निश्चित रूप से वापस जाएँ
सुसमाचार प्रचारकों के तौर से, हमें शिष्य बनाने का आदेश दिया जाता है। (मत्ती २८:१९, २०) पुनःभेंट करना हमारे शिष्य बनाने के कार्य का एक अहम हिस्सा है। हम पूरी तरह समझते हैं कि जानें सम्बद्ध हैं, इसलिए हम आरंभ में दिखायी गयी दिलचस्पी को विकसित करने की हर कोशिश करना चाहते हैं।
२ हमें ऐसे हर व्यक्ति को पुनःभेंट के योग्य समझना चाहिए जिसने हम से कोई साहित्य लिया है। फिर भी, साहित्य देना ही पुनःभेंट करने का एकमात्र आधार होना नहीं चाहिए। अनेक लोग बाइबल के सन्देश पर विचार-विमर्श करने के लिए तैयार हैं लेकिन साहित्य लेने से इनकार कर देते हैं। तो अगर हमें पता लगे कि कुछ दिलचस्पी है, तो हमें बेशक वापस जाकर उसे विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए।
३ साहित्य देने के बाद का काम: चूँकि दिया गया साहित्य पुनःभेंटों की संख्या से कहीं अधिक है, सुधार करने की बड़ी गुंजाइश है। एक पायनियर ने एक किताब दे दी लेकिन गृहस्थ की ओर से बहुत ही कम दिलचस्पी ग़ौर की। एक दिन दोपहर को अपने दूसरी सारी पुनःभेंटों को करने के बाद, भाई ने इस व्यक्ति को भेंट करने का निर्णय लिया। एक बाइबल अध्ययन शुरू किया गया।
४ एक भाई ने किसी आदमी को दो पत्रिकाएँ दे दीं लेकिन यह सोचकर उसके बारे में भूल गया, कि असल में उस ने बहुत दिलचस्पी नहीं दिखायी थी। चन्द दिनों बाद, उस आदमी ने स्थानीय मण्डली को चिट्ठी लिखकर बपतिस्मा के लिए दरख़्वास्त की। एक मिशनरी बहन से पूछा गया कि उसकी राय में उसका ७४ लोगों को प्रचारक बनने की मदद करने में सबसे उल्लेखनीय तत्त्व क्या था। उसने कहा: “हम ने बहुत सारा पत्रिका कार्य किया, और मैं पत्रिकाएँ स्वीकार करनेवालों से उस वक़्त तक पुनःभेंट करती रही, जब तक मैं उनके साथ बाइबल अध्ययन शुरू न कर सकी।”
५ कभी-कभी प्रारम्भिक भेंट में हम शायद गृहस्थ को सिर्फ़ एक ट्रैक्ट दे सकेंगे। अकसर, पुनःभेंट करते समय एक बाइबल अध्ययन का निदर्शन करने के लिए ट्रैक्टों को प्रभावकारी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है। एक सर्किट ओवरसियर ने किसी प्रचारक के साथ काम करते समय, एक औरत को एक ट्रैक्ट दे दिया। यह एक छोटी-सी मुलाक़ात थी, लेकिन उन्होंने बहन को वापस जाने का प्रोत्साहन दिया। उस बहन ने पुनःभेंट की और फ़ौरन ही एक बाइबल अध्ययन को शुरू किया।
६ जब दिलचस्पी दिखायी जाती है: जब गृहस्थ पहली मुलाक़ात में साहित्य नहीं लेता, तो इसका हमेशा यह मतलब नहीं होता कि उसे कोई दिलचस्पी नहीं। एक जवान दम्पति को पुनःभेंट करने में, एक प्रचारक ने पाया कि उनके पास पहले ही हमारा कुछ साहित्य था और उन्होंने पहले अध्ययन भी किया था। वे अपना अध्ययन फिर से शुरू करने के लिए फ़ौरन राज़ी हो गए। एक ख़ास पायनियर को भान हुआ कि एक औरत में अप्रकट दिलचस्पी थी, जो कि हमेशा ही पत्रिकाएँ स्वीकार करने से इनकार कर देती थी। पायनियर ने पत्रिकाओं को एक तरफ़ रखा, और वह औरत एक पुस्तिका में से चन्द परिच्छेदों पर विचार-विमर्श करने को राज़ी हो गयी। चन्द और मुलाक़ातों के बाद, वे हफ़्ते में दो बार बाइबल अध्ययन कर रही थी।
७ हर व्यक्ति, जो अपने आप को यहोवा के प्रति समर्पित करता है, उसे शिष्य बनाने के कार्य में हिस्सा लेने का एक दायित्व महसूस होना चाहिए। जैसे-जैसे हम नियमित रूप से उन सभी लोगों को पुनःभेंट करेंगे, जो दिलचस्पी दिखाते हैं, हम ऐसा फल काटेंगे, जिस से न सिर्फ़ हमें, लेकिन ‘हमारे सुननेवालों को भी’ प्रचुर आशीषें प्राप्त होंगी।—१ तीमुथियुस ४:१६.