यहोवा का संगठन सेवकाई में आपके साथ है
“मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिस के पास पृथ्वी पर के रहनेवालों . . . को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था।”—प्रकाशितवाक्य १४:६.
१. यहोवा के साक्षियों पर कैसी-कैसी परीक्षाएँ आयी हैं और वे क्यों बच पाए?
मसीही सेवकाई में यहोवा के स्वर्गीय संगठन का जो हाथ है उसे समझना इतना ज़रूरी क्यों है? ज़रा सोचिए। क्या यहोवा के साक्षी यहोवा की स्वर्गीय फौजों की मदद के बिना बैर रखनेवाली इस पूरी दुनिया में उसके राज्य का सुसमाचार प्रचार कर पाते? इस सदी की देशाहंकार, तानाशाही, विश्व युद्ध और ऐसी ही अनेक कहर ढानेवाली मुसीबतों के बावजूद साक्षियों ने प्रचार का काम जारी रखा। जब पूरी दुनिया में साक्षियों के खिलाफ पूर्वधारणा, अन्याय, ज़ुल्म और सितम की आँधी चल रही थी तब क्या वे यहोवा की मदद के बिना बच पाते?—भजन ३४:७.
विश्वव्यापी विरोध के बावजूद आज तक मौजूद
२. पहली सदी और आज के सच्चे मसीहियों के बीच क्या समानता है?
२ इस २०वीं सदी में, बहुत से दुश्मनों ने कानूनी या दूसरे तरीकों से हर संभव अड़चन खड़ी कर यहोवा के काम को रोकने या उसे दबाने की कोशिश की है, चाहे वे विभिन्न धर्मों से थे या सरकारों से। अकसर महा बाबुल के पादरियों के उकसाने पर मसीही भाई-बहनों को सताया गया, उन पर झूठे इलज़ाम लगाए गए, उनके खिलाफ गलत बयान दिए गए, उन्हें बदनाम किया गया और कितनों की जानें तक ले ली गईं। जैसा पहली सदी के मसीहियों के बारे में कहा गया था वैसा आज भी कहा जा सकता है कि “हर जगह इस मत के विरोध में लोग बातें कहते हैं।” ठीक जैसे मसीह के दिनों में यहूदी धर्म के अगुवों ने उसकी सेवकाई बंद करवाने के लिए ज़मीन आसमान एक कर दिया था, वैसे ही आज पादरी और मसीही धर्मत्यागियों ने अपने सरकारी यारों के साथ मिलकर यहोवा के लोगों के गवाही देने के महान शिक्षा के काम को खत्म करने की कोशिश की है।—प्रेरितों २८:२२; मत्ती २६:५९, ६५-६७.
३. हॆनरीका ज़्हूर की खराई से हम क्या सीख सकते हैं?
३ पोलैंड में मार्च १, १९४६ में जो हुआ उस पर गौर करें। केल्म शहर की १५-वर्षीया हॆनरीका ज़्हूर एक साक्षी भाई के साथ, दिलचस्पी रखनेवाले कुछ लोगों से मिलने पास ही के गाँव में जा रही थी। तभी नारोदोवे शीवी ज़्ब्रॉईने (National Armed Forces) कैथोलिक फौजी दल ने उन्हें पकड़ लिया। भाई को बेरहमी से पीटा गया लेकिन वह बच गया। मगर हॆनरीका नहीं बच पाई। उससे ज़बरन कैथोलिक क्रूस का निशान बनवाने की कोशिश में, वे लोग उसे कई घंटों तक वहशियों की तरह पीड़ाएँ पहुँचाते रहे। सतानेवालों में से एक ने कहा “तुम मन में जो मरज़ी सोचकर, बस एक बार कैथोलिकोंवाला क्रूस का निशान बना दो। वरना हम तुम्हें गोली मार देंगे!” क्या उसकी खराई टूटी? बिलकुल नहीं। धर्म का दावा करनेवाले इन कायरों ने उसे घसीटकर करीब के जंगल में ले जाकर गोली मार दी। मगर, जीत उसी की हुई! वे उसकी खराई तोड़ नहीं सके।a—रोमियों ८:३५-३९.
४. किस प्रकार राजनीति और धर्म के पैरोकारों ने राज्य के प्रचार को रोकने की कोशिश की है?
४ सौ साल से भी ज़्यादा समय से परमेश्वर के आधुनिक दिन सेवकों के साथ बदसलूकी और बेइज़्ज़ती के साथ बर्ताव किया गया है। क्योंकि यहोवा के साक्षी शैतान के बड़े धर्मों का भाग नहीं हैं और न ही बनना चाहते हैं, इसीलिए वे कट्टरपंथियों और हठधर्मियों के निशाने पर रहते हैं। राजनीति के पैरोकारों ने उन पर बर्बरता से हमला किया है। कई साक्षी अपने विश्वास की खातिर शहीद हो गए हैं। यहाँ तक कि लोकतंत्र का दावा करनेवाले देशों ने भी सुसमाचार के प्रचार को रोकने की कोशिश की है। सन् १९१७ में ही कनाडा और अमरीका में बाइबल विद्यार्थी कहलानेवाले साक्षियों पर पादरियों ने देशद्रोही होने का इलज़ाम लगाया था। वॉच टावर सोसाइटी के अधिकारियों को बेवज़ह कैद किया गया और काफी समय के बाद ही उन्हें इलज़ामों से बरी किया गया।—प्रकाशितवाक्य ११:७-९; १२:१७.
५. किन शब्दों ने यहोवा के सेवकों की हिम्मत बँधाई है?
५ मसीह के भाइयों और उनके वफादार साथियों के गवाही कार्य को रोकने की कोशिश में शैतान ने अपने सभी हथकंडे इस्तेमाल किए हैं। फिर भी जैसा अनेक अनुभव दिखाते हैं, ना धमकियाँ, ना घुड़कियाँ, ना ज़ुल्म, ना कैद, ना यातना शिविर और ना ही मौत यहोवा के साक्षियों को खामोश कर पाई। पूरा इतिहास इस बात का गवाह है। बार-बार एलीशा के इन शब्दों ने हिम्मत बँधाई है: “मत डर; क्योंकि जो हमारे साथ हैं वे उनसे अधिक हैं जो उनके साथ हैं।” इसकी एक वज़ह यह है शैतान के पिशाचों की टोली वफादार स्वर्गदूतों की फौज के सामने मुट्ठी भर है!—२ राजा ६:१६, NHT; प्रेरितों ५:२७-३२, ४१, ४२.
जोशीले प्रचार पर यहोवा आशीष देता है
६, ७. (क) शुरू-शुरू में सुसमाचार प्रचार करने के लिए क्या-क्या कोशिशें की गई थीं? (ख) सन् १९४३ में कौन-से फायदेमंद बदलाव किए गए?
६ अंत आने से पहले यहोवा के साक्षियों ने इस २०वीं सदी के दौरान आधुनिक तकनीकों को इस्तेमाल किया है ताकि बड़े पैमाने पर और तेज़ी से गवाही देने के बड़े काम को पूरा कर पाएँ। सन् १९१४ ही में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के पहले प्रेसिडेंट, पास्टर रसल ने स्लाइडों और चलचित्रों का इस्तेमाल किया। इन स्लाइडों के साथ-साथ ग्रामोफोन रिकॉर्ड पर बाइबल आधारित भाषण चलता था। बाइबल के बारे में आठ-घंटे के इस कार्यक्रम का नाम था “फोटो-ड्रामा ऑफ क्रिएशन।” बहुत-से देशों के लोग इसे देखकर हैरान रह गए। बाद में १९३० और १९४० के दशकों के दौरान साक्षी घर-घर में ग्रामोफोन से प्रचार करनेवालों के तौर पर मशहूर हो गए। इन रिकॉर्डों में सोसाइटी के दूसरे प्रेसिडेंट, जे. एफ. रदरफर्ड के भाषण थे।
७ सन् १९४३ में सोसाइटी के तीसरे प्रेसिडेंट, नेथन एच. नॉर की बागडोर में एक साहसी कदम उठाया गया जब यह फैसला किया गया कि उस वक्त के सेवकों के लिए हर कलीसिया में एक स्कूल शुरू किया जाए। अब साक्षियों को यह सिखाया जाना था कि ग्रामोफोन रिकॉर्ड के सहारे के बिना घर-घर प्रचार करने और सिखाने का काम कैसे किया जाए। तब से मिशनरियों, पूर्ण-समय के पायनियर सेवकों, कलीसिया के प्राचीनों और वॉच टावर सोसाइटी के ब्रांच ऑफिसों के ज़िम्मेदार ओवरसियरों को शिक्षा देने के लिए कई स्कूल शुरू किए गए हैं। नतीजा क्या हुआ?
८. सन् १९४३ में साक्षियों ने पूरा विश्वास कैसे दिखाया था?
८ सन् १९४३ में, दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ५४ देशों में सिर्फ १,२९,००० साक्षी प्रचार कर रहे थे। इसके बावजूद उन्हें पूरा विश्वास था और वे दृढ़संकल्प थे कि अंत आने से पहले मत्ती २४:१४ की पूर्ति ज़रूर होगी। उन्हें यकीन था कि इस बुरे ज़माने का अंत करनेवाली घटनाओं के शुरू होने से पहले, यहोवा महत्त्वपूर्ण चेतावनी संदेश का ऐलान ज़रूर करवाएगा। (मत्ती २४:२१; प्रकाशितवाक्य १६:१६; १९:११-१६, १९-२१; २०:१-३) क्या उनकी मेहनत का फल मिला?
९. कौन-सी मिसालें दिखाती हैं कि गवाही का काम फूला-फला है?
९ अब तकरीबन ऐसे १३ देश हैं, जहाँ १,००,००० से भी ज़्यादा साक्षी प्रचार कर रहे हैं। इनमें से बहुत से देशों में कैथोलिक चर्च का दबदबा है। ज़रा देखिए इसके बावजूद हालत क्या है। ब्रज़िल में करीब ४,५०,००० शुभ संदेश सुनानेवाले हैं और १९९७ में १२,००,००० से ज़्यादा लोग मसीह की मौत की यादगार मनाने के लिए हाज़िर हुए। मॆक्सिको एक और मिसाल है, जहाँ तकरीबन ५,००,००० साक्षी हैं पर १६,००,००० से ज़्यादा लोग यादगार समारोह में हाज़िर हुए। दूसरे कैथोलिक देश हैं, इटली (करीब २,२५,००० साक्षी), फ्रांस (करीब १,२५,०००), स्पेन (१,०५,००० से ज़्यादा) और आर्जेंटीना (१,१५,००० से ज़्यादा साक्षी)। अमरीका में जहाँ प्रोटेस्टेंट, कैथोलिक और यहूदी धर्म बड़े धर्म हैं, वहाँ करीब ९,७५,००० साक्षी हैं और २०,००,००० से ज़्यादा लोग यादगार समारोह में हाज़िर हुए। वाकई, बड़ी तादाद में लोग झूठे धर्म के विश्व साम्राज्य, महा बाबुल से निकलकर और उसकी तंत्र-मंत्र की शिक्षाओं को छोड़कर “नए आकाश और नई पृथ्वी” की सीधी-सच्ची प्रतिज्ञा करनेवाले परमेश्वर के पास आ रहे हैं।—२ पतरस ३:१३; यशायाह २:३, ४; ६५:१७; प्रकाशितवाक्य १८:४, ५; २१:१-४.
लोगों की ज़रूरत के मुताबिक
१०. हालात कैसे बदल गए हैं?
१० यीशु मसीह के ज़रिए जो लोग यहोवा के पास आए हैं, उनमें से ज़्यादातर घर-घर की गवाही के दौरान मिले थे। (यूहन्ना ३:१६; प्रेरितों २०:२०) लेकिन दूसरे तरीकों का भी इस्तेमाल किया गया है। हालात बदल गए हैं और आज मँहगाई इतनी है कि अब कई महिलाएँ भी घर के बाहर काम करती हैं। अकसर, हफ्ते में बहुत कम लोग घर पर मिलते हैं। यहोवा के साक्षी भी हालात के मुताबिक काम करते हैं। यीशु और पहली सदी के चेलों की तरह वे वहाँ जाते हैं जहाँ लोग होते हैं और उस वक्त जब वे मिल सकते हैं।—मत्ती ५:१, २; ९:३५; मरकुस ६:३४; १०:१; प्रेरितों २:१४; १७:१६, १७.
११. यहोवा के साक्षी आज कहाँ-कहाँ प्रचार कर रहे हैं और इसका नतीजा क्या रहा है?
११ साक्षी मौके की तलाश में रहते हैं और बड़ी सूझबूझ के साथ पार्किंग क्षेत्रों, शॉपिंग सेंटर्स, कारखानों, ऑफिसों, दुकानों, स्कूलों, पुलिस स्टेशनों, पेट्रोल पंप, होटलों, रेस्तराँ में और सड़कों पर लोगों को गवाही देते हैं। दरअसल, जहाँ कहीं भी लोग उन्हें मिलते हैं, वहाँ वे प्रचार करते हैं। और जब लोग घर पर होते हैं तब साक्षी वहाँ भी उन्हें प्रचार करने जाते रहते हैं। इस तरह लोगों की ज़रूरत के मुताबिक और कारगर तरीके इस्तेमाल करने की वज़ह से बाइबल साहित्य का वितरण और भी बढ़ गया है। भेड़-समान लोग मिल रहे हैं। नए बाइबल अध्ययन शुरू किए जा रहे हैं। इतिहास का सबसे बड़ा शिक्षा का काम, पचपन लाख से भी ज़्यादा ऐसे सेवकों द्वारा जोश के साथ किया जा रहा है जो खुद को खुशी-खुशी पेश करते हैं! क्या इनमें से एक होने का वरदान आपके पास भी है?—२ कुरिन्थियों २:१४-१७; ३:५, ६.
यहोवा के साक्षियों की प्रेरणा क्या है?
१२. (क) यहोवा अपने लोगों को कैसे सिखा रहा है? (ख) इस शिक्षा का नतीजा क्या है?
१२ इसमें स्वर्गीय संगठन का क्या हाथ है? यशायाह ने भविष्यवाणी की: “तेरे सब लड़के यहोवा के सिखलाए हुए होंगे, और उनको बड़ी शान्ति मिलेगी।” (यशायाह ५४:१३) यहोवा दुनिया भर में एकता से बंधे भाईचारे को पृथ्वी पर अपने दृश्य संगठन के ज़रिए राज्यगृहों, अधिवेशनों और सम्मेलनों में सिखा रहा है। इसका असर मेल और शांति है। यहोवा की शिक्षा का नतीजा एक अलग तरह के लोग हैं, चाहे वे इस दुनिया में कहीं भी क्यों न रहते हों, उन्हें सिखाया गया है कि एकदूसरे से और अपने पड़ोसियों से प्यार करें, न कि नफरत।—मत्ती २२:३६-४०.
१३. हम कैसे यकीन कर सकते हैं कि प्रचार का काम स्वर्गदूतों के निर्देशन में किया जा रहा है?
१३ लोगों की बेरुखी और अत्याचारों के बावजूद प्रेम ही यहोवा के साक्षियों को प्रचार करते रहने के लिए प्रेरित करता है। (१ कुरिन्थियों १३:१-८) वे जानते हैं कि ज़िंदगी बचाने का जो काम वे कर रहे हैं उसे स्वर्ग से चलाया जा रहा है जैसा कि प्रकाशितवाक्य १४:६ में बताया गया है। यह कौन-सा संदेश है जिसका ऐलान स्वर्गदूतों के निर्देशन में किया जा रहा है? “परमेश्वर से डरो; और उस की महिमा करो; क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुंचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।” राज्य की खुशखबरी का प्रचार करना यहोवा के नाम को बुलंद करता है। लोगों को सिरजनहार की यानी परमेश्वर की महिमा करने के लिए बुलाया जा रहा है न कि किसी सृष्टि, प्राणी या क्रमविकास शिक्षा की। मगर प्रचार के काम को जल्द-से-जल्द करना इतना ज़रूरी क्यों है? क्योंकि न्याय करने का समय आ पहुँचा है—महा बाबुल का और शैतान की इस दुनिया का न्याय।—प्रकाशितवाक्य १४:७; १८:८-१०.
१४. इस शिक्षा के बड़े काम में कौन-कौन हिस्सा लेता है?
१४ किसी भी समर्पित मसीही को इस प्रचार के काम से छूट नहीं है। कलीसिया में आध्यात्मिक प्राचीन प्रचार में आगे रहते हैं। अच्छी ट्रेनिंग पाए पायनियर इस काम में पूरी तरह जुटे हुए हैं। राज्य की खबर का जोश से ऐलान करनेवाले, महीने में थोड़े या ज़्यादा चाहे कितने भी घंटे क्यों न कर पाएँ इस दुनिया के कोने-कोने तक संदेश को पहुँचा रहे हैं।—मत्ती २८:१९, २०; इब्रानियों १३:७, १७.
१५. यहोवा के साक्षियों के प्रचार के असर पड़ने का कौन-सा सबूत देखा जा सकता है?
१५ क्या इन सारी कोशिशों का दुनिया पर असर पड़ा है? असर पड़ने का एक बड़ा सबूत है कि टी.वी. के कार्यक्रमों और अखबारों में कितनी मर्तबा यहोवा के साक्षियों का ज़िक्र किया गया है। ये अकसर लोगों तक पहुँचने की हमारी लगन और हमारे पक्के इरादे को दिखाते हैं। जी हाँ, हमारा जोश और लगातार लोगों की नज़रों में रहना गहरी छाप छोड़ता है तब भी, जब ज़्यादातर लोग हमारे संदेश को और हमें ठुकरा देते हैं।
गवाही का काम पूरा करने में हमारा जोश
१६. बाकी बचे इस थोड़े-से वक्त में हमें कैसा नज़रिया रखना चाहिए?
१६ हम यह नहीं जानते कि इस ज़माने के अंत के लिए अब कितना वक्त बाकी रह गया है और अगर हम यहोवा की सेवा नेक इरादे से करते हैं तो हमें यह जानने की ज़रूरत है भी नहीं। (मत्ती २४:३६; १ कुरिन्थियों १३:१-३) लेकिन हम यह ज़रूर जानते हैं कि यहोवा के प्रेम, उसकी शक्ति और न्याय को प्रकट होने के लिए “पहिले” सुसमाचार का प्रचार होना ज़रूरी है। (मरकुस १३:१०) तो इस बुरी, अन्यायी और हिंसक दुनिया का अंत देखने के लिए हमने चाहे कितने ही साल बेसब्री से इंतज़ार क्यों न किया हो, हमें अपने हालात के मुताबिक जोश के साथ अपने समर्पण में खरा उतरना चाहिए। शायद हम बुज़ुर्ग या बीमार हों, फिर भी हम यहोवा की सेवा उत्साह के साथ कर सकते हैं जैसा कि हमने जवानी में या तंदुरुस्ती के समय किया था। हो सकता है कि हम सेवकाई में उतना वक्त न बिता पा रहे हों जितना पहले बिताते थे, लेकिन बेशक हम अब भी यहोवा को अपना अच्छे-से-अच्छा स्तुतिरूपी बलिदान चढ़ाना जारी रख सकते हैं।—इब्रानियों १३:१५.
१७. जोश दिलानेवाला एक अनुभव बताइए जिससे हमें मदद मिल सकती है।
१७ इसलिए चाहे हम बूढ़े हों या जवान, आइए हम जोश दिखाएँ और मिलनेवाले सभी लोगों को नई दुनिया की अच्छी खबर सुनाएँ। आइए हम उस शर्मीली सात साल की ऑस्ट्रेलियाई लड़की की तरह हों जो अपनी माँ के साथ एक दुकान में गई थी। उसने राज्यगृह में सुना था कि लोगों को प्रचार करना कितना ज़रूरी है, इसलिए उसने अपने बैग में दो बाइबल ब्रोशर रखे। जब उसकी माँ खरीदारी कर रही थी, यह नन्हीं लड़की कहीं गायब हो गई। फिर जब उसकी माँ उसे ढूँढ़ने लगी तो उसने क्या देखा कि उसकी बेटी एक महिला को ब्रोशर दे रही है! माँ यह सोचकर उस महिला से माफी माँगने गई कि कहीं उसकी बच्ची ने उसे परेशान तो नहीं किया। मगर उस महिला ने खुशी से ब्रोशर ले लिया था। बाद में माँ ने जब अकेले में बेटी से पूछा कि उसे किसी अजनबी से बात करने की हिम्मत कहाँ से मिली, तो उसने कहा “मैंने बस एक . . . दो . . . तीन . . . कहा और निकल पड़ी!”
१८. हम सराहना के लायक जोश कैसे दिखा सकते हैं?
१८ हम सबमें उस ऑस्ट्रेलियाई लड़की की तरह जोश होना चाहिए, ताकि हम खासकर अजनबियों को या बड़े-बड़े अधिकारियों को शुभ संदेश देने के लिए बात कर सकें। हम शायद इस बात की चिंता करें कि कहीं वे इंकार न कर दें। मगर जो बात यीशु ने कही उसे हम कभी न भूलें: “चिन्ता न करना कि हम किस रीति से या क्या उत्तर दें, या क्या कहें। क्योंकि पवित्र आत्मा उसी घड़ी तुम्हें सिखा देगा, कि क्या कहना चाहिए।”—लूका १२:११, १२.
१९. आप अपनी सेवकाई को किस नज़र से देखते हैं?
१९ इसलिए जब आप प्यार से दूसरों को सुसमाचार सुनाने के लिए जाते हैं तो परमेश्वर की आत्मा पर भरोसा रखिए। करोड़ों लोग अकसर मामूली इंसानों पर भरोसा रखते हैं, जो आज हैं और कल नहीं होंगे। मगर हम यहोवा पर और उसके स्वर्गीय संगठन—मसीह यीशु, पवित्र स्वर्गदूतों और पुनरुत्थित अभिषिक्त मसीहियों—पर भरोसा रखते हैं, जो हमेशा के लिए ज़िंदा हैं! इसलिए कभी मत भूलिए: “जो हमारे साथ हैं, वे उन से अधिक हैं जो उनके साथ हैं”!—२ राजा ६:१६ NHT.
[फुटनोट]
a और उदाहरणों के लिए यहोवा के साक्षियों की १९९४ की इयरबुक के पृष्ठ २१७-२० देखें।
आप कैसे जवाब देंगे?
◻ यहोवा के लोगों को बचाने में परमेश्वर के स्वर्गीय संगठन का क्या हाथ रहा है?
◻ इस २०वीं सदी में राजनीति और धर्म के किन पैरोकारों ने यहोवा के साक्षियों पर हमला किया है?
◻ वक्त की ज़रूरत के मुताबिक यहोवा के साक्षियों ने कैसे अपनी सेवकाई की है?
◻ प्रचार करने के लिए कौन-सी बात आपको प्रेरित करती है?
[पेज 17 पर तसवीर]
हॆनरीका ज़्हूर
[पेज 18 पर तसवीरें]
जापान
मार्टनीक
अमरीका
केन्या
अमरीका
यहोवा के साक्षी वहाँ प्रचार करते हैं जहाँ लोग होते हैं और उस वक्त जब वे मिल सकते हैं
[पेज 20 पर तसवीर]
इस सदी की शुरुआत में राज्य संदेश को फैलाने के लिए ग्रामोफोन इस्तेमाल किए गए थे