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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2005
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पाठकों के प्रश्‍न

दाऊद और उसके आदमियों के भेंट की रोटियाँ खाने का क्या यह मतलब निकलता है कि मुसीबत के वक्‍त अगर परमेश्‍वर का कानून तोड़ा जाए तो उसकी सज़ा नहीं मिलती?—1 शमूएल 21:1-6.

लैव्यव्यवस्था 24:5-9 के मुताबिक, भेंट की रोटियाँ हर सब्त के दिन बदली जाती थीं और पुरानी रोटियाँ सिर्फ याजक खा सकते थे। इस नियम के पीछे सिद्धांत यह था कि ये रोटियाँ पवित्र थीं और सिर्फ ऐसे आदमियों को खाने के लिए दी जानी थीं जो परमेश्‍वर की सेवा में लगे हुए थे, यानी याजक। ये रोटियाँ किसी आम मज़दूर को देना या सिर्फ मज़े के लिए खाना बिलकुल गलत होता। मगर, जब अहीमेलेक याजक ने भेंट की रोटियाँ दाऊद और उसके आदमियों को दीं तो वह कोई पाप नहीं था।

शायद दाऊद, राजा शाऊल की तरफ से कोई खास काम पूरा करने निकला था। दाऊद और उसके आदमी भूखे थे। अहीमेलेक ने पहले यह जाना कि वे व्यवस्था के मुताबिक शुद्ध हैं या नहीं। अगर सख्ती से कानून का पालन किया जाए तो दाऊद और उसके साथियों को भेंट की रोटियाँ खाने की इजाज़त नहीं थी क्योंकि वे याजक नहीं थे। मगर उनका इन रोटियों को खाना, इनके इस्तेमाल के लिए रखी गयी बुनियादी माँगों के खिलाफ नहीं था। इस बात को ध्यान में रखकर ही अहीमेलेक ने दाऊद के मामले में रियायत बरती। बाद में खुद यीशु मसीह ने इस घटना की मिसाल देकर समझाया कि फरीसी जिस सख्ती से सब्त के नियम का पालन करने की माँग करते थे वह बिलकुल गलत था।—मत्ती 12:1-8.

ऊपर बतायी बातों का मतलब यह नहीं कि मुसीबत आने पर परमेश्‍वर के कानूनों को तोड़ा जा सकता है। मसलन, जब इस्राएली योद्धा पलिश्‍तियों से लड़ रहे थे तो वे एक ऐसे मुकाम पर आ पहुँचे जब उनकी जान पर बन आयी। राजा शाऊल ने कहा था: “सन्ध्या तक अर्थात्‌ जब तक मैं अपने शत्रुओं से बदला न ले लूं जो पुरुष भोजन करे वह शापित हो।” बाइबल कहती है: “उस दिन उन्होंने . . . पलिश्‍तियों को मारा।” सिपाही लड़ते-लड़ते थककर चूर हो गए थे और भूख से बेहाल होकर उन्होंने ‘जानवर भूमि पर मारे और उन्हें लहू सहित खाने लगे।’ (1 शमूएल 14:24, 31-33, NHT) उन्होंने लहू के बारे में यहोवा का कानून तोड़कर उसके खिलाफ पाप किया। परमेश्‍वर ने लहू को सिर्फ एक ही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए कहा था, वह था पापों के “प्रायश्‍चित्त” के लिए। (लैव्यव्यवस्था 17:10-12; उत्पत्ति 9:3, 4) मगर इन सिपाहियों ने जो किया वह परमेश्‍वर की इस आज्ञा के मुताबिक नहीं था। यहोवा ने उन पर दया की और पाप करनेवालों की खातिर चढ़ाए गए खास बलिदान कबूल किए।—1 शमूएल 14:34, 35.

जी हाँ, यहोवा हमसे उम्मीद करता है कि हालात चाहे जो भी हों हम उसके कानून मानें। प्रेरित यूहन्‍ना कहता है: “परमेश्‍वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें।”—1 यूहन्‍ना 5:3.

[पेज 30 पर तसवीर]

हर सब्त के दिन भेंट की नयी रोटियाँ निवासस्थान में रखी जाती थीं

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