क्रिसमस—दुनियावी छुट्टी या धार्मिक त्योहार?
चीन में उसे क्रिसमस बूढ़े बाबा (Christmas Old Man) कहा जाता है। ब्रिटॆन में वह बतौर पापा क्रिसमस (Father Christmas) जाना जाता है। रूस में उसके लिए लोग बर्फ़ीले दादाजी (Grandfather Frost) नाम इस्तेमाल करते हैं, और अमरीका में उसे सांता क्लॉस नाम दिया गया है।
अनेक लोग इस बड़ी-सी तोंदवाले और बर्फ़ जैसी सफ़ेद दाढ़ीवाले हँसमुख बूढ़े बाबा को क्रिसमस का साकार रूप मानते हैं। लेकिन सब यह भी जानते हैं कि सांता क्लॉस एक कहानी है, एक कथा जो चौथी शताब्दी के माइरा (आज के टर्की में) के बिशप से जुड़ी परंपराओं पर आधारित है।
रीति-रिवाजों और परंपराओं ने हमेशा से उत्सवों पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है, और क्रिसमस के साथ भी ऐसा ही है। प्रचलित त्योहार के साथ लोकसाहित्य के जुड़े होने के अनेक उदाहरणों में से सांता की कहानी केवल एक उदाहरण है। जबकि कुछ लोग दावा करते हैं कि क्रिसमस के रिवाज़ बाइबल में लिखी घटनाओं पर आधारित हैं, वास्तव में इनमें से ज़्यादातर रिवाज़ों की शुरूआत ग़ैर-ईसाई रही है।
एक और उदाहरण है क्रिसमस के पेड़ का। द न्यू एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका कहती है: “पेड़ों की पूजा करना, जो विधर्मी यूरोपवासियों में आम था, धर्मपरिवर्तन करके उनके मसीही बनने के बाद भी स्कैन्डिनेविया के रिवाज़ों में क़ायम रहा। इन रिवाज़ों में नव वर्ष के समय घर और खत्तों को सदाबहार पेड़ों से सजाना [शामिल था] ताकि शैतान डरकर भाग जाए और क्रिसमस के अवसर पर पक्षियों के लिए पेड़ लगाना [शामिल था]।”
शूलपर्णी या दूसरे सदाबहार पेड़ों की मालाएँ बनाना एक और प्रचलित क्रिसमस परंपरा है। इसकी जड़ें भी गहराई तक विधर्मी उपासना में फैली हुई हैं। प्राचीन रोमी सतरनालिया उत्सव के दौरान मंदिरों को सजाने के लिए शूलपर्णी की डालियाँ इस्तेमाल करते थे। कृषि-देवता शनि को समर्पित यह उत्सव बीच सर्दियों में सात दिन तक मनाया जाता था। यह विधर्मी त्योहार ख़ासकर अपनी बेरोक मौज-मस्ती और स्वेच्छाचार के लिए जाना जाता था।
मिसलटो (यहाँ दिखाया गया) की टहनी के नीचे खड़े होकर चूमने का क्रिसमस रिवाज़ कुछ लोगों को रोमानी लग सकता है, लेकिन यह मध्य युग की याद दिलाता है। प्राचीन ब्रिटॆन के ड्रूइड मानते थे कि मिसलटो में चमत्कारी शक्ति है; इसलिए, इसे पिशाचों, जादू-टोने और अन्य क़िस्म की बुराई से सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। कुछ समय बाद, यह अंधविश्वास पैदा हुआ कि मिसलटो के नीचे खड़े होकर चूमने से विवाह हो जाता है। क्रिसमस के समय पर कुछ लोगों के बीच यह रिवाज़ आज भी प्रचलित है।
ये परंपराएँ आज की उन क्रिसमस परंपराओं में से कुछ ही हैं जो विधर्मी शिक्षाओं से प्रभावित रही हैं या जो सीधे उन्हीं से निकली हैं। लेकिन, आप शायद सोच में पड़ जाएँ कि यह सब कैसे हुआ। जो त्योहार मसीह का जन्म मनाने का दावा करता है वह कैसे ग़ैर-मसीही रिवाज़ों में इतना ज़्यादा उलझ गया? और सबसे ज़रूरी बात, परमेश्वर इस बात को किस नज़र से देखता है?
[पेज 2 पर चित्र का श्रेय]
पृष्ठ ३: सांता क्लॉस: Thomas Nast/Dover Publications, Inc., 1978; पृष्ठ ३ पर मिसलटो और पृष्ठ ४ पर चित्र: Discovering Christmas Customs and Folklore by Margaret Baker, published by Shire Publications, 1994