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  • पाठकों के प्रश्‍न
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1997
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पाठकों के प्रश्‍न

अगस्त १५, १९९६ की प्रहरीदुर्ग ने कहा: “इस क्लेश के अन्तिम चरण में, जो ‘प्राणी’ यहोवा की ओर भाग चुके होंगे वे बचाए जाएँगे।” क्या वह यह सूचित कर रहा है कि बड़े क्लेश के पहले चरण के बाद, अनेक नए जन परमेश्‍वर की ओर आ जाएँगे?

यह बात नहीं थी जो कही गई थी।

मत्ती २४:२२ में पाए जानेवाले यीशु के शब्द मुख्यतः, भविष्य में आनेवाले बड़े क्लेश के पहले चरण से उद्धार के द्वारा पूरे होंगे। बड़े क्लेश का यह पहला चरण धर्म पर आक्रमण होगा। लेख ने कहा: “याद कीजिए कि अभिषिक्‍त शेषवर्ग और ‘बड़ी भीड़’ दोनों ‘प्राणी’ पहले ही बचा लिए गए होंगे जब क्लेश के पहले चरण में बड़ा बाबुल शीघ्रता से और सम्पूर्ण रूप से गिरता है।”

जब यीशु और उसकी आत्मिक सेना बड़े क्लेश के अन्तिम चरण में कार्यवाही करते हैं, तब ऐसे वफ़ादार जनों को कोई ख़तरा नहीं होगा। लेकिन क्लेश के उस चरण से कौन बचेगा? प्रकाशितवाक्य ७:९, १४ दिखाता है कि पार्थिव प्रत्याशा रखनेवाली एक बड़ी भीड़ बचेगी। आत्मा-अभिषिक्‍त मसीहियों के बारे में क्या? अगस्त १५, १९९० की प्रहरीदुर्ग में “पाठकों के प्रश्‍न” में चर्चा की गई कि हम इसके बारे में बिलकुल निश्‍चित क्यों नहीं हो सकते कि अभिषिक्‍त जनों का शेषवर्ग कब स्वर्ग में उठा लिया जाएगा। सो हाल के लेख (अगस्त १५, १९९६) ने इस मामले को एक सामान्य टिप्पणी करते हुए अनिश्‍चित छोड़ दिया: “उसी प्रकार इस क्लेश के अन्तिम चरण में, जो ‘प्राणी’ यहोवा की ओर भाग चुके होंगे वे बचाए जाएँगे।”

इस बारे में कि क्या बड़े क्लेश के शुरू होने के बाद कोई भी नया जन शायद सच्चाई सीखने और परमेश्‍वर के पक्ष में आने के योग्य होगा या नहीं, मत्ती २४:२९-३१ में अभिलिखित यीशु के शब्दों को नोट कीजिए। क्लेश के शुरू होने के बाद, मनुष्य के पुत्र का चिन्ह दिखाई देगा। यीशु ने कहा कि पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे। उसने ऐसी परिस्थिति में लोगों के होश ठिकाने आने, पश्‍चाताप करने, परमेश्‍वर की ओर आने और सच्चे चेले बनने के बारे में कुछ नहीं कहा।

इसी प्रकार, भेड़ और बकरियों के दृष्टान्त में, मनुष्य का पुत्र प्रकट होता है और लोगों ने जो पहले किया है या नहीं किया उसके आधार पर न्यायिक रूप से उनको अलग करता है। यीशु ने ऐसे लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा जो काफ़ी समय तक बकरी-समान लक्षण दिखाने के बाद अचानक परिवर्तन करके भेड़ समान बन गए। लोगों ने पहले ही अपने आप को जो साबित किया है, वह उस आधार पर न्याय करने आता है।—मत्ती २५:३१-४६.

लेकिन, फिर इस मुद्दे पर हठधर्मी होने का कोई कारण नहीं है। परमेश्‍वर के लोग, अभिषिक्‍त और बड़ी भीड़ दोनों, जानते हैं कि अब उन्हें क्या करना है—प्रचार करना और चेले बनाना। (मत्ती २८:१९, २०; मरकुस १३:१०) अभी हमारे पास इस प्रोत्साहन के अनुसार कार्य करने का समय है: “हम जो उसके सहकर्मी हैं यह भी समझाते हैं, कि परमेश्‍वर का अनुग्रह जो तुम पर हुआ, व्यर्थ न रहने दो। क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्‍नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्‍नता का समय है; देखो, अभी वह उद्धार का दिन है।”—२ कुरिन्थियों ६:१, २.

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