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  • काम जिससे ताज़गी मिलती है
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हमारी राज-सेवा—2003
km 8/03 पेज 1

काम जिससे ताज़गी मिलती है

बाइबल का संदेश स्वीकार करके जो उसे अपनी ज़िंदगी में लागू करते हैं, उन्हें ताज़गी मिलती है। (भज. 19:7, 8) इस संदेश की वजह से उन्हें झूठी शिक्षाओं और नुकसानदेह कामों से छुटकारा और भविष्य के लिए पक्की आशा मिलती है। लेकिन, जिन्हें खुशखबरी सुनायी जाती है सिर्फ उन्हीं को इससे फायदा नहीं होता बल्कि जो बाइबल की सुखद सच्चाइयाँ सुनाते हैं वे खुद भी इससे ताज़गी पाते हैं।—नीति. 11:25.

2 सेवा से नयी शक्‍ति मिलती है: यीशु ने कहा कि जो लोग मसीह के चेले बनने का जूआ स्वीकार करेंगे जिसमें प्रचार और चेला बनाने का काम भी शामिल है, वे ‘अपने मन में विश्राम पाएँगे।’ (मत्ती 11:29) उसने खुद भी पाया कि दूसरों को गवाही देने से नयी शक्‍ति मिलती है। यह काम उसके लिए भोजन के समान था। (यूह. 4:34) जब यीशु ने 70 चेलों को प्रचार के लिए भेजा, तो उसके चेले यह देखकर बड़े खुश हुए कि यहोवा उनकी मेहनत पर आशीष दे रहा है।—लूका 10:17.

3 आज बहुत-से मसीही प्रचार काम में हिस्सा लेकर नयी शक्‍ति पाते हैं। एक बहन ने कहा: “इस सेवा से मुझे ताज़गी मिलती है क्योंकि इससे मेरी ज़िंदगी को एक मकसद और सही दिशा मिलती है। जब मैं प्रचार करती हूँ, तो मुझे अपनी समस्याएँ और रोज़मर्रा की चिंताएँ इतनी बड़ी नहीं लगतीं।” एक और जोशीली प्रचारक कहती है: “सेवा से . . . मुझे हर रोज़ यह याद रहता है कि यहोवा मेरे लिए सच्चा है, और इससे मुझे शांति और अंदरूनी खुशी मिलती है जो दुनिया की किसी और चीज़ से नहीं मिल सकती।” ‘परमेश्‍वर का सहकर्मी’ होना, कितने बड़े सम्मान की बात है!—1 कुरि. 3:9.

4 मसीह का जूआ हलका है: जबकि मसीहियों को ‘यत्न करने’ के लिए प्रेरित किया गया है, फिर भी हम जितना कर सकते हैं यीशु उससे ज़्यादा की माँग नहीं करता। (लूका 13:24) दरअसल वह तो हमें प्यार से न्यौता देता है कि ‘मेरे साथ मेरे जूए के नीचे आ जाओ।’ (मत्ती 11:29, NW, फुटनोट) जो लोग मुश्‍किलों का सामना करते हैं, वे पूरा भरोसा रख सकते हैं कि अगर वे यहोवा की सेवा तन-मन से करें भले ही वे ज़्यादा न कर पाएँ, तो भी वह उनकी सेवा से खुश होगा।—मर. 14:6-8; कुलु. 3:23.

5 ऐसे परमेश्‍वर की सेवा करने से कितनी ताज़गी मिलती है जो उसके नाम की खातिर किए गए हर काम की कदर करता है। (इब्रा. 6:10) आइए हम उसे अपना सबसे उत्तम देने की कोशिश करें।

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