कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल—प्रभावशाली सेवा का एक बड़ा द्वार
यहोवा ने अपने नबी यिर्मयाह के ज़रिए यह भविष्यवाणी की: “मैं [अपने लोगों के] लिये ऐसे चरवाहे नियुक्त करूंगा जो उन्हें चराएंगे; और तब वे न तो फिर डरेंगी, न विस्मित होंगी और न उन में से कोई खो जाएगी।” (यिर्म. 23:4) चरवाही का यह काम आज सभी देशों में किया जा रहा है। इसे कलीसिया के हज़ारों प्राचीन कर रहे हैं। इसके अलावा, ओस के समान बेहिसाब जवान भाइयों ने भी खुद को यहोवा की सेवा में दे दिया है। (भज. 110:3) ये नम्र भाई, परमेश्वर के लोगों की कलीसियाओं के लिए वाकई एक बढ़िया आशीष हैं! मगर आध्यात्मिक कटनी में जैसे-जैसे लोगों को इकट्ठा करने का काम आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे ऐसे काबिल भाइयों की ज़रूरत बढ़ती जा रही है जो भाई-बहनों की सेवा करने के लिए आगे आ सकें।
2 अविवाहित प्राचीनों और सहायक सेवकों को तालीम देने के लिए एक बढ़िया इंतज़ाम किया गया है जिससे वे ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बन सकते हैं। यह इंतज़ाम है, कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल (मिनिस्टीरियल ट्रेनिंग स्कूल)। इस स्कूल की शुरूआत सन् 1987 में हुई और तब से लेकर आज तक इसकी 999 क्लासें हो चुकी हैं। इनमें करीब 140 देशों के 22,000 से ज़्यादा विद्यार्थियों ने तालीम हासिल की है। इन भाइयों के लिए यह स्कूल वाकई “प्रभावशाली सेवा करने का एक बड़ा द्वार” साबित हुआ है।—1 कुरि. 16:9, NHT.
3 स्कूल का मकसद: कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल का मकसद, योग्य भाइयों को तालीम देना और उन्हें संगठन में हर तरह की ज़िम्मेदारी सँभालने के काबिल बनाना है। इस स्कूल में भाइयों के हुनर को और भी निखारा जाता है ताकि वे प्रचार काम में अगुवाई कर सकें, झुंड की रखवाली कर सकें और कलीसिया को सिखा सकें। ग्रेजुएशन के बाद, कुछ विद्यार्थियों को अपने ही देश में या फिर विदेश में सेवा करने के लिए खास पायनियर या सफरी अध्यक्ष बनाकर भेजा जाता है। जबकि दूसरों को वापस अपनी कलीसियाओं में सेवा करने के लिए भेजा जाता है, या शाखा की निगरानी में आनेवाले उन इलाकों में भेजा जाता है जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है।
4 यह स्कूल आठ हफ्ते का होता है। इस दौरान विद्यार्थी, बाइबल का गहरा अध्ययन करते हैं। वे बाइबल की ढेर सारी शिक्षाओं की और चरवाहों को मिलनेवाली अलग-अलग ज़िम्मेदारियों की, साथ ही मसीही ज़िंदगी में आनेवाली समस्याओं को हल करने के लिए दिए गए निर्देशनों की करीब से जाँच करते हैं। इसके अलावा, वे कलीसिया को चलाने, न्याय करने और संगठन के काम करने के तरीकों के बारे में बाइबल क्या कहती है, इस बारे में भी सीखते हैं। उन्हें भाषण देने की खास तालीम दी जाती है, और आध्यात्मिक तौर पर तेज़ी से तरक्की करने के लिए हरेक विद्यार्थी को निजी मदद दी जाती है।
5 माँगें: इन सारी बातों को मद्देनज़र रखते हुए हम समझ सकते हैं कि इस स्कूल में हाज़िर होने के लिए भाइयों से क्यों कुछ खास माँगें की जाती हैं। अर्ज़ी भरनेवाले भाई ऐसे होने चाहिए जो कम-से-कम दो साल से लगातार प्राचीन या सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहे हैं। उन्हें अविवाहित होना चाहिए और उनकी उम्र 23 से 50 के बीच होनी चाहिए। उन्हें अँग्रेज़ी पढ़नी-लिखनी और अच्छी तरह बोलनी आनी चाहिए। उनकी सेहत बढ़िया होनी चाहिए, ऐसा नहीं होना चाहिए कि उन्हें खास देखभाल की या खाने में परहेज़ करने की ज़रूरत पड़े। स्कूल में हाज़िर होने का पहला मौका पायनियर भाइयों को दिया जाता है।
6 भाई-बहनों के लिए प्यार और उनकी सेवा करने की ख्वाहिश से ही भाइयों को कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल के लिए अर्ज़ी भरनी चाहिए। उन्हें खास पदवी हासिल करने के इरादे से ऐसा नहीं करना चाहिए। इतनी उम्दा तालीम पाने के बाद, ग्रेजुएट होनेवाले भाइयों से उम्मीद की जाती है कि जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे अपने जीवन में लागू करें ताकि दूसरों को फायदा हो।—लूका 12:48.
7 फायदे: आठ हफ्ते की ज़बरदस्त तालीम के दौरान, विद्यार्थियों का ‘विश्वास और अच्छे उपदेश की बातों से पालन-पोषण’ किया जाता है। (1 तीमु. 4:6) इससे वे जिस किसी कलीसिया या सर्किट में जाते हैं, वहाँ के भाई-बहनों की मदद करने और उनका हौसला बढ़ाने के काबिल होते हैं। कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल के ग्रेजुएट भाइयों को जिन जगहों पर भेजा गया है, वहाँ प्रचार के काम में काफी बढ़ोतरी हुई है; सभी में, खासकर जवानों में पायनियर सेवा का जोश भर आया है; और परमेश्वर के लोगों के साथ संगति शुरू करनेवाले हरेक नए जन पर खास ध्यान दिया गया है।
8 क्या आप एक अविवाहित प्राचीन या सहायक सेवक हैं और आपकी उम्र 23 से 50 के बीच है? अगर हाँ, तो क्यों न आप कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल के लिए अर्ज़ी भरें? क्या आप एक नौजवान भाई हैं जो भविष्य में यहोवा की सेवा में और ज़्यादा करने का लक्ष्य रखने के बारे में सोच रहे हैं? तो क्यों न आप एक सादगी भरा जीवन जीएँ और किसी भी चीज़ से अपना ध्यान भटकने न दें ताकि आप “प्रभावशाली सेवा” करने के लिए इस ‘बड़े द्वार’ से दाखिल हो सकें? इस तरह की सेवा से आपको ढेर सारी खुशियाँ और संतोष मिलेगा। सचमुच, कलीसिया सेवक प्रशिक्षण स्कूल सिर्फ ग्रेजुएट भाइयों के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया-भर में परमेश्वर के लोगों की कलीसियाओं के लिए भी एक आशीष साबित हुआ है।
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इस तालीम से उन्हें कैसा फायदा हुआ है
“इस तालीम से मैं और भी बेहतरीन ढंग से अपनी सेवा कर पा रहा हूँ। और बाइबल का इस्तेमाल करते हुए बुद्धि के साथ झुंड की रखवाली करने के मेरे हुनर में भी काफी निखार आया है।”
“इस स्कूल की बदौलत अब मैं कलीसिया में अपनी अलग-अलग ज़िम्मेदारियों को सँभालने के लिए अपने आपको ज़्यादा काबिल महसूस करता हूँ।”
“इसने ज़िंदगी के लगभग हर पहलू के बारे में मेरा नज़रिया बदल दिया है। यहाँ तक कि अब मैं परमेश्वर के इंतज़ामों और उसके संगठन को एक अलग नज़रिए से देखने लगा हूँ।”
“इस तालीम ने मुझे यह एहसास दिलाया है कि जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ सेवा करने के लिए मुझे खुशी-खुशी आगे आना चाहिए।”