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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2004
w04 6/1 पेज 29

पाठकों के प्रश्‍न

दाऊद यहोवा का एक वफादार सेवक था, तो जैसे 1 शमूएल 19:12, 13 से ज़ाहिर होता है, उसने अपनी पत्नी मीकल को गृह-देवता या मूरत रखने की इजाज़त क्यों दी?

सबसे पहले आइए हम उस समय के हालात पर एक नज़र डालें। जब मीकल को पता चला कि राजा शाऊल ने उसके पति दाऊद को मार डालने की साज़िश रची है, तो उसने दाऊद को बचाने के लिए फौरन कदम उठाया। बाइबल कहती है: “मीकल ने दाऊद को खिड़की से बाहर उतार दिया। तब वह भागकर बच गया। फिर मीकल ने गृह-देवता की मूर्ति [जिसका आकार और रूप एक आदमी जितना था] को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके सिरहाने बकरी के बाल वाला तकिया रख कर, उसे कपड़े से ढक दिया।” जब शाऊल के दूत दाऊद को पकड़ने आए तो मीकल ने उनसे कहा कि “वह तो बीमार है।” मीकल की इस चाल की वजह से दाऊद को वक्‍त मिल गया और वह भाग निकलने में कामयाब हुआ।—1 शमूएल 19:11-16, NHT.

पुरातत्वविज्ञानियों की खोजों से पता चलता है कि पुराने ज़माने में गृह-देवताओं की मूरतें न सिर्फ उपासना के लिए बल्कि कानूनी इस्तेमाल के लिए भी रखी जाती थीं। जिस तरह आज अधिकार-पत्रों और वसीयतनामे से तय किया जाता है कि विरासत के अधिकारी कौन हैं, उसी तरह उस ज़माने में गृह-देवताओं की मूरतों से यह तय किया जाता था। सबूत दिखाते हैं कि कुछेक हालात में गृह-देवता की मूरत होने से एक दामाद अपने मरहूम ससुर की जायदाद को विरासत में पाने का दावा कर सकता था। इस जानकारी से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मीकल से भी पहले के ज़माने में, राहेल अपने पिता के गृह-देवताओं की मूरतें क्यों उठा लायी थी और उसका पिता उन मूरतों को वापस पाने के लिए क्यों इतना बेताब हो गया था। मगर राहेल के पति याकूब को इस बात की बिलकुल खबर नहीं थी कि उसने ऐसा किया था।—उत्पत्ति 31:14-34.

जब इस्राएली लोग एक जाति बने तो उन्हें दस आज्ञाएँ दी गयीं। इनमें से दूसरी आज्ञा में मूरतें बनाने की साफ मनाही की गयी थी। (निर्गमन 20:4, 5) बाद में भविष्यवक्‍ता शमूएल ने इसी आज्ञा की तरफ इशारा करते हुए राजा शाऊल से कहा: “बलवा करना और भावी कहनेवालों से पूछना एक ही समान पाप है, और हठ करना मूरतों और गृह-देवताओं की पूजा के तुल्य है।” (1 शमूएल 15:23) यह दिखाता है कि इस्राएल में विरासत का अधिकार तय करने के लिए गृह-देवताओं की मूरतें इस्तेमाल नहीं की जाती थीं। फिर भी, ऐसा लगता है कि यहूदियों का यह प्राचीन अंधविश्‍वास कुछेक इस्राएली घरानों में जारी रहा। (न्यायियों 17:5, 6; 2 राजा 23:24) मीकल का अपने पास एक गृह-देवता की मूरत रखना यह दिखाता है कि उसका दिल पूरी तरह यहोवा की तरफ नहीं था। दाऊद को या तो उस मूरत के बारे में खबर नहीं थी या फिर उसने इसलिए बर्दाश्‍त कर लिया क्योंकि मीकल, राजा शाऊल की बेटी थी।

सिर्फ यहोवा को भक्‍ति देने के बारे में दाऊद का नज़रिया उसके इन शब्दों से पता चलता है: “यहोवा महान और स्तुति के अति योग्य है, वह तो सब देवताओं से अधिक भययोग्य है। क्योंकि देश देश के सब देवता मूर्तियाँ ही हैं; परन्तु यहोवा ही ने स्वर्ग को बनाया है।”—1 इतिहास 16:25, 26.

[पेज 29 पर तसवीर]

दस आज्ञाओं में से दूसरी आज्ञा में, मूरतें बनाने की मनाही की गयी थी, जैसे यहाँ दिखायी गयी गृह-देवता की मूरत है

[चित्र का श्रेय]

The Holy Land, Vol. II, 1859 इस किताब से

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