अंतर्राष्ट्रीय और ज़िला अधिवेशन, यहोवा की महिमा करने के लिए हमें उकसाते हैं!
अब तक हुए “परमेश्वर की महिमा करो” अंतर्राष्ट्रीय और ज़िला अधिवेशनों ने क्या ही ज़बरदस्त गवाही दी! इन खास आध्यात्मिक कार्यक्रमों से यहोवा के नाम की बड़ाई हुई है, साथ ही ‘उसके नाम के योग्य उसकी महिमा करने’ की हमारी काबिलीयत भी बढ़ी है। (भज. 96:8) यहोवा सचमुच स्तुति पाने के योग्य है, क्योंकि अपनी सृष्टि को बनाने में उसने आश्चर्यकर्म किए हैं जिसमें उसके शानदार गुणों की साफ झलक मिलती है।—अय्यू. 37:14; प्रका. 4:11.
जनवरी 19 से शुरू होनेवाले सप्ताह में, अधिवेशन के कार्यक्रम से सीखी बातों पर चर्चा की जाएगी। उसमें हिस्सा लेने के लिए अधिवेशन में लिए नोट्स की मदद से नीचे दिए गए सवालों के जवाब ढूँढ़ें।
1. सृष्टि की बेजान चीज़ें किस तरह परमेश्वर की महिमा करती हैं, और इंसान जिस तरह से परमेश्वर की महिमा करता है, उसमें क्या फर्क है? (भज. 19:1-3; “सृष्टि, परमेश्वर की महिमा का ऐलान करती है”)
2. आज यीशु का रूपांतरण किस मायने में एक हकीकत बन गया है, और इस हकीकत ने मसीहियों में किस तरह गज़ब का जोश भर दिया है? (मूल-विचार भाषण, “दर्शन में की गयी महिमा की भविष्यवाणियाँ हममें जोश भर देती हैं!”)
3. भविष्यवक्ता दानिय्येल ने जो नम्रता दिखायी, वही गुण हम कैसे पैदा कर सकते हैं, और इससे हमें क्या फायदा होगा? (दानि. 9:2, 5; 10:11, 12; “यहोवा की महिमा नम्र लोगों पर प्रकट होती है”)
4. (क) आमोस की भविष्यवाणी से, हम परमेश्वर के न्यायदंड के बारे में कौन-सी तीन बातें सीखते हैं? (आमो. 1:3, 11, 13; 9:2-4, 8, 14) (ख) आमोस 2:12 में चेतावनी देनेवाली मिसाल से आज यहोवा के साक्षी क्या व्यावहारिक सबक सीख सकते हैं? (“आमोस की भविष्यवाणी—हमारे दिनों के लिए संदेश”)
5. (क) एक इंसान चाहे पियक्कड़ न हो, फिर भी हद-से-ज़्यादा शराब पीने के क्या खतरे हैं? (ख) हद-से-ज़्यादा शराब पीने की कमज़ोरी पर कैसे काबू पाया जा सकता है? (मर. 9:43; इफि. 5:18; “शराब का गलत इस्तेमाल करने के फँदे से बचें”)
6. ‘उत्तम देश को देख’ इस नए ब्रोशर से आपको किस तरह के फायदे मिल रहे हैं? (“‘उत्तम देश’—फिरदौस की एक झलक”)
7. ऐसे कौन-से तीन तरीके हैं जिनके ज़रिए हम ‘दर्पण की तरह यहोवा की महिमा प्रकट कर सकते हैं’? (2 कुरि. 3:18; ‘दर्पण की तरह यहोवा की महिमा प्रकट करें’)
8. कौन हमें बिना वाजिब कारण के नफरत का शिकार बनाता है, और इसके बावजूद हम अपनी खराई कैसे बनाए रख सकते हैं? (भज. 109:1-3; “बिना कारण, नफरत के शिकार”)
9. महानता के बारे में मसीह का नज़रिया क्या है, और एक इंसान यह कैसे जान सकता है कि उसे यह नज़रिया बढ़ाने के लिए और भी मेहनत करने की ज़रूरत है या नहीं? (मत्ती 20:20-26; “महानता के बारे में मसीह का नज़रिया पैदा करना”)
10. थके-हारे होने के बावजूद किन बातों से हमें लगातार आध्यात्मिक ताकत मिलती रहती है? (“शारीरिक रूप से थके हुए, मगर आध्यात्मिक रूप से नहीं”)
11. शैतान किन तरीकों से झूठ फैलाता है, और जब हमारे विश्वास को कमज़ोर करने की कोशिश की जाती है, तो बाइबल के मुताबिक हमें क्या कदम उठाने की ज़रूरत है? (यूह. 10:5; “‘परायों के शब्द’ से खबरदार”)
12. (क) मरकुस 10:14, 16 में दर्ज़ यीशु की मिसाल पर माता-पिता कैसे चल सकते हैं? (ख) महान शिक्षक से सीखिए (अँग्रेज़ी) नयी किताब की कौन-सी बात आपको अच्छी लगी? (“हमारे बच्चे—एक अनमोल विरासत”)
13. जवान, किन तरीकों से यहोवा की महिमा कर रहे हैं? (1 तीमु. 4:12; “जवान, यहोवा की महिमा कैसे कर रहे हैं”)
14. “लाख विरोध के बावजूद हिम्मत से गवाही देते रहना,” इस ड्रामे का ऐसा कौन-सा सीन आपको बहुत अच्छा लगा जो आपको अभी तक याद है?
15. (क) पतरस और यूहन्ना; (प्रेरि. 4:10) (ख) स्तिफनुस; (प्रेरि. 7:2, 52, 53) (ग) और पहली सदी की मसीही कलीसिया की मिसाल पर हम कैसे चल सकते हैं? (प्रेरि. 9:31; ड्रामा और भाषण, “‘बिना रुके’ सुसमाचार सुनाते रहें”)
16. (क) हमने किन तरीकों से परमेश्वर की महिमा करने का अटल फैसला किया है? (ख) “परमेश्वर की महिमा करो” अधिवेशन में सीखी हुई बातों पर जब हम अमल करते हैं, तो हमें किस बात का यकीन होता है? (यूह. 15:9, 10, 16; “‘बहुत सा फल लाओ’ जिससे यहोवा की महिमा हो”)
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अधिवेशन में दी गयी बढ़िया आध्यात्मिक हिदायतों पर मनन करने से हमें सीखी हुई बातों को अपनी ज़िंदगी में लागू करने की प्रेरणा मिलेगी। (फिलि. 4:8, 9) इससे हमारा इरादा और भी मज़बूत होगा कि हम ‘सब कुछ परमेश्वर की महिमा के लिये करें।’—1 कुरि. 10:31.