‘मन से आज्ञा मानने’ में दूसरों की मदद कीजिए
यहोवा को मंज़ूर होनेवाली उपासना करने के लिए ज़रूरी है कि हम उसकी आज्ञाओं को मानें। (व्यव. 12:28; 1 पत. 1:14-16) जल्द ही परमेश्वर उन लोगों को दंड देनेवाला है जो “परमेश्वर को नहीं पहचानते, और . . . सुसमाचार को नहीं मानते।” (2 थिस्स. 1:8) इसलिए हम दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं ताकि वे परमेश्वर के वचन की शिक्षाओं को ‘मन से माननेवाले’ बन सकें?—रोमि. 6:17.
2 उनके अंदर विश्वास और प्रेम बढ़ाने में मदद कीजिए: बाइबल बताती है कि आज्ञा मानने और विश्वास करने के बीच गहरा नाता है। प्रेरित पौलुस ने बताया कि ‘सनातन परमेश्वर ने विश्वास से आज्ञा माननेवाले बनने की आज्ञा’ दी है। (रोमि. 16:26) इब्रानियों के अध्याय 11 में ऐसे कई स्त्री-पुरुषों का ज़िक्र है जिन्होंने विश्वास की बढ़िया मिसाल कायम की थी। उनमें से ज़्यादातर ने वही किया जो यहोवा ने उनसे चाहा था। (इब्रा. 11:7, 8, 17) दूसरी तरफ, जो परमेश्वर की आज्ञा नहीं मानते, उनमें विश्वास नहीं होता। (यूह. 3:36; इब्रा. 3:18, 19) हमें परमेश्वर के वचन का कुशलता से इस्तेमाल करने की काबिलीयत बढ़ानी चाहिए, ताकि हम दूसरों को ऐसा विश्वास पैदा करने में मदद दे सकें जिससे वे परमेश्वर की आज्ञा मानें।—2 तीमु. 2:15; याकू. 2:14, 17.
3 परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए उससे प्यार करना भी ज़रूरी है। (व्यव. 5:10; 11:1, 22; 30:16) पहला यूहन्ना 5:3 कहता है: “परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे।) हम बाइबल विद्यार्थियों को यहोवा के लिए अपने दिल में प्यार बढ़ाने में कैसे मदद दे सकते हैं? अध्ययन के वक्त, ऐसे मौकों की ताक में रहिए जब आप उनके दिल में यहोवा के गुणों के लिए कदरदानी बढ़ा सकते हैं। आप खुद परमेश्वर के बारे में जो महसूस करते हैं, उन्हें बताइए। विद्यार्थी को समझने में मदद दीजिए कि यहोवा के साथ एक रिश्ता कायम करना उसके लिए कितना ज़रूरी है। सबसे बढ़कर, यहोवा के लिए प्यार ही हमें और दूसरों को दिल से यहोवा की आज्ञा मानने के लिए उकसाएगा।—मत्ती 22:37.
4 अपनी मिसाल से: दूसरों को सुसमाचार की आज्ञा मानने के लिए उकसाने का एक असरदार तरीका है, खुद इसमें एक मिसाल पेश करना। लेकिन एक “आज्ञा माननेवाला हृदय” पैदा करने के लिए हमें लगातार मेहनत करने की ज़रूरत है। (1 राजा 3:9, NW; नीति. 4:23) इसमें क्या-क्या शामिल है? बिना नागा बाइबल का अध्ययन करने और सभाओं में हाज़िर होने के ज़रिए अपने मन को आध्यात्मिक ज्ञान से भरिए। (भज. 1:1, 2; इब्रा. 10:24, 25) ऐसे लोगों की संगति कीजिए जो पूरे हृदय से सच्ची उपासना करते हैं। (नीति. 13:20) प्रचार में नियमित तौर पर हिस्सा लीजिए ताकि आप लोगों की सच्चे दिल से मदद कर सकें। यहोवा से प्रार्थना कीजिए कि एक अच्छा हृदय पैदा करने में वह आपकी मदद करे। (भज. 86:11) ऐसी चीज़ों से दूर रहिए जो आपके हृदय को दूषित कर सकती हैं, जैसे अनैतिकता और हिंसा को बढ़ावा देनेवाले मनोरंजन। ऐसी बातों का पीछा कीजिए जो आपको परमेश्वर के और भी करीब ला सकती हैं और उसके साथ आपका रिश्ता मज़बूत कर सकती हैं।—याकू. 4:7, 8.
5 प्राचीन समय में यहोवा ने अपने लोगों को यकीन दिलाया था कि अगर वे उसकी आज्ञाओं को मानेंगे तो उसकी आशीषें उन्हें जा लेंगी। (व्यव. 28:1, 2) उसी तरह, आज “जो उस की आज्ञा मानते हैं,” उन्हें वह ढेरों आशीषें देता है। (प्रेरि. 5:32) इसलिए आइए हम दूसरों को सिखाकर और खुद एक बढ़िया मिसाल पेश करने के ज़रिए, दिल से यहोवा की आज्ञा मानने में उनकी मदद करें।
[अध्ययन के लिए सवाल]
1. यहोवा अपने उपासकों से क्या माँग करता है?
2. दूसरों को मज़बूत विश्वास पैदा करने के लिए मदद देना क्यों ज़रूरी है?
3. (क) परमेश्वर की आज्ञा मानने का प्यार के साथ कैसे नाता है? (ख) हम बाइबल विद्यार्थियों को यहोवा के लिए अपने दिल में प्यार बढ़ाने में कैसे मदद दे सकते हैं?
4. (क) हमारी मिसाल क्यों बहुत मायने रखती है? (ख) “आज्ञा माननेवाला हृदय” पैदा करने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
5. आज्ञा माननेवाले किस तरह आशीष पाते हैं?