वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w14 7/15 पेज 23-27
  • “तुम मेरे साक्षी हो”

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • “तुम मेरे साक्षी हो”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2014
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • बीते ज़माने में परमेश्‍वर के साक्षी
  • “देखो, मैं एक नया काम करूंगा”
  • परमेश्‍वर के नाम का क्या मतलब है
  • हम अपनी एहसानमंदी कैसे दिखाते हैं
  • यहोवा के महान नाम का आदर कीजिए
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2013
  • यहोवा अपने नाम को ऊँचा करता है
    परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!
  • “तुम मेरे साक्षी हो”!
    यशायाह की भविष्यवाणी—सारे जगत के लिए उजियाला भाग II
  • झूठे ईश्‍वरों के विरुद्ध साक्षी
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2014
w14 7/15 पेज 23-27
सन्‌ 1931 में बाइबल विद्यार्थियों का अधिवेशन, जिसमें ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया गया था

“तुम मेरे साक्षी हो”

“यहोवा की वाणी है कि ‘तुम मेरे साक्षी हो।’”—यशा. 43:10.

क्या आप जवाब दे सकते हैं?

  • किन तरीकों से इसराएलियों ने यहोवा के बारे में साक्षी दी?

  • यहोवा नाम का मतलब किस तरह समझा जाता है?

  • हम यहोवा के नाम से कहलाए जाने के सम्मान के लिए अपनी एहसानमंदी कैसे दिखा सकते हैं?

1, 2. (क) एक साक्षी होने का क्या मतलब है? (ख) दुनिया के टीवी-अखबारों ने लोगों को क्या नहीं बताया है? (ग) यहोवा को इस दुनिया के टीवी-अखबारों पर निर्भर रहने की ज़रूरत क्यों नहीं है?

एक साक्षी होने का क्या मतलब है? एक शब्दकोश समझाता है कि एक साक्षी “वह होता है जो किसी घटना को होते हुए देखता है और उसकी खबर देता है।” उदाहरण के लिए, दक्षिण अफ्रीका में पिछले 160 से भी ज़्यादा सालों से एक अखबार प्रकाशित हो रहा है, जिसका नाम है द विटनेस (साक्षी)। इस अखबार का यह नाम बिलकुल वाजिब है, क्योंकि अखबार का मकसद ही होता है घटनाओं की सही-सही खबर देना। जिस संपादक ने इस अखबार की शुरूआत की थी, उसने वादा किया था कि यह अखबार “जो भी कहेगा सच कहेगा, सच के सिवा कुछ नहीं कहेगा।”

2 लेकिन दुख की बात है कि दुनिया के टीवी-अखबारों ने कई घटनाओं के बारे में सही-सही खबर नहीं दी है। खासकर उन्होंने यह खबर दुनिया तक तो बिलकुल भी नहीं पहुँचायी है कि परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई क्या है और उसने क्या-क्या किया है। जैसे उन्होंने इस बात को नज़रअंदाज़ किया है, जो यहोवा ने अपने भविष्यवक्‍ता यहेजकेल के ज़रिए कही थी: ‘जाति-जाति के लोग जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।’ (यहे. 39:7) लेकिन लोगों तक यह खबर पहुँचाने के लिए यहोवा को दुनिया के टीवी-अखबारों पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है। दुनिया-भर में उसके करीब 80 लाख साक्षी हैं, जो लोगों को उसके बारे में बता रहे हैं। साक्षियों की यह सेना दूसरों को बता रही है कि पुराने ज़माने में परमेश्‍वर ने लोगों के लिए क्या-क्या किया था और वह आज क्या-क्या कर रहा है। वे यह भी बता रहे हैं कि परमेश्‍वर ने भविष्य में किन शानदार चीज़ों का वादा किया है। यशायाह 43:10 में हम पढ़ते हैं: “यहोवा की वाणी है कि तुम मेरे साक्षी हो और मेरे दास हो, जिन्हें मैं ने . . . चुना है।” जब हम प्रचार काम को अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़रूरी काम समझते हैं, तब हम यह साबित करते हैं कि हम सचमुच में यहोवा के साक्षी हैं।

3, 4. (क) बाइबल विद्यार्थियों ने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम कब अपनाया? (ख) इस नए नाम के बारे में उन्हें कैसा लगा? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ग) हम अब किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

3 यहोवा का नाम हमेशा तक बना रहेगा, क्योंकि वह ‘युग-युग का राजा’ है। और वह खुद कहता है: “सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा।” (1 तीमु. 1:17; निर्ग. 3:15) यहोवा के नाम से पहचाने जाना हमारे लिए सबसे बड़ा सम्मान है। सन्‌ 1931 में जब बाइबल विद्यार्थियों ने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया, तो वे खुशी से झूम उठे। कई साक्षियों ने इस बदलाव के लिए अपनी एहसानमंदी जताने के लिए खत भी लिखे। कनाडा की एक मंडली ने लिखा कि इस नए नाम के मिलने के बाद से उन्होंने और भी ज़्यादा ठान लिया है कि वे अपनी ज़िंदगी इस तरह जीएँगे, जिससे यहोवा के नाम की महिमा हो।

4 आप कैसे दिखा सकते हैं कि आप यहोवा का साक्षी कहलाना एक सम्मान की बात समझते हैं? साथ ही, क्या आप समझा सकते हैं कि यहोवा क्यों हमें अपना साक्षी कहता है, जैसा कि हम यशायाह की किताब में पढ़ते हैं?

बीते ज़माने में परमेश्‍वर के साक्षी

5, 6. (क) इसराएली माता-पिता किस तरह यहोवा के बारे में साक्षी देते थे? (ख) इसराएली माता-पिताओं को और क्या करना था? (ग) आज माता-पिताओं को भी ऐसा ही क्यों करना चाहिए?

5 यशायाह के ज़माने में हर इसराएली यहोवा का “साक्षी” था और सारे इसराएली एक राष्ट्र के तौर पर उसके “दास” थे। (यशा. 43:10) एक तरीका जिससे इसराएली माता-पिता यहोवा के बारे में साक्षी देते थे, वह था अपने बच्चों को सिखाकर कि परमेश्‍वर ने बीते ज़माने में क्या-क्या किया था। मिसाल के लिए, जब यहोवा ने माता-पिताओं को निर्देश दिए कि वे हर साल फसह का त्योहार मनाया करें, तो उसने उनसे कहा: “जब तुम्हारे लड़केबाले तुम से पूछें, कि इस काम से तुम्हारा क्या मतलब है? तब तुम उनको यह उत्तर देना, कि यहोवा ने जो मिस्रियों के मारने के समय मिस्र में रहनेवाले हम इस्राएलियों के घरों को छोड़कर हमारे घरों को बचाया, इसी कारण उसके फसह का यह बलिदान किया जाता है।” (निर्ग. 12:26, 27) माता-पिताओं ने बच्चों को यह भी बताया होगा कि जब मूसा ने पहली बार फिरौन से इजाज़त माँगी कि वह इसराएलियों को यहोवा की उपासना करने के लिए वीराने में जाने दे, तो फिरौन ने कहा: “यहोवा कौन है, कि मैं उसका वचन मानकर इस्राएलियों को जाने दूं?” (निर्ग. 5:2) बेशक, इसके बाद माता-पिताओं ने बच्चों को यह भी बताया होगा कि कैसे मिस्र पर दस विपत्तियाँ लाकर और लाल समुद्र पर इसराएलियों को मिस्र की सेना से बचाकर यहोवा ने फिरौन के सवाल का साफ-साफ जवाब दिया कि वही सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर है। इसराएल राष्ट्र भी इस बात का जीता-जागता साक्षी बन गया कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है और वह हमेशा अपने वादे पूरे करता है।

6 इसराएलियों को यह एहसास हुआ कि यहोवा के नाम से कहलाए जाना उनके लिए सम्मान की बात थी। वे अपने बच्चों और घर में काम करनेवाले गुलामों को यहोवा के महान कामों के बारे में बताते थे। इसराएली यह भी जानते थे कि उन्हें अपना चालचलन पवित्र बनाए रखना है। यहोवा ने उनसे कहा: “तुम पवित्र बने रहो; क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्‍वर यहोवा पवित्र हूं।” इसराएली माता-पिताओं को अपने बच्चों को भी सिखाना था कि वे पवित्र बने रहें, यानी यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीएँ। (लैव्य. 19:2; व्यव. 6:6, 7) आज माता-पिताओं को भी ऐसा ही करना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि वे पवित्र बने रहें, क्योंकि ऐसा करने से परमेश्‍वर के महान नाम की महिमा होगी।—नीतिवचन 1:8; इफिसियों 6:4 पढ़िए।

इसराएली माता-पिता अपने बच्चों को सिखाते हुए कि वे पवित्र बने रहने के मामले में परमेश्‍वर के स्तरों को मानें

जब हम अपने बच्चों को यहोवा के बारे में सिखाते हैं, तो हम उसके नाम का आदर करते हैं (पैराग्राफ 5, 6 देखिए)

7. (क) जब तक इसराएली वफादार बने रहे, आस-पास के राष्ट्र क्या देख सके? (ख) वे सभी जो यहोवा के नाम से जाने जाते हैं, उनकी क्या ज़िम्मेदारी बनती है?

7 इस तरह, जब तक इसराएली वफादार बने रहे, वे परमेश्‍वर के नाम की अच्छी गवाही देते रहे। नतीजा, उनके आस-पास के राष्ट्र यह देख सके कि यहोवा अपने लोगों की हिफाज़त कर रहा है। (व्यव. 28:10) लेकिन अफसोस, इसराएलियों के इतिहास के ज़्यादातर पन्‍ने उनकी बेवफाई के किस्सों से भरे हैं। कई बार वे कनानी देवी-देवताओं की मूरतों की उपासना की तरफ लौट गए। और-तो-और, उन देवी-देवताओं की तरह, वे खुद भी निर्दयी बन गए। उन्होंने अपने ही बच्चों की बलि चढ़ायी और गरीबों पर ज़ुल्म ढाए। उनकी बुरी मिसाल से हम एक ज़रूरी सबक सीखते हैं। हमें यहोवा की मिसाल पर चलने और पवित्र बने रहने की ज़रूरत है, क्योंकि हम परमपवित्र परमेश्‍वर के नाम से जाने जाते हैं।

“देखो, मैं एक नया काम करूंगा”

8. (क) यहोवा ने यशायाह से क्या करने के लिए कहा? (ख) और यशायाह ने कैसा रवैया दिखाया?

8 यहोवा ने यशायाह से इसराएलियों को आगाह करने के लिए कहा कि वह इसराएल की राजधानी, यरूशलेम का नाश करनेवाला है और उसके लोगों को बंधुआई में जाने की इजाज़त देनेवाला है। यहोवा ने यह भी पहले से बताया कि वह एक “नया काम” करने और अपने लोगों को हैरतअंगेज़ तरीके से बंधुआई से छुड़ाने जा रहा है। (यशा. 43:19, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) यहोवा जानता था कि इसराएली पश्‍चाताप नहीं करेंगे, लेकिन उसने फिर भी यशायाह से कहा कि वह उन्हें लगातार चेतावनी देता रहे। यशायाह की किताब के शुरूआती 6 अध्याय ज़्यादातर यरूशलेम के विनाश के बारे में चेतावनियाँ हैं। यशायाह जानना चाहता था कि यह राष्ट्र कब तक यहोवा की आज्ञा नहीं मानेगा। परमेश्‍वर ने जवाब दिया: “जब तक नगर न उजड़ें और उन में कोई रह न जाए, और घरों में कोई मनुष्य न रह जाए, और देश उजाड़ और सुनसान [न] हो जाए।”—यशायाह 6:8-11 पढ़िए।

9. (क) यरूशलेम के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी कब पूरी हुई? (ख) आज हमें किस चेतावनी पर ध्यान देने की ज़रूरत है?

9 यशायाह को भविष्यवाणी करने का यह काम करीब ईसा पूर्व 778 में मिला, जब राजा उज़िय्याह के शासन का आखिरी साल चल रहा था। उसने यह काम 46 से भी ज़्यादा सालों तक किया, यानी ईसा पूर्व 732 के कुछ समय बाद तक, जब राजा हिज़किय्याह राज कर रहा था। इसके 125 साल बाद यरूशलेम का विनाश हुआ, यानी ईसा पूर्व 607 में। इसका मतलब है कि इसराएलियों को कई सालों पहले से चेतावनी दी जा रही थी कि भविष्य में उनके राष्ट्र के साथ क्या होनेवाला है। आज भी यहोवा अपने लोगों को कई सालों पहले से चेतावनी दे रहा है कि भविष्य में क्या होनेवाला है। 135 सालों से, जब से प्रहरीदुर्ग पत्रिका का पहला अंक प्रकाशित होना शुरू हुआ है, यह पत्रिका लोगों को बता रही है कि जल्द ही शैतान का दुष्ट शासन नाश होनेवाला है और उसकी जगह यीशु मसीह का राज शुरू होनेवाला है।—प्रका. 20:1-3, 6.

10, 11. बैबिलोन में इसराएलियों ने यशायाह की भविष्यवाणी को कैसे पूरा होते देखा?

10 कई यहूदी, जिन्होंने यहोवा की बात मानकर बैबिलोन के आगे हार मान ली, यरूशलेम के विनाश से बच गए और बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाए गए। (यिर्म. 27:11, 12) सत्तर साल बाद, उनमें से कुछ लोगों ने यशायाह की एक और भविष्यवाणी को पूरे होते देखा: “इस्राएल का पवित्र यहोवा तुझे छुड़ाता है। यहोवा कहता है, ‘मैं तेरे लिये बाबुल में सेनाएँ भेजूँगा। सभी ताले लगे दरवाज़ों को मैं तोड़ दूँगा।’”—यशा. 43:14, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

11 यहोवा ने यह भविष्यवाणी बड़े ही हैरतअंगेज़ तरीके से पूरी की। ईसा पूर्व 539 के अक्टूबर महीने की एक रात, बैबिलोन का राजा और उसके खास लोग अपने देवताओं के सम्मान में एक जश्‍न मना रहे थे। यहाँ तक कि वे उन प्यालों में से भी पी रहे थे, जो वे यहोवा के मंदिर से चुराकर लाए थे। लेकिन उसी रात, राजा कुस्रू और उसकी सेना ने बैबिलोन पर हमला बोल दिया। उन्होंने शहर पर कब्ज़ा कर लिया और बैबिलोन साम्राज्य पर जीत हासिल कर ली। ईसा पूर्व 538 या 537 में, कुस्रू ने यहूदियों को आज्ञा दी कि वे यरूशलेम लौट जाएँ और परमेश्‍वर के मंदिर को दोबारा बनाएँ। और जब वे वापस लौट रहे थे, तब यहोवा ने उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा। यह सब ठीक वैसे ही हुआ जैसे यशायाह ने भविष्यवाणी की थी। आखिर में जब परमेश्‍वर के लोगों ने यरूशलेम में मंदिर को दोबारा बनते देखा, तो वे इस बात के गवाह बने कि यहोवा ही सच्चा परमेश्‍वर है और वह हमेशा अपने वादों को पूरा करता है। जो यहूदी यरूशलेम लौटे थे, उनके बारे में परमेश्‍वर ने कहा: “इस प्रजा को मैं ने अपने लिये बनाया है कि वे मेरा गुणानुवाद करें।”—यशा. 43:21; 44:26-28.

12, 13. (क) जब इसराएली दोबारा मंदिर बनाने के लिए वापस लौटे, तो उनके साथ और कौन जुड़ गए? (ख) “परमेश्‍वर के इसराएल” का साथ देनेवाली ‘दूसरी भेड़ों’ से क्या उम्मीद की जाती है? (ग) उन्हें भविष्य में क्या शानदार मौका मिलेगा?

12 जब इसराएली दोबारा मंदिर बनाने के लिए वापस लौटे, तो हज़ारों गैर-यहूदी उनके साथ मिलकर यहोवा की उपासना करने लगे। आगे चलकर, और भी बड़ी तादाद में गैर-यहूदियों ने यहूदी धर्म अपनाया। (एज्रा 2:58, 64, 65; एस्ते. 8:17) आज, यीशु की ‘दूसरी भेड़ों’ की “एक बड़ी भीड़” वफादारी से “परमेश्‍वर के इसराएल,” यानी अभिषिक्‍त मसीहियों का साथ दे रही है। (प्रका. 7:9, 10; यूह. 10:16; गला. 6:16) अभिषिक्‍त भाइयों के साथ-साथ दूसरी भेड़ों को भी यहोवा के साक्षी कहलाने का सम्मान मिला है।

13 मसीह के हज़ार साल के राज के दौरान, बड़ी भीड़ के पास एक शानदार मौका होगा। वे फिर से जी उठाए गए लोगों को बताएँगे कि शैतान की दुनिया के आखिरी दिनों में यहोवा के साक्षी होना कैसा था। भविष्य में यह आशीष पाने के लिए ज़रूरी है कि हम आज अपने इस पवित्र नाम पर खरे उतरें और पवित्र बने रहें। हालाँकि हम यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीने की भरसक कोशिश करते हैं, लेकिन फिर भी हमसे हर दिन गलतियाँ होती हैं। इसलिए हमें हर दिन यहोवा से माफी माँगनी चाहिए। अगर हम पवित्र बने रहें, तो हम दिखाएँगे कि हम इस बात के लिए यहोवा के एहसानमंद हैं कि उसने हमें अपना पवित्र नाम धारण करने की इजाज़त दी है।—1 यूहन्‍ना 1:8, 9 पढ़िए।

परमेश्‍वर के नाम का क्या मतलब है

14. यहोवा नाम का मतलब किस तरह समझा जाता है?

14 इस बात को और बेहतर ढंग से समझने के लिए कि यहोवा के नाम से कहलाए जाने का सम्मान कितना बड़ा है, हमें यह जानने की ज़रूरत है कि उसके नाम का मतलब क्या है। यहोवा नाम एक ऐसे इब्रानी शब्द से निकला है, जिसका अनुवाद “बनना” किया जा सकता है और जो क्रिया के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इसलिए यहोवा नाम से यह मतलब समझ में आता है: “वह बनने का कारण होता है।” यह परिभाषा सारी चीज़ों और बुद्धिमान प्राणियों के सृष्टिकर्ता और अपने मकसद को पूरा करनेवाले यहोवा पर बिलकुल ठीक बैठती है। उसके विरोधी, जैसे कि शैतान, उसे अपनी मरज़ी पूरी करने से रोकने की चाहे जितनी भी कोशिश कर लें, यहोवा अपनी मरज़ी पूरी करके ही रहेगा और अपने मकसद को अंजाम तक पहुँचाकर ही रहेगा।

15. यहोवा ने मूसा से जो कहा, उससे हम परमेश्‍वर के नाम के बारे में क्या सीखते हैं? (बक्स “यहोवा—एक ऐसा नाम जो गहरा मतलब रखता है” देखिए।)

15 यहोवा ने मूसा को अपने नाम के मतलब के बारे में और भी समझाया। जब उसने मूसा को अपने लोगों को मिस्र से आज़ाद कराने के लिए भेजा, तो बाइबल कहती है: “परमेश्‍वर ने मूसा से कहा: ‘मैं वह बन जाऊँगा जो मैं बनना चाहता हूँ’ [या, “मुझे जो साबित होना है वह मैं साबित हो जाऊँगा”]। फिर उसने कहा: ‘तू इसराएलियों से यह कहना, “मैं बन जाऊँगा ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है।”’” (निर्ग. 3:14, एन.डब्ल्यू.; फुटनोट) इसलिए किसी भी हालात में, अपने मकसद को पूरा करने के लिए यहोवा को जो बनना ज़रूरी है, वह बन जाएगा। इसराएलियों के लिए, यहोवा ने वह सब किया जो उसे एक छुड़ानेवाला, हिफाज़त करनेवाला, मार्गदर्शक और हर ज़रूरत पूरी करनेवाला बनने के लिए ज़रूरी था।

हम अपनी एहसानमंदी कैसे दिखाते हैं

16, 17. (क) हम यहोवा के नाम से कहलाए जाने के सम्मान के लिए अपनी एहसानमंदी कैसे दिखा सकते हैं? (ख) हम अगले लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

16 आज भी यहोवा अपने नाम पर खरा उतरा है। वह अपने लोगों की आध्यात्मिक और शारीरिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए जो ज़रूरी है, वह बन जाता है। मगर यहोवा नाम का मतलब सिर्फ इस पहलू तक सीमित नहीं कि वह अपने मकसद को पूरा करने के लिए जो बनना ज़रूरी है, वह बन सकता है। उसके नाम के मतलब में एक और पहलू भी शामिल है। वह क्या? अपना मकसद पूरा करने के लिए वह अपनी सृष्टि से भी जो ज़रूरी है वह करवा सकता है। मिसाल के लिए, वह अपना मकसद पूरा करने के लिए अपने साक्षियों का इस्तेमाल करता है। यह जानकर हमारा हौसला बढ़ना चाहिए कि हमें जो नाम दिया गया है, उस पर हम खरे उतरें। चौरासी साल के भाई कॉरा, जो पिछले 70 सालों से नॉर्वे में एक जोशीले प्रचारक रहे हैं, कहते हैं: “मैं महसूस करता हूँ कि युग-युग के राजा, यहोवा की सेवा करना और उन लोगों में शामिल होना, जो उसके पवित्र नाम से पहचाने जाते हैं, कितना बड़ा सम्मान है। साथ ही, लोगों को बाइबल की सच्चाइयाँ समझाना और जब वे उन सच्चाइयों को समझ जाते हैं, तो उनकी आँखों में खुशी की चमक देखना, हमेशा से एक बहुत बड़े सम्मान की बात रही है। उदाहरण के लिए, जब मैं लोगों को सिखाता हूँ कि मसीह का फिरौती बलिदान हमारी ज़िंदगी में क्या भूमिका निभाता है और कैसे उसके ज़रिए उन्हें नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है जिसमें अमन और न्याय का बसेरा होगा, तो इससे मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है।”

17 कुछ इलाकों में ऐसे लोगों को ढूँढ़ना मुश्‍किल होता है, जो यहोवा के बारे में सीखना चाहते हैं। लेकिन कॉरा की तरह, हमें बहुत खुशी होती है जब हमें कम-से-कम एक ऐसा व्यक्‍ति मिलता है, जो यहोवा के नाम के बारे में सीखना चाहता है। लेकिन हम यहोवा के साक्षी होने के साथ-साथ यीशु के गवाह कैसे हो सकते हैं? इस बारे में हम अगले लेख में चर्चा करेंगे।

यहोवा—एक ऐसा नाम जो गहरा मतलब रखता है

इस नाम का क्या मतलब है

  • “वह बनने का कारण होता है”

यह नाम सिर्फ उसी पर क्यों बिलकुल ठीक बैठता है

  • यहोवा ने ही सारी चीज़ें बनायी हैं

  • वह इस बात को पक्का करता है कि उसने जो भी करने की ठानी है, वह ज़रूर होगा

यह नाम हमें उसके बारे में क्या समझने में मदद देता है

  • अपने वादे पूरे करने के लिए उसे जो बनना ज़रूरी है, वह बन जाएगा

  • अपनी मरज़ी पूरी करने के लिए वह अपनी सृष्टि से जो ज़रूरी है वह करवाता है

  • अपने मकसद को पूरा करने के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जो वह नहीं कर सकता या नहीं करवा सकता

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें