पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“हम अकसर परमेश्वर से प्रार्थना करते हैं। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी प्रार्थनाएँ उसे मंज़ूर हैं कि नहीं? [जवाब के लिए रुकिए, फिर भजन 141:2 पढ़िए। पेज 22 पर दिया लेख खोलकर दिखाइए।] यह लेख समझाता है कि हम कैसे उस तरीके से परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं, जो उसे मंज़ूर हो।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“कुछ लोगों का मानना है कि इस दुनिया में कामयाबी हासिल करने के लिए गुस्से को अपना हथियार बनाना ज़रूरी है। मगर गौर कीजिए कि यीशु ने बिलकुल अलग बात कही थी। [मत्ती 5:5,9 पढ़िए।] क्या आप यीशु की इस बात से सहमत हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका, एक-दूसरे के साथ शांति बनाए रखने के तीन फायदे बताती है।” पेज 28 पर दिया लेख दिखाइए।
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“मैं आपको शास्त्र से एक आयत पढ़कर सुनाना चाहता/ती हूँ, जिससे कई शादीशुदा जोड़ों को फायदा पहुँचा है। [इफिसियों 5:33 पढ़िए] आपकी राय में, एक पति-पत्नी इस सलाह पर कैसे चल सकते हैं, ताकि उनका आपसी रिश्ता मज़बूत हो? [जवाब के लिए रुकिए और फिर पेज 7 पर दिया लेख खोलकर दिखाइए।] इस बारे में यह लेख कुछ कारगर सुझाव देता है, जो काफी फायदेमंद साबित हुए हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“कई लोग सोचते हैं कि क्या परमेश्वर पर विश्वास करना विज्ञान के मुताबिक सही है। आपको क्या लगता है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर इब्रानियों 3:4 पढ़िए।] सजग होइए! का यह खास अंक, ऐसे सबूतों पर रोशनी डालता है जिनकी वजह से कुछ वैज्ञानिक, सिरजनहार को मानने लगे हैं।”