कोढ़ी होने पर भी मेरा जीवन—हर्षित और आध्यात्मिक तौर पर आशीषित
आइज़ेया आडागबोना द्वारा बताया गया
मैं अकुरे, नाइजीरिया में बड़ा हुआ। मेरा परिवार तरालुओं, केलों, कैसावों और कोको की खेती करता था। मेरे पिता मुझे स्कूल नहीं भेजना चाहते थे। उन्होंने मुझसे कहा: “अरे, तुम एक किसान हो। तुमसे कभी कोई नहीं कहेगा कि तरालुओं को पढ़कर बताओ।”
इसके बावजूद मैं पढ़ना सीखना चाहता था। शाम के वक्त, मैं एक घर की खिड़की के पास खड़ा होकर सुना करता था, जहाँ कुछ बच्चों को एक प्राइवेट शिक्षक सिखाने आया करते थे। यह १९४० की बात है जब मैं करीब १२ बरस का था। जब बच्चों के पिता मुझे देख लेते तो वे चिल्लाते और वहाँ से मुझे खदेड़ देते। फिर भी मैं जाता ही रहा। कभी-कभी शिक्षक नहीं आते तो मैं चोरी से अंदर घुसकर बच्चों के साथ उनकी किताबें देखने लगता। कभी-कभार वे अपनी किताबें मुझे साथ ले आने देते। और इसी तरह मैंने पढ़ना सीखा।
मैं परमेश्वर के लोगों के साथ हो लिया
कुछ समय उपरांत मुझे एक बाइबल मिली जिसे मैं सोने से पहले रोज़ पढ़ता था। एक शाम मैंने मत्ती का १०वाँ अध्याय पढ़ा, जो बताता है कि लोग यीशु के चेलों से नफरत करेंगे और उन्हें सताएँगे।
मुझे याद आया कि यहोवा के साक्षी मेरे घर आए थे और उनके साथ बुरा बर्ताव किया गया था। फट-से मेरे दिमाग में आया कि हो न हो ये वही हों, जिनके बारे में यीशु ने कहा था। अगली बार जब साक्षी आए, मैंने उनसे एक पत्रिका ली। जैसे-जैसे मैं उनके साथ संगति करने लगा, मैं हँसी का पात्र बन गया। लेकिन, जितना लोग मुझे निराश करने की कोशिश करते, उतना ही अधिक मैं दृढ़ और हर्षित होता कि मैंने एक सच्चा धर्म पा लिया है।
साक्षियों की जिस बात ने वास्तव में मुझे प्रभावित किया वह यह थी कि मेरे क्षेत्र के दूसरे धार्मिक समूह के विपरीत ये लोग अपनी उपासना को स्थानीय मूर्तिपूजक धर्मों के रिवाज़ों और परंपराओं के साथ नहीं मिलाते थे। उदाहरण के लिए मेरा परिवार एन्ग्लीकन चर्च जाता था फिर भी मेरे पिता ने योरुबा देवता ओगून का मंदिर स्थापित किया था।
मेरे पिता के मरने के बाद, उस मंदिर का उत्तराधिकारी मुझे होना था। मुझे यह नहीं चाहिए था क्योंकि मैं जानता था कि बाइबल मूर्तिपूजा की निंदा करती है। यहोवा की मदद से मैं आध्यात्मिक रूप से प्रगति करता गया और दिसंबर १९५४ में मैंने बपतिस्मा ले लिया।
कोढ़ का हमला
उस साल के आरंभ में मैंने अपने पैरों में सूजन देखी और संवेदनहीनता महसूस की। अगर मैं गरम कोयले पर पैर रख देता तो भी कोई पीड़ा न होती थी। कुछ समय के बाद मेरे माथे और होठों पर लाल फोड़े उभर आए। न ही मैं, न ही मेरा परिवार समझ सका कि क्या गड़बड़ी है; हमने सोचा यह एक्ज़िमा है। ठीक होने की आस में मैंने १२ वनस्पतिशास्त्रियों के चक्कर काटे। अंत में एक ने हमें कह दिया कि यह कोढ़ है।
वह क्या ही बड़ा धक्का था! मैं बेचैन हो गया और ठीक से सो नहीं पाया। बुरे-बुरे सपने आने लगे थे। लेकिन बाइबल सच्चाई के बारे में अपने ज्ञान और यहोवा पर भरोसे के कारण मैं भविष्य की ओर दृढ़ता से देख सका।
लोगों ने मेरी माँ से कहा कि मैं अच्छा हो सकता हूँ अगर मैं ओझा के पास जाकर बली चढ़ाऊँ। चूँकि मैं जानता था कि ऐसे कार्य यहोवा को नाराज़ करते हैं, मैंने जाने से इंकार कर दिया। यह जानकर कि इस मामले में, मैं अपनी बात पर अड़ गया हूँ मेरी माँ की सहेलियों ने सुझाया कि वह कोला पेड़ का बीज ले और उसे मेरे माथे से लगाए। फिर वही कोला बीज उस ओझा को दे सकती है जो मेरी तरफ से बलि चढ़ाएगा। मैं उसमें किसी भी तरह का हिस्सा नहीं चाहता था और मैंने उन्हें साफ-साफ कह दिया। आखिरकार, मुझे मूर्तिपूजक धर्म में शामिल करने के अपने प्रयास में उसने हार मान ली।
मेरे अस्पताल में भरती होने तक कोढ़ मुझ पर पूरी तरह हावी हो चुका था। मेरे सारे शरीर पर फोड़े उभर आए थे। अस्पताल में उन्होंने मुझे दवाइयाँ दीं और मेरी चमड़ी धीरे-धीरे दोबारा सामान्य हो गई।
उन्होंने सोचा मैंने दम तोड़ दिया
लेकिन समस्याओं ने मेरा पिंड यहीं तक नहीं छोड़ा। मेरा दाहिना पैर बुरी तरह संक्रमित हो गया और १९६२ में उसे काटकर निकालना पड़ा। ऑपरेशन के बाद कुछ चिकित्सीय समस्याएँ थीं। डॉक्टरों ने मेरे बचने की उम्मीद छोड़ दी थी। एक गोरा मिशनरी पादरी आखिरी धार्मिक अनुष्ठान पूरा करने आया। कमज़ोरी के कारण मैं बोलने के काबिल न था लेकिन नर्स ने उसे बताया कि मैं एक यहोवा का साक्षी हूँ।
पादरी ने मुझसे कहा: “क्या तुम परिवर्तन कर कैथोलिक बनना चाहते हो जिससे कि तुम स्वर्ग जा सको?” इस पर मुझे मन ही मन हँसी आई। जवाब देने के लिए मैंने प्रार्थना में यहोवा से शक्ति माँगी। बड़ी मुश्किल से मैं कह सका, “नहीं!” पादरी उलटे पाँव लौट गया।
मेरी स्थिति इतनी बिगड़ती चली गई कि अस्पताल के कर्मचारियों ने सोच लिया कि मैं मर चुका हूँ। उन्होंने चादर से मेरा मुँह ढक दिया। लेकिन वे मुझे मुर्दाघर नहीं ले गए क्योंकि पहले किसी डॉक्टर या नर्स को प्रमाणित करना था कि मैं मर चुका हूँ। ड्यूटी पर कोई डॉक्टर न था और सारी नर्सें पार्टी के लिए गई हुई थीं। सो उन्होंने मुझे रात भर वार्ड में ही रखा। दूसरी सुबह जब डॉक्टर ने अपना राउँड मारा तब कोई भी मेरी खाट के पास नहीं आया क्योंकि मुझे मरा जानकर तब तक ढक रखा था। आखिरकार, किसी का ध्यान गया कि “लाश” चादर के अंदर से हिल रही है!
खैर, मेरी स्थिति सुधरी और १९६३ के दिसंबर में उन्होंने मुझे दक्षिणपश्चिम नाइजीरिया के अबीओकाटा कुष्ठाश्रम अस्पताल में भेज दिया। और तब से मैं वहीं रह रहा हूँ।
मेरे प्रचार कार्य का विरोध
जब मैं कुष्ठाश्रम पहुँचा तब करीब ४०० कोढ़ियों के बीच मैं ही अकेला साक्षी था। मैंने संस्था को लिखा और उन्होंने तुरंत कार्यवाही की और आकोमोजी कलीसिया को मुझसे संपर्क करने को कहा। इस तरह भाइयों से मेरा संपर्क बराबर बना रहा।
कुष्ठाश्रम पहुँचते ही मैंने प्रचार करना शुरू कर दिया था। स्थानीय पास्टर इससे खुश न था और उसने कल्याण-अफसर से जो कैम्प का अधिकारी था मेरी रिपोर्ट कर दी। कल्याण-अफसर जर्मन के बुज़ुर्ग सज्जन थे। उन्होंने मुझसे कहा कि बाइबल सिखाना मेरा काम नहीं है क्योंकि मैंने न ही इसकी स्कूली शिक्षा ली है और न ही मेरे पास ऐसा करने का कोई प्रमाणपत्र है; चूँकि मैं अयोग्य हूँ, मैं जनता को गलत सिखा सकता हूँ। अगर मैं ऐसा करता रहा, तो मुझे कुष्ठाश्रम से बेदखल कर सकते हैं और चिकित्सीय उपचार से मुझे हाथ धोना पड़ सकता है। उन्होंने मुझे अपनी बात कहने का मौका ही नहीं दिया।
फिर उन्होंने एक निदेश जारी किया कि किसी को मेरे साथ बाइबल नहीं पढ़ना चाहिए। नतीजतन, जिन्होंने दिलचस्पी दिखायी थी, उन्होंने मेरे पास आना बंद कर दिया।
प्रार्थना में मैंने बुद्धि और मार्गदर्शन की माँग करते हुए मामले को यहोवा के हाथ छोड़ दिया। अगले रविवार मैं कुष्ठाश्रम के बैपटिस्ट चर्च गया, यद्यपि मैंने धार्मिक उपासना में कोई भाग नहीं लिया। उस उपासना के दौरान ऐसा समय होता था जब उपस्थित जन कुछ सवाल पूछ सकते थे। मैंने हाथ उठाकर पूछा: “अगर सभी अच्छे इंसान स्वर्ग जाएँगे और सभी बुरे इंसान किसी और जगह पर, तो फिर यशायाह ४५:१८ क्यों कहता है कि परमेश्वर ने पृथ्वी को बसने के लिए रचा है?”
कलीसिया में बड़ी फुसफुसाहट होने लगी थी। आखिरकार मिशनरी पास्टर ने कहा कि हम परमेश्वर की बातों का पता नहीं लगा सकते। तब मैंने अपने ही सवाल का जवाब दिया, उस वचन को पढ़कर जो दिखाता है कि १,४४,००० स्वर्ग जाएँगे, दुष्ट नाश किये जाएँगे और कि धर्मी लोग पृथ्वी पर सदा जीएँगे।—भजन ३७:१०, ११; प्रकाशितवाक्य १४:१, ४.
मेरे जवाब से प्रभावित होकर सभी लोगों ने तालियाँ बजाईं। फिर पास्टर ने कहा: “और एक बार तालियाँ बजाओ क्योंकि यह नौजवान वाकई बाइबल को जानता है।” इसके बाद, कुछ लोगों ने मेरे पास आकर कहा: “भई वाह, आप तो पास्टर से भी ज़्यादा जानते हैं!”
निकालने के लिए मुझ पर दबाव जारी रहा
उस बात ने सताहट से काफी हद तक राहत दिलायी और बाइबल अध्ययन के लिए लोग फिर से मेरे पास आ गए। फिर भी, कुछ विरोधी थे जिन्होंने मुझसे छुटकारा पाने के लिए कल्याण-अफसर पर दबाव डाला। चर्च उपासना के लगभग एक महीने बाद, उन्होंने मुझे बुलाकर कहा: “तुम प्रचार करने के पीछे क्यों पड़ गए हो? मेरे देश में लोग यहोवा के साक्षियों को पसंद नहीं करते और उसी तरह यहाँ पर भी नहीं। क्यों मेरे जी का जंजाल बन गए हो? क्या तुम नहीं जानते, मैं तुम्हें यहाँ से खदेड़ सकता हूँ?”
मैंने कहा: “पापा, मैं तीन कारणों से आपका सम्मान करता हूँ। पहले कि आप मुझसे बड़े हैं और बाइबल कहती है हमें पक्के बालवालों का आदर करना चाहिए। मैं आपका सम्मान क्यों करता हूँ इसका दूसरा कारण है कि हमारी मदद के लिए आप अपना देश छोड़कर यहाँ आए हैं। तीसरा कारण है कि आप दयालु व उदार हैं और दीन-दुःखियों की मदद करते हैं। लेकिन किस अधिकार से आप सोचते हैं कि आप मुझे निकाल सकते हैं? देश के राष्ट्रपति ने यहोवा के साक्षियों को नहीं निकाला। इस क्षेत्र के पारंपारिक शासक ने हमें नहीं निकाला। फिर भी, अगर आप मुझे धक्के मारकर कैम्प से निकाल ही देते हैं, यहोवा तब भी मेरी परवाह करेगा।”
मैंने पहले कभी उन्हें यूँ दो-टूक जवाब नहीं दिया था और उन पर मैं इसका प्रभाव देख सका। वे चुपचाप वापस लौट गए। बाद में जब किसी ने उनसे मेरी शिकायत की तो वे झल्लाते हुए बोले: “अब मैं अपने आपको और ज़्यादा इस पचड़े में नहीं डालूँगा। अगर तुम्हें उसके प्रचार से कोई हर्ज है, तो उसी से बात करो!”
साक्षरता क्लास
उन लोगों द्वारा जो कैम्प के बैपटिस्ट चर्च में उपस्थित हुए थे, मेरे प्रचार के लिए विरोध जारी रहा। तब मुझे एक बात सुझी। मैं कल्याण-अफसर के पास गया और मैंने साक्षरता क्लास शुरू करने की उनसे इज़ाज़त माँगी। जब उन्होंने पूछा मैं इसके लिए कितना पैसा लेना चाहूँगा तब मैंने कहा कि मैं मुफ्त में सिखाऊँगा।
उन लोगों ने क्लासरूम, ब्लैकबोर्ड और चॉक का प्रबंध किया और इस तरह मैंने कुछ सहवासियों को पढ़ाना शुरू कर दिया। हमारी क्लास रोज़ हुआ करती थी। पहले ३० मिनट मैं पढ़ाना सिखाता था फिर बाइबल में से कोई कहानी बताकर समझाया करता था। इसके बाद हम बाइबल से कुछ वृत्तांत पढ़ते थे।
एक विद्यार्थी नीमोटा नामक एक स्त्री थी। उसे आध्यात्मिक बातों में गहरी दिलचस्पी थी और वह चर्च तथा मस्जिद दोनों जगहों पर धर्म से संबंधित प्रश्न पूछा करती थी। वहाँ उसे अपने सवालों के जवाब नहीं मिले थे, सो मुझसे पूछने आया करती थी। आखिरकार, उसने यहोवा को अपना जीवन समर्पित किया और बपतिस्मा लिया। वर्ष १९६६ में हमने विवाह कर लिया।
आज हमारी कलीसिया के अधिकांश लोगों ने पढ़ना-लिखना उसी साक्षरता क्लास से सीखा है। मुझमें इतनी बुद्धि कहाँ कि उस क्लास का प्रस्ताव रखता; यह ज़रूर यहोवा की ही आशीष थी। उसके बाद, फिर किसी ने मुझे प्रचार करने से नहीं रोका।
कैम्प में राज्यगृह
मेरे नीमोटा के साथ विवाह के पहले से हम चार जन नियमित रूप से प्रहरीदुर्ग के अध्ययन के लिए मिला करते थे। करीब एक साल तक हम उस कमरे में मिला करते थे जहाँ कोढ़ियों के घाव धोये जाते थे। तब कल्याण-अफसर ने जो उस वक्त तक मेरा मित्र बन चुका था, कहा: “यह अच्छा नहीं है कि तुम अपने परमेश्वर की उपासना इस उपचार गृह में करो।”
उसने कहा कि हम बढ़ई के खाली सायबान में मिल सकते हैं। समय बीतते वह सायबान राज्यगृह में बदल गया। वर्ष १९९२ में हमने शहरी भाइयों की मदद से उसे तैयार कर दिया। जैसा कि आप पृष्ठ २४ के चित्र से देख सकते हैं कि हमारा हॉल पक्की इमारत है—कंक्रीट का फर्श, मज़बूत छत और पलस्तर के साथ रंगा हुआ है।
कोढ़ ग्रस्त लोगों को प्रचार करना
पूरे ३३ सालों से मेरा क्षेत्र कुष्ठाश्रम रहा है। कोढ़ियों को प्रचार करना कैसा है? यहाँ अफ्रीका में अधिकांश लोग मानते हैं कि सब कुछ परमेश्वर की ओर से ही होता है। इसलिए जब वे कोढ़ से पीड़ित होते हैं तो इसका कसूरवार किसी-न-किसी तरह परमेश्वर को ही मानते हैं। कुछ अपनी स्थिति से बड़े ही मायूस हैं। अन्य क्रोध में आकर कहते हैं: “प्रेमी और दयालु परमेश्वर के बारे में हमसे बात मत करो। अगर यही सच है तो यह बीमारी चली जाती!” तब हम याकूब १:१३ पढ़कर तर्क करते, जो कहता है: ‘बुरी बातों से परमेश्वर की परीक्षा नहीं हो सकती है।’ फिर हम समझाते कि यहोवा क्यों लोगों को पीड़ित होने के लिए बीमारी रहने देता है फिर हम परादीस पृथ्वी के उसके वादे की ओर ध्यान खींचते जहाँ कोई रोगी न होगा।—यशायाह ३३:२४.
कइयों ने सुसमाचार के प्रति अच्छी दिलचस्पी दिखायी है। जब से मैं इस कैम्प में आया हूँ, ३० से भी ज़्यादा लोगों के समर्पण और बपतिस्मे के लिए यहोवा ने मेरा उपयोग किया है, और वे सभी कोढ़ी हैं। स्वस्थ हो जाने के बाद कई लोग घर लौट गए हैं और कुछ का देहांत हो गया है। अब हमारे यहाँ १८ राज्य प्रकाशक हैं और करीब २५ लोग सभाओं में नियमित आते हैं। हम दो जन प्राचीन के तौर पर सेवा करते हैं और हमारे पास एक सहायक सेवक और एक नियमित पायनियर है। अब मैं इस कैम्प में इतने सारे लोगों को वफादारी से यहोवा की सेवा करते देखकर कितना खुश हूँ! जब मैं यहाँ आया था, मैं घबरा गया था कि मैं अकेला रहूँगा लेकिन यहोवा ने मुझे अद्भुत रीति से आशीष दी है।
अपने भाइयों की सेवा करने का आनंद
मैं कोढ़ की दवाइयाँ १९६० से लेकर पाँच साल पहले तक लेता रहा। कलीसिया के अन्य भाइयों की तरह मैं अब पूरी तरह से स्वस्थ हूँ। कोढ़ ने अपने निशान छोड़े हैं—मैंने अपना निचला पैर गँवाया और मैं अपने हाथों को सीधा नहीं कर सकता—परंतु बीमारी अब नहीं रही।
चूँकि मैं ठीक हो गया हूँ, कुछ लोगों ने पूछा है कि मैं कैम्प छोड़कर घर क्यों नहीं वापस चला जाता। इसके कई कारण हैं कि मैं क्यों रह गया हूँ लेकिन मुख्य कारण है कि मैं यहाँ अपने भाइयों की मदद करना जारी रखना चाहता हूँ। यहोवा की भेड़ों की रखवाली करने की खुशी के आगे वह सारी खुशी फीकी पड़ जाती है जो मुझे मेरे परिवार से मिलती, अगर मैं घर लौटता।
मैं कितना आभारी हूँ कि अपने कोढ़ होने की जानकारी से पहले, मैंने यहोवा को जान लिया था। वरना, मैंने अपने आपको शायद खत्म ही कर दिया होता। उन सालों के दौरान कई कठिनाइयाँ और समस्याएँ रही थीं लेकिन जिसने मुझे बचाए रखा वह दवा न थी—वह यहोवा था। जब मैं अतीत पर विचार करता हूँ, मैं हर्षित होता हूँ; और जब मैं परमेश्वर के राज्य के अधीन भविष्य के बारे में सोचता हूँ, तब मैं और भी ज़्यादा हर्षित हो जाता हूँ।
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कोढ़ जानकारी पत्र
यह क्या है?
आधुनिक-दिन कोढ़ ऐसा रोग है जो बैसिलस के कारण होता है जिसकी पहचान आरमउर हैन्सन ने १८७३ में की थी। उसके इस काम की कदरदानी में डॉक्टर भी कोढ़ का ज़िक्र हैन्सन रोग करके करते हैं।
यह बैसिलस नसों, हड्डियों, आँखों और कुछ अंगों को नुकसान पहुँचाता है। अकसर हाथ और पाँव संवेदनहीन हो जाते हैं। जाँच न की जाए तो यह रोग चेहरे और छोरों को बुरी तरह विकलांग कर सकता है। इससे कोई यदा-कदा ही मरता है।
क्या इसका इलाज है?
मंद किस्म के कोढ़ से लोग बिना किसी उपचार के ठीक हो जाते हैं। अधिक गंभीर मामलों को दवाओं से ठीक किया जा सकता है।
सबसे पहला कोढ़-प्रतिरोधी औषध जो १९५० में प्रस्तुत किया गया था, बहुत धीमे काम करता था और अधिकाधिक प्रभावहीन होने लगा क्योंकि कोढ़ के बैसिलस प्रतिरोधक हो गए थे। नई औषधियाँ बनाई गयीं और १९८० के आरंभ से बहु-औषधीय उपचार [Multi-Drug Therapy (MDT)] संसार-भर में मानक उपचार बन गया। इस उपचार में तीन औषधियों का मेल होता है—डॆपसोन, राइफाम्पसन और क्लोफॆज़ीमॆन। जबकि MDT बैसिलस को मार देता है, यह क्षतिग्रस्त अंगों को सुधारता नहीं।
रोगों को ठीक करने में MDT बहुत प्रभावकारी है। जिसके चलते, कोढ़ ग्रस्त लोगों की संख्या १९८५ में १.२ करोड़ से १९९६ के मध्य में करीब १३ लाख आ पहुँची है।
यह कितना संक्रामक है?
कोढ़ बहुत ज़्यादा संक्रामक नहीं है; इसका सामना करने के लिए बहुतों की रोग-अवरोधक प्रणाली काफी शक्तिशाली होती है। और यह जब कभी होता है, तो ऐसे लोगों में जो संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक नज़दीकी संबंध रखते हैं।
डॉक्टर ठीक तरह से नहीं जानते कि कैसे बैसिलस मानव शरीर में प्रवेश करता है लेकिन वे अनुमान लगाते हैं कि यह त्वचा और नाक से ही प्रवेश करता है।
भावी प्रत्याशाएँ
वर्ष २००० तक कोढ़ को “लोक स्वास्थ्य समस्या के तौर पर निराकरण” करने के लिए लक्षित किया गया है। इसका अर्थ है कि किसी भी समाज में कोढ़ के मामले १०,००० लोगों में, १ से ज़्यादा न होंगे। परमेश्वर के राज्य में इसका पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा।—यशायाह ३३:२४.
स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन; कोढ़-प्रतिरोधी अंतर्राष्ट्रीय महासंघ सभा और मेनसन्स उष्णकटिबन्धी रोग, १९९६ संस्करण।
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क्या आज वही कोढ़ है जैसा बाइबल समय में था?
आज चिकित्सीय पाठ्य पुस्तकें कोढ़ की परिभाषा सुस्पष्ट शब्दों में करती हैं; इसमें शामिल रोगाणु का वैज्ञानिक नाम है माइकोबैक्टीरियम लेपरे [M. leprae]। बेशक, बाइबल कोई चिकित्सीय पाठ्य पुस्तक नहीं है। जिन इब्रानी और यूनानी शब्दों का अनुवाद कई बाइबल अनुवादों में “कोढ़” किया गया है, उसका एक विस्तृत अर्थ है। उदाहरण के लिए, बाइबल में कोढ़ के दृश्य लक्षण न केवल मनुष्यों में बताये गये हैं बल्कि कपड़ों और घरों में भी, जो कि बैसिलस ऐसा नहीं करता।—लैव्यव्यवस्था १३:२, ४७; १४:३४.
इसके अलावा, आज जिन लक्षणों से मनुष्यों में कोढ़ की पहचान होती है, वे बाइबल समय में दिए कोढ़ के लक्षण से पूरी तरह मेल नहीं खाते। कुछ सुझाते हैं कि ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि समय के साथ-साथ रोग के लक्षण भी बदलते हैं। दूसरे मानते हैं कि बाइबल में जो कोढ़ का ज़िक्र किया गया है, वह रोगों का एक विस्तृत रूप में वर्णन करती है, जिसमें M. leprae द्वारा रोग शामिल हो भी सकता है और नहीं भी।
नया नियम का धर्मशास्त्रीय शब्दकोश (अंग्रेज़ी) कहता है कि जिस इब्रानी और यूनानी शब्द को अकसर कोढ़ के लिए अनुवाद किया गया है, वे “एक ही बीमारी का ज़िक्र करते हैं, या बीमारी के समूह का . . . लेकिन क्या यह बीमारी वही है जिसे अब हम कोढ़ कहते हैं, इसमें संदेह है। परंतु रोग की सुस्पष्ट चिकित्सीय पहचान [यीशु और उसके चेलों द्वारा कोढ़ियों को] स्वस्थ करने के वृत्तांतों पर, हमारे मूल्यांकन को कम नहीं करती।”
[पेज 24 पर तसवीर]
कोढ़ियों के कैम्प में राज्यगृह के बाहर कलीसिया
[पेज 26 पर तसवीर]
आइज़ेया आडागबोना और उसकी पत्नी नीमोटा