मैंने “सब से दुर्बल” को “एक सामर्थी जाति” बनते देखा
विलियम डिंगमन द्वारा बताया गया
वर्ष था १९३६; स्थान सेलम, ऑरिगन, अमरीका। मैं यहोवा के साक्षियों की एक सभा में उपस्थित था। यह प्रश्न पूछा गया: “बड़ी भीड़ कहाँ है?” (प्रकाशितवाक्य ७:९) मैं ही एकमात्र नया व्यक्ति था सो उन सब ने मेरी तरफ़ संकेत किया और कहा, “वह वहाँ है!”
दशक १९३० के मध्य में, यहोवा के साक्षियों के बीच अपेक्षाकृत थोड़े ही जन थे जिनके पास पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रहने की बाइबलीय आशा थी। (भजन ३७:२९; लूका २३:४३, NW) तब से स्थिति में नाटकीय बदलाव आये हैं। लेकिन मैं आपको उन घटनाओं के बारे में बताना चाहूँगा जिनके कारण मैं सेलम, ऑरिगन में उस सभा में उपस्थित था।
मेरे पिताजी ने द गोल्डन एज (अंग्रेज़ी) का अभिदान किया हुआ था। पहले सजग होइए! पत्रिका का यही नाम था। जब मैं एक किशोर था, उसे पढ़ने में मुझे आनंद आता था और मैं विश्वस्त हो गया कि उसमें महत्त्वपूर्ण बाइबल सत्य है। सो एक दिन मैंने गोल्डन एज के पीछे छपा कूपन भरकर भेज दिया। उसमें पाठक के लिए २० पुस्तिकाएँ, एक पुस्तक और यहोवा के साक्षियों की निकटतम कलीसिया के नाम की पेशकश थी। साहित्य प्राप्त करने के बाद, मैं घर-घर गया और सभी पुस्तिकाएँ, साथ ही पुस्तक भी वितरित कर दी।
उस समय तक किसी ने मेरे साथ बाइबल अध्ययन नहीं किया था। असल में, मैंने कभी किसी यहोवा के साक्षी के साथ बात नहीं की थी। लेकिन अब, हाथ में निकटतम राज्य गृह का पता लिए हुए, मैं सेलम, ऑरिगन में सभा में उपस्थित होने के लिए क़रीब ४० किलोमीटर गाड़ी चलाकर गया। वहीं पर, जब मैं केवल १८ साल का था, “बड़ी भीड़” के रूप में मेरी अलग पहचान करायी गयी।
हालाँकि सेवकाई के लिए मेरी लगभग कोई तैयारी नहीं हुई थी, फिर भी मैंने सेलम कलीसिया के साथ प्रचार करना शुरू कर दिया। मुझे अपने साक्षी-कार्य में तीन मुख्य मुद्दे शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। पहला, कि यहोवा परमेश्वर है; दूसरा, कि यीशु मसीह उसका नियुक्त राजा है; और तीसरा, कि संसार के लिए राज्य ही एकमात्र आशा है। मैंने हर घर पर यही संदेश देने की कोशिश की।
सेलम में यहोवा के साक्षियों के साथ दो साल तक संगति करने के बाद, अप्रैल ३, १९३८ में मेरा बपतिस्मा हुआ। “बड़ी भीड़” के हम अनेक जनों को बपतिस्मा लेते हुए देखकर सेलम में साक्षी हर्षित हुए। फरवरी १९३९ में, मैं एक पायनियर, या पूर्ण-समय सेवक बन गया। उस साल दिसंबर में, मैंने अरिज़ोना में बसने का न्यौता स्वीकार किया, जहाँ राज्य उद्घोषकों की और ज़्यादा ज़रूरत थी।
अरिज़ोना में पायनियर-कार्य
यहोवा के साक्षियों का काम अरिज़ोना में नया-नया था और हमारे बारे में काफ़ी ग़लतफ़हमी थी, सो जब अमरीका दूसरे विश्व युद्ध में कूद पड़ा तब हमें काफ़ी सताहट सहनी पड़ी। उदाहरण के लिए, जब मैं स्टाफ़र्ड, अरिज़ोना में सेवा कर रहा था, तब १९४२ में मॉरमनों के एक समूह द्वारा हमारे विरुद्ध हुल्लड़ की बात हो रही थी। इत्तफ़ाक़ से मैं और मेरे पायनियर साथी एक मॉरमन बिशप के घर के पास रहते थे जो हमारा आदर करता था। उसने कहा: “यदि मॉरमन मिशनरी, साक्षियों के जितने सक्रिय होते, तो मॉरमन चर्च आगे बढ़ता।” सो गिरजे में उसने आवाज़ उठायी और कहा: “मैंने सुना है कि साक्षी युवाओं के विरुद्ध हुल्लड़ की बात हो रही है। मैं उन लड़कों के घर के पास रहता हूँ और यदि हुल्लड़ हुआ तो एक निशाना झाड़ के उस पार लगेगा। वह निशाना तो लगेगा—लेकिन साक्षियों के विरुद्ध नहीं। वह हुल्लड़बाज़ों के विरुद्ध लगेगा। सो यदि आप हुल्लड़ चाहते हैं, तो आपको पता है कि क्या होगा।” हुल्लड़ हुआ ही नहीं।
अरिज़ोना में मेरे तीन साल के वास के दौरान, हमें कई बार गिरफ़्तार करके जेल में डाला गया। एक बार मुझे ३० दिनों तक हिरासत में रखा गया। अपनी सेवकाई में पुलिस की सताहट का सामना करने के लिए, हमने एक तरह का उड़न दस्ता बनाया। नेतृत्व कर रहे साक्षी ने हमसे कहा: “जैसा हमारा नाम है, वैसा हमारा काम। हम सुबह पाँच या छः बजे शुरू करेंगे, हर दरवाज़े पर एक ट्रैक्ट या एक पुस्तिका रखेंगे और फिर उड़नछूं हो जाएँगे।” हमारे “उड़न दस्ते” ने अरिज़ोना राज्य का काफ़ी हिस्सा पूरा किया। लेकिन, बाद में यह तरीक़ा छोड़ना पड़ा क्योंकि इस क़िस्म के प्रचार से हम दिलचस्पी रखनेवालों को मदद नहीं दे पाते थे।
गिलियड स्कूल और ख़ास सेवा
दिसंबर १९४२ में, मैं अरिज़ोना के अनेक पायनियरों में से था जिन्हें यहोवा के साक्षियों द्वारा स्थापित किये जा रहे एक नये मिशनरी स्कूल में आने का आमंत्रण-पत्र मिला। उस स्कूल को शुरू में गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल कॉलॆज कहा जाता था। बाद में इसका नाम बदलकर गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल रखा गया। इसका परिसर लगभग ४,८०० किलोमीटर दूर उत्तरी न्यू यॉर्क में इथिका नगर के निकट था।
ऑरिगन में थोड़ा-सा समय बिताने के बाद, जनवरी १९४३ में हम कई पायनियर ग्रेहाउंड बस में बैठकर अरिज़ोना मरुस्थल की गर्मी पीछे छोड़ चले। कई दिन बाद हम अपनी मंज़िल पर पहुँचे और उत्तरी न्यू यॉर्क की सर्दियों की बर्फ़ देखी। स्कूल फरवरी १, १९४३ में शुरू हुआ, जब उसके अध्यक्ष, नेथन एच. नॉर ने अपने उद्घाटन भाषण में सौ विद्यार्थियों से कहा: “इस कॉलॆज का उद्देश्य यह नहीं कि आपको संस्कारिक रूप से नियुक्त सेवक बनने के लिए सज्जित करे। सेवक तो आप पहले से ही हैं और सालों से सेवकाई में सक्रिय रहे हैं। . . . कॉलॆज में अध्ययन पाठ्यक्रम का एकमात्र उद्देश्य यह है कि आपको उन क्षेत्रों में अधिक योग्य सेवक बनने के लिए तैयार किया जाए जहाँ आप जाएँगे।”
क्योंकि मेरी स्कूली शिक्षा ज़्यादा नहीं थी, सो गिलियड के शुरू-शुरू में मुझे थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन उपदेशकों ने मुझे मदद दी और मुझे अपनी पढ़ाई में बड़ा आनंद आने लगा। पाँच महीने के कड़े प्रशिक्षण के बाद हमारी कक्षा ने स्नातक किया। उसके बाद, हममें से थोड़े-से जनों को ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के विश्व मुख्यालय भेजा गया, जहाँ हमें और भी प्रशिक्षण देकर सर्किट ओवरसियरों के रूप में सफ़री काम के लिए तैयार किया गया। मेरी पहली नियुक्ति उत्तर और दक्षिण कैरोलाइना में थी।
उन आरंभिक दिनों में, सर्किट ओवरसियर मानो कभी ठहरता ही नहीं था। हम छोटी कलीसिया के साथ एक दिन रहते और यदि वह बड़ी होती तो दो दिन रुक जाते। उस समय अधिकतर कलीसियाएँ छोटी ही थीं। सो एक पूरा दिन बिताने, प्रायः आधी रात तक लोगों से मिलने और प्रश्नों के उत्तर देने के बाद, मैं अगली सुबह क़रीब पाँच बजे उठ जाता कि अगली कलीसिया के लिए रवाना होऊँ। मैंने सर्किट कार्य में क़रीब एक साल तक सेवा की और उसके बाद मैंने टॆनॆसी और न्यू यॉर्क में कुछ समय के लिए पायनियर कार्य किया।
क्यूबा और फिर पोर्टा रीको में
मई १९४५ में, दूसरे कई लोगों के साथ, मुझे अपनी पहली विदेशी नियुक्ति, क्यूबा में भेजा गया! जिस रात हम क्यूबा की राजधानी, हवाना पहुँचे, हम पत्रिका कार्य के लिए निकल पड़े। जब तक हमें सान्टा क्लारा में एक घर नहीं मिल गया, हम हवाना में ही रहे। हमारा मासिक भत्ता, भोजन और किराया मिलाकर, हर ज़रूरत के लिए प्रति व्यक्ति बस $२५ था। हमने उपलब्ध सामान से पलंग और फ़र्नीचर बनाये और सेब की पेटियों को दराज़ोंवाली अलमारियों के रूप में इस्तेमाल किया।
अगले साल मुझे सर्किट कार्य के लिए नियुक्त किया गया। उस समय समस्त क्यूबा एक सर्किट था। क्योंकि मुझसे पहलेवाले सर्किट ओवरसियर की लंबी टाँगें थीं और उसे चलने में मज़ा आता था, भाई-बहनों को उसके साथ-साथ चलने के लिए सचमुच दौड़ना पड़ता था। शायद उन्हें लगा कि मैं भी वैसा ही होऊँगा, सो उन्होंने मेरी भेंट के लिए सब तैयारी कर रखी थी। वे सब-के-सब एक ही दिन सेवकाई में नहीं आए, बल्कि उन्होंने अलग-अलग समूह बनाए और बारी-बारी से मेरे साथ काम किया। पहले दिन एक समूह मुझे एक दूर क्षेत्र में ले गया; अगले दिन दूसरा समूह मुझे एक और दूर क्षेत्र में ले गया और यही चलता रहा। भेंट के अंत तक मैं पस्त हो गया था, लेकिन मुझे मज़ा आया था। उस कलीसिया की मेरे पास मीठी यादें हैं।
वर्ष १९५० तक क्यूबा में ७,००० से अधिक राज्य प्रकाशक थे, मॆक्सिको में भी लगभग उतने ही थे। उस साल जुलाई में, मैं न्यू यॉर्क शहर के यैंकी स्टेडियम में हुए ‘ईश्वरशासन की वृद्धि’ अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में उपस्थित हुआ। उसके बाद, मुझे पोर्टा रीको में एक नयी मिशनरी नियुक्ति मिली। गिलियड की १२वीं कक्षा के नये मिशनरियों में ऎस्टॆल और थॆलमा वीकली भी थीं, जो पोर्टा रीको की उड़ान पर मेरे साथ गयीं।
आठ साल बाद ऎस्टॆल का और मेरा विवाह हुआ। हमारा विवाह बायामोन, पोर्टा रीको में हमारे सर्किट सम्मेलन के मध्यांतर के दौरान, मंच पर एक साधारण-से अनुष्ठान के साथ संपन्न हुआ। हमारे विवाह से पहले और उसके बाद भी, मैंने सर्किट कार्य में सेवा की। पोर्टा रीको में हमारे दस से अधिक साल के वास के दौरान, ऎस्टॆल ने और मैंने बड़ी वृद्धि देखी—५०० से कम प्रकाशक बढ़कर २,००० से अधिक हो गये। हम अनेक लोगों को समर्पण और बपतिस्मे की हद तक मदद करने में समर्थ हुए और हमने कई नयी कलीसियाएँ स्थापित करने में हिस्सा लिया।
दिसंबर १९६० में, ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के विश्व मुख्यालय से मिल्टन हॆनशॆल पोर्टा रीको आये और उन्होंने मिशनरियों से बात की। उन्होंने पूछा कि क्या कुछ लोग एक भिन्न नियुक्ति लेने के लिए तैयार हैं। अपने आपको पेश करनेवालों में ऎस्टॆल और मैं भी था।
डॉमिनिकन गणराज्य में हमारा घर
हमारी नयी नियुक्ति डॉमिनिकन गणराज्य में थी और हमने तय किया कि जून १, १९६१ में स्थानांतरण करेंगे। मई ३० को डॉमिनिकन तानाशाह, राफ़ाएल ट्रुहीओ की हत्या कर दी गयी और उस देश में जानेवाली विमान सेवाएँ रद्द कर दी गयीं। लेकिन, जल्द ही विमान सेवाएँ फिर से शुरू हो गयीं और हम योजनानुसार जून १ को डॉमिनिकन गणराज्य जा सके।
जब हम वहाँ पहुँचे, तब वह देश गड़बड़ी की अवस्था में था और काफ़ी सैन्य सक्रियता थी। एक क्रांति का अंदेशा था और महामार्ग पर सैनिक सब की तलाशी ले रहे थे। हमें कई पड़ताल चौकियों पर रोका गया और हर चौकी पर हमारे सामान की तलाशी ली गयी। हमारे बक्सों में से हर चीज़, छोटी-से-छोटी चीज़ तक निकालकर देखी गयी। ऐसा था डॉमिनिकन गणराज्य में हमारा प्रवेश।
हम अपनी पहली नियुक्ति, ला रोमाना में जाने से पहले कई हफ़्तों तक राजधानी सान्टो डोमिंगो में रहे। ट्रुहीओ की तानाशाही के दौरान, जनता से कहा गया था कि यहोवा के साक्षी साम्यवादी हैं और सबसे बुरे क़िस्म के लोग हैं। फलस्वरूप, साक्षियों को बुरी तरह से सताया गया था। लेकिन, धीरे-धीरे हम पूर्वधारणा को दूर करने में समर्थ हुए।
ला रोमाना में थोड़े समय तक काम करने के बाद, एक बार फिर हमने सर्किट कार्य में सेवा शुरू कर दी। फिर, १९६४ में, हमें मिशनरियों के रूप में सान्टिआगो शहर में नियुक्त किया गया। अगले साल डॉमिनिकन गणराज्य में एक क्रांति हुई और एक बार फिर वह देश उथल-पुथल की अवस्था में था। उस संघर्ष के दौरान हमें सान फ्रानसिस्को दे माकोरीस में स्थानांतरित किया गया। यह नगर अपनी राजनैतिक सक्रियता के लिए विख्यात था। फिर भी, हमने बिना किसी बाधा के खुलकर प्रचार किया। राजनैतिक हलचल के बावजूद हमने वहाँ एक नयी कलीसिया भी बनायी। आनेवाले सालों के दौरान, कई बार हमारी नियुक्तियाँ बदलीं और फिर हमें अपने वर्तमान घर, सान्टिआगो में पुनःनियुक्त किया गया।
हमने यहाँ डॉमिनिकन गणराज्य में कार्य पर निश्चित ही यहोवा की आशिष देखी है। जब हम १९६१ में यहाँ पहुँचे थे, तब यहाँ क़रीब ६०० साक्षी और २० कलीसियाएँ थीं। अब लगभग २०,००० प्रकाशक ३०० से अधिक कलीसियाओं में परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार कर रहे हैं। और भी वृद्धि की बहुत संभावना है, जो कि १९९६ में मसीह की मृत्यु के स्मारक में ६९,९०८ लोगों की उपस्थिति से प्रकट होता है। यह प्रकाशकों की संख्या की क़रीब साढ़े तीन गुना है!
अब एक सामर्थी जाति
हालाँकि संसार की परिस्थिति बदलती जाती है, फिर भी बाइबल का संदेश, जिसका प्रचार यहोवा के साक्षी करते हैं वही है। (१ कुरिन्थियों ७:३१) यहोवा अब भी परमेश्वर है, मसीह अब भी राजा है और पहले से कहीं अधिक प्रत्यक्ष है कि राज्य संसार की एकमात्र आशा है।
साथ ही, कुछ ६० साल पहले जब मैं सेलम, ऑरिगन में उस सभा में उपस्थित हुआ था, तब से यहोवा के लोगों के बीच एक अद्भुत परिवर्तन आया है। बड़ी भीड़ सचमुच बड़ी हो गयी है, इसकी संख्या ५० लाख से अधिक है। जैसा यहोवा ने अपने लोगों के बारे में पूर्वबताया था वैसा ही हुआ है: “छोटे से छोटा एक हजार हो जाएगा और सब से दुर्बल एक सामर्थी जाति बन जाएगा। मैं यहोवा हूं; ठीक समय पर यह सब कुछ शीघ्रता से पूरा करूंगा।”—यशायाह ६०:२२.
पूर्ण-समय सेवकाई में क़रीब ६० साल के बाद, मैं ख़ुश हूँ कि मेरे पास अपनी मिशनरी नियुक्ति में प्रचार करते और सिखाते रहने का आनंद है। उस कार्य में हिस्सा लेना और “सब से दुर्बल” को “एक सामर्थी जाति” बनते देखना क्या ही महान विशेषाधिकार है!
[पेज 21 पर तसवीर]
डॉमिनिकन गणराज्य में, अपनी पत्नी के साथ