क्या आपने पत्रिकाओं की हर महीने की सप्लाई के लिए निश्चित ऑडर दिया है?
क्या आपके साथ ऐसा नहीं हुआ कि आप प्रचार से पहले सभा के लिए गए हों और बैग खोलने पर आपने पाया हो कि आपके पास एक भी पत्रिका नहीं है? याद कीजिए कि जनवरी १९९६ की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट “हमारी पत्रिकाओं का सर्वोत्तम प्रयोग कीजिए” में क्या लिखा था। उसमें बताया गया था ‘एक निश्चित पत्रिका ऑडर’ रखें, इसमें आगे लिखा था कि ‘पत्रिकाओं की देख-रेख करनेवाले भाई को हर अंक के लिए निश्चित संख्या में ऑडर दीजिए। इस तरह, आपके और आपके परिवार के पास पूरे महीने के लिए काफी पत्रिकाएँ होंगी।’ क्या आपने ऐसा किया है?
२ क्यों न पत्रिकाओं की हर महीने की सप्लाई के लिए कलीसिया को एक निश्चित ऑडर देकर रखें? इससे आप हर हफ्ते पत्रिकाओं को बाँटने की ज़िम्मेदारी महसूस करेंगे और ऐसा करने से आपकी खुशी और भी बढ़ती जाएगी। हर महीने की सप्लाई के लिए अगर आपने पहले ही एक निश्चित ऑडर दे रखा है तो एक बार फिर से हिसाब लगाइए कि सेवकाई के लिए आपके पास काफी पत्रिकाएँ होती हैं या नहीं। जी हाँ, पत्रिकाओं का जो ऑडर हमने दिया है, हमें उसे बिना नागा हर हफ्ते लेते रहना चाहिए और ऐसा करना अपना फर्ज़ समझना चाहिए। अगर आप किसी वज़ह से लंबे समय तक कलीसिया में नहीं आ सकेंगे और चाहते हैं कि आपके लौटने तक आपकी पत्रिकाएँ किसी और को दी जाएँ, तो मैगज़ीन सर्वन्ट को इसकी खबर दीजिए।
३ उसी इंसर्ट में यह भी कहा गया था कि हमें ‘नियमित रूप से एक पत्रिका दिन’ रखना चाहिए। क्या आप हर हफ्ते रखे गए पत्रिका दिन में भाग ले सकते हैं? जैसा कि यहोवा के साक्षियों का १९९९ कैलॆंडर में दिया गया है, यह पूरे साल के दौरान हर शनिवार के दिन होता है! यह कभी-भी मत भूलिए कि प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! को बाँटना कितना ज़रूरी है। जब हम पत्रिकाएँ बाँटने के लिए अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करते हैं तो दरअसल हम अपने पड़ोसियों को “कल्याण का शुभ समाचार” दे रहे होते हैं।—यशा. ५२:७.