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  • यहोवा असीम सामर्थ देता है
  • हमारी राज-सेवा—1998
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हमारी राज-सेवा—1998
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यहोवा असीम सामर्थ देता है

यीशु के सभी शिष्यों को पवित्र सेवा का एक बेशक़ीमती विशेषाधिकार—मसीही सेवकाई—सौंपा गया है। (मत्ती २४:१४; २८:१९, २०) लेकिन मानवी अपरिपूर्णता और इस रीति-व्यवस्था के दबाव की वज़ह से हम कभी-कभार अपने आपको शायद बहुत ही अयोग्य समझें।

२ जब ऐसा होता है, तब हम कुरिन्थ के अभिषिक्‍त मसीहियों को लिखी प्रेरित पौलुस की पत्री से सांत्वना पा सकते हैं। उसने लिखा: “हमारे पास यह धन मिट्टी के बरतनों में रखा है।” (२ कुरि. ४:७) पौलुस विश्‍वस्त था: “इसलिये जब . . . हमें यह सेवा मिली, तो हम हियाव नहीं छोड़ते।” (२ कुरि. ४:१) सच है, सुसमाचार का प्रचार करते रहना और ‘हियाव नहीं छोड़ना’ हम सब के लिए एक चुनौती है, चाहे हम अभिषिक्‍त हों या “अन्य भेड़।” हमें परमेश्‍वर से, जो “असीम सामर्थ” देता है, शक्‍ति प्राप्त करने की ज़रूरत है।—यूह. १०:१६, NW; २ कुरि. ४:७ख।

३ यह प्रोत्साहन की बात है कि अनेक साक्षी तीव्र विरोध, गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं, या सीमित धन से संघर्ष करते रहने के बावजूद जोशीले सुसमाचार प्रचारक हैं। हम सब को यह समझना ज़रूरी है कि प्रचार करने की हमारी नियुक्‍ति पर यहोवा का समर्थन है। निरुत्साह या आशंका की वज़ह से प्रचार करने के अपने दृढ़संकल्प को कमज़ोर होने देने के बजाय, आइए हम ‘प्रभु में और उस की शक्‍ति के प्रभाव में बलवन्त बनते जाएँ।’—इफि. ६:१०; नीति. २४:१०.

४ परमेश्‍वर की सामर्थ कैसे प्राप्त करें: परमेश्‍वर से मदद व शक्‍ति माँगते हुए प्रार्थना में लगे रहिए। (रोमि. १२:१२; फिलि. ४:६, ७) फिर, अपने पूरे दिल से, यहोवा पर भरोसा रखिए कि वह असीम सामर्थ प्रदान करेगा। (नीति. ३:५) हमारी पत्रिकाओं में दी गयी आज की जीवन-कहानियाँ पढ़िए, क्योंकि वे इस बात का सबूत देती हैं कि परीक्षाओं को सहन करने में यहोवा आज अपने सेवकों की मदद कर रहा है। कलीसिया में भाइयों के साथ नज़दीकी रिश्‍ता रखिए, और कलीसिया सभाओं में जाने से मत चूकिए।—रोमि. १:११, १२; इब्रा. १०:२४, २५.

५ ऐसा हो कि हम सब यहोवा की सामर्थ पाने के योग्य होने के लिए अपना भरसक प्रयास करें—ऐसी सामर्थ जो असीम है और जो राज्य प्रचार के सर्व-महत्त्वपूर्ण कार्य में हियाव न छोड़ने में हमारी मदद करेगी।

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