क्षेत्र सेवा में तन-मन से कार्य करें
भाग २: उत्साह को बढ़ाना
जब हम किसी कार्य में आनन्द लेते हैं तब उसके बारे में उत्साही होना ज़्यादा आसान है। और यह आम तौर से सच भी है कि एक व्यक्ति वह करने में आनन्द लेता है जिसके लिए वह तैयार है। निश्चय ही यह हमारी सेवकाई को पूर्ण रूप से पूरा करने में भी सच है।—२ तीमु. ४:५
तैयारी आवश्यक है
२ हम ने कितनी अच्छी तरह से तैयारी की है और सेवा में कितने अक्सर जाते हैं, ये बातें क्षेत्र सेवकाई में हमारे उत्साह से परस्पर संबद्ध है। उदाहरणार्थ, अगर हम घर-घर की सेवकाई में ऐसे किसी व्यक्ति से मिलते हैं, जो अपनी पहचान एक मुस्सलमान के तौर से करता है, तो हम क्या कह सकते हैं? जो प्रचारक अच्छी तरह से तैयार है, वह शायद कह सकता है: “यह बड़ी दिलचस्प बात है। मैं ने अनेक मुस्सलमानों से बातचीत की है। हाल ही, मैं इस किताब में से आपके मज़हब की कुछ सीखों के बारे में पढ़ रहा था। [रीज़निंग पुस्तक के पृष्ठ २३ को खोलें।] इस में कहा गया है कि आप मानते हैं कि ईसा एक नबी थे पर यह भी कि मुहम्मद आख़री और सबसे अहम नबी थे। है ना? [जवाब के लिए समय दें।] क्या आप यह भी मानते हैं कि मूसा एक सच्चे नबी थे? [जवाब के लिए समय दें, जो कि शायद “हाँ” में होगा।] क्या मैं आपको पवित्र बाइबल में से दिखा सकता हूँ कि मूसा ने ख़ुदा से ही ख़ुदा के निजी नाम के बारे में क्या सीखा?” आप फिर निर्गमन ६:३ पढ़ सकते हैं। इस तरह, आप शायद एक दिलचस्प बातचीत शुरु कर सकेंगे।
३ हम में से अनेक लोगों के लिए विशेष पृष्ठों के नंबर याद रखना मुश्किल है। लेकिन थोड़ी से तैयारी और अभ्यास के साथ, हम उस हिस्से को इस्तेमाल कर सकते हैं जिसका शीर्षक है “बातचीत को रोकनेवाली बातें,” जो कि रीज़निंग किताब की शुरुआत में है। उस भाग में जानकारी के कई पन्ने हैं जिस में से हमें उन लोगों को जवाब देने के लिए मदद मिलती है, जो किसी विशेष मज़हब से जुड़े हुए हैं।
४ रीज़निंग किताब में प्रस्तावनाओं के विषय पर भी एक बढ़िया हिस्सा है। क्यों न आप अपनी प्रस्तावनाओं को इन के अनुरूप करें? हमें शायद परिस्थिति के अनुसार अपनी प्रस्तुतीकरणों को अनुकूल बनाना पड़ेगा। रीज़निंग पुस्तक में अनेक विषयों के आख़री हिस्से में, एक ऐसा हिस्सा है जिसका शीर्षक है “यदि कोई कहे,” और जिस में उस विषय से संबंधित विशिष्ट प्रश्नों या आपत्तियों के जवाब देने के लिए सुस्पष्ट बातें दी गयी हैं। बहरहाल, ये सारी बढ़िया जानकारी सिर्फ़ उसी हद तक मूल्यवान है, जिस हद तक हम इसे अपनी तैयारी में इस्तेमाल करते हैं।
किस तरह तैयारी की जा सकती है
५ ऐसी किसी भी किताब के विषय में सतर्क रहें, जिस पर सेवा की सभा में विचार-विमर्श किया जानेवाला है, और इन्हें अपने साथ रखें ताकि आप विचार-विमर्शों और प्रदर्शनों के दौरान इन में देख सकते हैं। इस रीति से, आप दूसरों की तैयारी से अधिक पूर्ण रूप से फ़ायदा उठा सकते हैं।
६ सेवा के लिए तैयारी करने में कुछ समय बिताना फ़ायदेमन्द है। यह निश्चित करें कि आपने वह सारा साहित्य ले लिया है जिसकी आप को ज़रूरत हो। कुछ मिनट वार्तालाप के विषय पर विचार करने के लिए लें। इस्तेमाल किए गए शास्त्रपदों पर पुनर्विचार करें, और जो साहित्य पेश किया जाएगा, उस में से विशेष बातचीत के मुद्दों की जाँच करें। यह एक परिवार के रूप में करना मददपूर्ण हो सकता है।
७ अभ्यास करने के लिए समय रखें। आप विविध समयों पर अभ्यास कर सकते हैं—मण्डली के पुस्तक अध्ययन के बाद, मसीही पार्टियों में, गाड़ियों में एक साथ सफ़र करते समय, और घर-घर की सेवा में एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े के पास जाते समय। प्रस्तुति देना, और विचार-विमर्श करना तथा किस तरह आपत्तियों से निपटना है, इसे प्रदर्शित करना काफ़ी मज़ेदार हो सकता है और ये हमारी कुशलता को अधिक तेज़ करने के लिए अच्छे मौक़े हैं।
८ अध्यवसायी रूप से तैयारी करने से सेवकाई के लिए हमारा उत्साह इतना बढ़ेगा कि हम कुशल कार्यकर्ता बन सकते हैं और हर्षमय संतोष का फल पा सकते हैं।—यूहन्ना २:१७.