क्या आप पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं?
“क्या तुम्हें पड़ोस की वह लड़की याद है जिसके मोहपाश में तुम आ गए थे जब तुम यहाँ भारत में रह रहे थे?” मुकुन्दभाई ने अपने बेटे को लिखा, जो अमरीका के विश्वविद्यालय का एक विद्यार्थी है। “उसकी शादी चन्द सप्ताहों में होने वाली है। मैंने सोचा तुम्हें इसकी ख़बर होनी चाहिए।”
इस पिता ने अपने बेटे को यह ख़बर क्यों दी? अंततः, मुकुन्दभाई ने प्रबल रूप से वर्षों पहले ही उस किशोर प्रेम-प्रसंग का अंत कर दिया था। इसके अलावा, बेटा छः सालों से अमरीका में उच्चतर शिक्षा हासिल करने के लिए रह रहा था। उस समय के दौरान उसका इस लड़की के साथ कोई संपर्क नहीं रहा था, और मुकुन्दभाई इसे जानता था।
तो फिर यह परवाह क्यों? यह इसलिए दिखायी गयी क्योंकि मुकुन्दभाई पुनर्जन्म, या पुनरावर्तन में विश्वास रखता था।a यदि संयोगवश उन दोनों के बीच का किशोर-आकर्षण पिछले जीवन में उनका विवाह-साथी होने की वज़ह से था, तो उन दोनों को एक दूसरे से जुदा रखना क्रूरता होगी अब जबकि वे विवाह करने योग्य हो गए हैं। मुकुन्दभाई बस अपने बेटे को स्थिति से अवगत कराना चाहता था इससे पहले कि इस ज़िंदगी में वह लड़की किसी और की पत्नी बन जाए।
एक और मामले पर ग़ौर फ़रमाइए। एक चार-वर्षीया लड़की को मुंबई, भारत के एक अस्पताल में कई बार पीड़ाजनक अवस्था की वज़ह से रहना पड़ा। उसकी समस्या थी कि उसके हृदय में एक ख़राब कपाट था। बच्चे को तड़पते हुए देखना उसके संपन्न माता-पिता की बर्दाश्त के बाहर था। लेकिन उन्होंने तर्क किया: “हमें यह स्वीकार करना ही होगा। इसने अपने पिछले जन्म में ज़रूर कुछ किया होगा, इसीलिए यह ऐसा भुगत रही है।”
पुनर्जन्म में विश्वास, भारत में उत्पन्न हुए हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, और अन्य धर्मों के करोड़ों लोगों के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। जीवन में—प्रेम में पड़ने से लेकर तीव्र दुःख-तकलीफ़ तक—जैसे अनुभवों को पिछले जीवन या कई जीवनों में किए गए कर्मों का अंजाम समझा जाता है।
पश्चिमी देशों के अनेक लोगों को पुनर्जन्म का सिद्धांत दिलचस्प लगता है। अमरीकी अदाकारा शरली मैकलेइन इसमें विश्वास रखने का दावा करती है। वैनकूवर, ब्रिटिश कॉलम्बिया, कनाडा की लेखिका लॉरल फॆलन दावा करती है कि उसे पिछले ५० जन्मों की याद है। सी.एन.एन. और यू.एस.ए. टुडे के लिए संचालित किए गए १९९४ के जन विचार संग्रह में, १,०१६ वयस्कों में से २७० से भी ज़्यादा लोगों ने पुनर्जन्म में विश्वास करने का दावा किया। पुनर्जन्म में विश्वास, नए युग क्रांति का एक भाग भी है। लेकिन कौन-सा प्रमाण इस विश्वास का समर्थन करता है?
“पिछले जीवन की यादें!” पुनर्जन्म में विश्वास करनेवालों का जवाब है। परिणामस्वरूप, जब बैंगकॉक की तीन-वर्षीया रत्ना को “एक धार्मिक स्त्री के तौर पर, जिसकी मौत उसके ६०-आदि में हुई थी, अपने पिछले जीवन की यादें” आने लगी तो अधिकांश लोगों ने उसके मामले को पुनर्जन्म के एक ठोस प्रमाण के तौर पर स्वीकार किया।
फिर भी, संदेहवाद की बहुतायत है। और अन्य तरीक़ों में पिछले जीवन से संबंधित यादों को समझाना संभव है।b अपनी पुस्तक हिंदू धर्म: आत्मा के मोक्ष के लिए इसका अर्थ (अंग्रेज़ी) में हिंदू तत्त्वज्ञानी निखिलानन्द कहता है कि ‘मृत्यु के बाद के अनुभवों को तर्क द्वारा साबित नहीं किया जा सकता।’ फिर भी वह दावा करता है कि “पुनर्जन्म का सिद्धांत ज़्यादा मुमकिन है, नामुमकिन नहीं।”
लेकिन क्या बाइबल इस शिक्षा का समर्थन करती है? और परमेश्वर का उत्प्रेरित वचन मृत जनों के लिए कौन-सी आशा प्रदान करता है?
[फुटनोट]
a द न्यू एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका कहती है कि “पुनर्जन्म” का अर्थ है “प्राण का एक या ज़्यादा क्रमागत अस्तित्त्व में पुनरावर्तन होना, जो मानव, पशु, या, कुछ मामलों में, सब्ज़ी हो सकता है।” पद “पुनरावर्तन” इस अद्भुत-प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन शब्द “पुनर्जन्म” सामान्य रूप से स्वीकृत है। भारतीय भाषाओं के कई शब्दकोष इन शब्दों को अंतर्बदल करके इस्तेमाल करते हैं।
b सजग होइए! (अंग्रेज़ी) के जून ८, १९९४ अंक के पृष्ठ ५-७ देखिए।
[पेज 4 पर तसवीरें]
क्या इसे पिछले जन्म में किए गए अपने पापों के लिए सज़ा दी जा रही है?