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तरह-तरह के तोहफे

पहले पेज का विषय | सबसे बढ़िया तोहफा कौन-सा है?

सबसे अच्छे तोहफे की तलाश

एक अच्छा तोहफा ढूँढ़ना आसान नहीं है और फिर एक तोहफा कितना बढ़िया है, यह तो पानेवाला ही तय करता है। जो तोहफा किसी एक को पसंद आए, ज़रूरी नहीं कि वह दूसरे को भी पसंद आए।

उदाहरण के लिए, शायद एक नौजवान को लगे कि उसके लिए सबसे अच्छा तोहफा बाज़ार में आया नए किस्म का मोबाइल है। वहीं शायद एक आदमी कोई पुश्‍तैनी चीज़ पाकर बहुत खुश हो जाए, क्योंकि वह उसके लिए बहुत मायने रखती है। कुछ देशों में जवान और बुज़ुर्ग दोनों का मनपसंद तोहफा पैसा होता है, क्योंकि इसका वे जैसे चाहें इस्तेमाल कर सकते हैं।

अच्छा तोहफा ढूँढ़ना मुश्‍किल होने के बावजूद लोग अपने किसी अज़ीज़ के लिए एक ऐसा तोहफा तलाशते हैं, जो उसके लिए एकदम सही हो। माना कि इस तरह का तोहफा ढूँढ़ पाना हमेशा मुमकिन नहीं होता, फिर भी अगर आप कुछ बातों को ध्यान में रखें, तो एक अच्छा तोहफा ढूँढ़ने में आसानी होगी। आइए ऐसी चार बातें देखें, जिन्हें ध्यान में रखने से हम दूसरों को वह तोहफा दे सकते हैं जिससे उन्हें खुशी होगी।

तोहफा पानेवाले की चाहत। उत्तरी आयरलैंड के बेलफास्ट शहर में रहनेवाला एक आदमी बताता है कि जब वह 10-11 साल का था, तो उसे गियर वाली साइकिल तोहफे में मिली थी। उसने कहा कि यह उसकी ज़िंदगी का सबसे अच्छा तोहफा था। क्यों? वह कहता है, “क्योंकि मेरा बहुत मन था कि मुझे वह मिल जाए।” उसकी बात से पता चलता है कि एक व्यक्‍ति किसी तोहफे की कदर करेगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करता है कि उस चीज़ को पाने की उसे कितनी इच्छा है। तो आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसके बारे में सोचिए। यह जानने की कोशिश कीजिए कि उसके लिए कौन-सी चीज़ मायने रखती है, क्योंकि एक व्यक्‍ति जिस चीज़ की कदर करता है, वह वही पाना चाहेगा। जैसे, बुज़ुर्ग लोगों के लिए परिवार का साथ बहुत मायने रखता है। उनका मन करता है कि उनके बच्चे और नाती-पोते उनके साथ ज़्यादा-से-ज़्यादा वक्‍त बिताएँ। इस वजह से अगर परिवार के लोग उनके साथ मिलकर छुट्टियाँ बिताएँ, तो शायद उनके लिए यही सबसे बढ़िया तोहफा होगा।

एक व्यक्‍ति क्या चाहता है, यह जानने का सबसे अच्छा तरीका है, उसकी बातें ध्यान से सुनना। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “हर कोई सुनने में फुर्ती करे, बोलने में उतावली न करे।” (याकूब 1:19) अपने दोस्तों या रिश्‍तेदारों से बातचीत करते वक्‍त उनकी ध्यान से सुनिए, इससे आप उनकी पसंद-नापसंद जान पाएँगे। फिर आप उन्हें ऐसा तोहफा दे पाएँगे, जो उन्हें अच्छा लगेगा।

तोहफा पानेवाले की ज़रूरतें। अगर एक तोहफे से किसी की कोई ज़रूरत पूरी होती है, तो वह उसकी बहुत कदर करेगा, फिर चाहे वह तोहफा मामूली क्यों न हो। पर हम किसी की ज़रूरत के बारे में कैसे जान सकते हैं?

कई लोगों को लगता है कि इसका सबसे आसान तरीका है, उस व्यक्‍ति से पूछना कि उसे किस चीज़ की ज़रूरत है या वह क्या चाहता है। लेकिन कुछ लोग सोचते हैं कि किसी को उसकी ज़रूरत की चीज़ अचानक तोहफे में देने में जो मज़ा है, वह पूछकर देने में नहीं आएगा। कई बार ऐसा भी होता है कि लोग अपनी पसंद-नापसंद के बारे में तो खुलकर बात करते हैं, पर वे दूसरों को कभी नहीं बताते कि उन्हें किस चीज़ की ज़रूरत है।

ऐसे में आप क्या कर सकते हैं? आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसके हालात पर ध्यान दीजिए। जैसे, क्या वह जवान है या बुज़ुर्ग, अविवाहित है या शादीशुदा? क्या उसका तलाक हुआ है? क्या उसके साथी की मौत हो गयी है? या क्या वह रिटायर हो चुका है? फिर सोचिए कि इस तरह के व्यक्‍ति को आम तौर पर किस चीज़ की ज़रूरत होती है।

आप जिसे तोहफा देना चाहते हैं, उसकी ज़रूरत जानने के लिए उन लोगों से बात कीजिए, जो उसके जैसे हालात का सामना कर चुके हैं या कर रहे हैं। वे शायद आपको वे बातें बताएँ, जो आम तौर पर लोगों को नहीं पता होतीं। तब शायद आप उन्हें ज़रूरत की कोई ऐसी चीज़ दे पाएँगे, जिसके बारे में दूसरों ने नहीं सोचा होगा।

सही वक्‍त। पवित्र शास्त्र में लिखा है, “सही वक्‍त पर कही गयी बात क्या खूब होती है!” (नीतिवचन 15:23) सच में, सही वक्‍त पर कही गयी बात बहुत मायने रखती है। हमारे कामों के बारे में भी यही कहा जा सकता है। जैसे सही वक्‍त पर कही गयी बात सुननेवाले को भा जाती है, वैसे ही सही वक्‍त या मौके पर दिया गया तोहफा एक व्यक्‍ति का दिल खुश कर सकता है।

कुछ लोग साल-भर में होनेवाले खास मौकों को लिखकर रखते हैं। जैसे, दोस्त की शादी कब होनेवाली है, एक नौजवान स्कूल की पढ़ाई कब पूरी करनेवाला है, फलाँ रिश्‍तेदार के यहाँ कब बच्चा होनेवाला है। इस तरह वे पहले से सोच पाते हैं कि किस मौके पर कौन-सा तोहफा देना सही रहेगा।a

बेशक यह ज़रूरी नहीं कि आप सिर्फ खास मौकों पर ही लोगों को तोहफे दें, आप किसी भी वक्‍त ऐसा करके वह खुशी पा सकते हैं, जो देने से मिलती है। लेकिन तोहफा देने के मामले में हमें थोड़ा सावधान रहना चाहिए। अगर एक आदमी किसी औरत को यूँ ही तोहफा देता है, तो उस औरत को लग सकता है कि उस आदमी को उसमें दिलचस्पी है और उससे नज़दीकियाँ बढ़ाना चाहता है। अगर ऐसा कोई इरादा नहीं है, तो तोहफा देने से गलतफहमी पैदा हो सकती है या बेवजह समस्या खड़ी हो सकती है। यह बात एक और पहलू पर हमारा ध्यान ले जाती है, वह है तोहफा देनेवाले के इरादे।

तोहफा देनेवाले के इरादे। जैसे हमने देखा, किसी को तोहफा देने से पहले यह सोचना अच्छा होता है कि कहीं वह हमारे इरादों को गलत न समझ बैठे। वहीं हमें भी यह सोचना चाहिए कि हम क्यों किसी को तोहफा दे रहे हैं। वैसे तो तोहफा देनेवाले ज़्यादातर लोग सोचते हैं कि वे नेक इरादे से दे रहे हैं, लेकिन असल में कई बार लोग खास मौकों पर बस इसलिए तोहफा देते हैं कि उनसे इसकी उम्मीद की जाती है। कुछ लोग इस इरादे से किसी को तोहफा देते हैं कि वह उनसे अच्छी तरह पेश आएगा या बदले में उन्हें भी कुछ मिलेगा।

तो फिर आप कैसे जान सकते हैं कि आपके इरादे नेक हैं या नहीं? पवित्र शास्त्र में लिखा है, “तुम्हारे बीच सारे काम प्यार से किए जाएँ।” (1 कुरिंथियों 16:14) अगर आप किसी को प्यार की वजह से तोहफा देते हैं, तो उसे तोहफा पाकर ज़रूर खुशी होगी और इस तरह उदार होने से आपको और भी ज़्यादा खुशी होगी। जब आप सच्चे मन से किसी को कुछ देते हैं, तो परमेश्‍वर का भी दिल खुश होता है। ऐसा ही कुछ प्राचीन कुरिंथ शहर के मसीहियों ने किया था। पहली सदी में इन मसीहियों ने मुसीबत की घड़ी में यहूदिया के मसीहियों की मदद की थी, इसलिए यीशु के एक शिष्य पौलुस ने कुरिंथ के मसीहियों की तारीफ की और उनसे कहा, “परमेश्‍वर खुशी-खुशी देनेवाले से प्यार करता है।”—2 कुरिंथियों 9:7.

हमने जिन बातों पर गौर किया, उन्हें ध्यान में रखकर किसी को तोहफा देने से हम उसका दिल खुश कर सकते हैं। दरअसल परमेश्‍वर ने भी इस तरह की कई बातों को ध्यान में रखकर इंसानों को ऐसा तोहफा दिया, जो अब तक का सबसे बढ़िया तोहफा है। क्या आप जानना चाहेंगे कि वह बेमिसाल तोहफा क्या है? क्यों न अगला लेख पढ़ें!

a कई लोग जन्मदिन या त्योहारों वगैरह पर भी दूसरों को तोहफे देते हैं। लेकिन अकसर इन मौकों पर ऐसे रीति-रिवाज़ माने जाते हैं, जो पवित्र शास्त्र बाइबल की शिक्षाओं के खिलाफ हैं। इस पत्रिका में दिया लेख, “आपके सवाल—क्या मसीहियों को क्रिसमस मनाना चाहिए?” पढ़िए।

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