुरिन्थियों ७:३३) यह काफ़ी स्पष्ट है कि पौलुस इस संसार की बुरी बातों की बात नहीं कर रहा था, जिनसे सभी सच्चे मसीहियों को दूर रहना है। (२ पतरस १:४; २:१८-२०; १ यूहन्ना २:१५-१७) परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि “अभक्ति और सांसारिक [कॉसमिकॉस] अभिलाषाओं से मन फेरकर इस युग में संयम और धर्म और भक्ति से जीवन बिताएं।”—तीतुस २:१२.
९ इसलिए, एक विवाहित मसीही “संसार की बातों की चिन्ता” में रहता है क्योंकि वह उचित रूप से दुनियावी बातों के बारे में चिन्तित रहता या रहती है जो सामान्य विवाहित जीवन का भाग हैं। इसमें घर, खाना, कपड़ा, मनोरंजन सम्मिलित है—यदि बच्चे हैं तो अनगिनत दूसरी चिन्ताएँ भी होती हैं। लेकिन निःसंतान दम्पति के लिए भी, यदि विवाह को सफल होना है तो पति-पत्नी दोनों को अपने विवाह-साथी को ‘प्रसन्न करने’ की चिन्ता होनी चाहिए। यह मसीही प्राचीनों के लिए ख़ास दिलचस्पी की बात है जब वे अपनी ज़िम्मेदारियों को संतुलित करते हैं।
अच्छे पति साथ ही अच्छे प्राचीन
१०. यदि एक मसीही को प्राचीन के रूप में योग्य होना है, तो उसके भाइयों और बाहर के लोगों को क्या देखने में समर्थ होना चाहिए?
१० जबकि विवाह प्राचीनपद के लिए एक माँग नहीं है, फिर भी यदि एक मसीही पुरुष विवाहित है तो इससे पहले कि एक प्राचीन के रूप में नियुक्ति के लिए उसकी सिफ़ारिश की जाए, उसे निश्चित ही एक अच्छा, प्रेममय पति होने की कोशिश करने, साथ-साथ उचित मुखियापन चलाने का प्रमाण देना चाहिए। (इफिसियों ५:२३-२५, २८-३१) पौलुस ने लिखा: “जो अध्यक्ष होना चाहता है . . . वह भले काम की इच्छा करता है। सो चाहिए, कि अध्यक्ष निर्दोष, और एक ही पत्नी का पति . . . हो।” (१ तीमुथियुस ३:१, २) यह प्रत्यक्ष होना चाहिए कि प्राचीन एक अच्छा पति होने की भरसक कोशिश कर रहा है, चाहे उसकी पत्नी संगी मसीही है या नहीं। असल में, कलीसिया के बाहर के लोगों को भी यह नोट करने में समर्थ होना चाहिए कि वह अपनी पत्नी की और अपनी दूसरी ज़िम्मेदारियों की अच्छी देखरेख करता है। पौलुस ने आगे कहा: “बाहरवालों में भी उसका सुनाम हो ऐसा न हो कि निन्दित होकर शैतान के फंदे में फंस जाए।”—१ तीमुथियुस ३:७.
११. पद “एक ही पत्नी का पति” क्या सूचित करता है, सो प्राचीनों को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
११ निःसंदेह, पद “एक ही पत्नी का पति” बहुविवाह को रद्द कर देता है, लेकिन यह वैवाहिक विश्वसनीयता को भी सूचित करता है। (इब्रानियों १३:४) विशेषकर प्राचीनों को कलीसिया में बहनों की मदद करते समय ख़ास करके ध्यान रखने की ज़रूरत है। उन्हें उस बहन से भेंट करते समय जिसे सलाह और सांत्वना की ज़रूरत है, सावधान रहना चाहिए कि वे अकेले न हों। वे अच्छा करेंगे कि एक और प्राचीन, सहायक सेवक, या अपनी पत्नी को ही साथ ले जाएँ यदि वह मात्र एक प्रोत्साहक भेंट करने की बात है।—१ तीमुथियुस ५:१, २.
१२. प्राचीनों और सहायक सेवकों की पत्नियों को किस विवरण पर पूरा बैठने की कोशिश करनी चाहिए?
१२ प्रसंगवश, प्राचीनों और सहायक सेवकों से की गयी माँगों की सूची देते समय, प्रेरित पौलुस ने उनकी पत्नियों के लिए भी कुछ सलाह दी जो ऐसे विशेषाधिकारों के लिए विचाराधीन हैं। उसने लिखा: “इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगानेवाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों।” (१ तीमुथियुस ३:११) इस विवरण पर पूरा बैठने में अपनी पत्नी की मदद करने के लिए एक मसीही पति काफ़ी कुछ कर सकता है।
पत्नी के प्रति शास्त्रीय कर्तव्य
१३, १४. यदि एक प्राचीन की पत्नी संगी साक्षी नहीं है, तो भी उसे क्यों अपनी पत्नी के साथ रहना चाहिए और एक अच्छा पति होना चाहिए?
१३ निःसंदेह, प्राचीनों या सहायक सेवकों की पत्नियों को दी गयी यह सलाह यह मानकर चलती है कि ऐसी पत्नियाँ स्वयं समर्पित मसीही हैं। सामान्य रूप से, यही होता है क्योंकि मसीहियों से “केवल प्रभु में” विवाह करने की माँग है। (१ कुरिन्थियों ७:३९) लेकिन उस भाई के बारे में क्या जो पहले ही एक अविश्वासिनी से विवाहित था जब उसने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया, या जिसकी पत्नी मार्ग से विचलित हो जाती है भाई की बिना किसी ग़लती के?
१४ अपने आप में, यह उसे प्राचीन होने से नहीं रोकता। लेकिन, न ही यह उसका अपनी पत्नी से अलग होना उचित ठहराता है मात्र इसलिए कि वह उसके विश्वासों को नहीं मानती। पौलुस ने सलाह दी: “यदि तेरे पत्नी है, तो उस से अलग होने का यत्न न कर।” (१ कुरिन्थियों ७:२७) उसने आगे कहा: “यदि किसी भाई की पत्नी अविश्वासिनी हो और उसके साथ रहने को सहमत हो, तो वह उसे न त्यागे। यदि अविश्वासी अलग होता है तो उसे अलग होने दो। ऐसी परिस्थिति में कोई भाई या बहन बन्धन में नहीं है, परन्तु परमेश्वर ने हमें मेल-मिलाप के लिए बुलाया है। क्योंकि, हे पत्नी, तू क्या जानती है कि तू अपने पति का उद्धार करा लेगी? या हे पति, तू कि तू अपनी पत्नी का उद्धार करा लेगा?” (१ कुरिन्थियों ७:१२, १५, १६, NHT) यदि उसकी पत्नी साक्षी नहीं है, तो भी प्राचीन को अच्छा पति होना चाहिए।
१५. प्रेरित पतरस मसीही पतियों को क्या सलाह देता है, और यदि एक प्राचीन लापरवाह पति साबित होता है तो परिणाम क्या हो सकते हैं?
१५ चाहे उसकी पत्नी संगी विश्वासी है या नहीं, मसीही प्राचीन को यह पहचानना चाहिए कि उसकी पत्नी को उसके प्रेममय ध्यान की ज़रूरत है। प्रेरित पतरस ने लिखा: “हे पतियो, तुम भी बुद्धिमानी से [अपनी] पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करो, यह समझकर कि हम दोनों जीवन के बरदान के वारिस हैं, जिस से तुम्हारी प्रार्थनाएं रुक न जाएं।” (१ पतरस ३:७) एक पति जो जानबूझकर अपनी पत्नी की ज़रूरतों को पूरा करने से चूकता है वह यहोवा के साथ अपने ही सम्बन्ध को ख़तरे में डालता है; यह यहोवा के सम्मुख उसकी पहुँच को रोक सकता है मानो वह ‘मेघ से घिरा हो कि उस तक प्रार्थना न पहुंच सके।’ (विलापगीत ३:४४) यह उसे मसीही ओवरसियर के रूप में सेवा करने के लिए अयोग्य बना सकता है।
१६. पौलुस की बात का मुख्य मुद्दा क्या है, और प्राचीनों को इस बारे में कैसा महसूस करना चाहिए?
१६ जैसा नोट किया गया है, पौलुस के तर्क का मुख्य उद्देश्य है कि जब एक पुरुष विवाह करता है, तब वह कुछ हद तक उस स्वतंत्रता को खो देता है जो एक अविवाहित पुरुष के रूप में उसके पास थी जिसने उसे ‘प्रभु की सेवा में निर्विघ्न लगे रहने’ का अवसर दिया। (१ कुरिन्थियों ७:३५, NHT) रिपोर्टें दिखाती हैं कि कुछ विवाहित प्राचीन पौलुस के उत्प्रेरित शब्दों पर तर्क करने में हमेशा संतुलित नहीं रहे हैं। वह करने की अपनी इच्छा में जो उनके विचार से अच्छे प्राचीनों को करना चाहिए, वे शायद अपने कुछ पतिवत् कर्तव्यों की उपेक्षा करें। कुछ तो एक कलीसिया विशेषाधिकार से इनकार करना कठिन पाते हैं, चाहे इसे स्वीकार करने से स्पष्टतया उनकी पत्नियों की आध्यात्मिक हानि क्यों न हो। वे उन विशेषाधिकारों का आनन्द लेते हैं जो विवाह के साथ आते हैं, लेकिन क्या वे उन ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए तत्पर हैं जो उसके साथ आती हैं?
१७. कुछ पत्नियों को क्या हुआ है, और शायद इससे कैसे बचा जा सकता था?
१७ निश्चित ही, प्राचीन के रूप में जोश सराहनीय है। फिर भी, क्या एक मसीही संतुलित है यदि कलीसिया में अपने कर्तव्यों को निभाने में, वह अपनी पत्नी के प्रति अपनी शास्त्रीय ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा करता है? कलीसिया में लोगों को समर्थन देने की इच्छा रखने के साथ-साथ, एक संतुलित प्राचीन अपनी पत्नी की आध्यात्मिकता के बारे में भी चिन्ता करेगा। कुछ प्राचीनों की पत्नियाँ आध्यात्मिक रूप से कमज़ोर हो गयी हैं, और कुछ का आध्यात्मिक “जहाज डूब गया।” (१ तीमुथियुस १:१९) जबकि एक पत्नी अपने उद्धार का कार्य पूरा करने के लिए ज़िम्मेदार है, कुछ मामलों में आध्यात्मिक समस्या से बचा जा सकता था यदि प्राचीन ने अपनी पत्नी का “पालन-पोषण” किया होता, “जैसा मसीह भी कलीसिया के साथ करता है।” (इफिसियों ५:२८, २९) निश्चित होने के लिए, प्राचीनों को ‘अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करनी’ चाहिए। (प्रेरितों २०:२८) यदि वे विवाहित हैं तो इसमें उनकी पत्नियाँ सम्मिलित हैं।
“शरीर में कष्ट”
१८. उस “कष्ट” के कुछ पहलू क्या हैं जो विवाहित मसीही अनुभव करते हैं, और यह एक प्राचीन की गतिविधियों को कैसे प्रभावित कर सकता है?
१८ प्रेरित ने यह भी लिखा: “यदि एक कुँवारा व्यक्ति विवाह करता है, तो ऐसा व्यक्ति कोई पाप नहीं करता। परन्तु, जो करते हैं वे अपने शरीर में कष्ट पाएँगे। लेकिन मैं तुम्हें बचा रहा हूँ।” (१ कुरिन्थियों ७:२८, NW) जो अविवाहित अवस्था के उसके उदाहरण पर चलने में समर्थ थे पौलुस उनको उन चिन्ताओं से बचाना चाहता था जो विवाह के साथ अवश्य ही आती हैं। निःसंतान दम्पतियों के लिए भी, इन चिन्ताओं में स्वास्थ्य समस्याएँ या आर्थिक कठिनाइयाँ, साथ ही अपने साथी के वृद्ध माता-पिता के प्रति शास्त्रीय ज़िम्मेदारियाँ सम्मिलित हो सकती हैं। (१ तीमुथियुस ५:४, ८) प्राचीन को एक आदर्श रूप से, इन ज़िम्मेदारियों को मानना चाहिए, और यह कभी-कभी एक मसीही ओवरसियर के रूप में उसकी गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है। ख़ुशी की बात है, अधिकांश प्राचीन दोनों, पारिवारिक और कलीसिया ज़िम्मेदारियों को अच्छी तरह पूरा कर रहे हैं।
१९. पौलुस का क्या अर्थ था जब उसने कहा: “चाहिए कि जिन के पत्नी हों, वे ऐसे हों मानो उन के पत्नी नहीं”?
१९ पौलुस ने आगे कहा: “समय कम किया गया है, इसलिये चाहिए कि जिन के पत्नी हों, वे ऐसे हों मानो उन के पत्नी नहीं।” (१ कुरिन्थियों ७:२९) निःसंदेह, उसे ध्यान में रखते हुए जो कुरिन्थियों को इस अध्याय में वह पहले ही लिख चुका था, स्पष्टतया उसका यह अर्थ नहीं था कि विवाहित मसीहियों को किसी प्रकार अपनी पत्नियों को नज़रअंदाज़ करना चाहिए। (१ कुरिन्थियों ७:२, ३, ३३) उसने दिखाया कि उसका क्या अर्थ था, जब उसने लिखा: “इस संसार के बरतनेवाले ऐसे हों, कि संसार ही के न हो लें; क्योंकि इस संसार की रीति और व्यवहार बदलते जाते हैं।” (१ कुरिन्थियों ७:३१) अभी पौलुस के समय या प्रेरित यूहन्ना के समय से भी अधिक, ‘संसार मिटता जाता है।’ (१ यूहन्ना २:१५-१७) इसलिए, वे विवाहित मसीही जो मसीह के पीछे चलने में कुछ त्याग करने की ज़रूरत को समझते हैं पूरी तरह से विवाह की ख़ुशियों और विशेषाधिकारों का लाभ नहीं उठा सकते।—१ कुरिन्थियों ७:५.
आत्म-त्यागी पत्नियाँ
२०, २१. (क) अनेक मसीही पत्नियाँ कौन-से त्याग करने के लिए तैयार हैं? (ख) यदि पति एक प्राचीन है, तो भी पत्नी उचित रूप से अपने पति से क्या अपेक्षा कर सकती है?
२० जैसे प्राचीन त्याग करते हैं दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए, वैसे ही अनेक प्राचीनों की पत्नियों ने विवाह में अपनी ज़िम्मेदारियों को अत्यावश्यक राज्य हितों के साथ संतुलित करने के लिए मेहनत की है। हज़ारों मसीही स्त्रियाँ अपने पतियों को सहयोग देने में ख़ुश हैं ताकि वे ओवरसियरों के रूप में अपने कर्तव्यों को पूरा करने में समर्थ हों। इसके लिए यहोवा उनसे प्रेम करता है, और जो उत्तम आत्मा वे दिखाती हैं उस पर वह आशिष देता है। (फिलेमोन २५) फिर भी, पौलुस की संतुलित सलाह दिखाती है कि ओवरसियरों की पत्नियाँ उचित रूप से अपने पतियों से उचित समय और ध्यान की अपेक्षा कर सकती हैं। यह विवाहित प्राचीनों का शास्त्रीय कर्तव्य है कि अपनी पत्नियों को पर्याप्त समय दें ताकि पति और ओवरसियर के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों को संतुलित कर सकें।
२१ लेकिन यदि पति होने के साथ-साथ, एक मसीही प्राचीन पिता भी है तब क्या? यह उसकी ज़िम्मेदारियों को बढ़ाता है और देखरेख का एक और क्षेत्र खोल देता है, जैसा कि हम अगले लेख में देखेंगे।
पुनर्विचार के रूप में
◻ कौन-से शास्त्रीय तथ्य दिखाते हैं कि मसीही ओवरसियर एक विवाहित पुरुष हो सकता है?
◻ यदि एक अविवाहित प्राचीन विवाह करता है, तो उसे किस बारे में सचेत होना चाहिए?
◻ किन तरीक़ों से एक विवाहित मसीही “संसार की बातों की चिन्ता” करता है?
◻ अनेक ओवरसियरों की पत्नियाँ कैसे आत्म-त्याग की एक उत्तम आत्मा दिखाती हैं?
[पेज 17 पर तसवीरें]
चाहे ईश्वरशासित गतिविधियों में व्यस्त हो, तो भी एक प्राचीन को अपनी पत्नी को प्रेममय ध्यान देना चाहिए