सँभालकर रखिए
तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाना
हमारी राज्य सेवकाई के पिछले कई अंकों में, तरक्की करनेवाले बाइबल अध्ययन चलाने के विषय पर लगातार जो लेख छापे गए थे, उनके सभी खास मुद्दे एक-साथ इस इंसर्ट में दिए गए हैं। सभी को बढ़ावा दिया जाता है कि वे इस इंसर्ट को सँभालकर रखें और बाइबल अध्ययन चलाते वक्त इसमें दिए मुद्दों पर ध्यान देकर उन्हें लागू करें। इसके अलावा, प्रचार की सभाएँ चलाते वक्त भी इन मुद्दों पर ज़ोर दिया जा सकता है, और सेवा अध्यक्ष जब पुस्तक अध्ययन समूहों का दौरा करते हैं, तो वे इन मुद्दों के आधार पर भाषण दे सकते हैं।
भाग 1: बाइबल अध्ययन क्या है?
अगर आप बाइबल से या उसके साथ संस्था के बताए किसी साहित्य का इस्तेमाल करके, किसी के साथ बिना नागा और बाकायदा बाइबल पर चर्चा करते हैं, चाहे कुछ मिनटों के लिए ही सही, तो आप एक बाइबल अध्ययन चला रहे हैं। अध्ययन कैसे किया जाता है, घर-मालिक को इसका प्रदर्शन दिखाने के बाद अगर आपने उसके साथ दो बार अध्ययन किया है और आपको लगता है कि यह अध्ययन जारी रहेगा, तो आप इसकी रिपोर्ट डाल सकते हैं।—km-HI 7/04 पेज 1.
इन साहित्य का इस्तेमाल करें
◼ परमेश्वर हमसे क्या माँग करता है?
◼ ज्ञान जो अनन्त जीवन की ओर ले जाता है
◼ एकमात्र सच्चे परमेश्वर की उपासना करें
भाग 2: अध्ययन चलाने की तैयारी करना
हमें जानकारी इस तरह पेश करनी चाहिए कि वह विद्यार्थी के दिल तक पहुँचे और उसे सीखी हुई बातों पर चलने के लिए उकसाए। इसके लिए ज़रूरी है कि हम विद्यार्थी को ध्यान में रखकर अध्ययन की अच्छी तैयारी करें।—km-HI 8/04 पेज 1.
तैयारी कैसे करें
◼ अध्याय या लेख के शीर्षक, उपशीर्षकों और उसमें दी गयी तसवीरों वगैरह पर कुछ पल के लिए जाँच कीजिए।
◼ दिए गए सवालों के जवाब ढूँढ़िए और सिर्फ उनके खास शब्दों और शब्द-समूहों पर निशान लगाइए।
◼ तय कीजिए कि अध्ययन में किन आयतों को पढ़ना ठीक रहेगा। साहित्य के मार्जिन या हाशिए पर, आयतों के बारे में चंद बातें लिखिए।
◼ आखिर में चंद शब्दों में मुख्य मुद्दों पर दोबारा चर्चा करने की तैयारी कीजिए।
विद्यार्थी की ज़रूरतों के मुताबिक सिखाइए
◼ विद्यार्थी और उसकी ज़रूरतों के बारे में प्रार्थना कीजिए।
◼ उन मुद्दों का अंदाज़ा लगाइए जिन्हें समझना या कबूल करना विद्यार्थी को मुश्किल लग सकता है।
◼ खुद से पूछिए: उसे कौन-सा मुद्दा समझने या किस मामले में सुधार करने की ज़रूरत है ताकि वह आध्यात्मिक तरक्की कर सके? मैं उसके दिल तक कैसे पहुँच सकता हूँ?
◼ ज़रूरत पड़े तो विद्यार्थी को कोई मुद्दा समझाने या किसी शास्त्रवचन का मतलब बताने के लिए, एक उदाहरण या कुछ सवाल तैयार कीजिए या कुछ जानकारी इकट्ठी कीजिए।
भाग 3: आयतों का कुशलता से इस्तेमाल करना
बाइबल अध्ययन चलाने का हमारा मकसद है, ‘चेले बनाना।’ परमेश्वर के वचन की सच्चाइयाँ समझने, कबूल करने और उनके मुताबिक ज़िंदगी जीने में लोगों की मदद करने से हम उन्हें चेला बना सकते हैं। (मत्ती 28:19, 20; 1 थिस्स. 2:13) इसलिए हमें अध्ययन के दौरान बाइबल की आयतों पर खास ज़ोर देना चाहिए।—km-HI 11/04 पेज 4.
परमेश्वर के वचन से सिखाइए
◼ विद्यार्थी को उसी की बाइबल में आयतें ढूँढ़ना सिखाइए।
◼ ऐसी आयतों को पढ़कर चर्चा कीजिए जो दिखाती हैं कि हम जो विश्वास करते हैं उसकी बुनियाद बाइबल है।
◼ सवाल पूछिए। बाइबल की आयतों का मतलब खुद ही बता देने के बजाय, विद्यार्थी को समझाने के लिए कहिए।
◼ सरलता से समझाइए। हर आयत का हरेक पहलू समझाने की कोशिश मत कीजिए। सिर्फ उतनी जानकारी दीजिए जितनी कि चर्चा के मुद्दे को समझाने के लिए ज़रूरी है।
◼ जीवन में लागू कीजिए। विद्यार्थी को यह समझने में मदद दीजिए कि बाइबल की आयतें उसकी ज़िंदगी पर कैसे लागू होती हैं।
भाग 4: विद्यार्थी को तैयारी करना सिखाना
जो विद्यार्थी अध्ययन का पाठ पहले से पढ़कर रखता, जवाब पर निशान लगाता और उन्हें अपने शब्दों में बताने की सोचता है, उसे आध्यात्मिक बातों में अच्छी तरक्की करने में देर नहीं लगती। लिहाज़ा, नियमित अध्ययन शुरू होने पर विद्यार्थी के साथ बैठकर एक पाठ तैयार कीजिए ताकि वह अध्ययन की तैयारी करना सीख जाए। ज़्यादातर मामलों में देखा गया है कि विद्यार्थी के साथ पूरा पाठ या अध्याय तैयार करना फायदेमंद होता है।—km-HI 12/04 पेज 1.
निशान लगाना और हाशिए में लिखना
◼ समझाइए कि पाठ में दिए सवालों का सीधा जवाब कैसे ढूँढ़ें।
◼ विद्यार्थी को अध्ययन की अपनी किताब दिखाइए जिसमें आपने सिर्फ खास शब्दों और वाक्य के ज़रूरी हिस्सों पर निशान लगाए हैं।
◼ विद्यार्थी को यह समझने में मदद दीजिए कि शास्त्र का हर हवाला, पैराग्राफ में दिए मुद्दे को पुख्ता करता है, और दिखाइए कि वह अपनी अध्ययन की किताब के हाशिए में कैसे इन आयतों के खास शब्द लिख सकता है।
सरसरी नज़र और दोबारा विचार
◼ विद्यार्थी को दिखाइए कि उसे अध्ययन की बारीकी से तैयारी करने से पहले किस तरह अध्याय या पाठ के शीर्षक, उपशीर्षकों और दी गयी तसवीरों की जाँच करनी चाहिए।
◼ विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए कि अध्ययन की तैयारी करने के बाद, अध्याय के मुख्य मुद्दों पर दोबारा विचार करे।
भाग 5: कितनी जानकारी पर चर्चा करें, यह तय करना
एक समय के अंदर कितनी जानकारी पर चर्चा करना सही होगा, यह फैसला अध्ययन चलानेवाले शिक्षक और बाइबल विद्यार्थी, दोनों की काबिलीयत और हालात पर निर्भर करता है।—km-HI 1/05 पेज 1.
मज़बूत विश्वास पैदा कीजिए
◼ ढेर सारी जानकारी को जल्द-से-जल्द पूरा करने के चक्कर में, इस अहम बात को नज़रअंदाज़ मत कीजिए कि विद्यार्थी को जानकारी साफ-साफ समझ में आयी है या नहीं।
◼ विद्यार्थी जो सीखता है, उसे अच्छी तरह समझने और कबूल करने में मदद दीजिए और इसके लिए जितना ज़रूरी है, उतना समय बिताइए।
◼ उन खास आयतों की जाँच करने के लिए काफी समय दीजिए, जो बाइबल शिक्षाओं की बुनियाद हैं।
विषय से भटकिए मत
◼ अगर विद्यार्थी को ज़ाती मामलों पर लंबी-चौड़ी बातें करने की आदत है, तो आप उससे कह सकते हैं कि ये बातें हम अध्ययन के बाद करेंगे।
◼ अध्ययन के दौरान, आप भी ज़्यादा मत बोलिए। कोई मुद्दा या अनुभव बताते वक्त ध्यान रहे कि वे इतने लंबे या ढेर सारे न हों कि विद्यार्थी, बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं का सही ज्ञान लेने से चूक जाए।
भाग 6: जब विद्यार्थी आपसे सवाल पूछे
एक बार जब बाइबल अध्ययन नियमित तौर पर शुरू हो जाता है, तो बाइबल के एक विषय की चर्चा करते-करते एकदम अलग विषय में चले जाने से बेहतर होगा कि आप सिलसिलेवार ढंग से बाइबल शिक्षाओं का अध्ययन करें। इससे विद्यार्थी सच्चा ज्ञान पाकर अपनी बुनियाद मज़बूत कर पाएगा और उसे आध्यात्मिक उन्नति करने में मदद मिलेगी।—km-HI 2/05 पेज 6.
सूझ-बूझ से काम लीजिए
◼ अध्ययन से जुड़े सवालों के जवाब आम तौर पर उसी वक्त दिए जा सकते हैं।
◼ जिन सवालों का अध्ययन से कोई ताल्लुक नहीं या जिनका सही जवाब देने के लिए खोजबीन करनी पड़ेगी, उनके बारे में किसी और समय पर चर्चा की जा सकती है। ऐसे सवालों को लिखकर रखना अच्छा रहेगा।
◼ विद्यार्थी को अगर बाइबल की कोई शिक्षा मानना मुश्किल लगे, तो संस्था की दूसरी किताबों से उसके साथ चर्चा कीजिए जिनमें इस विषय पर पूरी-पूरी जानकारी दी गयी है।
◼ इसके बाद भी अगर विद्यार्थी को तसल्ली न हो, तो उस विषय को अगली बार के लिए छोड़ दीजिए और अध्ययन जारी रखिए।
अपनी हद पहचानिए
◼ अगर आपको किसी सवाल का जवाब नहीं मालूम, तो अपनी सोच के हिसाब से कोई भी जवाब मत दीजिए।
◼ धीरे-धीरे विद्यार्थी को खोजबीन करना सिखाइए।
भाग 7: अध्ययन में प्रार्थना करना
बाइबल विद्यार्थी की आध्यात्मिक तरक्की के लिए उस पर यहोवा की आशीष होना ज़रूरी है। इसलिए प्रार्थना से अध्ययन शुरू करना और खत्म करना सही होगा।—km-HI 3/05 पेज 8.
प्रार्थना की शुरूआत कैसे करें
◼ जो लोग मसीही प्रार्थना से वाकिफ हैं, उनके साथ पहले अध्ययन से ही प्रार्थना की जा सकती है।
◼ दूसरे विद्यार्थियों के साथ प्रार्थना की शुरूआत करने के लिए हमें सही मौका ढूँढ़ने की ज़रूरत है।
◼ भजन 25:4, 5 और 1 यूहन्ना 5:14 का इस्तेमाल करके विद्यार्थी को समझाया जा सकता है कि प्रार्थना क्यों की जाती है।
◼ यूहन्ना 15:16 दिखाकर उसे समझाया जा सकता है कि हमें यीशु मसीह के ज़रिए ही यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए।
प्रार्थना में क्या शामिल करें
◼ इस बात के लिए यहोवा की स्तुति करना सही होगा कि वही हमें तालीम देता है।
◼ ऐसी बातें कहिए जिनसे ज़ाहिर हो कि आपको विद्यार्थी में सच्ची दिलचस्पी है।
◼ यहोवा जिस संगठन का इस्तेमाल कर रहा है, उसके लिए कदरदानी ज़ाहिर कीजिए।
◼ विद्यार्थी सीखी हुई बातों को लागू करने में जो मेहनत कर रहा है, उस पर यहोवा की आशीष के लिए बिनती कीजिए।
भाग 8: विद्यार्थियों का ध्यान संगठन की तरफ खींचना
बाइबल अध्ययन चलाने का हमारा मकसद सिर्फ विद्यार्थियों को बाइबल की शिक्षाएँ देना नहीं है, बल्कि उन्हें मसीही कलीसिया का हिस्सा बनने में मदद देना भी है। हर हफ्ते अध्ययन के दौरान थोड़ा वक्त निकालकर विद्यार्थी को यहोवा के संगठन के बारे में एक मुद्दा सिखाइए।—km-HI 4/05 पेज 8.
कलीसिया की सभाएँ
◼ विद्यार्थियों को कलीसिया की हर सभा के बारे में समझाइए। पहले अध्ययन से ही उन्हें सभाओं में आने का न्यौता दीजिए।
◼ सभाओं में जो बेहतरीन मुद्दे पेश किए जाते हैं, वे बताइए।
◼ जब स्मारक, सम्मेलन, और सर्किट अध्यक्ष का दौरा करीब आता है, तो इन सभाओं में हाज़िर होने के लिए उनमें जोश पैदा कीजिए।
◼ हमारे साहित्य में दी गयी तसवीरों का इस्तेमाल करके उन्हें यह कल्पना करने में मदद दीजिए कि सभाएँ किस तरह चलायी जाती हैं।
◼ यहोवा के साक्षी—वे कौन हैं? उनके विश्वास क्या हैं? ब्रोशर पढ़ने का बढ़ावा दीजिए।
सभाओं के लिए कदरदानी बढ़ाने में इन वीडियो का इस्तेमाल कीजिए जो अँग्रेज़ी में उपलब्ध हैं
◼ यहोवा के साक्षी—इस नाम से जुड़ा संगठन
◼ हमारे भाइयों की पूरी बिरादरी
◼ ईश्वरीय शिक्षा से एक किए गए
◼ पृथ्वी के दूर दूर देशों तक
भाग 9: विद्यार्थियों को मौका मिलने पर गवाही देने के लिए तैयार करना
जब बाइबल विद्यार्थी सीखी हुई बातों पर विश्वास करने लगते हैं, तो वे दूसरों को इन बातों के बारे में बताने से खुद को रोक नहीं पाते।—km-HI 5/05 पेज 1.
उन्हें गवाही देने का बढ़ावा दीजिए
◼ क्या उनके कोई दोस्त या परिवार के सदस्य हैं, जिन्हें वे अध्ययन में बैठने के लिए कह सकते हैं?
◼ क्या उनके साथ काम करनेवालों, पढ़नेवालों या जान-पहचान के दूसरे लोगों ने सुसमाचार में दिलचस्पी दिखायी है?
अपने विश्वास के बारे में दूसरों को बताने की तालीम दीजिए
◼ अध्ययन के दौरान कुछ खास मौकों पर विद्यार्थी से पूछिए, “अगर आपको यह सच्चाई अपने परिवार को समझानी है, तो इसके लिए आप उन्हें बाइबल की कौन-सी आयतें दिखाएँगे?”
◼ विद्यार्थी को यह समझाइए कि परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के बारे में दूसरों को बताते वक्त उनके साथ इज़्ज़त और प्यार से पेश आना चाहिए।
◼ यहोवा के साक्षी—वे कौन हैं? उनके विश्वास क्या हैं? इस ब्रोशर की मदद से विद्यार्थी अपने दोस्तों और परिवार के लोगों को बता सकता है कि हम बाइबल के आधार पर क्या-क्या विश्वास करते हैं और क्या काम करते हैं।
भाग 10: विद्यार्थियों को घर-घर के प्रचार में तालीम देना
जब प्राचीन तय करते हैं कि एक बाइबल विद्यार्थी, बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के लायक है, तो वह कलीसिया के साथ प्रचार में जाना शुरू कर सकता है।—km-HI 6/05 पेज 1.
मिलकर तैयारी करना
◼ नए प्रचारक को दिखाइए कि उसे पेशकश के सुझाव कहाँ मिल सकते हैं।
◼ एक आसान-सी पेशकश चुनने में उसकी मदद कीजिए जो आपके प्रचार के इलाके के लिए कारगर है।
◼ उसे प्रचार में बाइबल का इस्तेमाल करने का बढ़ावा दीजिए।
◼ साथ मिलकर रिहर्सल कीजिए। उसे बताइए कि प्रचार में आम तौर पर लोग जो कहते हैं या जो सवाल पूछते हैं, हम कैसे व्यवहार-कुशलता से उनका जवाब दे सकते हैं।
साथ-साथ प्रचार करना
◼ पहले विद्यार्थी को दिखाइए कि आप दोनों ने मिलकर जो पेशकश तैयार की है, उसके मुताबिक आप कैसे गवाही देते हैं।
◼ विद्यार्थी की शख्सियत और काबिलीयत को ध्यान में रखकर उसे तालीम दीजिए। कुछ घर-मालिकों के मामले में अच्छा होगा कि आप बात करें, और विद्यार्थी सिर्फ एक आयत पढ़े और चंद शब्दों में उसे समझाकर पेशकश में हिस्सा ले।
◼ नए प्रचारक को एक शेड्यूल बनाने में मदद दीजिए, जिससे वह नियमित तौर पर प्रचार में हिस्सा ले सके।
भाग 11: वापसी भेंट करने में विद्यार्थियों की मदद करना
वापसी भेंट की तैयारी पहली मुलाकात से ही शुरू होती है। विद्यार्थी को उकसाइए कि जिससे वह बात करता है, उसमें सच्ची दिलचस्पी दिखाए। धीरे-धीरे उसे सिखाइए कि वह कैसे घर-मालिक को अपने विचार बताने के लिए उकसा सकता है, फिर वह जो कहता है उसे ध्यान से सुन सकता है और उन बातों को याद रख सकता है जिनके बारे में घर-मालिक ने चिंता ज़ाहिर की है।—km-HI 7/05 पेज 1.
वापसी भेंट के लिए तैयारी
◼ पहली मुलाकात में जो बातचीत हुई थी उसे दोहराइए और ऐसा कोई विषय चुनने में विद्यार्थी की मदद कीजिए जिस पर बात करने में घर-मालिक को दिलचस्पी होगी।
◼ विद्यार्थी के साथ मिलकर एक छोटी-सी पेशकश तैयार कीजिए जिसमें घर-मालिक को बाइबल से एक आयत और साहित्य में से एक पैराग्राफ भी पढ़कर सुनाना चाहिए।
◼ चर्चा के आखिर में घर-मालिक से पूछने के लिए एक सवाल तैयार कीजिए।
वापसी भेंट करने में मेहनत कीजिए
◼ जितने भी लोग दिलचस्पी दिखाते हैं, उनसे जल्द-से-जल्द दोबारा मिलने के लिए विद्यार्थी को बढ़ावा दीजिए।
◼ विद्यार्थी को यह समझने में मदद दीजिए कि वापसी-भेंट पर जो लोग बहुत मुश्किल से मिलते हैं, उनसे मुलाकात करने के लिए हमें बार-बार कोशिश करने की ज़रूरत है।
◼ नए प्रचारक को सिखाइए कि वापसी भेंट के लिए वक्त कैसे तय करें, साथ ही उसे यह समझने में मदद दीजिए कि तय किए वक्त पर दोबारा ज़रूर जाना चाहिए।
भाग 12: बाइबल अध्ययन शुरू करने और चलाने में विद्यार्थियों की मदद करना
यह बहुत ज़रूरी है कि यीशु की तरह आप भी खुद प्रचार में एक अच्छी मिसाल बनें। जब आपका विद्यार्थी आपकी मिसाल पर गौर करेगा तो उसके दिमाग में यह बात अच्छी तरह बैठ जाएगी कि वापसी भेंट करने का मकसद बाइबल अध्ययन शुरू करना है।—km-HI 8/05 पेज 1.
बाइबल अध्ययन पेश करना
◼ विद्यार्थी को समझाइए कि उसे घर-मालिक को अध्ययन के इंतज़ाम के बारे में बहुत ज़्यादा ब्यौरा देने की ज़रूरत नहीं है।
◼ आम तौर पर किसी साहित्य से एक-दो पैराग्राफ पर चर्चा करके घर-मालिक के सामने बाइबल अध्ययन का एक नमूना पेश करना बेहतर होता है।
◼ बाइबल अध्ययन शुरू करने के बारे में किसी एक सुझाव पर विद्यार्थी के साथ चर्चा कीजिए और उसकी रिहर्सल कीजिए।—km-HI 8/05 पेज 8; km-HI 1/02 पेज 6.
विद्यार्थियों को शिक्षक बनने की तालीम देना
◼ विद्यार्थियों को परमेश्वर की सेवा स्कूल में अपना नाम दर्ज़ करवाने का बढ़ावा दीजिए।
◼ नए प्रचारकों को अपने साथ दूसरे बाइबल अध्ययनों में आने के लिए कहिए। उस अध्ययन में वे भी सिखाने में थोड़ा-बहुत हिस्सा ले सकते हैं।