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  • ‘सुधार का समय’—बस करीब है!

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  • ‘सुधार का समय’—बस करीब है!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2000
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2000
w00 9/1 पेज 17-18

‘सुधार का समय’—बस करीब है!

जब यीशु स्वर्ग लौट रहा था तो उसके कुछ वफादार चेलों ने उससे पूछा: “हे प्रभु, क्या तू इसी समय इस्राएल को राज्य फेर देगा?” इस सवाल का यीशु ने जो जवाब दिया उससे यह पता चलता है कि उसके राज्य के आने में अभी देर थी। और तब तक उसके चेलों को बहुत सारा काम पूरा करना था। उन्हें “यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, और पृथ्वी की छोर तक” यीशु की गवाही देनी थी।—प्रेरितों 1:6-8.

लेकिन यह काम कुछ दिनों का, हफ्तों का या महीनों का नहीं था। इसमें काफी वक्‍त लगता, फिर भी चेले इस काम को हाथ में लेने से नहीं झिझके। बिना देर किए उन्होंने प्रचार काम शुरू कर दिया। साथ ही राज्य के दोबारा स्थापना किए जाने की अपनी आशा को कभी नहीं छोड़ा। तभी तो पतरस ने यरूशलेम में एक बहुत बड़ी भीड़ के सामने कहा: “मन फिराओ और लौट आओ कि तुम्हारे पाप मिटाए जाए, ताकि यहोवा की ओर से ताज़गी के दिन आए। और वह उस मसीह यीशु को भेजे जो तुम्हारे लिये पहिले से ही ठहराया गया है। अवश्‍य है कि तब तक यीशु स्वर्ग में ठहरा रहे, जब तक कि सब बातों के सुधार का समय न आ जाए, जिस की चर्चा परमेश्‍वर ने अपने पवित्र भविष्यद्वक्‍ताओं के मुख से की है, जो जगत की उत्पत्ति से होते आए हैं।”—प्रेरितों 3:19-21; NW.

सब बातों के सुधार का समय तब आता जब परमेश्‍वर का राज्य शुरू होता। और उस समय परमेश्‍वर की ओर से ताज़गी के दिन आते। सुधार दो चरणों में होनेवाला था। सबसे पहले आध्यात्मिक रूप से सुधार होता जो आज भी हो रहा है। इसके बाद सारी पृथ्वी का सुधार होता यानी एक नयी खूबसूरत दुनिया बसायी जाती।

सुधार का समय कब शुरू हुआ?

जैसा कि पतरस ने भीड़ को बताया, ‘यीशु को स्वर्ग में ठहरे रहना’ था। इसका मतलब है कि यीशु को अपना राज्य शुरू करने से पहले कुछ समय तक इंतज़ार करना था। उसका इंतज़ार 1914 में खत्म हुआ जब परमेश्‍वर ने उसे राजा नियुक्‍त करके सत्ता उसके हाथ में कर दिया। इसके अलावा पतरस ने कहा कि यहोवा, यीशु को ‘भेजेगा।’ इसका मतलब था कि यहोवा का मकसद पूरा करने में यीशु की एक अहम भूमिका होती। बाइबल इस बात को लाक्षणिक भाषा में बताती है: ‘और [परमेश्‍वर के स्वर्गीय संगठन ने] बेटा [यानी परमेश्‍वर का राज्य जिसका राजा यीशु मसीह है] जना जो लोहे का दण्ड लिए हुए, सब जातियों पर राज्य करने पर है।’—प्रकाशितवाक्य 12:5.

लेकिन जातियों ने यीशु को अपना राजा कबूल नहीं किया। इसके बजाय वे पृथ्वी पर उसकी प्रजा यानी यहोवा के साक्षियों को सताने पर उतारू हो गए। मगर साक्षी डरकर पीछे नहीं हटे। वे पहली सदी के प्रेरितों की तरह “यीशु की गवाही देने पर स्थिर” रहे। (प्रकाशितवाक्य 12:17) उन पर अत्याचार बढ़ता गया। एक-के-बाद-एक राष्ट्र उनका दुश्‍मन बन गया। और वर्ष 1918 में न्यू यॉर्क के ब्रुकलिन शहर में, वॉच टावर सोसाइटी के हैडक्वॉटर्स में काम करनेवाले कुछ ज़िम्मेदार भाइयों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें कटघरे में ला खड़ा कर दिया। फिर अदालत ने उन्हें लंबी कैद की सज़ा सुनाई। उस समय ऐसा लगा मानो परमेश्‍वर का काम ठप्प हो जाएगा, और “पृथ्वी के छोर तक” गवाही का काम नहीं हो पाएगा।—प्रकाशितवाक्य 11:7-10.

लेकिन 1919 में उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। बाद में उन पर लगाये गए सारे इलज़ाम भी झूठे निकले। इसके बाद वे समय गँवाए बिना सच्ची उपासना को बढ़ावा देने के काम में फिर से जुट गए। इस तरह आध्यात्मिक सुधार में दोबारा तेज़ी आ गई। तब से यहोवा के लोग आध्यात्मिक बातों में लगातार तरक्की कर रहे हैं।

उन्होंने यीशु मसीह की आज्ञा के मुताबिक सब जातियों के लोगों को सिखाने का काम बड़े पैमाने पर शुरू किया। (मत्ती 28:20) सचमुच इससे उनके दिल को बहुत ताज़गी मिली क्योंकि उनके संदेश को सुनकर कई लोगों ने अपनी ज़िंदगी में काफी बदलाव किए। जो लोग कभी जानवरों से भी बदतर व्यवहार करते थे, उन्होंने पुराने व्यक्‍तित्व को उतार फेंका जिसमें “क्रोध,” “निन्दा,” और ‘गालियाँ बकना’ शामिल था। उन्होंने नये व्यक्‍तित्व को पहन लिया, “जो अपने सृजनहार के स्वरूप के अनुसार ज्ञान प्राप्त करने के लिये नया बनता जाता है।” इस तरह भविष्यवक्‍ता यशायाह के ये शब्द आध्यात्मिक मायने में पूरे हुए और अभी भी पूरे हो रहे हैं: “तब भेड़िया [इंसान जिनका स्वभाव भेड़िए की तरह हुआ करता था] भेड़ के बच्चे [नम्र स्वभाव के इंसान] के संग रहा करेगा, और चीता बकरी के बच्चे के साथ बैठा करेगा, और बछड़ा और जवान सिंह और पाला पोसा हुआ बैल तीनों इकट्ठे रहेंगे, और एक छोटा लड़का उनकी अगुवाई करेगा।”—कुलुस्सियों 3:8-10; यशायाह 11:6, 9.

जल्द ही—और भी सुधार

आज हम आध्यात्मिक मायने में सुधार का काम तो देख ही रहे हैं। लेकिन वह दिन भी करीब है जब पूरी पृथ्वी का सुधार होगा यानी उसे दोबारा एक खूबसूरत बगीचे में बदल दिया जाएगा। हम दोबारा इसलिए कहते हैं क्योंकि जब शुरू में यहोवा ने आदम और हव्वा को बनाया था तो उसने उन्हें इस पृथ्वी पर अदन नामक एक खूबसूरत बगीचे में रखा था। (उत्पत्ति 1:29-31) ठीक वैसा ही एक खूबसूरत माहौल अब फिर से लाया जाएगा। मगर इसके पहले, परमेश्‍वर का अपमान करनेवाले झूठे धर्मों का सफाया होगा। इनका सफाया करनेवाले होंगे संसार की राजनैतिक शक्‍तियाँ। (प्रकाशितवाक्य 17:15-18) बाद में राजनैतिक शक्‍तियों, व्यापारिक संस्थाओं और उनका साथ देनेवालों का भी खातमा होगा। फिर अंत में परमेश्‍वर के सबसे बड़े दुश्‍मन, शैतान और उसके पिशाचों को अथाह कुंड में डाल दिया जाएगा। तब पृथ्वी को सुधारने का काम शुरू होगा जो एक हज़ार साल तक चलेगा। उस दौरान “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर की नाईं फूलेगी।” (यशायाह 35:1) पूरी पृथ्वी पर अमन-चैन होगा। (यशायाह 14:7) यहाँ तक कि करोड़ों लोग जो मर चुके हैं, उन्हें दोबारा ज़िंदा किया जाएगा। यही वक्‍त होगा जब छुड़ौती बलिदान के फायदे दुनिया के सभी लोग पूरी तरह उठा पाएँगे (प्रकाशितवाक्य 20:12-15; 22:1, 2) तब कोई भी अंधा, बहरा और लंगड़ा नहीं होगा। “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” (यशायाह 33:24) एक हज़ार साल के आखिर में शैतान और उसके पिशाचों को थोड़े समय के लिए छोड़ दिया जाएगा। तब वे देखेंगे कि यहोवा ने पृथ्वी के लिए अपने मकसद को कितने शानदार तरीके से पूरा किया है! इसके बाद उनको हमेशा-हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 20:1-3.

हज़ार साल के खत्म होने पर, जब सब बातों का सुधार हो जाएगा तब हर कहीं सिर्फ यहोवा की ‘स्तुति करनेवाले प्राणी होंगे’ और वे हमेशा-हमेशा तक यहोवा की स्तुति करते रहेंगे। (भजन 150:6) क्या आप भी उनमें से एक होना चाहेंगे? आप चाहें, तो ज़रूर हो सकते हैं।

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