मण्डली की पुस्तक अध्ययन व्यवस्था
भाग ३: क्षेत्र सेवकाई के लिए एक केंद्र
समूह अध्ययन करने के लिए एक जगह होने के अलावा, मण्डली के पुस्तक अध्ययन का स्थान क्षेत्र सेवकाई के लिए मिलने की जगह के तौर से भी काम आ सकता है। ऐसी सभाओं के लिए नियत समय अधिकांश प्रचारकों के लिए सुविधाजनक होने चाहिए, और इन सभाओं में प्रचारकों को क्षेत्र सेवा के लिए संघटित होने में व्यावहारिक सहायता दी जानी चाहिए।
२ अध्ययन और सेवा के लिए उचित रूप से संघटित समूहों से आध्यात्मिकता बढ़ती है। प्रोत्साहन से और ऐसे विषयों पर दिए सुझावों से किस का फ़ायदा नहीं हुआ है, जैसा किस तरह आपत्तियों से निपटना है, किस तरह बातचीत शुरू करना है, किस तरह बाइबल अध्ययन का प्रस्ताव रखना है, या पुनःभेंट में क्या कहना है? पुस्तक अध्ययन स्थान में मिलनेवाले संगी प्रचारक और पायनियर इसी प्रकार की सहायता देते हैं।—गल. ६:९, १०.
३ संचालक की भूमिका: मण्डली का पुस्तक अध्ययन संचालक नेतृत्व करता है और समूह के कार्य को सुव्यवस्थित करने की ज़िम्मेदारी उस पर होती है। वह प्रचारकों के साथ नियमित रूप से क्षेत्र में कार्य करता है। (१ पत. ५:२, ३) सेवा के लिए अच्छी तरह से तैयार की गयी सभाओं से ऐसी धर्मशास्त्रीय और व्यावहारिक सलाह मिलती है जिस से समूह क्षेत्र सेवा के लिए तैयार होता है। सामान्यतः बेहतर है कि क्षेत्र सेवा की सभा के लिए प्रत्येक पुस्तक अध्ययन समूह का अपना-अपना स्थान हो, बजाय इसके कि सभी समूह एक ही स्थान में इकट्ठा मिले। परन्तु, अगर ज़रूरी हो तो दो छोटे समूहों को मिलाया जा सकता है। जब क्षेत्र सेवा प्रहरीदुर्ग अध्ययन के बाद होती है, तब क्षेत्र सेवा की सभा को संक्षिप्त होना चाहिए। उसके बाद, प्रत्येक पुस्तक अध्ययन संचालक अपने-अपने समूह की देख-रेख करेगा।
४ क्षेत्र सेवा के लिए सुसंगत प्रबन्ध सेवकाई में नियमित हिस्सेदारी प्रोत्साहित करते हैं। अगर सेवा के लिए सभाएँ नियत समय और स्थान पर आयोजित की जाती हैं, तो प्रचारक उसके मुताबिक़ योजना बनाते हैं, इस ज्ञान से प्रोत्साहित होकर कि कार्य करने के लिए क्षेत्र होगा और दूसरे लोग भी होंगे। (लूका १०:१ से तुलना करें।) जब अध्ययन संचालक उपस्थित नहीं हो सकता है, तब भी वह क्षेत्र देता है और समूह के लिए प्रबन्ध करता है। (om पृष्ठ ४४-५) अगर सेवा की सभा को संचालित करने के लिए कोई योग्य भाई मौजूद न हो, तो संचालक किसी बहन को ऐसा करने के लिए नियुक्त कर सकता है। (om पृष्ठ ७७-८; km ४/८८ पृष्ठ ३) कोई गड़बड़ नहीं होती जब समूह नियमित रूप से अपनी प्रायिक जगह में सेवा के लिए एकत्र होता है। अगर संभव हो तो इस विषय में कोई अस्थायी समंजन एक हफ़्ते पहले ही घोषित किए जाने चाहिए।
५ सहयोग ज़रूरी है: हर एक व्यक्ति को क्षेत्र सेवकाई के विभिन्न पहलुओं में एक अर्थपूर्ण हिस्सा लेने की कोशिश करनी चाहिए। प्रचारक ऐसी असली आपत्तियों तथा परिस्थितियों का इस्तेमाल करते हुए, जो स्थानीय क्षेत्र में संभव रूप से उत्पन्न हो सकती हैं, प्रैक्टिस सत्रों में एक साथ तैयारी करने में पहल कर सकते हैं। —नीति. २७:१७.
६ क्या आप चाहेंगे कि एक अनुभवी प्रचारक आपको शिष्य-बनाने के काम में ज़्यादा निपुण बनने की मदद करे? अगर आप चाहते हैं, तो अपने मण्डली पुस्तक अध्ययन संचालक से बात करें। वह शायद प्रबन्ध कर सकता है कि कोई योग्य प्रचारक आपकी सहायता करेगा। इसका फ़ायदा उठाने के लिए, प्राप्त सुझावों पर अध्यवसाय से अमल करें और अगर किसी से मिलने का समय नियत किया गया है, तो उससे मिलें।
७ जो लोग पुस्तक अध्ययन संचालक द्वारा सहायता करने के लिए नियुक्त किए जाते हैं, उन्हें मददपूर्ण होना चाहिए और अपनी अपेक्षाओं में सन्तुलित होना चाहिए। अनुभव से देखा गया है कि जिन लोगों को क्षेत्र सेवा के बारे में एक सकारात्मक और सन्तुलित दृष्टिकोण है, वे दूसरों को प्रशिक्षण देने के लिए सबसे योग्य हैं। (km ८/७९ पृष्ठ ३-४; km ९/७९ पृष्ठ ३-४) जब भी प्रगति की जाती है, तब प्रशंसा हमेशा दी जानी चाहिए। फिर दूसरे लक्ष्य बनाए जा सकते हैं।—लूका १९:१७-१९ से तुलना करें।
८ सुसमाचार प्रचार करने और शिष्य बनाने में प्रभावकारी बनने के लिए हम एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं। दुनिया की बदतर होनेवाली परिस्थितियाँ इस काम की अत्यावश्यकता को प्रमाणित करती हैं। जानें सम्बद्ध हैं, और यहोवा एकत्र करने के काम को तेज़ कर रहे हैं। (यशा. ६०:२२) जैसे-जैसे हम हमें दी गयी सेवकाई को ध्यान में रखते हैं, वैसे-वैसे हम अपना नियत कार्य पूर्ण रूप से पूरा करने के लिए अपने मण्डली के पुस्तक अध्ययन समूह के साथ निकटता से काम करेंगे और साथ ही एक दूसरे को प्रेरित और प्रोत्साहित करते रहेंगे।—रोम. १२:६-८; २ तीमु. ४:१, २, ५.