परिवार के शेड्यूल में कलीसिया की सभाएँ
अगर आप एक मसीही हैं और आपके बच्चे हैं, तो बेशक आप यही चाहेंगे कि वे बड़े होकर यहोवा से प्यार करें और उसकी सेवा करें। और आगे चलकर, जिस नयी दुनिया का वादा परमेश्वर ने किया है उसमें हमेशा की ज़िंदगी पाएँ। आप यहोवा की सेवा को ज़िंदगी में पहली जगह देने में उनकी कैसे मदद कर सकते हैं? एक खास तरीका है, आपकी अपनी मिसाल। (नीति. 20:7) एक बहन अपनी माँ की अच्छी मिसाल को याद करते हुए कहती है: “हम एक-दूसरे से कभी यह सवाल नहीं पूछते थे कि हम सभा में जा रहे हैं या नहीं। क्योंकि सभा में हर किसी को जाना ही था।” इस आदत ने बहन पर गहरी छाप छोड़ी।
2 क्या आपका परिवार समझता है कि उन्हें कलीसिया की सभाओं में क्यों जाना चाहिए? इन सभाओं में हमें जो हिदायतें मिलती हैं, वे हमारे अंदर परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने का जोश भर देती हैं। इसके अलावा, भाइयों के साथ संगति करने से हमारा हौसला बढ़ता है और ऐसा साथ हमें कहीं और नहीं मिल सकता। (यशा. 54:13; रोमि. 1:11, 12) लेकिन हमारे इकट्ठे होने का इससे भी खास मकसद यह होता है कि “सभाओं में” यहोवा की बड़ाई करें। (भज. 26:12) मसीही सभाएँ हमें यहोवा के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करने और उसकी उपासना करने का मौका देती हैं।
3 ‘सावधान रहो’: हमारी सभाओं के पवित्र मकसद को जब हम समझेंगे, तो यह हमें उकसाएगा कि हम ‘सावधान रहें’ (NHT) और ऐसी बातों की वजह से सभाओं को चूकने की आदत न डालें जो कम अहमियत रखती हैं। (इफि. 5:15, 16; इब्रा. 10:24, 25) जब आप परिवार का शेड्यूल बनाते हैं, तो आप सबसे पहले लिख सकते हैं कि कब से कब तक का वक्त कलीसिया की सभाओं के लिए है। समय तय करने के बाद इस बात का ध्यान रखिए कि दूसरे काम आपके सभाओं में हाज़िर होने के आड़े न आएँ। यह भी ध्यान रखिए कि आपका परिवार सभाओं में हाज़िर होने को बेहद ज़रूरी समझे।
4 जब हम अपने भाइयों के बारे में पढ़ते हैं कि वे कैसी-कैसी बाधाओं को पार करके सभाओं और सम्मेलनों में हाज़िर होते हैं, तो क्या हमारा हौसला बुलंद नहीं होता? हो सकता है कि आपको उनके जैसी बड़ी मुश्किलों का सामना न करना पड़े, मगर आपके लिए भी सभाओं में आना आसान नहीं है। शैतान दिनोंदिन यहोवा के सेवकों के लिए उसकी सेवा करना मुश्किल बना रहा है। फिर भी यकीन मानिए, जब आपके बच्चे देखेंगे कि आपका परिवार कैसे कलीसिया की सभाओं में हाज़िर होने की जी-जान से कोशिश करता है, तो यह बात ज़रूर उनके मन में बैठ जाएगी। दरअसल, बिना नागा सभाओं में हाज़िर होने से आप उन्हें एक ऐसा आध्यात्मिक तोहफा दे रहे होंगे जिसे वे कभी नहीं भूल पाएँगे।