शाखा दफ्तर का खत
प्यारे राज्य प्रचारको:
पिछले कुछ सालों से संगठन के काम करने के तरीके में जो बदलाव हुए हैं, उनका जिस तरह से आपने साथ दिया है, उसके लिए हम आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहते हैं।
सितंबर 1,2006 से ज़िला के सिलसिले में कुछ नए इंतज़ाम किए जा रहे हैं। अब से ज़िलों को इस तरह बाँटा गया है: ज़िला 1 में अँग्रेज़ी भाषा बोलनेवाले सर्किट होंगे, ज़िला 2 में हिंदी और उत्तर भारतीय भाषाएँ बोलनेवाले सर्किट, ज़िला 3 में कन्नड़, तमिल और तेलगू सर्किट और ज़िला 4 में सारे मलयालम सर्किट होंगे। इसका मतलब है कि जिस भाषा में सर्किट सम्मेलन रखे जाते हैं, वही भाषा बोलनेवाले ज़िला अध्यक्ष, उन सम्मेलनों की देखरेख करेंगे।
बड़े-बड़े शहरों में अलग-अलग भाषा बोलनेवाले समूहों पर खास ध्यान देने के लिए भी ज़रूरी इंतज़ाम किए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि कभी-कभी अलग-अलग भाषा बोलनेवाली एक-से-ज़्यादा कलीसियाएँ, एक ही प्रचार इलाके में काम करेंगी और हर कलीसिया अपनी भाषा बोलनेवाले लोगों पर ध्यान देगी।
हममें से हरेक को अपना भाग अदा करना होगा, ताकि हम परमेश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए और भी संगठित हो सकें। और जब हमें दिलचस्पी रखनेवाले ऐसे लोग मिलते हैं जो दूसरी भाषा बोलते हैं, तो हमें इस मामले में दी गयी हिदायतों को मानना चाहिए।—भज. 40:8.
संगठन में, अलग-अलग भाषा बोलनेवालों की गिनती जैसे-जैसे बढ़ती जा रही है, हमें और भी राज्य घरों की ज़रूरत पड़ेगी। यह देखकर हमें वाकई खुशी होती है कि देश-भर में जहाँ कहीं राज्य घर का निर्माण काम चल रहा है, वहाँ भाई-बहन अपना समय और ज़रूरी साधन देकर अच्छा सहयोग दे रहे हैं। हालाँकि हमारी आर्थिक हालत में अब तक कोई सुधार नहीं हुआ है, मगर प्रचारकों ने दिल खोलकर जो दान दिया है उसकी बदौलत आज कई राज्य घर बनाए जा रहे हैं। हम जानते हैं कि ज़मीन और निर्माण काम के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इसके बावजूद, अगर इसी तरह कलीसियाएँ दान देकर अपना बोझ, या अपनी ज़िम्मेदारी उठाती रहेंगी, तो हम यकीन रख सकते हैं कि राज्य घर के निर्माण काम पर यहोवा आशीषें देता रहेगा।—गल. 6:5; भज. 127:1.
आपके भाई,
भारत का शाखा दफ्तर