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  • यहोवा का दिन निकट है

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  • यहोवा का दिन निकट है
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
w98 5/1 पेज 8-13

यहोवा का दिन निकट है

“हे पुरनियो, सुनो, हे देश के सब रहनेवालो, कान लगाकर सुनो!”—योएल १:२.

१, २. यहूदा में किस स्थिति के कारण यहोवा ने योएल को उसकी प्रभावशाली भविष्यवाणी घोषित करने के लिए प्रेरित किया?

“उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्‍तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।” क्या ही दिल दहलानेवाली घोषणा! यह परमेश्‍वर का संदेश था जिसे उसके लोगों को उसके भविष्यवक्‍ता योएल ने सुनाया था।

२ योएल १:१५ के ये वचन यहूदा में, संभवतः सा.यु.पू. ८२० साल के करीब लिखे गए थे। तब हरी-भरी पहाड़ियाँ देश की शोभा थीं। फल और अनाज बहुतायत में थे। चरागाह लंबे-चौड़े और हरे-भरे थे। फिर भी, एक बड़ी बुराई थी। यरूशलेम में और यहूदा के देश में बाल की उपासना फल-फूल रही थी। लोग इस झूठे देवता के सामने पियक्कड़पन की लीला-क्रीड़ा में शामिल होते थे। (२ इतिहास २१:४-६, ११ से तुलना कीजिए।) क्या यहोवा यह सब चलते रहने की अनुमति देता?

३. यहोवा ने किस बात की चेतावनी दी, और जातियों को किस बात के लिए तैयारी करनी चाहिए?

३ बाइबल की योएल नामक किताब जवाब के बारे में कोई संदेह नहीं छोड़ती। यहोवा परमेश्‍वर अपनी सर्वसत्ता का दोषनिवारण करेगा और अपने पवित्र नाम का पवित्रीकरण करेगा। यहोवा का महान दिन निकट था। तब परमेश्‍वर “यहोशापात की तराई” में सारी जातियों को न्यायदंड देगा। (योएल ३:१२) उन्हें सर्वशक्‍तिमान यहोवा के साथ युद्ध के लिए तैयार होने दो। हमारे सामने भी यहोवा का महान दिन है। सो आइए हम अपने दिनों और पहले के दिनों के लिए योएल के भविष्यसूचक वचनों की जाँच करें।

कीटों का हमला

४. योएल ने जिस घटना की चेतावनी दी वह कितनी बड़ी होती?

४ अपने भविष्यवक्‍ता के माध्यम से यहोवा कहता है: “हे पुरनियो, सुनो, हे देश के सब रहनेवालो, कान लगाकर सुनो! क्या ऐसी बात तुम्हारे दिनों में, वा तुम्हारे पुरखाओं के दिनों में कभी हुई है? अपने लड़केबालों से इसका वर्णन करो, और वे अपने लड़केबालों से, और फिर उनके लड़केबाले आनेवाली पीढ़ी के लोगों से।” (योएल १:२, ३) पुरनिये और सभी लोग किसी ऐसी बात की आशा कर सकते थे जो न तो उनके जीवन में न ही उनके पुरखाओं के दिनों में कभी हुई थी। यह इतना असाधारण होता कि इसका वर्णन तीसरी पीढ़ी तक किया जाता! यह यादगार घटना क्या थी? पता लगाने के लिए, आइए कल्पना करें कि हम योएल के दिनों में हैं।

५, ६. (क)योएल द्वारा पूर्वबतायी जा रही विपत्ति का वर्णन कीजिए। (ख) कौन उस विपत्ति का भेजनेवाला था?

५ सुनिए! योएल दूर से आनेवाली एक गर्जना सुनता है। आकाश अंधियारा हो जाता है और जैसे-जैसे अंधेरा ऊपर छाता जाता है, यह भयानक आवाज़ बढ़ती जाती है। फिर धुएँ-समान बादल नीचे उतरता है। यह करोड़ों की संख्या में कीटों की सेना है। और यह कैसी तबाही का कारण होती है! अब योएल १:४ पर ध्यान दीजिए। इन हमलावर कीटों में केवल पंखोंवाली अर्बे नामक टिड्डियाँ शामिल नहीं हैं। इतना ही नहीं! इनके अलावा रेंगती हुईं, येलेक नामक बिन-पंखोंवाली भूखी टिड्डियों के झुंड भी आ रहे हैं। हवा द्वारा लाई गईं ये टिड्डियाँ अचानक आ जाती हैं और उनकी आवाज़ रथों की आवाज़ के समान है। (योएल २:५) अपनी गज़ब की भूख के कारण, करोड़ों की संख्या में ये टिड्डियाँ जल्द ही एक बढ़िया बगीचे को उजाड़ सकती हैं।

६ गाजाम नामक टिड्डियाँ (कैटरपिलर)—पतंगों और तितलियों का लार्वा रूप—भी चली आ रही हैं। भूखे कैटरपिलरों की बड़ी सेना वनस्पति की पत्तियाँ टुकड़े-टुकड़े, पत्ती-पत्ती, करके चट कर सकती है, जब तक कि पौधों को उजाड़ न दें। और वे जो कुछ बचा देती हैं, उसमें से ज़्यादातर टिड्डियाँ खा जाती हैं। और जो टिड्डियाँ बचा देती हैं उसे तेज़ी-से आती हासील नामक टिड्डियाँ (कॉकरोच) ज़रूर चट कर देंगी। लेकिन इस पर ध्यान दीजिए: योएल अध्याय २, आयत ११ में, परमेश्‍वर टिड्डियों की इस सेना की पहचान ‘अपने [सैन्य] दल’ के रूप में कराता है। जी हाँ, वह टिड्डियों द्वारा उस विपत्ति का भेजनेवाला था जो देश को उजाड़ देती और जिसके कारण भारी अकाल पड़ता। कब? ‘यहोवा के दिन’ से थोड़े ही समय पहले।

“हे मतवालो, जाग उठो”!

७. (क)यहूदा के धार्मिक अगुओं का क्या हाल था? (ख) आज कैसे मसीहीजगत के पादरियों का हाल यहूदा के धार्मिक अगुओं जैसा है?

७ नीच लोगों के एक समुदाय, यहूदा के धार्मिक अगुओं को अलग किया जाता है जब यह आज्ञा दी जाती है: “हे मतवालो, जाग उठो, और रोओ; और हे सब दाखमधु पीनेवालो, नये दाखमधु के कारण हाय, हाय, करो; क्योंकि वह तुम को अब न मिलेगा।” (योएल १:५) जी हाँ, यहूदा के आध्यात्मिक मतवालों को ‘जाग उठकर’ होश में आने के लिए कहा गया था। लेकिन यह मत सोचिए कि यह केवल प्राचीन इतिहास है। अभी, यहोवा के महान दिन से पहले, मसीहीजगत के पादरी लाक्षणिक रूप से नये दाखमधु के नशे में इतने चूर हैं कि उन्हें परमप्रधान की इस आज्ञा का कतई ध्यान नहीं। वे कितने ही अचंभित होंगे जब यहोवा के बड़े और भयानक दिन के द्वारा उन्हें उनके मतवालेपन से जगाया जाएगा!

८, ९. (क)योएल टिड्डियों का और उनकी विपत्ति के असर का वर्णन कैसे करता है? (ख) आज टिड्डियाँ किसे चित्रित करती हैं?

८ टिड्डियों की इस विशाल सेना को देखिए! “मेरे देश पर एक जाति ने चढ़ाई की है, वह सामर्थी है, और उसके लोग अनगिनित हैं; उसके दांत सिंह के से, और डाढ़ें सिंहनी की सी हैं। उस ने मेरी दाखलता को उजाड़ दिया, और मेरे अंजीर के वृक्ष को तोड़ डाला है; उस ने उसकी सब छाल छीलकर उसे गिरा दिया है, और उसकी डालियां छिलने से सफेद हो गई हैं। जैसे युवती अपने पति के लिये कटि में टाट बान्धे हुए विलाप करती है, वैसे ही तुम भी विलाप करो।”—योएल १:६-८.

९ क्या यह भविष्यवाणी केवल यहूदा पर हमला करनेवाली टिड्डियों की “एक जाति,” एक झुंड के बारे में है? जी नहीं, इसमें इससे भी ज़्यादा शामिल है। योएल १:६ और प्रकाशितवाक्य ९:७, दोनों में परमेश्‍वर के लोगों को टिड्डियों के रूप में चित्रित किया गया है। टिड्डियों की आज की सेना, यहोवा की अभिषिक्‍त टिड्डियों के सैन्य दल को छोड़ और कोई नहीं है, जिनके साथ अब यीशु की ‘अन्य भेड़ों’ के लगभग ५६,००,००० साथी मिल गए हैं। (यूहन्‍ना १०:१६, NW) क्या आप यहोवा के उपासकों के इस महान समूह का भाग होने से हर्षित नहीं हैं?

१०. टिड्डियों की विपत्ति का यहूदा पर क्या असर होता है?

१० योएल १:९-१२ में, हम टिड्डियों की विपत्ति के कुछ असर क्या हैं, इसके बारे में पढ़ते हैं। एक-के-बाद-एक झुंड देश को पूरी तरह उजाड़ देता है। अनाज, दाखमधु और तेल के अभाव की वज़ह से विश्‍वासघाती याजक अपना काम जारी नहीं रख सकते। यहाँ तक कि भूमि विलाप करती है, क्योंकि टिड्डियों ने उसका अनाज नष्ट कर दिया था और फलदायक पेड़ों के फल नष्ट हो गए थे। दाखलताओं के नष्ट हो जाने के कारण, उन बाल-उपासक मदिरा पियक्कड़ों के लिए, जो आध्यात्मिक पियक्कड़ भी थे और दाखमधु नहीं रहा।

“हे याजको, . . . छाती पीट-पीट के रोओ”

११, १२. (क)आज कौन परमेश्‍वर के याजक होने का दावा करते हैं? (ख) मसीहीजगत के धार्मिक अगुओं पर आज की टिड्डियों की विपत्ति का कैसा असर होता है?

११ उन पथभ्रष्ट याजकों के लिए परमेश्‍वर का संदेश सुनिए: “हे याजको, कटि में टाट बान्धकर छाती पीट-पीट के रोओ! हे वेदी के टहलुओ, हाय, हाय, करो।” (योएल १:१३) योएल की भविष्यवाणी की पहली पूर्ति में, लेवीय याजकों ने वेदी पर सेवा की। लेकिन अंतिम पूर्ति के बारे में क्या? आज, मसीहीजगत के पादरियों ने परमेश्‍वर की वेदी पर सेवा करने का अधिकार अपने हाथों में लिया है और वे उसके सेवक, उसके ‘याजक’ होने का दावा करते हैं। लेकिन, अब क्या हो रहा है, जब परमेश्‍वर की आधुनिक-दिन टिड्डियाँ आगे बढ़ रही हैं?

१२ जब मसीहीजगत के ‘याजक’ यहोवा के लोगों को काम करता हुआ देखते हैं और ईश्‍वरीय न्यायदंड की उनकी चेतावनी सुनते हैं, तो वे बावले हो जाते हैं। वे राज्य संदेश के विध्वंसकारी असर पर दुःख और क्रोध से अपनी छाती पीटते हैं। और वे हाय-हाय करते हैं क्योंकि उनका झुंड उनके हाथों से निकलता जाता है। उनके चरागाह उजड़ जाने के कारण, उन्हें टाट पहनकर रात बिताने, अपनी कमाई के नुकसान पर विलाप करने दीजिए। बहुत जल्दी वे अपनी नौकरियों से भी हाथ धो बैठेंगे! असल में, परमेश्‍वर उन्हें सारी रात विलाप करने को कहता है, क्योंकि उनका अंत निकट है।

१३. क्या पूरा मसीहीजगत कभी यहोवा की चेतावनी की ओर अच्छी प्रतिक्रिया दिखाएगा?

१३ योएल १:१४ के अनुसार, उनके लिए एकमात्र आशा पश्‍चाताप करने और “यहोवा . . . की दोहाई” देने में है। क्या हम मसीहीजगत के संपूर्ण पादरीवर्ग से यहोवा की ओर फिरने की अपेक्षा कर सकते हैं? बिलकुल नहीं! इनमें से कुछ व्यक्‍ति शायद यहोवा की चेतावनी की ओर अच्छी प्रतिक्रिया दिखाएँ। लेकिन एक वर्ग के रूप में इन धार्मिक अगुओं और इनके गिरजा सदस्यों की आध्यात्मिक भुखमरी की दशा चलती रहेगी। भविष्यवक्‍ता आमोस ने पूर्वबताया: “परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है, देखो, ऐसे दिन आते हैं, जब मैं इस देश में महंगी करूंगा; उस में न तो अन्‍न की भूख और न पानी की प्यास होगी, परन्तु यहोवा के वचनों के सुनने ही की भूख प्यास होगी।” (आमोस ८:११) दूसरी ओर, हम लोग उस उत्तम आध्यात्मिक जेवनार के लिए कितने ही कृतज्ञ हैं जिसे परमेश्‍वर प्रेमपूर्वक “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के माध्यम से हमें प्रदान करता है!—मत्ती २४:४५-४७.

१४. टिड्डियों की विपत्ति किस बात की अग्रदूत है?

१४ टिड्डियों की विपत्ति किसी घटना की अग्रदूत थी और है। किस घटना की? योएल हमें स्पष्ट बताता है, वह कहता है: “उस दिन के कारण हाय! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है। वह सर्वशक्‍तिमान की ओर से सत्यानाश का दिन होकर आएगा।” (योएल १:१५) आज संसार भर में परमेश्‍वर की टिड्डियों की सेना के छापे, इस बात को स्पष्ट रीति से सूचित करते हैं कि यहोवा का बड़ा और भयानक दिन निकट है। निश्‍चय ही, सभी साफ दिल के लोग उस पलटा लिए जाने के खास दिन की लालसा करते हैं जब दुष्टों के खिलाफ ईश्‍वरीय न्यायदंड दिया जाता है और यहोवा विश्‍व सर्वसत्ताधारी के रूप में विजयी होता है।

१५. देश की दुःखद स्थिति को देखते हुए, ईश्‍वरीय चेतावनी पर ध्यान देनेवाले कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं?

१५ जैसा योएल १:१६-२० दिखाता है, प्राचीन यहूदा में भोजन खत्म हो गया था। वैसे ही आनंद भी खत्म हो चुका था। भंडार खाली पड़े थे और खत्तों को तोड़ना पड़ा था। टिड्डियों ने क्योंकि देश की वनस्पति को उजाड़ दिया था, चरागाहों की कमी के कारण पशु विकल होकर घूम रहे थे और भेड़ों के झुंड नाश हो रहे थे। क्या ही विपत्ति! ऐसी स्थिति में योएल ने क्या किया? आयत १९ के अनुसार, उसने कहा: “हे यहोवा, मैं तेरी दोहाई देता हूं।” आज भी, अनेक लोग ईश्‍वरीय चेतावनी पर ध्यान दे रहे हैं और विश्‍वास के साथ यहोवा परमेश्‍वर को पुकारते हैं।

“यहोवा का दिन आता है”

१६. ‘देश के सब रहनेवालों’ को क्यों काँपना चाहिए?

१६ परमेश्‍वर की ओर से इस आज्ञा को सुनिए: “सिय्योन में नरसिंगा फूंको; मेरे पवित्र पर्वत पर सांस बान्धकर फूंको! देश के सब रहनेवाले कांप उठें।” (योएल २:१) ऐसी प्रतिक्रिया क्यों? भविष्यवाणी जवाब देती है: “क्योंकि यहोवा का दिन आता है, वरन वह निकट ही है। वह अन्धकार और तिमिर का दिन है, वह बदली का दिन है और अन्धियारे का सा फैलता है। जैसे भोर का प्रकाश पहाड़ों पर फैलता है।” (योएल २:१, २) यहोवा के महान दिन के साथ अत्यावश्‍यकता का भाव जुड़ा हुआ है।

१७. यहूदा के देश और उसके लोगों पर टिड्डियों की विपत्ति का क्या असर हुआ था?

१७ भविष्यवक्‍ता के दर्शन के असर की कल्पना कीजिए जब निरंतर बढ़ती टिड्डियाँ एक सचमुच की अदन की वाटिका को उजाड़ स्थान में बदल देती हैं। टिड्डियों की सेना का वर्णन सुनिए: “उनका रूप घोड़ों का सा है, और वे सवारी के घोड़ों की नाईं दौड़ते हैं। उनके कूदने का शब्द ऐसा होता है जैसा पहाड़ों की चोटियों पर रथों के चलने का, वा खूंटी भस्म करती हुई लौ का, या जैसे पांति बान्धे हुए बली योद्धाओं का शब्द होता है। उनके सामने जाति जाति के लोग पीड़ित होते हैं, सब के मुख मलीन होते हैं।” (योएल २:४-६) योएल के दिनों की टिड्डियों की विपत्ति के दौरान, बाल के उपासकों की वेदना बढ़ गयी और चिंता का आवेग उनके चेहरों पर देखा जा सकता था।

१८, १९. आज परमेश्‍वर के लोगों का काम कैसे टिड्डियों की विपत्ति जैसा रहा है?

१८ सुव्यवस्थित, अथक टिड्डियों को कुछ भी रोक नहीं पाया। वे “शूरवीरों की नाईं” दौड़ीं और शहरपनाह पर भी चढ़ गईं। उनमें से कुछ ने ‘शस्त्रों का साम्हना’ किया, फिर भी बाकी टिड्डियों ‘की पांति नहीं टूटी।’ (योएल २:७, ८) परमेश्‍वर की लाक्षणिक टिड्डियों की आज की सेना का क्या ही सुस्पष्ट भविष्यसूचक वर्णन! आज भी, यहोवा की टिड्डियों की सेना सीधे आगे बढ़ती जाती है। विरोध की कोई भी “शहरपनाह” उन्हें रोक नहीं पाती। वे परमेश्‍वर के प्रति अपनी खराई का समझौता नहीं करते, बल्कि मृत्यु का सामना करने के लिए तैयार हैं, जैसा उन हज़ारों साक्षियों ने किया जिन्होंने जर्मनी में नात्ज़ी शासन के दौरान हिटलर को हेल हिटलर बोलने से इनकार करने के कारण ‘शस्त्रों का सामना किया।’

१९ परमेश्‍वर की टिड्डियों की आज की सेना ने मसीहीजगत के “नगर” में संपूर्ण गवाही दी है। (योएल २:९) उन्होंने संसार भर में ऐसा किया है। वे अभी-भी सभी बाधाएँ पार कर रहे हैं और यहोवा का संदेश घोषित करते हुए करोड़ों घरों में प्रवेश कर रहे हैं, सड़क पर लोगों से मिल रहे हैं, फोन पर उनसे बात कर रहे हैं और किसी भी संभव तरीके से उनसे मिल रहे हैं। वाकई, उन्होंने अरबों बाइबल प्रकाशन बाँटे हैं और आगे भी, अपनी लगातार चलनेवाली सेवकाई में—सार्वजनिक रूप से और घर-घर में भी—वे अनेक प्रकाशन और बाँटेंगे।—प्रेरितों २०:२०, २१.

२०. कौन आज की टिड्डियों का समर्थन कर रहा है, और इसका परिणाम क्या होता है?

२० योएल २:१० दिखाता है कि टिड्डियों का एक बहुत बड़ा झुंड एक ऐसे बादल के समान है जो सूर्य, चंद्रमा और तारों को आँखों से ओझल कर देता है। (यशायाह ६०:८ से तुलना कीजिए।) क्या इस बात में कोई संदेह है कि इस सैन्य दल के पीछे कौन है? टिड्डियों की गर्जना से ज़्यादा, हम योएल २:११ के ये शब्द सुनते हैं: “यहोवा अपने उस दल के आगे अपना शब्द सुनाता है, क्योंकि उसकी सेना बहुत ही बड़ी है; जो अपना वचन पूरा करनेवाला है, वह सामर्थी है। क्योंकि यहोवा का दिन बड़ा और अति भयानक है; उसको कौन सह सकेगा?” जी हाँ, यहोवा परमेश्‍वर टिड्डियों की अपनी सेना को अब—अपने बड़े दिन से पहले—भेज रहा है।

‘प्रभु देर नहीं करता’

२१. तब क्या होगा जब “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा”?

२१ योएल की तरह, प्रेरित पतरस ने यहोवा के बड़े दिन के विषय में कहा। उसने लिखा: “प्रभु का दिन चोर की नाईं आ जाएगा, उस दिन आकाश बड़ी हड़हड़ाहट के शब्द से जाता रहेगा, और तत्व बहुत ही तप्त होकर पिघल जाएंगे, और पृथ्वी और उस पर के काम जल जाएंगे।” (२ पतरस ३:१०) शैतान अर्थात्‌ इब्‌लीस के प्रभाव में, दुष्ट सरकारी “आकाश,” “पृथ्वी” अर्थात्‌ परमेश्‍वर से दूर हुई मानवजाति पर शासन करता है। (इफिसियों ६:१२; १ यूहन्‍ना ५:१९) यहोवा के बड़े दिन के दौरान ये प्रतीकात्मक आकाश और पृथ्वी ईश्‍वरीय कोप की जलजलाहट से बच नहीं पाएँगे। इसके बजाय, इनकी जगह ‘नया आकाश और नई पृथ्वी’ ले लेंगे ‘जिनकी हम आस देखते हैं, जिन में धार्मिकता बास करेगी।’—२ पतरस ३:१३.

२२, २३. (क)यहोवा के दयापूर्वक धीरज दिखाने की ओर हमारी प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए? (ख) यहोवा के दिन की निकटता की ओर हमें कैसी प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए?

२२ वर्तमान-दिन के सभी विकर्षणों और विश्‍वास की परीक्षाओं के कारण, आज के समय की अत्यावश्‍यकता को समझने से हम चूक सकते हैं। लेकिन जैसे-जैसे लाक्षणिक टिड्डियाँ आगे ही बढ़ती जाती हैं, अनेक लोग राज्य संदेश को अपना रहे हैं। हालाँकि परमेश्‍वर ने इसके लिए समय दिया है, हमें उसके धीरज को देरी समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। “प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; बरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले।”—२ पतरस ३:९.

२३ यहोवा के बड़े दिन की बाट जोहते वक्‍त, आइए हम २ पतरस ३:११, १२ में अभिलिखित पतरस के वचनों को मन में रखें: “तो जब कि ये सब वस्तुएं, इस रीति से पिघलनेवाली हैं, तो तुम्हें पवित्र चालचलन और भक्‍ति में कैसे मनुष्य होना चाहिए। और परमेश्‍वर के उस दिन की बाट किस रीति से जोहना चाहिए और उसके जल्द आने के लिये कैसा यत्न करना चाहिए; जिस के कारण आकाश आग से पिघल जाएंगे, और आकाश के गण बहुत ही तप्त होकर गल जाएंगे।” निश्‍चय ही इस ‘चालचलन’ में यहोवा की टिड्डियों की सेना के साथ-साथ हमारा रहना शामिल है। ऐसा हम अंत आने से पहले राज्य के सुसमाचार के प्रचार में लगातार और अर्थपूर्ण हिस्सा लेकर कर सकते हैं।—मरकुस १३:१०.

२४, २५. (क)यहोवा की टिड्डियों की सेना के काम में भाग लेने के विशेषाधिकार की ओर आप कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं? (ख) योएल कौन-सा अर्थपूर्ण सवाल पूछता है?

२४ परमेश्‍वर की टिड्डियों की यह सेना, यहोवा के बड़े और भयानक दिन तक अपना काम नहीं रोकेगी। इस अजेय टिड्डियों के दल का अस्तित्त्व ही इस बात का शानदार सबूत है कि यहोवा का दिन निकट है। क्या आप यहोवा के बड़े और भयानक दिन से पहले अंतिम आक्रमण में परमेश्‍वर की अभिषिक्‍त टिड्डियों और उनके सहकर्मियों के बीच सेवा करने में हर्षित नहीं हैं?

२५ यहोवा का दिन कितना महान होगा! हमें आश्‍चर्य नहीं होता कि यह सवाल पूछा जाता है: “उसको कौन सह सकेगा?” (योएल २:११) यह सवाल और कई और सवालों की चर्चा अगले दो लेखों में की जाएगी।

क्या आप समझा सकते हैं?

◻ यहोवा ने यहूदा पर कीटों की विपत्ति के बारे में चेतावनी क्यों दी?

◻ योएल की भविष्यवाणी की आज की पूर्ति में, यहोवा की टिड्डियाँ कौन हैं?

◻ मसीहीजगत के अगुए टिड्डियों की विपत्ति की ओर कैसी प्रतिक्रिया दिखाते हैं, और कुछ लोग कैसे उसके परिणामों से बच सकते हैं?

◻ २०वीं सदी में टिड्डियों की विपत्ति कहाँ-कहाँ तक फैली है, और कब तक यह चलती रहेगी?

[पेज 9 पर तसवीर]

कीटों की वह विपत्ति किसी बदतर घटना की अग्रदूत थी

[चित्र का श्रेय]

उजड़ा हुआ पेड़: FAO photo/G. Singh

[पेज 10 पर तसवीर]

आज की टिड्डियों की विपत्ति के पीछे यहोवा परमेश्‍वर है

[पेज 9 पर चित्र का श्रेय]

टिड्डी: FAO photo/G. Tortoli; टिड्डियों का झुंड: FAO photo/Desert Locust Survey

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