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प्रश्‍न पेटी

▪क्या दूसरों को वितरण करने के लिए सोसाइटी के प्रकाशनों को दोबारा उत्पन्‍न करना उचित है?

सालों से, सोसाइटी ने बाइबल ज्ञान के क़रीबन हर पहलू से संबंधित विभिन्‍न प्रकाशन उत्पन्‍न की है। जिन व्यक्‍तियों ने हाल के सालों में सच्चाई सीखी है, वे शायद महसूस करेंगे कि अतीत में प्रकाशित विषय और सोसाइटी के ज़रिये अब दुर्लभ्य प्रकाशनों का लाभ प्राप्त करने से वे चूक गए हैं। पुराने प्रकाशनों की कापियाँ प्राप्त करने के लिए कई व्यक्‍तियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है, और अन्य जनों ने सोसाइटी के प्रकाशनों को दोबारा उत्पन्‍न करने की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है और विभिन्‍न तरीक़ों से इसे उपलब्ध करते हैं। इस में प्रकाशनों को वास्तविक पुनर्मुद्रण और साथ ही कम्प्यूटर पुनरुत्पादन शामिल हैं। कुछ मामलों में तो यह आर्थिक लाभ के लिए किया गया है।

विश्‍वासयोग्य “दास” हमारी आध्यात्मिक आवश्‍यकताओं से अवगत है और “समय पर” प्रबंध करता है। (मत्ती २४:४५) जब अतीत में प्रकाशित किए गए विषयों को दोबारा प्रकाशित करने की ज़रूरत पड़ी है, तब सोसाइटी ने इसके लिए इंतज़ाम किया है। उदाहरण के लिए, १९६० से १९८५ तक द वॉचटावर के सजिल्द खण्ड पुनर्मुद्रित किए गए हैं और सबको उपलब्ध कराए गए हैं। तथापि, जब व्यक्‍ति ऐसे विषय का पुनरुत्पादन और वितरण करने में ख़ुद-ब-ख़ुद पहल करते हैं, तब अनावश्‍यक समस्याएँ विकसित हो सकती हैं।

जब यह विषय आर्थिक लाभ के लिए पुनरुत्पादित और वितरित किए जाते हैं तब गंभीर मुश्‍किलें पैदा होती हैं। जुलाई १९७७ की अवर किङ्‌गडम सर्विस के प्रश्‍न पेटी में कहा गया था: “राज्यगृह, कलीसिया के पुस्तक अध्ययनों, और यहोवा के लोगों के सम्मेलनों में व्यापारिक लाभ के लिए किसी सामान की बिक्री या सेवा को चाहे प्रवर्तित करने या विज्ञापित करने के द्वारा ईश्‍वरशासित साहचर्य का अनुचित लाभ नहीं उठाना चाहिए। यह हमें आध्यात्मिक बातों को योग्य पूरा ध्यान देने में और व्यापारिक गतिविधि को सही स्थान में रखने में सहायता देगा।” इसलिए, जब परमेश्‍वर के वचन या उससे संबंधित मामलों को व्यापारिक बनाने का सवाल उठता है तब यह महत्त्वपूर्ण है कि हम लाभ-मनस्क बनने से बचे रहें।

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