स्वामी की संपत्ति की देखरेख करना
बाइबल समय में भंडारी पर बहुत भरोसा किया जाता था। इब्राहीम ने अपने पुत्र इसहाक के लिए पत्नी ढूँढ़ने का काम अपने भंडारी को सौंपा। (उत्प. २४:१-४) दरअसल, यह निश्चित करना भंडारी की ज़िम्मेदारी थी कि इब्राहीम का वंश चलता रहे। क्या ही बड़ी ज़िम्मेदारी! इसीलिए प्रेरित पौलुस ने कहा: “भण्डारी में यह बात देखी जाती है, कि विश्वास योग्य निकले”!—१ कुरि. ४:२.
मसीही भंडारीपन
२ बाइबल में मसीही सेवकाई के कुछ पहलुओं को भंडारीपन कहा गया है। उदाहरण के लिए प्रेरित पौलुस ने इफिसियों से कहा कि ‘परमेश्वर के अनुग्रह का प्रबन्ध [भंडारीपन] जो तुम्हारे लिये मुझे दिया गया है।’ (इफि. ३:२; कुलु. १:२५) अन्यजातियों में सुसमाचार प्रचार करने के काम को उसने एक भंडारी का काम समझा जिसे उसे विश्वासयोग्य रीति से पूरा करना था। (प्रेरि. ९:१५; २२:२१) प्रेरित पतरस ने अपने अभिषिक्त भाइयों को लिखा: “बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो। जिस को जो बरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।” (१ पत. ४:९, १०; इब्रा. १३:१६) पहली शताब्दी के मसीहियों के पास भौतिक रूप से जो कुछ था, वह यहोवा के अपात्र-अनुग्रह से ही था। इसलिए वे उन वस्तुओं के भंडारी थे और जैसा मसीहियों के लिए उचित है उन्हें उसी तरह इनका इस्तेमाल करना था।
३ आज यहोवा के साक्षी भी बातों को उसी नज़रिए से देखते हैं। उन्होंने खुद को यहोवा परमेश्वर के लिए समर्पित किया है इसलिए जो भी उनके पास है—उनका जीवन, उनकी शारीरिक शक्ति, उनकी भौतिक चीज़ें—वे उसे “परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह” का फल समझते हैं। एक भले भंडारी के नाते जिस तरह से वे इन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं, इसके लिए अपने आपको यहोवा परमेश्वर के सामने जवाबदेह समझते हैं। इसके अलावा उन्हें सुसमाचार का ज्ञान दिया गया है। यह भी एक अमानत है और वे इस ज्ञान का इस्तेमाल सबसे उत्तम तरीके से करना चाहते हैं: यहोवा के नाम की महिमा करने और दूसरों को सच्चाई का ज्ञान देने के लिए।—मत्ती २८:१९, २०; १ तीमु. २:३, ४; २ तीमु १:१३, १४.
४ यहोवा के साक्षी भंडारियों के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियाँ कैसे निभा रहे हैं? वार्षिक रिपोर्ट बताती है कि संसार भर में, पिछले एक ही साल में इन्होंने ‘राज्य का सुसमाचार’ प्रचार करने के लिए एक अरब से भी ज़्यादा घंटे बिताए और दिलचस्पी लेनेवाले ४५,००,००० से भी अधिक लोगों के साथ गृह-बाइबल अध्ययन संचालित किए। (मत्ती २४:१४) विश्वव्यापी काम के लिए इनके उदार अंशदानों और स्थानीय राज्यगृह की सहायता करने से, सफरी ओवरसियरों और दूसरों को पहुनाई दिखाने तथा खास ज़रूरतमंदों—जैसे की युद्ध में हुए शिकारों—की दिल खोलकर मदद करने से यहोवा के भंडारी के रूप में इनकी विश्वसनीयता नज़र आती है। एक समूह के रूप में सच्चे मसीही अपने स्वामी की संपत्ति की देखरेख अच्छी तरह से कर रहे हैं।
“विश्वास-योग्य और बुद्धिमान भण्डारी”
५ भंडारीपन की ज़िम्मेदारी मात्र एक व्यक्ति पर ही नहीं बल्कि पूरे संगठन पर आती है। यीशु ने पृथ्वी की अभिषिक्त मसीही कलीसिया को “विश्वास-योग्य और बुद्धिमान भण्डारी” कहा है। (लूका १२:४२) इस ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ की ज़िम्मेदारी “सीधा” यानी भोजन देना है और अंतर्राष्ट्रीय सुसमाचार प्रचार काम में अगुवाई करना है। (प्रका. १२:१७) इससे संबंधित विश्वव्यापी कार्य के लिए दिए गए आर्थिक अंशदानों का उपयोग जिस तरह से किया जाता है, उसके लिए विश्वासयोग्य भंडारी का वर्ग ज़िम्मेदार है जिसका प्रतिनिधि शासी निकाय है। ये सारे चंदे भरोसे पर ही दिए जाते हैं और “विश्वास-योग्य और बुद्धिमान भण्डारी” की ज़िम्मेदारी यह निश्चित करना है कि जिस उद्देश्य से ये चंदे दिए जाते हैं उसी के लिए इनका उपयोग हो तथा इनकी देखरेख बुद्धिमानी से, बिना फज़ूलखर्ची के हो और इनसे अच्छे परिणाम निकलें।
६ चंदे का उपयोग बुद्धिमानी से किया जा रहा है, इसका एक उदाहरण २०वीं सदी में यहोवा के साक्षियों के छपाई के काम में हुई वृद्धि से देखा जा सकता है। बाइबल और बाइबल पर आधारित साहित्य—पत्रिकाएँ, किताबें, ब्रोशर, पुस्तिकाएँ, ट्रैक्ट और राज्य समाचार—के वितरण ने इन “अन्तिम दिनों” में “सुसमाचार” फैलाने में मुख्य भूमिका निभायी है। (२ तीमु. ३:१; मर. १३:१०) और प्रहरीदुर्ग पत्रिका “परमेश्वर के घराने” और उनके साथियों यानी ‘अन्य भेड़ों’ की “बड़ी भीड़” को ‘समय पर भोजन’ देने का मुख्य ज़रिया रही है।—इफि. २:१९; यूह. १०:१६, NW; प्रका. ७:९; मत्ती २४:४५.
७ शुरू-शुरू में यहोवा के साक्षियों का सारा साहित्य व्यावसायिक छपाईखानों में छपता था। लेकिन १९२० के दशक के दौरान यह फैसला किया गया कि अगर यहोवा के सेवक खुद छपाई का काम करें तो ज़्यादा प्रभावकारी और किफायती होगा। ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में १९२० के दौरान एक छोटी शुरूआत हुई फिर धीरे-धीरे छपाई का काम बढ़ता गया। वर्ष १९६७ में १२,३८,२३० वर्गफुट के क्षेत्रफल में छपाई का काम होने लगा। दूसरे देशों में भी छपाई का काम शुरू किया गया परंतु दूसरे विश्व युद्ध के कारण ज़्यादातर जगहों में बाधाएँ आईं।
८ अमरीका में छपाई का काम चाहे कितना ही क्यों न बढ़ा हो, फिर भी यह उतना नहीं था कि पूरी दुनिया के लिए काफी हो। इसलिए युद्ध के अगले कुछ सालों के दौरान इंग्लैंड, कनाडा, डॆनमार्क, दक्षिण अफ्रीका, पश्चिम जर्मनी, यूनान और स्विट्ज़रलैंड जैसे अनेक देशों में छपाई का काम शुरू किया गया या इनमें से कुछ देशों में पहले से ही काम चल रहा था। फिर १९७० के दशक की शुरूआत में ऑस्ट्रेलिया, घाना, जापान, नाइजीरिया, फिलीपींस, फिनलैंड और ब्राज़ील में भी छपाई का काम शुरू हुआ। इनमें से कुछ देश जिल्दवाली किताबें भी छापते हैं। १९७० के दशक की शुरूआत में गिलियड के मिशनरियों को छपाई के काम में कुशल होने के लिए प्रशिक्षित किया गया और उस काम में स्थानीय भाइयों की मदद करने के लिए उन्हें इनमें से कुछ देशों में भेजा गया।
९ १९८० के दशक के दौरान उन देशों की संख्या, जहाँ पत्रिकाओं को छापा जाता था ५१ तक पहुँच गई।a इन सब तरीकों से स्वामी की संपत्ति का क्या ही बढ़िया इस्तेमाल हुआ है! राज्य काम की उन्नति का क्या ही ज़बरदस्त प्रमाण! और यह लाखों यहोवा के साक्षियों में से हरेक साक्षी के उदार सहयोग का जिसने ‘अपनी संपत्ति के द्वारा यहोवा की प्रतिष्ठा की’ कितना बड़ा सबूत! (नीति. ३:९) इस तरह, यहोवा ने जिन अनेक तरीकों से उन्हें आशीष दी है, उसका उन्होंने खुद को अच्छा भंडारी साबित किया।
तकनीक में परिवर्तन
१० १९७० के पूरे दशक में और १९८० के दशक की शुरूआत में, छपाई टॆक्नालॉजी में बड़ी प्रगति हुई और यहोवा के साक्षियों ने छपाई की नई-नई तकनीकों को अपनाया। पहले वे लॆटर प्रेस पर छपाई करते थे। फिर धीरे-धीरे इसे छोड़ दिया गया जब उन्होंने ज़्यादा आधुनिक ऑफसॆट पर छपाई शुरू की। नतीजा यह रहा कि पुरानी लॆटर प्रेस पर जहाँ मात्र दो रंगवाली तस्वीरें (काले के साथ एक और रंग) छपती थीं, उसके बजाय रंग-बिरंगी तस्वीरों के सुंदर प्रकाशनों का उत्पादन होने लगा। इसके अलावा कंप्यूटर तकनीक ने छपाई से पहले (छपाई की तैयारी) की पूरी प्रक्रिया ही बदल दी। यहोवा के साक्षियों ने MEPS यानी मल्टिलैंग्वॆज इलेक्ट्रॉनिक फोटोटाइपसेटिंग सिस्टम बनाया, एक ऐसी कंप्यूटर प्रणाली, जिससे फिलहाल ३७० अलग-अलग भाषाओं में छपाई की जाती है। कोई भी व्यावसायिक प्रोग्राम MEPS के जितनी भाषाओं में कार्य करने की क्षमता की बराबरी नहीं करता।
११ MEPS कंप्यूटर टॆक्नालॉजी तथा अन्य ऐसे अविष्कारों जैसे इलेक्ट्रॉनिक मॆल की सुविधा का शुक्रिया जिसके कारण समय पर भोजन देने में एक और बड़ी प्रगति हुई। पहले पुरानी टॆक्नालॉजी के इस्तेमाल से, अंग्रेज़ी पत्रिकाओं में आनेवाली जानकारी को गैर-अंग्रेज़ी भाषाओं में छापने के लिए कई महीने लग जाते थे या एक साल भी लग जाता था। अब प्रहरीदुर्ग ११५ भाषाओं में और सजग होइए! ६२ भाषाओं में साथ-साथ निकलती है। इसका मतलब है कि संसार भर में यहोवा के साक्षियों के साप्ताहिक प्रहरीदुर्ग अध्ययन में उपस्थित होनेवाले ९५ प्रतिशत लोग एक ही समय पर एक ही विषय का अध्ययन करते हैं। यह कितनी बढ़िया आशीष है! नई टॆक्नालॉजी में स्वामी की संपत्ति लगाना वाकई एक अच्छा उपयोग रहा है!
बदलाव की ज़रूरतें
१२ इन नई प्रणालियों के कारण यहोवा के साक्षियों के विश्वव्यापी छपाई कार्य में बदलाव करने की ज़रूरत पड़ी। पुराने लॆटर प्रेस की तुलना में वॆब ऑफसॆट प्रेस बहुत तेज़ी से काम करता है, लेकिन बहुत ज़्यादा महँगा भी है। कंप्यूटर प्रणालियाँ छपाई से संबंधित काम में सहयोग देती हैं जैसे लिखाई, भाषांतर, चित्रकला और ग्राफिक्स। पुरानी प्रणाली के मुकाबले इनसे जबकि अधिक फायदे मिल सकते हैं पर बड़े महँगे भी हैं। यह जल्द ही मालूम पड़ गया कि ५१ देशों में अब पत्रिकाएँ छापने में बहुत ज़्यादा खर्च लगता है। इसलिए १९९० के दशक में ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ ने स्थिति की फिर से जाँच की। निष्कर्ष क्या निकला?
१३ अध्ययन से पता चला कि यहोवा के साक्षियों और उनके दोस्तों द्वारा दान की गई “संपत्ति” का उपयोग और भी अच्छा होगा यदि छपाई काम को संयुक्त कर दिया जाए। इसलिए धीरे-धीरे अनेक शाखाओं में छपाई बंद कर दी गई। पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के अनेक देशों साथ ही दूसरे देश जो छपाई का काम पहले खुद करते थे, अब उनकी पत्रिकाओं और साहित्य की छपाई का ज़िम्मा जर्मनी ने ले लिया है। अफ्रीका के कुछ भागों और दक्षिणपूर्वी यूरोप साथ ही यूनान और अल्बानिया के लिए छपाई का काम इटली करता है। अफ्रीका में अब केवल नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में ही पत्रिकाएँ छापी जाती हैं। इसी तरह संसार भर में इस काम को संयुक्त कर दिया गया।
बदलाव के कारण
१४ जुलाई १९९८ तक पत्रिकाओं की छपाई अनेक यूरोपीय देशों में जैसे कि ऑस्ट्रिया, डॆनमार्क, फ्रांस, यूनान, नॆदरलैंडस् और स्विट्ज़रलैंड में बंद कर दी जाएगी। यूरोप के लिए छपाई के काम का ज़िम्मा इटली, जर्मनी, फिनलैंड, ब्रिटॆन, स्पेन और स्वीडन लेगा। यह कैसे निश्चित किया गया कि किन देशों में छपाई काम बंद किया जाए कहाँ चलता रहे? स्वामी की संपत्ति की देखरेख बुद्धिमानी से करने के आदेशानुसार ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ ने हर जगह के छपाई खर्चों साथ ही वितरण से संबंधित खर्चों का मूल्य बड़े ध्यान से आँका। इसने हर देश के कानून के बारे में भी जाँच-परख की ताकि यह जान पाएँ कि सबसे अच्छी कानूनी परिस्थितियों के तहत किन देशों में साहित्य को छापा और वितरित किया जा सकता है।
१५ व्यावहारिकता ही एक मुख्य कारण था कि कुछ देशों में छपाई का काम बंद किया गया और दूसरे में संयुक्त कर दिया गया। एक देश दूसरे अनेक देशों के लिए साहित्य छापे, यह ज़्यादा सुविधाजनक है और महँगे उपकरणों का अच्छा इस्तेमाल भी है। छपाई अब वहाँ की जाती है, जहाँ खर्चा कम लगता है, सामग्रियाँ उपलब्ध होती हैं और माल पहुँचाने की अच्छी सुविधाएँ होती हैं। यों स्वामी की संपत्ति का उपयोग अच्छी तरह से किया जा रहा है। बेशक, किसी देश में छपाई काम बंद करने का अर्थ यह नहीं कि वहाँ प्रचार काम भी बंद हो जाएगा। वहाँ तब भी साहित्य की भरमार होगी और उन देशों के लाखों यहोवा के साक्षी जोश के साथ अपने पड़ोसियों को “मेल-मिलाप का सुसमाचार” सुनाते रहेंगे। (इफि. २:१७) यही नहीं, आर्थिक लाभों के अलावा इस पुनःसंगठन ने दूसरे फायदे भी पहुँचाए हैं।
१६ जैसे इसका एक फायदा यह हुआ कि डॆनमार्क, नॆदरलैंडस्, यूनान और स्विट्ज़रलैंड के अधिकांश आधुनिक प्रेस नाइजीरिया और फिलीपींस में भेज दिए गए। वहाँ के भाइयों को इनका उपयोग करने में प्रशिक्षित करने के लिए प्रेस के साथ उसे कुशलतापूर्वक चलानेवाले भाई भी यूरोपीय देशों से गए। इस तरह उन देशों के लोगों को भी उसी उत्तम-कोटि की पत्रिकाएँ मिलती हैं जैसी कि अन्य देशों को।
१७ एक और फायदे पर गौर कीजिए: पत्रिकाएँ छापने का खर्च अब कुछ देश ही उठाते हैं जहाँ छपाई काम जारी है। नतीजतन, जिन देशों में छपाई का काम बंद कर दिया गया है, वहाँ की संपत्ति का उपयोग अब दूसरे मकसद के लिए जैसे राज्यगृह बनाने और गरीब देशों में हमारे भाइयों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है। इस तरह स्वामी की संपत्ति का सावधानी से इस्तेमाल करने का अर्थ है कि कुरिन्थियों को लिखे पौलुस के शब्द अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ज़्यादा अच्छी तरह से लागू किए जा सकते हैं: “यह नहीं, कि औरों को चैन और तुम को क्लेश मिले। परन्तु बराबरी के विचार से इस समय तुम्हारी बढ़ती उनकी घटी में काम आए, ताकि . . . बराबरी हो जाए।”—२ कुरि. ८:१३, १४.
१८ काम को संयुक्त करने के कारण यहोवा के साक्षी संसार भर में पहले से कहीं ज़्यादा एकदूसरे के करीब आ गए हैं। हालाँकि डॆनमार्क के साक्षी खुद छपाई का काम करते थे, पर उन्हें कोई गिला नहीं कि अब उनकी पत्रिकाएँ जर्मनी छापता है। वे इस सेवा के लिए जर्मनी के अपने भाइयों के बहुत एहसानमंद हैं। क्या जर्मनी में यहोवा के साक्षी नाराज़ हैं कि डॆनमार्क या फिर रूस, यूक्रेन और अन्य देशों में बाइबल साहित्य उपलब्ध करवाने के लिए उनके अंशदानों का उपयोग किया जाता है? हरगिज़ नहीं! वे यह जानकर खुश हैं कि उन देशों में, उनके भाइयों के अंशदानों का उपयोग अब दूसरे ज़रूरी कामों को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।
संपत्ति की देखरेख करना
१९ संसार भर में यहोवा के साक्षियों के हर राज्यगृह में एक अंशदान बक्स रखा होता है, जिस पर लिखा होता है, “संस्था के विश्वव्यापी कार्य के लिए अंशदान—मत्ती २४:१४.” उन बक्सों में डाले गए स्वैच्छिक अंशदानों का उपयोग वहाँ किया जाता है जहाँ ज़रूरत होती है। अंशदानों का उपयोग कैसे किया जाए इसका फैसला ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ करता है। इसलिए किसी कलीसिया के अंशदान बक्स में डाले गए पैसों का इस्तेमाल, हो सकता है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर यहोवा के साक्षियों की किसी दूसरी कलीसिया को सहयोग देने के लिए किया जाए। अंशदानों का उपयोग उन संगी विश्वासियों की तात्कालिक मदद करने के लिए किया गया है जो तूफान, बवंडर, भूकंप या गृह युद्ध के कारण कष्ट में थे। और इन चंदों का उपयोग देश भर में खास पूर्ण-समय सेवा करनेवालों की मदद के लिए भी किया जाता है।
२० यहोवा के साक्षियों की कलीसियाओं में आमतौर पर आर्थिक मामलों पर महीने में एक ही बार—वह भी मात्र कुछ मिनटों के लिए—बात की जाती है। राज्यगृहों या सम्मेलनों में चंदे के लिए प्लेट नहीं घुमाई जाती। किसी व्यक्ति को पैसों के लिए याचना-पत्र नहीं भेजा जाता, न ही चंदा इकट्ठा करने के लिए किसी को भेजा जाता है। आमतौर पर साल में, प्रहरीदुर्ग में केवल एक लेख यह समझाने के लिए होता है कि जो वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी के विश्वव्यापी कार्य में अंशदान द्वारा सहयोग देना चाहते हैं वे कैसे दे सकते हैं। सजग होइए! में संस्था के आर्थिक मामलों पर अकसर ज़िक्र नहीं किया जाता। तो फिर यह विश्वव्यापी तौर पर सुसमाचार का प्रचार, ज़रूरी राज्यगृहों का निर्माण, खास पूर्ण-समय सेवा कर रहे लोगों की देखरेख और ज़रूरतमंद मसीहियों की मदद करने का काम कैसे किया जाता है? यहोवा ने अद्भुत रीति से अपने लोगों को उदारता की आत्मा की आशीष दी है। (२ कुरि. ८:२) इस मौके पर हम उन सभी का धन्यवाद करना चाहते हैं, जिनका भाग ‘अपनी संपत्ति के द्वारा यहोवा की प्रतिष्ठा’ करने में रहा है। वे निश्चिंत हो सकते हैं कि ‘विश्वास-योग्य भण्डारी’ स्वामी की संपत्ति की देखरेख करना जारी रखेगा। और हम प्रार्थना करते हैं कि विश्वव्यापी कार्य को बढ़ाने के लिए किए जा रहे सभी प्रबंधों पर यहोवा यूँ ही आशीष बरसाता रहे।
[फुटनोट]
a इनमें से सात देशों में छपाई व्यापारिक कंपनियों द्वारा की जाती थी।