चलनेवाले बनिए—केवल सुननेवाले नहीं
आज सच्चे मसीही बाइबल की इस सलाह को गंभीरतापूर्वक लेते हैं, कि वचन पर चलनेवाले बनो, केवल सुननेवाले नहीं। (याकू. १:२२) यह उनको ऐसे लोगों से ठीक विषमता में रखता है जो, यद्यपि मसीही होने का दावा करते हैं, परमेश्वर की केवल दिखावटी सेवा करते हैं। (यशा. २९:१३) यीशु ने स्पष्ट कहा कि केवल वही जो परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं उद्धार पाएँगे।—मत्ती ७:२१.
२ ईश्वरीय कार्यों के बिना उपासना अर्थहीन है। (याकू. २:२६) सो हमें अपने आपसे पूछना चाहिए, ‘मेरे कार्य कैसे साबित करते हैं कि मेरा विश्वास सच्चा है? क्या दिखाता है कि मैं सचमुच अपने विश्वास के सामंजस्य में जीता हूँ? मैं यीशु का अनुकरण और पूर्णता से कैसे कर सकता हूँ?’ इन सवालों के सच्चे जवाब हमें यह देखने में मदद करेंगे कि हमने परमेश्वर की इच्छा पर चलने में कितनी प्रगति की है या अब भी करने की ज़रूरत है।
३ यीशु के अनुयायियों के तौर पर, जीवन में हमारा मुख्य लक्ष्य वही होना चाहिए जो भजनहार ने व्यक्त किया: “हम परमेश्वर की बड़ाई दिन भर करते रहते हैं, और सदैव तेरे नाम का धन्यवाद करते रहेंगे।” (भज. ४४:८) मसीहियत एक ऐसी जीवन-रीति है जो प्रतिदिन और प्रत्येक कार्य जो हम करते हैं उसमें व्यक्त होती है। हम क्या ही तृप्ति पाते हैं जब हम अपने सभी कार्यों में यहोवा की स्तुति करने की हमारी हार्दिक इच्छा को प्रदर्शित करते हैं!—फिलि. १:११.
४ यहोवा को स्तुति देने में एक खरा जीवन जीने से ज़्यादा अंतर्ग्रस्त है: अगर परमेश्वर केवल उत्तम आचरण की माँग करता, तो हम केवल अपने व्यक्तित्व को परिष्कृत करने पर ध्यान लगा सकते थे। लेकिन, हमारी उपासना में यहोवा के गुणों को प्रकट करना और उसके नाम की सार्वजनिक घोषणा करना भी अंतर्ग्रस्त है!—इब्रा. १३:१५; १ पत. २:९.
५ जो सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य हम करते हैं उनमें से एक है सुसमाचार का सार्वजनिक प्रचार कार्य। यीशु ने स्वयं को इस कार्य के लिए समर्पित किया क्योंकि वह जानता था कि जो सुनते उनके लिए इसका अर्थ था अनन्त जीवन। (यूह. १७:३) आज, “वचन की सेवा” उतनी ही महत्त्वपूर्ण है; केवल यही एक माध्यम है जिसके द्वारा लोगों का उद्धार हो सकता है। (प्रेरि. ६:४; रोमि. १०:१३) व्यापक लाभों के एहसास के साथ, हम समझ सकते हैं कि पौलुस ने हमें क्यों सलाह दी कि “वचन का प्रचार कर” और “इसे अत्यावश्यकता से करने में लगा रह।”—२ तीमु. ४:२, NW.
६ यहोवा की स्तुति करने के कार्य को हमारे जीवन में कितना समय लेना चाहिए? भजनहार ने कहा कि वह दिन भर इसके बारे में सोचता रहता था। क्या हम ऐसा ही महसूस नहीं करते? जी हाँ, और हम दूसरे व्यक्ति के साथ हर सम्पर्क को यहोवा के नाम के बारे में बताने का एक संभव अवसर समझेंगे। हम आध्यात्मिक बातों की ओर अपनी बातचीत को मोड़ने के लिए उचित अवसर ढूँढेंगे। हम कलीसिया द्वारा आयोजित क्षेत्र सेवा गतिविधियों में नियमित रूप से भाग लेने का भी प्रयास करेंगे। जिनकी परिस्थितियाँ अनुमति देती हैं वे पायनियर सेवा के बारे में गंभीरतापूर्वक सोच सकते हैं, क्योंकि यह प्रचार कार्य को प्रतिदिन हमारे जीवन में सर्वप्रथम रखने के लिए हमारी मदद करता है। परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि परमेश्वर की इच्छा पर सतत चलनेवाले होने के द्वारा हम ख़ुश होंगे।—याकू. १:२५.