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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
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आखिरकार—सबके साथ इंसाफ होगा

“हम दर्द-भरी पुकारों, बेचैन आवाज़ों और कुचली हुई फरियादों को सुनने के लिए नए-नए तरीके इस्तेमाल करने की जी-जान से कोशिश करेंगे। . . . बस कानून को अमल में लाना बाकी है: जिस तरह सब जन्म से ही परमेश्‍वर की नज़रों में बराबर इज़्ज़त रखते हैं उसी तरह हर इंसान को जन्म से ही इंसानों में बराबर इज़्ज़त मिले।”—अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड मिलहाउस निक्सन, पद-ग्रहण भाषण, जनवरी २०, १९६९.

जब राजा, राष्ट्रपति, या प्रधानमंत्री अपनी गद्दी सँभालते हैं तब हमेशा इंसाफ की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। अमरीका के भूतपूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने भी ऐसा ही किया। लेकिन इतिहास की कड़वी सच्चाई दिखाती है कि उसकी बड़ी-बड़ी बातों में कोई दम नहीं था। हालाँकि उसने ‘कानून में दम फूँकने का वादा किया था,’ मगर बाद में खुद निक्सन को कानून तोड़ने के लिए कसूरवार ठहराया गया और उसे अपनी गद्दी छोड़ने पर मजबूर किया गया। तीस साल बाद भी ‘दर्द-भरी, बेचैन, और कुचली हुई फरियादें’ सुने जाने के लिए तड़प रही थीं।

ऐसी फरियादों को सुनना और तकलीफों पर ध्यान देना आसान काम नहीं है जैसा कि न जाने कितने ही नेक नीयत नेताओं ने पाया है। ‘सबके साथ इंसाफ करना’ ऐसी मंज़िल साबित हुआ है जिस तक पहुँचना नामुमकिन है। फिर भी कई सदियों पहले एक वायदा किया गया—इंसाफ दिलाने का एक अनोखा वायदा—जो ध्यान दिए जाने के लायक है।

अपने भविष्यवक्‍ता यशायाह के द्वारा परमेश्‍वर ने अपने लोगों को तसल्ली दी कि वह खुद एक “दास” को चुनकर उनके लिए भेजेगा। यहोवा ने उन्हें बताया था, “मैं ने उस पर अपना आत्मा रखा है, वह अन्यजातियों के लिये न्याय प्रगट करेगा।” (यशायाह ४२:१-३) कोई भी इंसानी राजा इतनी बड़ी बात कहने की हिम्मत नहीं कर सकता जिसे कहने का मतलब होगा हर जाति के लिए हमेशा-हमेशा तक इंसाफ। क्या इस वायदे पर भरोसा किया जा सकता है? क्या ऐसी बेहतरीन कामयाबी कभी हासिल की जा सकती है?

ऐसा वायदा जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं

वायदा उतना ही सच्चा होता है जितना कि वायदा करनेवाला। यहाँ वायदा किसी और ने नहीं बल्कि खुद सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने किया है, जो कहता है कि मेरा “दास” पूरी दुनिया में इंसाफ कायम करेगा। यहोवा उन नेताओं की तरह नहीं जो वायदे करके मुकर जाते हैं। बाइबल कहती है, “परमेश्‍वर का झूठ बोलना असम्भव है।” (इब्रानियों ६:१८, NHT) परमेश्‍वर ज़ोर देकर कहता है, “निःसन्देह जैसा मैं ने ठाना है, वैसा ही हो जाएगा।”—यशायाह १४:२४.

हमारा भरोसा उस वायदे पर और भी पक्का हो जाता है जब हम परमेश्‍वर के चुने हुए “दास” यीशु मसीह के इतिहास को देखते हैं। जो इंसाफ कायम करनेवाला है, उसे इंसाफ से प्यार होना ज़रूरी है और इंसाफ के मुताबिक जीना भी। यीशु की ज़िंदगी का बेदाग रिकार्ड ऐसे इंसान का है जिसने “धर्म से प्रेम और अधर्म से बैर रखा।” (इब्रानियों १:९) उसने जो कहा, वह जैसे रहा यहाँ तक कि जिस तरह उसकी मौत हुई सब मिलकर यह साबित करते हैं कि वह वाकई एक सच्चा इंसान था। एक रोमी सूबेदार, जिसके सामने यीशु पर मुकद्दमा चला और उसे सूली पर चढ़ाया गया, यह कहे बिना रह न सका, “निश्‍चय यह मनुष्य धर्मी था।”—लूका २३:४७.

एक धर्मी की तरह ज़िंदगी जीने के अलावा यीशु ने अपने समय में चारों तरफ फैली बेइंसाफी का विरोध किया। उसने लोगों को सरकार के खिलाफ बहकाकर या इंकलाब लाकर नहीं बल्कि जो सुनने के लिए तैयार थे उन लोगों को सच्चे इंसाफ का मतलब सिखाने के ज़रिए ऐसा किया। धार्मिकता और सच्चे न्याय को कैसे अमल में लाना चाहिए इसका सबसे बेहतरीन खुलासा उसका पहाड़ी उपदेश है।—मत्ती, अध्याय ५-७.

यीशु ने जो सिखाया वैसा ही करके दिखाया। उसने यहूदी समाज के “अछूत,” यानी लाचार कोढ़ियों से नफरत नहीं की। बल्कि उनसे बात की, उनको छुआ और उनको चंगा भी किया। (मरकुस १:४०-४२) वह जितने भी लोगों से मिला सभी लोग उसके लिए खास थे चाहे गरीब चाहे दलित। (मत्ती ९:३६) “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।”—मत्ती ११:२८.

इनमें सबसे खास बात यह है कि यीशु अपने इर्द-गिर्द की बेइंसाफी की वज़ह से न तो भ्रष्ट हुआ न ही कड़वाहट से भर गया। उसने कभी बुराई का बदला बुराई से नहीं दिया। (१ पतरस २:२२, २३) असहनीय दर्द के वक्‍त भी उसने उन्हीं सिपाहियों के लिए अपने स्वर्गीय पिता से प्रार्थना की जिन्होंने उसे सूली पर चढ़ाया था। उसने बिनती की: “हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये जानते नहीं कि क्या कर रहे हैं।” (लूका २३:३४) जी हाँ, यीशु ने ‘अन्यजातियों को न्याय का समाचार दिया।’ (मत्ती १२:१८) परमेश्‍वर एक ऐसी दुनिया कायम करना चाहता है जिसमें इंसाफ हो, और उसकी इस इच्छा का सबूत उसके बेटे की जीती-जागती मिसाल से बढ़कर और क्या हो सकता है?

बेइंसाफी पर जीत हासिल की जा सकती है

इस दुनिया में आज भी इस बात की जीती-जागती मिसालें हैं कि बेइंसाफी पर जीत हासिल की जा सकती है। अलग-अलग, और पूरे संगठन के रूप में भी यहोवा के साक्षी पूर्वधारणा, तरफदारी, जातिवाद और हिंसा पर विजय पाने की पूरी कोशिश करते हैं। इन मिसालों पर ध्यान दीजिए।

पैदरोa का यह मानना था कि स्पेन के प्रांत बास्क देश में, जहाँ वह रहता था वहाँ सिर्फ विद्रोह करके ही इंसाफ मिल सकता है। ऐसा करने के लिए वह एक आतंकवादी संगठन का सदस्य बन गया जिसने उसे फ्रांस में पैरामिलिट्री ट्रेनिंग दी। जब उसका ट्रेनिंग खत्म हुआ तब उसको यह हुक्म दिया गया कि वह एक आतंकवादी दल बनाए और एक पुलिस बैरक को उड़ा दे। उसका दल विस्फोट का सामान बना ही रहा था कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसने १८ महीने जेल की सज़ा काटी मगर वहाँ भी उसने भूख हड़तालों में हिस्सा लेकर और एक बार अपनी कलाई की नस काटने के ज़रिए अपनी राजनीतिक सरगर्मी जारी रखी।

पैदरो को पूरा यकीन था कि वह इंसाफ के लिए लड़ रहा है। तब उसे यहोवा और उसके उद्देश्‍यों के बारे में ज्ञान मिला। जब पैदरो जेल ही में था तभी उसकी पत्नी यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करने लगी थी और जब उसे रिहा किया गया तब उसकी पत्नी उसे एक सभा में ले गई। उसे वहाँ इतना आनंद मिला कि उसने खुद बाइबल अध्ययन के लिए कहा। उस अध्ययन ने उसके नज़रिए और उसकी जीवन-शैली को बदल दिया। आखिरकार १९८९ में पैदरो और उसकी पत्नी दोनों ने बपतिस्मा ले लिया।

“मैं यहोवा का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ कि जब मैं आतंकवादी था तब मैंने खुद किसी की हत्या नहीं की,” पैदरो कहता है। “अब मैं दूसरों को सच्ची शांति और इंसाफ का संदेश—परमेश्‍वर के राज्य का शुभ संदेश—देने के लिए परमेश्‍वर की आत्मा की तलवार यानी बाइबल का इस्तेमाल करता हूँ।” पैदरो जो अब यहोवा के साक्षियों की एक कलीसिया में प्राचीन है, हाल ही में उसी पुलिस बैरेक को देखने गया जिसे वह पहले उड़ाना चाहता था। लेकिन इस बार वह वहाँ रहनेवाले परिवारों को शांति का संदेश देने के लिए गया।

यहोवा के साक्षी अपनी ज़िंदगी में ऐसा बदलाव इसलिए करते हैं क्योंकि वे एक धर्मी नई दुनिया देखने के लिए तरसते हैं। (२ पतरस ३:१३) हालाँकि उन्हें पूरा-पूरा यकीन है कि परमेश्‍वर इस प्रतिज्ञा को पूरा करेगा, फिर भी उन्हें इस बात का भी एहसास है कि इंसाफ के मुताबिक ज़िंदगी जीना उनका फर्ज़ है। बाइबल साफ-साफ दिखाती है कि परमेश्‍वर हमसे यही उम्मीद रखता है कि हम अपना फर्ज़ अदा करें।

धार्मिकता के बीज बोना

हाँ, जब हमारे साथ बेइंसाफी होती है तब हम से सहा नहीं जाता और हम शायद कहें: “न्यायी परमेश्‍वर कहां है?” मलाकी के दिनों के यहूदी ऐसे ही पुकारते थे। (मलाकी २:१७) क्या उनकी इस फरियाद को परमेश्‍वर ने गंभीरता से लिया? नहीं, ऐसी फरियादों ने उसे “उकता” दिया क्योंकि और बहुत से गलत कामों के अलावा वे अपनी बूढ़ी पत्नियों के साथ विश्‍वासघात कर रहे थे और ज़रा-ज़रा सी बात पर उन्हें तलाक दे रहे थे। यहोवा को ‘उनकी जवानी की संगिनी और ब्याही हुई स्त्री’ के लिए चिंता थी ‘जिनके बीच वह साक्षी हुआ था जिनके साथ वे विश्‍वासघात कर रहे थे।’—मलाकी २:१४.

क्या हम बेइंसाफी के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं जबकि हम खुद ज़ुल्म ढा रहे हों? दूसरी तरफ अगर हम पूर्वधारणा और जातिवाद को दिल से निकालने, किसी का पक्ष न लेकर सबको प्यार करने, और बुराई के बदले बुराई न करने के ज़रिए यीशु का अनुकरण करने की कोशिश करते हैं तो हम दिखाते हैं कि हम सचमुच इंसाफ से प्यार करते हैं।

अगर हम इंसाफ की फसल काटना चाहते हैं तो बाइबल हमें बताती है कि हमें ‘धर्म का बीज बोना होगा।’ (होशे १०:१२) बेइंसाफी पर हम जो भी जीत हासिल करते हैं चाहे वह कितनी ही छोटी क्यों न हो, बहुत मायने रखती है। जैसा मार्टिन लूथर किंग, जूनियर, ने अपने लैटर फ्रॉम ब्रिमिंगम जेल, में लिखा “एक छोटी-सी बेइंसाफी चाहे कहीं भी क्यों न हो पूरी दुनिया के इंसाफ के लिए खतरा है।” जो लोग ‘धर्म को ढूंढ़ते’ हैं परमेश्‍वर उन्हीं लोगों को जल्द आनेवाले धर्मी नए संसार में रहने के लिए चुनता है।—सपन्याह २:३.

हम कमज़ोर इंसानी वायदों की बुनियाद पर इंसाफ की उम्मीद कायम नहीं कर सकते, लेकिन हम प्यार करनेवाले सृजनहार के वायदे पर ज़रूर भरोसा रख सकते हैं। इसीलिए यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे परमेश्‍वर का राज्य आने के लिए प्रार्थना करते रहें। (मत्ती ६:९, १०) उस राज्य के ठहराए हुए राजा के रूप में यीशु “दोहाई देनेवाले दरिद्र का, और दुःखी और असहाय मनुष्य का उद्धार करेगा। वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा, और दरिद्रों के प्राणों को बचाएगा।”—भजन ७२:१२, १३.

साफ ज़ाहिर है कि बेइंसाफी हमेशा तक नहीं चलेगी। पूरी दुनिया पर मसीह की हुकूमत हर तरफ बेइंसाफी को खत्म कर देगी, जैसा कि अपने भविष्यवक्‍ता यिर्मयाह के ज़रिए परमेश्‍वर हमें आश्‍वासन देता है: “वह समय आ रहा है जब मैं अपना वचन, जो मैंने कहा था, पूरा करूँगा . . . उस समय मैं दाऊद के वंश से एक धर्मी को राजा बनने के लिए चुनूँगा। वह राजा पूरे देश में जो भला है और न्यायपूर्ण है, वह करेगा।”—यिर्मयाह ३३:१४, १५, Today’s English Version.

[फुटनोट]

a एक फरज़ी नाम।

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