पुराने ज़माने में यहोवा अपने लोगों का “छुड़ानेवाला” था
“हे परमेश्वर मेरे लिये फुर्ती कर! तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है।”—भज. 70:5.
1, 2. (क) परमेश्वर के उपासक कब मदद के लिए उसे पुकारते हैं? (ख) इस सिलसिले में क्या सवाल उठता है और इसका जवाब कहाँ दिया गया है?
एक पति-पत्नी कहीं छुट्टियाँ मनाने गए हैं। एक दिन अचानक उन्हें खबर मिलती है कि उनकी 23 साल की बेटी घर से लापता है। पुलिस को शक है कि किसी ने उसे अगवा कर लिया है। खबर मिलते ही, वे फौरन अपना सामान बाँधते हैं और घर के लिए रवाना हो जाते हैं। रास्ते-भर वे यहोवा से गिड़गिड़ाकर प्रार्थना में मदद माँगते हैं। एक 20 साल के भाई को पता चलता है कि उसे ऐसी बीमारी है, जिससे आगे चलकर उसके पूरे शरीर को लकवा मार जाएगा। वह फौरन यहोवा से प्रार्थना करता है। अपने बच्चे की अकेली परवरिश करनेवाली एक माँ नौकरी की तलाश में दर-दर भटकती है। उसके पास इतने भी पैसे नहीं हैं कि वह अपने और अपनी 12 साल की बेटी के लिए दो जून की रोटी जुटा सके। वह प्रार्थना में यहोवा से मदद की भीख माँगती है। जी हाँ, जब परमेश्वर के उपासकों पर बड़ी-से-बड़ी आज़माइशें या मुश्किलें आती हैं, तो वे तुरंत मदद के लिए यहोवा को पुकारते हैं। क्या आपने भी कभी ऐसा किया है?
2 लेकिन एक अहम सवाल यह है कि क्या हम सचमुच यहोवा से यह उम्मीद कर सकते हैं कि वह हमारी पुकार सुनेगा और हमारी मदद करेगा? इसका जवाब भजन 70 में दिया गया है और इससे हमारा विश्वास ज़रूर मज़बूत होगा। दिल को छू जानेवाला यह भजन यहोवा के वफादार उपासक दाऊद ने लिखा था। उसकी ज़िंदगी में कई आज़माइशें और चुनौतियाँ आयीं। मगर यहोवा ने उसे उन सब मुश्किलों से छुड़ाया। इसलिए वह यहोवा के बारे में यह कहने से खुद को रोक नहीं पाया: “हे परमेश्वर . . . तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है।” (भज. 70:5) अगर हम भजन 70 की जाँच करें, तो हम समझ सकेंगे कि क्यों हम भी दाऊद की तरह ज़रूरत की घड़ी में यहोवा से मदद माँग सकते हैं। और यह भी कि हम क्यों पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह हमारा “छुड़ानेवाला” साबित होगा।
“तू मेरा . . . छुड़ानेवाला है”
3. (क) भजन 70 में दाऊद क्या बिनती करता है? (ख) इस भजन में दाऊद पूरे यकीन के साथ क्या बात कहता है?
3 दाऊद भजन 70 की शुरूआत और समाप्ति में यहोवा से बिनती करता है कि वह उसे ज़रूरत की घड़ी में मदद दे। (भजन 70:1-5 पढ़िए।) वह यहोवा से भीख माँगता है कि वह उसे छुड़ाने के लिए “फुर्ती” करे। आयत 2 से 4 में दाऊद पाँच बिनतियाँ करता है। पहली तीन बिनतियाँ उसके दुश्मनों के बारे में हैं, जो उसे जान से मार डालना चाहते हैं। वह यहोवा से गुज़ारिश करता है कि वह उसके दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम करे और उन्हें अपनी बुराई के लिए लज्जित करे। आयत 4 में वह परमेश्वर के लोगों के बारे में दो बिनतियाँ करता है। वह कहता है कि जो यहोवा को ढूँढ़ते हैं, वे आनंदित हों और उसकी बड़ाई करें। आखिर में दाऊद यहोवा से कहता है: “तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है।” ध्यान दीजिए कि दाऊद इस आयत में यह नहीं कहता कि “तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला हो जाए,” मानो वह एक और बिनती कर रहा हो। इसके बजाय, वह पूरे यकीन के साथ कहता है: “तू मेरा सहायक और छुड़ानेवाला है।” दाऊद को इस बात पर ज़रा-भी शक नहीं था कि परमेश्वर उसकी मदद करेगा।
4, 5. भजन 70 से हम दाऊद के बारे में क्या सीखते हैं? हम किस बात का पूरा भरोसा रख सकते हैं?
4 भजन 70 से हम दाऊद के बारे में क्या सीखते हैं? जब उसके दुश्मन हाथ धोकर उसके पीछे पड़े थे, तब उसने खुद उनसे निपटने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय, उसने यहोवा पर भरोसा रखा कि वह अपने समय पर और अपने तरीके से उसके दुश्मनों से निपटेगा। (1 शमू. 26:10) दाऊद को हमेशा इस बात का यकीन था कि यहोवा उसके खोजनेवालों की मदद करेगा और उन्हें छुड़ाएगा। (इब्रा. 11:6) उसे यह भी विश्वास था कि सच्चे उपासकों के पास आनंद करने और यहोवा की बड़ाई करने की ढेरों वजह हैं।—भज. 5:11; 35:27.
5 दाऊद की तरह, हम भी इस बात का पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारा सहायक और “छुड़ानेवाला है।” इसलिए जब हम बड़ी-से-बड़ी आज़माइशों का सामना करते हैं या हमें मदद की सख्त ज़रूरत होती है, तो इस बारे में यहोवा से प्रार्थना करना गलत नहीं होगा। (भज. 71:12) लेकिन यहोवा किस तरह हमारी मदद कर सकता है? यह जानने से पहले, आइए देखें कि यहोवा ने किन तीन तरीकों से दाऊद को मुसीबतों से छुड़ाया और ज़रूरत की घड़ी में उसकी मदद की।
यहोवा ने उसे दुश्मनों से बचाया
6. दाऊद कैसे जानता था कि यहोवा धर्मी लोगों को बचाता है?
6 दाऊद के दिनों में बाइबल का जो हिस्सा मौजूद था, उसकी मदद से वह जानता था कि धर्मी लोग छुटकारे के लिए यहोवा पर भरोसा रख सकते हैं। जैसे, नूह के ज़माने में जब यहोवा अधर्मी संसार पर जलप्रलय लाया, तब उसने नूह और उसके परिवार को बचा लिया। (उत्प. 7:23) उसी तरह, लूत के दिनों में जब उसने सदोम और अमोरा के दुष्ट लोगों का नाश करने के लिए आग और गंधक बरसायी, तो उसने लूत और उसकी दो बेटियों की जान बचायी। (उत्प. 19:12-26) उसके बाद, जब यहोवा ने लाल समुद्र में घमंडी फिरौन और उसकी सेना को नाश किया, तो उसने अपने लोगों की हिफाज़त की और उन्हें खत्म होने से बचाया। (निर्ग. 14:19-28) इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि दाऊद ने एक दूसरे भजन में यहोवा की यह कहकर स्तुति की कि वह “बचानेवाला ईश्वर” है।—भज. 68:20.
7-9. (क) यहोवा की बचाने की शक्ति पर भरोसा रखने की दाऊद के पास क्या वजह थी? (ख) दाऊद के मुताबिक किसने उसे उसके दुश्मनों से बचाया था?
7 यहोवा की बचाने की शक्ति पर भरोसा रखने की दाऊद के पास एक खास वजह भी थी। उसने खुद अनुभव किया कि यहोवा अपनी ‘सनातन भुजाओं’ से अपने सेवकों की रक्षा करता है। (व्यव. 33:27) यहोवा ने कई बार दाऊद को उसके “शत्रुओं” के हाथों से छुड़ाया था। (भज. 18:17-19, 48) इसकी एक मिसाल पर गौर कीजिए।
8 एक बार जब शाऊल और दाऊद लड़ाई से लौटे, तो स्त्रियों ने दाऊद की खूब तारीफ की। इससे शाऊल इस कदर जल उठा कि उसने दो बार दाऊद को भाले से मारना चाहा। (1 शमू. 18:6-9) लेकिन दाऊद दोनों बार भाले का निशाना बनते-बनते बचा। क्या इसकी वजह यह थी कि दाऊद एक योद्धा के नाते अपना बचाव करने में माहिर था? जी नहीं। बाइबल समझाती है कि इसकी वजह यह थी कि “यहोवा उसके साथ था।” (1 शमूएल 18:11-14 पढ़िए।) एक और मौके पर शाऊल ने दाऊद को पलिश्तियों के हाथों मरवाने की साज़िश रची। मगर जब उसकी साज़िश नाकाम हो गयी, तो ‘शाऊल ने देखा और जान लिया कि यहोवा दाऊद के साथ है।’ (NHT)—1 शमू. 18:17-28.
9 दाऊद के मुताबिक किसने उसे उसके दुश्मनों से बचाया था? भजन 18 का उपरिलेख कहता है कि दाऊद ने यह गीत ‘यहोवा के लिए उस समय गाया जब यहोवा ने उसको शाऊल के हाथ से बचाया था।’ इस गीत में दाऊद ने अपनी भावनाएँ ज़ाहिर करते हुए कहा: “यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं।” (भज. 18:2) क्या यह जानकर हमारा विश्वास मज़बूत नहीं होता कि यहोवा अपने लोगों को बचाने की ताकत रखता है?—भज. 35:10.
यहोवा ने उसे बीमारी में सँभाला
10, 11. दाऊद कब बहुत बीमार हो गया था, यह हमें किस बात से पता चलता है?
10 भजन 41 से पता चलता है कि एक बार राजा दाऊद बहुत बीमार हो गया और बिस्तर से लग गया। उसके दुश्मन सोचने लगे कि अब वह ‘कभी नहीं उठ पाएगा।’ (आयत 7, 8) दाऊद कब इतना बीमार हो गया था? इस भजन में जिन हालात का ज़िक्र किया गया है, उससे पता चलता है कि दाऊद शायद तब बीमार हुआ था, जब उसका बेटा अबशालोम उसकी राजगद्दी हड़पने की कोशिश कर रहा था।—2 शमू. 15:6, 13, 14.
11 मिसाल के लिए, दाऊद बताता है कि उसके एक जिगरी दोस्त ने उसे दगा दी। यह वही दोस्त था, जो उसके साथ रोटी खाया करता था। (आयत 9) इससे हमें वह घटना याद आती है, जब दाऊद के सबसे भरोसेमंद सलाहकार अहीतोपेल ने उसके साथ गद्दारी की और अबशालोम के साथ मिलकर उसके खिलाफ बगावत की। (2 शमू. 15:31; 16:15) एक तरफ दाऊद अपनी बीमारी से इतना कमज़ोर हो चुका था कि बिस्तर से उठ नहीं पा रहा था। दूसरी तरफ, उसके खिलाफ साज़िश रचनेवाले उसकी मौत की कामना कर रहे थे, ताकि वे अपने मंसूबों को अंजाम दे सकें। ज़रा सोचिए, ऐसे में दाऊद पर क्या बीती होगी।—आयत 5.
12, 13. (क) दाऊद ने क्या भरोसा ज़ाहिर किया? (ख) यहोवा ने किस तरह दाऊद को ताकत दी?
12 ऐसे हालात में भी, दाऊद ने अपने ‘छुड़ानेवाले’ पर भरोसा रखा। वह जानता था कि अगर यहोवा का कोई सच्चा उपासक बीमार पड़ जाए, तो वह उसे अकेला नहीं छोड़ेगा। उसने कहा: “विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा। यहोवा [“खुद,” NW] उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।” (भज. 41:1, 3) गौर कीजिए कि इस आयत में दाऊद ने अपना भरोसा किन शब्दों में ज़ाहिर किया। उसने कहा, ‘यहोवा खुद उसे सम्भालेगा।’ दाऊद को पक्का यकीन था कि यहोवा उसे छुड़ाएगा। मगर कैसे?
13 दाऊद ने यह उम्मीद नहीं की कि यहोवा कोई चमत्कार करके उसकी बीमारी ठीक करेगा। इसके बजाय, उसे पूरा भरोसा था कि यहोवा “उसे सम्भालेगा।” मतलब वह उसकी बीमारी में उसका सहारा बनेगा और उसे ताकत देगा। दाऊद को वाकई ऐसी मदद की ज़रूरत थी। क्योंकि बीमारी की वजह से वह कमज़ोर हो चुका था, ऊपर से उसके दुश्मन बुरी-बुरी बातें कहकर उसकी हिम्मत तोड़ रहे थे। (आयत 5, 6) यहोवा ने किस तरह दाऊद को ताकत दी? हो सकता है, उसने दाऊद को वे बातें याद करने में मदद दी हो, जिनसे दाऊद को ढाढ़स मिला होगा। दाऊद आगे कहता है: “मुझे तो तू . . . मेरी खराई में सम्भाले रहता है।” (आयत 12, NHT) दाऊद को इस बात से भी ताकत मिली होगी कि भले ही वह बीमार था और उसके दुश्मन उसके बारे में बुरा-भला कहते थे, फिर भी यहोवा की नज़र में वह एक खरा इंसान था। आखिरकार, दाऊद अपनी बीमारी से ठीक हो गया। क्या यह जानकर हमें हिम्मत नहीं मिलती कि यहोवा अपने बीमार सेवकों को सँभाले रहता है?—2 कुरि. 1:3.
यहोवा ने उसे भूखों नहीं मरने दिया
14, 15. दाऊद और उसके आदमियों को कब खाने-पीने की चीज़ों की ज़रूरत आन पड़ी? और उन्हें क्या मदद मिली?
14 जब दाऊद इस्राएल का राजा था, तब वह खाने-पीने की अच्छी-से-अच्छी चीज़ों का लुत्फ उठाता था। यहाँ तक कि वह दूसरों को भी अपनी शाही मेज़ पर खाने की दावत देता था। (2 शमू. 9:10) मगर दाऊद यह भी जानता था कि भूखे पेट रहना क्या होता है। जब अबशालोम ने उसके खिलाफ बगावत का ऐलान किया और उसकी राजगद्दी हड़पने की कोशिश की, तब दाऊद को अपने कुछ वफादार साथियों के संग यरूशलेम से भागना पड़ा। वे यरदन के पूरब में गिलाद नाम के देश में आ पहुँचे। (2 शमू. 17:22, 24) अपने दुश्मनों से लगातार भागते रहने की वजह से दाऊद और उसके आदमियों को खाने-पीने की चीज़ों और आराम की सख्त ज़रूरत आन पड़ी। लेकिन वीराने में उन्हें खाने-पीने की चीज़ें कहाँ मिलतीं?
15 जब वे महनैम नगर में पहुँचे, तो वहाँ उन्हें शोबी, माकीर और बर्जिल्लै नाम के तीन आदमी मिले। उन्होंने दाऊद और उसके आदमियों की ज़रूरत को समझा और वे उनके लिए चारपाइयाँ, गेहूँ, जौ, भुना हुआ अनाज, सेम, मसूर, शहद, मक्खन और भेड़-बकरियाँ लाए। (2 शमूएल 17:27-29 पढ़िए।) ऐसा करना खतरे से खाली नहीं था। क्योंकि अगर अबशालोम राजा बन जाता, तो वह दाऊद से हमदर्दी जतानेवालों को ज़िंदा नहीं छोड़ता। यह जानते हुए भी, इन आदमियों ने दाऊद की मदद करके अपने साहस और वफादारी का सबूत दिया। उनकी बेमिसाल वफादारी और दरियादिली दाऊद के दिल को छू गयी। भला वह उनके इस एहसान को कैसे भूल सकता था?
16. असल में दाऊद और उसके आदमियों को खाने-पीने की चीज़ें मुहैया करानेवाला कौन था?
16 हालाँकि शोबी, माकीर और बर्जिल्लै ने दाऊद और उसके आदमियों को खाने-पीने की चीज़ें दी थीं, मगर असल में उन्हें ये चीज़ें मुहैया करानेवाला कौन था? दाऊद को पूरा भरोसा था कि वह कोई और नहीं, बल्कि यहोवा था। जब यहोवा अपने किसी सेवक को तकलीफ में देखता है, तब वह उसकी मदद करने के लिए अपने दूसरे सेवकों को उभार सकता है। गिलाद में हुए अनुभव पर मनन करने से दाऊद समझ गया कि इन तीन आदमियों ने जो भलाई की, वह दरअसल यहोवा की सच्ची परवाह का सबूत था। अपनी ज़िंदगी के आखिर में दाऊद ने लिखा: “मैं लड़कपन से लेकर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को [जिसमें वह खुद भी शामिल है] त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है।” (भज. 37:25) क्या यह जानकर हमें दिलासा नहीं मिलता कि यहोवा अपने सेवकों को कभी भूखों नहीं मरने देगा?—नीति. 10:3.
‘यहोवा अपने भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना जानता है’
17. परमेश्वर ने बार-बार क्या साबित कर दिखाया है?
17 दाऊद उन सेवकों में से एक था, जिन्हें यहोवा ने बीते ज़माने में मुश्किल हालात से छुड़ाया था। उस समय से लेकर परमेश्वर ने बार-बार यह साबित कर दिखाया है कि प्रेरित पतरस के ये शब्द बिलकुल सच हैं: “[यहोवा अपने] भक्तों को परीक्षा में से निकाल लेना . . . जानता है।” (2 पत. 2:9) इसी बात पर आइए दो और मिसालों पर गौर करें।
18. हिजकिय्याह के दिनों में यहोवा ने अपने वफादार सेवकों को कैसे छुटकारा दिलाया?
18 सामान्य युग पूर्व आठवीं सदी में शक्तिशाली अश्शूरी सेना ने यहूदा पर कब्ज़ा किया और यरूशलेम पर हमला बोलने की धमकी दी। ऐसे वक्त में राजा हिजकिय्याह ने परमेश्वर से प्रार्थना की: “हे हमारे परमेश्वर यहोवा, तू हमें . . . बचा जिस से पृथ्वी के राज्य राज्य के लोग जान लें कि केवल तू ही यहोवा है।” (यशा. 37:20) हिजकिय्याह को अपनी जान की नहीं, बल्कि इस बात की फिक्र थी कि परमेश्वर के नाम की निंदा न हो। इसलिए यहोवा ने हिजकिय्याह के दिल की पुकार सुनी। उसने अपना एक स्वर्गदूत भेजा, जिसने एक ही रात में 1,85, 000 अश्शूरियों को मार गिराया और अपने वफादार सेवकों को छुटकारा दिलाया।—यशा. 37:32, 36.
19. पहली सदी के मसीही किस चेतावनी को मानकर एक भयानक विनाश से बच गए?
19 यीशु ने अपनी मौत से पहले यहूदिया में रहनेवाले चेलों को एक चेतावनी दी, जिसे मानने से उन्हें फायदा होता। यह चेतावनी एक भविष्यवाणी भी थी। (लूका 21:20-22 पढ़िए।) इस भविष्यवाणी के बाद कई साल बीत गए, मगर कुछ नहीं हुआ। लेकिन फिर सा.यु. 66 में यहूदियों ने बगावत कर दी और इस वजह से सेस्टियस गैलस अपनी रोमी फौज लेकर यरूशलेम आया। उसकी फौज ने मंदिर की दीवार के एक हिस्से को गिरा दिया। मगर फिर रोमी सेना अचानक लौट गयी। वफादार मसीही समझ गए कि पहाड़ों पर भाग जाने और विनाश से बचने का यही वह मौका था, जिसके बारे में यीशु ने उन्हें बताया था। और उन्होंने वैसा ही किया। सामान्य युग 70 में रोमी सेना वापस आयी। इस बार उन्होंने यरूशलेम को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। जिन मसीहियों ने यीशु की चेतावनी को माना, वे उस भयानक विनाश से बच गए।—लूका 19:41-44.
20. हम क्यों पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है?”
20 पुराने ज़माने में यहोवा ने अपने लोगों की जिस तरह मदद की, उस पर मनन करने से हमारा विश्वास मज़बूत होता है और यहोवा पर हमारा भरोसा और भी बढ़ जाता है। चाहे आज हम किसी आज़माइश का सामना कर रहे हों, या भविष्य में हमें किसी मुश्किल का सामना करना पड़े, हम भी पूरा भरोसा रख सकते हैं कि यहोवा हमारा “छुड़ानेवाला है।” लेकिन यहोवा हमें कैसे छुड़ाता है? और हमने लेख की शुरूआत में जिन लोगों के अनुभव सुने थे, उन्हें यहोवा ने कैसे मदद दी? यह जानने के लिए आइए अगला लेख देखें।
क्या आपको याद है?
• भजन 70 हमें किस बात का भरोसा दिलाता है?
• यहोवा ने किस तरह दाऊद को उसकी बीमारी में ताकत और सहारा दिया?
• कौन-सी मिसालें दिखाती हैं कि यहोवा अपने लोगों को उनके दुश्मनों से बचा सकता है?
[पेज 6 पर तसवीर]
यहोवा ने हिजकिय्याह की प्रार्थना सुन ली