आप किसे पहला स्थान देंगे?
बहुत-से धार्मिक संगठन दान-पुण्य के कामों को बहुत अहमियत देते हैं जैसे कि स्कूल और अस्पताल बनाना या उन्हें आर्थिक मदद देना। हालाँकि यहोवा के साक्षी ‘भलाई करने, और उदारता’ दिखाने से पीछे नहीं हटते मगर इससे बढ़कर वे लोगों की आध्यात्मिक रूप से मदद करने को पहला स्थान देते हैं।—इब्रा. 13:16.
2 पहली सदी का नमूना: यीशु ने धरती पर अपनी सेवा के दौरान बहुत-से भले काम किए मगर उसका सबसे अहम काम था, सत्य की गवाही देना। (लूका 4:43; यूह. 18:37; प्रेरि. 10:38) उसने अपने चेलों को आज्ञा दी कि ‘तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें सिखाओ।’ (मत्ती 28:19, 20) यीशु ने बताया कि जो उस पर विश्वास करते हैं, वे उस काम को और भी बड़े पैमाने पर करेंगे जो उसने शुरू किया था। (यूह. 14:12) उसने सबसे ज़्यादा अहमियत प्रचार काम को दी, क्योंकि इससे लोगों को उद्धार पाने का रास्ता खुलता है।—यूह. 17:3.
3 प्रेरित पौलुस की नज़र में प्रचार का काम किया जाना “अवश्य” था, वह एक ऐसी माँग थी जिसे वह नज़रअंदाज़ नहीं कर सका। (1 कुरि. 9:16, 17) अपनी सेवा को पूरा करने के लिए वह हर तरह का त्याग करने, कैसी भी परीक्षा या मुश्किलों से गुज़रने को तैयार था। (प्रेरि. 20:22-24) प्रेरित पतरस और उसके साथियों ने भी ऐसा ही रवैया अपनाया। यहाँ तक कि जेल की सज़ा होने और मार सहने पर भी वे ‘उपदेश करने, और इस बात का सुसमाचार सुनाने से न रुके कि यीशु ही मसीह है।’—प्रेरि. 5:40-42.
4 मगर हमारे बारे में क्या? क्या हम भी राज्य की खुशखबरी सुनाने और चेला बनाने के काम को अपनी ज़िंदगी में पहला स्थान दे रहे हैं? यीशु की तरह क्या हम भी उन लोगों की दिल से चिंता करते हैं जो “उन भेड़ों की नाईं हैं जिनका कोई रखवाला न हो, जो ब्याकुल और भटके हुए से” हैं? (मत्ती 9:36) संसार में हो रही घटनाएँ और बाइबल की भविष्यवाणियाँ इस बात का साफ सबूत देती हैं कि बहुत जल्द यह दुष्ट संसार खत्म होनेवाला है! ऐसे में प्रचार करना और भी ज़रूरी हो जाता है। हमें इस काम को पूरे जोश के साथ करते रहना चाहिए।
5 अपने हालात को जाँचिए: हालाँकि हममें से हरेक के हालात अकसर बदलते रहते हैं, फिर भी अच्छा होगा अगर हम समय-समय पर अपने हालात को जाँचे कि कहाँ पर थोड़ी-बहुत फेरबदल की जा सकती है। इससे हम प्रचार काम में और भी अच्छी तरह हिस्सा ले पाएँगे। एक बहन ने 50, 60 और 70 के दशक में रेग्यूलर पायनियर सेवा की थी। मगर सेहत ठीक ना रहने की वजह से उसे पायनियर सेवा छोड़नी पड़ी। समय के गुज़रते उसकी सेहत में सुधार आया। हाल ही में उसने अपनी परिस्थिति को दोबारा जाँचा और तय किया कि वह फिर से पायनियर सेवा शुरू करेगी। नब्बे साल की उम्र में पायनियर सेवा स्कूल में हाज़िर होने पर उसे क्या ही खुशी महसूस हुई! मगर आपके बारे में क्या? क्या आपका रिटायरमेंट या ग्रेजुएशन होनेवाला है? क्या आपकी भी परिस्थिति बदलने से आपको पायनियर बनने का मौका मिल सकता है?
6 जब यीशु ने देखा कि मार्था “अनेक सेवा-कार्यों में उलझी हुई थी” (नयी हिन्दी बाइबिल) तो उसने बड़े प्यार से मार्था को समझाया कि अगर वह बहुत-सी चीज़ों के बजाए थोड़ी चीज़ों में ही खुश रहे यानी सादगी बनाए रखे तो उसे बहुत-सी आशीषें मिलेंगी। (लूका 10:40-42) क्या आप अपना जीवन सादा रख सकते हैं? क्या पति-पत्नी दोनों के लिए नौकरी करना ज़रूरी है? अगर कुछ फेरबदल किए जाएँ तो क्या एक ही की कमाई से परिवार का गुज़ारा चल सकता है? प्रचार में ज़्यादा हिस्सा लेने के लिए बहुतों ने इस तरह के फेरबदल किए हैं और उन्हें आध्यात्मिक रूप से फायदा पहुँचा है।
7 आइए हम सब यीशु और प्रेरितों के उदाहरण पर चलें! अगर हम राज्य की खुशखबरी सुनाने के ज़रूरी काम में अपना भरसक करेंगे तो यहोवा हमारी मेहनत पर ज़रूर आशीषें देगा।—लूका 9:57-62.