पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग अप्रै. 15
“लगभग सभी का मानना है कि घरवालों के बीच अच्छी बातचीत होना, सुखी परिवार का एक राज़ है। फिर भी, कई लोगों को अपने परिवार के सदस्यों के साथ खुलकर बात करना मुश्किल लगता है। आप क्या सोचते हैं, इसकी वजह क्या हो सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि हम दूसरों की सुनने और अपनी बात कहने की कला कैसे बढ़ा सकते हैं।” याकूब 1:19 पढ़िए।
सजग होइए! अप्रै.-जून
“आज दुनिया में लोग कई ईश्वरों की पूजा करते हैं। लेकिन गौर कीजिए कि यीशु ने स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता के बारे में, अपनी एक प्रार्थना में क्या कहा था। [यूहन्ना 17:3 पढ़िए।] अगर सच्चा परमेश्वर सिर्फ एक है, तो दूसरे ईश्वरों के बारे में क्या कहा जा सकता है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस लेख में बताया गया है कि बाइबल इस विषय पर क्या कहती है।” पेज 14-15 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग मई 1
“आज दुनिया में ऐसे लाखों लोग हैं, जो गरीबी की चक्की में पिस रहे हैं। आपको क्या लगता है, हम इनकी मदद कैसे कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए। इसके बाद, पहला पतरस 2:21 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि यीशु की मिसाल पर चलकर, हम गरीबों के लिए कैसी परवाह दिखा सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून.
“आजकल हम देखते हैं कि स्कूल में अनैतिक काम बहुत बढ़-चढ़कर किए जा रहे हैं। आपको क्या लगता है, हमारे बच्चों को अच्छा चरित्र बनाए रखने में क्या बात मदद करेगी? [जवाब के लिए रुकिए और फिर नीतिवचन 22:3 पढ़िए। पेज 16 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में ऐसी कुछ सलाहें दी गयी हैं, जिन पर अमल करने से हमारे बच्चों को स्कूल में सही चालचलन बनाए रखने में मदद मिलेगी।”