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  • यह तो हमने पहले भी सुना है!
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हमारी राज-सेवा—1999
km 12/99 पेज 1

यह तो हमने पहले भी सुना है!

जी हाँ, ज़रूर सुना होगा! यहोवा हमें कई बातें बार-बार सिखाता है क्योंकि वह जानता है कि इसी में हमारी भलाई है। यीशु ने भी परमेश्‍वर के राज्य के बारे में सिखाते वक्‍त अकसर एक ही बात को कई बार दोहराया। उसके प्रेरित भी भाई-बहनों को आध्यात्मिक बातें याद दिलाते रहते थे, जबकि ये भाई-बहन सच्चाई में काफी मज़बूत थे।—रोमि. १५:१५; २ पत. १:१२, १३; ३:१, २.

२ आज यहोवा का संगठन भी कलीसिया की सभाओं के ज़रिए हमें कई ज़रूरी बातें बार-बार सिखाता है। मिसाल के लिए, कुछ किताबों की हमने कई बार स्टडी की है। जी हाँ, जो बातें हमने पहले सुनी थीं उन्हें बार-बार सुनना ज़रूरी है!

३ बार-बार दोहराना बहुत फायदेमंद है: जब यहोवा हमें बार-बार अपनी चितौनियाँ याद दिलाता है तो उसके बारे में हमारी समझ और गहरी होती है, सोचने की काबिलीयत बढ़ती है और सच्चाई की राह पर बने रहने का हमारा इरादा और भी मज़बूत होता है। (भज. ११९:१२९) यहोवा के नियमों और उसूलों को जब हम बार-बार पढ़ते-सुनते हैं तो यह खुद को आइने में देखने जैसा है। यह हमें अपना मुआयना करने में मदद करता है ताकि हम ‘सुनकर भूल’ न जाएँ।—याकू. १:२२-२५.

४ अगर हमारा ध्यान यहोवा की चितौनियों पर नहीं लगा रहेगा तो हमारा मन दूसरी बातों की ओर भटक सकता है। परमेश्‍वर बार-बार हमें चितौनियाँ देता है जिससे हमें शैतान की दुनिया के तौर-तरीकों का विरोध करने की हिम्मत मिलती है। (भज. ११९:२, ३, ९९, १३३; फिलि. ३:१) और जब हमेशा इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि परमेश्‍वर के वादे ज़रूर पूरे होंगे तो हमें “जागते” रहने की प्रेरणा मिलती है। (मर. १३:३२-३७) इस तरह बाइबल की सच्चाइयाँ बार-बार दोहराये जाने से हमें अनंत जीवन की राह पर चलते रहने में मदद मिलती है।—भज. ११९:१४४.

५ खुद को फायदा कैसे पहुँचाएँ: यह बहुत ज़रूरी है कि हम हमेशा ‘अपना मन परमेश्‍वर की चितौनियों की ओर फेरें।’ (भज. ११९:३६) जब कलीसिया में किसी ऐसे विषय के बारे में सिखाया जाता है जिससे हम अच्छी तरह वाकिफ हैं, तब भी हमें पहले से उसकी तैयारी करनी चाहिए, लिखे गए बाइबल के हवाले पढ़ने चाहिए और मनन करना चाहिए कि इसे हम कैसे अमल कर सकते हैं। हमें थियोक्रेटिक मिनिस्ट्री स्कूल के रिटन रिव्यू की भी तैयारी करनी चाहिए, और यह नहीं सोचना चाहिए कि रिटन रिव्यू इतना ज़रूरी नहीं है। (लूका ८:१८) सभाओं में हमें कभी-भी यह सोचकर ध्यान देने में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए कि यहाँ वही बातें सिखाई जा रही हैं जिन्हें हम पहले भी सुन चुके हैं।—इब्रा. ५:११.

६ इसलिए आइए हम सब भजनहार का यह नज़रिया अपनाएँ जिसने यहोवा से कहा: “तेरे नियमों पर मनन करना, मुझको अन्य किसी भी वस्तु से अधिक भाता है।” (भज. ११९:१४, ईज़ी-टु-रीड वर्शन।) जी हाँ, हम यहोवा के अनमोल वचन कई बार सुन चुके हैं और ज़ाहिर है कि आगे भी सुनते रहेंगे। क्यों? क्योंकि यहोवा जानता है कि इस तरह बार-बार सुनते रहने में ही हमारी भलाई है!

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