उन्होंने यहोवा की इच्छा पूरी की
पिता जो क्षमा करने के लिए तैयार है
इसे अब तक लिखी गयी सबसे बढ़िया लघु कथा कहा गया है—ऐसा कहने का ठोस कारण है। अपने खोये पुत्र के प्रति एक पिता के प्रेम के बारे में यीशु की नीतिकथा उस खिड़की की तरह है जिससे हम पश्चातापी पापियों के प्रति परमेश्वर की करुणा की एक सुंदर झलक पाते हैं।
खो गया फिर मिल गया
किसी मनुष्य के दो पुत्र थे। उनमें से छुटके ने उससे कहा: ‘मैं आपके मरने तक नहीं रुक सकता, संपत्ति में से मेरा हिस्सा मुझे अभी दे दीजिए।’ पिता मान गया, और अपनी सारी संपत्ति में से संभवतः एक तिहाई उसे दे दिया—दो पुत्रों में से छुटके का जो कानूनी हिस्सा होता है। (व्यवस्थाविवरण २१:१७) युवक ने जल्दी-जल्दी अपनी संपत्ति बटोरी और दूर देश चला गया जहाँ उसने अपना सारा पैसा लुचपन के जीवन में उड़ा दिया।—लूका १५:११-१३.
फिर एक बड़ा अकाल पड़ा। मजबूरी में, उस युवक को सूअर चराने का काम करना पड़ा—ऐसा काम जिसे यहूदी घृणित मानते थे। (लैव्यव्यवस्था ११:७, ८) भोजन की इतनी कमी थी कि उसने उन फलियों को खाना चाहा जो सूअरों के खाने के काम आती थीं! अंत में, युवक अपने आपे में आया। ‘मेरे पिता के सेवक मुझसे अच्छा भोजन पाते हैं!’ उसने सोचा। ‘मैं घर लौटूँगा, अपने पाप स्वीकार करूँगा, और अपने पिता से बिनती करूँगा कि मुझे एक मज़दूर की नाईं रख ले।’a—लूका १५:१४-१९.
युवक घर की ओर चल पड़ा। इसमें संदेह नहीं कि उसका हुलिया काफ़ी बदल गया था। फिर भी, “वह अभी दूर ही था” कि उसके पिता ने उसे पहचान लिया। पिता ने तरस खाया और दौड़कर अपने पुत्र को गले लगाया, और “बहुत चूमा।”—लूका १५:२०.
इस स्नेही स्वागत से युवक के लिए अपना बोझ हलका करना ज़्यादा आसान हो गया। “पिता जी,” उसने कहा, “मैं ने स्वर्ग के विरोध में और तेरी दृष्टि में पाप किया है; और अब इस योग्य नहीं रहा, कि तेरा पुत्र कहलाऊं। [मुझे अपने एक मजदूर की नाईं रख ले।]” पिता ने अपने दासों को बुलाया। उसने आज्ञा दी, “झट से अच्छे से अच्छा वस्त्र निकालकर उसे पहिनाओ, और उसके हाथ में अंगूठी, और पांवों में जूतियां पहिनाओ। और पला हुआ बछड़ा लाकर मारो ताकि हम खाएं और आनन्द मनावें। क्योंकि मेरा यह पुत्र मर गया था, फिर जी गया है: खो गया था, अब मिल गया है।”—लूका १५:२१-२४.
एक बड़ी दावत शुरू हो गयी, जिसमें गाना-बजाना और नाचना भी था। खेत से आते समय जेठे पुत्र ने शोरगुल सुना। जब उसे पता चला कि उसका भाई घर आया है और इस कारण हर्षोल्लास हो रहा है, तब वह क्रोध से भर गया। ‘मैं ने इतने वर्षों से तेरी सेवा की है, और कभी तेरी आज्ञा नहीं टाली, तौभी तू ने मुझे कभी एक बकरी का बच्चा न दिया, कि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द करता,’ उसने अपने पिता से शिकायत की। ‘परन्तु जब तेरा यह पुत्र, जिस ने तेरी संपत्ति उड़ा दी, आया, तो तू ने दावत की।’ ‘पुत्र,’ उसके पिता ने कोमलता से कहा, ‘तू सर्वदा से मेरे साथ है, और जो कुछ मेरा है वह सब तेरा ही है। परन्तु हमें आनन्द करना ही था क्योंकि तेरा भाई मर गया था फिर जी गया है। खो गया था, अब मिल गया है।’—लूका १५:२५-३२.
हमारे लिए सबक़
यीशु की नीतिकथा का पिता हमारे दयालु परमेश्वर, यहोवा को चित्रित करता है। खोये पुत्र की तरह, कुछ लोग कुछ समय के लिए परमेश्वर के घराने की सुरक्षा छोड़ देते हैं लेकिन बाद में लौट आते हैं। यहोवा ऐसों को किस दृष्टि से देखता है? जो सच्चा पश्चाताप करके यहोवा के पास लौटते हैं वे आश्वस्त हो सकते हैं कि “वह सर्वदा वादविवाद करता न रहेगा, न उसका क्रोध सदा के लिये भड़का रहेगा।” (भजन १०३:९) नीतिकथा में, पिता अपने पुत्र का स्वागत करने के लिए दौड़ा। उसी तरह, यहोवा पश्चातापी पापियों को क्षमा करने के लिए न सिर्फ़ तैयार है बल्कि उत्सुक भी है। वह “क्षमा करने को तत्पर रहता है,” और “पूरी रीति से” क्षमा करता है।—भजन ८६:५, NHT; यशायाह ५५:७; जकर्याह १:३.
यीशु की नीतिकथा में, पिता के सच्चे प्रेम ने पुत्र के लिए लौटने का साहस जुटाना आसान बनाया। लेकिन इस पर विचार कीजिए: तब क्या हुआ होता यदि पिता ने लड़के को त्याग दिया होता या क्रोध में आकर उससे कहा होता कि कभी न लौटे? ऐसी मनोवृत्ति ने लड़के को संभवतः हमेशा के लिए दूर कर दिया होता।—२ कुरिन्थियों २:६, ७ से तुलना कीजिए।
तो फिर, एक अर्थ में पिता ने उस समय अपने पुत्र की वापसी का रास्ता बनाया जब वह जा रहा था। कभी-कभी, आज मसीही प्राचीनों को कलीसिया से अपश्चातापी पापियों को निकालना पड़ता है। (१ कुरिन्थियों ५:११, १३) ऐसा करते समय, वे प्रेमपूर्वक यह बता सकते हैं कि भविष्य में बहाल होने के लिए वह कौन-से क़दम उठा सकता है, और इस प्रकार पापी की वापसी का रास्ता बनाना शुरू कर सकते हैं। ऐसे हार्दिक निवेदन को याद करके, बाद में कई लोग जो आध्यात्मिक रूप से खो गये थे, पश्चाताप करने और परमेश्वर के घराने में लौटने के लिए प्रेरित हुए हैं।—२ तीमुथियुस ४:२.
जब पुत्र लौटा तब भी पिता ने करुणा दिखायी। उसे लड़के का सच्चा पश्चाताप देखने में देर नहीं लगी। फिर, अपने पुत्र के पापों की हर बारीक़ी जानने पर अड़ने के बजाय, उसने उसकी आव-भगत की और ऐसा करने में बड़ा हर्ष व्यक्त किया। मसीही इस उदाहरण का अनुकरण कर सकते हैं। उन्हें आनंद मनाना चाहिए कि एक खोया हुआ व्यक्ति मिल गया है।—लूका १५:१०.
पिता का व्यवहार स्पष्ट दिखाता है कि उसने अपने पथभ्रष्ट पुत्र के लौटने की बड़ी आस लगा रखी थी। निःसंदेह, यह उन सभी के लिए यहोवा की ललक का प्रतिबिंब-भर है जो उसका घराना छोड़ गये हैं। वह “नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।” (तिरछे टाइप हमारे।) (२ पतरस ३:९) इसलिए जो अपने पापों से पश्चाताप करते हैं वे आश्वस्त हो सकते हैं कि वे “प्रभु के सन्मुख से विश्रान्ति के दिन” की आशीष पाएँगे।—प्रेरितों ३:१९.
[फुटनोट]
a जबकि दास को घर का हिस्सा माना जाता था, मज़दूर को दिहाड़ी पर रखा जाता था और उसे कभी-भी निकाला जा सकता था। युवक ने तर्क किया कि अपने पिता के घर में वह नीचे-से-नीचा स्थान भी पाने को तैयार है।