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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2003
w03 12/15 पेज 28-29

पाठकों के प्रश्‍न

अपनी आदर्श प्रार्थना में क्या यीशु के कहने का यह मतलब था कि स्वर्ग में परमेश्‍वर की इच्छा पूरी हो रही थी, जबकि उस वक्‍त तक दुष्ट स्वर्गदूतों को वहाँ से खदेड़ा नहीं गया था?

मत्ती 6:10 में यीशु ने कहा: “तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो।” जैसे कि बाइबल के बहुत-से नए अनुवाद दिखाते हैं, मूल पाठ में लिखी इस बात के दो मतलब निकाले जा सकते थे। एक, परमेश्‍वर से यह बिनती थी कि जैसे स्वर्ग में उसकी इच्छा पूरी हो रही है, वैसे ही इस धरती पर पूरी हो। दूसरा, यह एक गुज़ारिश थी कि परमेश्‍वर की इच्छा स्वर्ग और पृथ्वी, दोनों में हर मायने में पूरी हो।a अगर हम “तेरा राज्य आए” शब्दों का मतलब देखें जो यीशु ने पहले कहे थे, तो उससे पता चलता है कि दूसरा मतलब बाइबल के मुताबिक ज़्यादा सही बैठता है। और यह दिखाता है कि यीशु के धरती पर रहने के समय और उसके सदियों बाद के हालात कैसे थे। यह कैसे कहा जा सकता है?

प्रकाशितवाक्य की किताब दिखाती है कि स्वर्ग में परमेश्‍वर के राज्य की स्थापना होने पर दो खास नतीजे निकलते हैं। पहला नतीजा, स्वर्ग में ही दिखायी देता है और दूसरा धरती पर। प्रकाशितवाक्य 12:7-9, 12 कहता है: “स्वर्ग पर लड़ाई हुई, मीकाईल और उसके स्वर्गदूत अजगर से लड़ने को निकले, और अजगर और उसके दूत उस से लड़े। परन्तु प्रबल न हुए, और स्वर्ग में उन के लिये फिर जगह न रही। और वह बड़ा अजगर अर्थात्‌ वही पुराना सांप, जो इब्‌लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए। इस कारण, हे स्वर्गो, और उन में के रहनेवालो मगन हो; हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि शैतान बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है; क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाकी है।”

सन्‌ 1914 के बाद, जब शैतान और दुष्ट स्वर्गदूतों को स्वर्ग से खदेड़ा गया, तब वहाँ एक भी बागी स्वर्गदूत नहीं बचा। इससे यहोवा के वफादार आत्मिक पुत्र बहुत खुश हुए जिनकी गिनती दुष्ट स्वर्गदूतों से कहीं बढ़कर थी। (अय्यूब 1:6-12; 2:1-7; प्रकाशितवाक्य 12:10) इसलिए जहाँ तक स्वर्ग की बात है, यीशु की आदर्श प्रार्थना में की गयी गुज़ारिश उसमें पूरी हो चुकी थी। जो स्वर्ग में बच गए थे, वे सब-के-सब यहोवा के वफादार थे और पूरी तरह उसकी हुकूमत के अधीन थे।

स्वर्ग से निकाले जाने से पहले दुष्ट स्वर्गदूतों की जो हालत थी, वह भी गौर करने लायक है। भले ही उन्हें स्वर्ग में आने-जाने की इजाज़त थी, मगर उन्हें परमेश्‍वर के परिवार से बेदखल कर दिया गया था और उन पर कुछ पाबंदियाँ लगायी गयी थीं। मिसाल के लिए, यहूदा 6 से ज़ाहिर होता है कि सा.यु. पहली सदी से बहुत समय पहले ही उन्हें “उस भीषण दिन के न्याय के लिये [आध्यात्मिक] अन्धकार में जो सदा काल के लिये है बन्धनों में रखा” जा चुका था। उसी तरह 2 पतरस 2:4 भी कहता है: “परमेश्‍वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्हों ने पाप किया नहीं छोड़ा, पर नरक [“यूनानी तारतरस,” (NHT, फुटनोट) यानी सबसे बदतर हालत] में भेजकर [आध्यात्मिक] अन्धेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें।”b

परमेश्‍वर के परिवार से बेदखल किए जाने की वजह से दुष्ट स्वर्गदूतों का स्वर्ग में कोई दर्जा नहीं था, मगर पूरी पृथ्वी पर उनका बहुत बड़ा अधिकार रहा है। इतना अधिकार कि परमेश्‍वर का वचन, शैतान को “इस जगत का सरदार” और दुष्ट स्वर्गदूतों को ‘इस संसार के अन्धकार के हाकिम’ कहता है। (यूहन्‍ना 12:31; इफिसियों 6:11, 12; 1 यूहन्‍ना 5:19) इसी अधिकार की वजह से इब्‌लीस, यीशु के सामने ‘सारे जगत के राज्य और उसके विभव’ की पेशकश कर सका, और बदले में सिर्फ एक बार अपनी उपासना करने को कहा। (मत्ती 4:8, 9) इससे साफ है कि जब परमेश्‍वर का राज्य इस धरती पर ‘आएगा,’ तो पृथ्वी पर भारी बदलाव आएगा।

इस धरती पर परमेश्‍वर के राज्य के ‘आने’ से बिलकुल नयी व्यवस्था की शुरूआत होगी। यह राज्य सभी इंसानी सरकारों को चूर-चूर कर देगा और धरती पर सिर्फ इसी की हुकूमत होगी। इसके साथ-साथ परमेश्‍वर का भय माननेवाले लोग इस राज्य की प्रजा होंगे और वे मिलकर “नई पृथ्वी” बनेंगे। (2 पतरस 3:13; दानिय्येल 2:44) यह राज्य आज्ञा माननेवाले इंसानों के अंदर से पाप का नामो-निशान भी मिटा डालेगा और धीरे-धीरे पूरी धरती को फिरदौस बना देगा। इस तरह, यह शैतान के राज के हर दाग को मिटा देगा।—रोमियों 8:20, 21; प्रकाशितवाक्य 19:17-21.

हज़ार साल के आखिर में, जब मसीहाई राज्य उस मकसद को पूरा कर देगा जो परमेश्‍वर ने उसके लिए ठहराया है, “तो पुत्र आप भी उसके अधीन हो जाएगा जिस ने सब कुछ उसके अधीन कर दिया; ताकि सब में परमेश्‍वर ही सब कुछ हो।” (1 कुरिन्थियों 15:28) फिर आखिरी परीक्षा होगी, जिसके बाद शैतान और उसके दूत, साथ ही जो कोई उनके बहकावे में आकर परमेश्‍वर के खिलाफ बगावत करेगा, वे सभी “दूसरी मृत्यु” पाएँगे, यानी उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 20:7-15) इसके बाद, स्वर्ग और धरती के सभी समझदार प्राणी सदा के लिए खुशी-खुशी यहोवा की प्यार-भरी हुकूमत के अधीन रहेंगे। तब हर मायने में यीशु की आदर्श प्रार्थना में कहे शब्द पूरे हो जाएँगे।—1 यूहन्‍ना 4:8.

[फुटनोट]

a द बाइबल—एन अमेरिकन ट्रांस्लेशन में यीशु की आदर्श प्रार्थना के इस हिस्से का अनुवाद यूँ किया गया है, “तेरा राज्य आए! तेरी इच्छा धरती पर, साथ-ही-साथ स्वर्ग में पूरी हो!”—मत्ती 6:10.

b प्रेरित पतरस ने कहा कि आध्यात्मिक मायने में उनका बेदखल किया जाना ऐसा है मानो उन्हें “बन्दी” बनाकर कैद में रखा गया हो। लेकिन वह उस “अथाह कुंड” की बात नहीं कर रहा था जिसमें दुष्ट स्वर्गदूतों को भविष्य में हज़ार साल के लिए डाल दिया जाएगा।—1 पतरस 3:19, 20; लूका 8:30, 31; प्रकाशितवाक्य 20:1-3.

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