‘खुश है वह मनुष्य, जो परीक्षा में धीरज धरे रहता है’
हममें से हरेक मसीही को अपनी ज़िंदगी में कई परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। (2 तीमु. 3:12) जैसे, खराब सेहत, पैसों की तंगी, गलत काम करने के लिए लुभाया जाना, ज़ुल्म वगैरह। शैतान हम पर परीक्षाएँ इसलिए लाता है, ताकि हम अपनी मसीही सेवा में धीमे पड़ जाएँ, या उसे नज़रअंदाज़ कर दें, या फिर परमेश्वर की सेवा करना ही छोड़ दें। (अय्यू. 1:9-11) तो फिर, हम परीक्षाओं में धीरज कैसे धर सकते हैं जिससे हमें खुशी मिले?—2 पत. 2:9.
2 खुद को तैयार कीजिए: यहोवा ने हमें अपना सत्य वचन दिया है, जिसमें यीशु की ज़िंदगी और उसकी शिक्षाओं का रिकॉर्ड भी दर्ज़ है। इसलिए जब हम यीशु की बातों पर ध्यान देते हैं और उनके मुताबिक काम करते हैं, तो हम अपनी ज़िंदगी एक मज़बूत बुनियाद पर खड़ी कर रहे होते हैं। इस तरह, हम मुसीबतों का सामना करने के लिए तैयार रह पाते हैं। (लूका 6:47-49) हम दूसरे इंतज़ामों का भी फायदा उठाते हैं, जिनसे हमें ताकत मिलती है। जैसे, हमारे मसीही भाई-बहन, कलीसिया की सभाएँ, साथ ही विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग के ज़रिए मिलनेवाले बाइबल साहित्य। यही नहीं, परमेश्वर ने हमें प्रार्थना का वरदान भी दिया है, जिसके ज़रिए हम अकसर परमेश्वर से बात करते हैं।—मत्ती 6:13.
3 इसके अलावा, यहोवा ने हमें भविष्य की आशा भी दी है। जब हम उसके वादों पर अपना विश्वास मज़बूत करते हैं, तो हमारी यह आशा हमारे “प्राण के लिये ऐसा लंगर” बन जाती है, “जो स्थिर और दृढ़” होता है। (इब्रा. 6:19) बाइबल के ज़माने में, नाविक बिना लंगर के जहाज़ को कभी बंदरगाह से बाहर नहीं ले जाते थे, फिर चाहे मौसम कितना ही अच्छा क्यों न हो। लंगर साथ ले जाना इसलिए ज़रूरी होता था, क्योंकि बीच समुंदर में अचानक तूफान उठने पर उसे पानी में डाल दिया जाता था। इससे जहाज़ बहकर किनारे की चट्टानों से टकराता नहीं था, बल्कि एक ही जगह पर टिका रहता था। उसी तरह, अगर हम अभी परमेश्वर के वादों पर अपना विश्वास मज़बूत करें, तो मुसीबतों के तूफान आने पर हम दृढ़ रह पाएँगे। परीक्षाएँ अचानक आ सकती हैं। मिसाल के लिए, जब पौलुस और बरनबास लुस्त्रा में प्रचार कर रहे थे, तो शुरू-शुरू में लोगों ने उनकी बात अच्छी तरह से सुनी। मगर जैसे ही अन्ताकिया से उनका विरोध करनेवाले यहूदी आ पहुँचे, वहाँ के लोगों का रवैया एकदम-से बदल गया।—प्रेरि. 14:8-19.
4 धीरज धरने से खुशी मिलती है: विरोध के बावजूद, प्रचार में लगे रहने से हमें मन की शांति मिलती है। जब हम मसीह की खातिर निरादर होने के योग्य ठहरते हैं, तो इस बात से हम आनंदित होते हैं। (प्रेरि. 5:40, 41) परीक्षाओं में धीरज धरने से हमें अपने अंदर नम्रता, धीरज और परमेश्वर की आज्ञा मानने जैसे गुणों को और भी अच्छी तरह बढ़ाने में मदद मिलती है। (व्यव. 8:16; इब्रा. 5:8; याकू. 1:2, 3) परीक्षाएँ हमें यहोवा पर निर्भर रहना, उसके वादों पर भरोसा करना और उसमें शरण लेना सिखाती हैं।—नीति. 18:10.
5 हम जानते हैं कि परीक्षाएँ सिर्फ कुछ समय के लिए हैं। (2 कुरि. 4:17, 18) इनमें धीरज धरकर हम दिखाते हैं कि हम यहोवा से दिलो-जान से प्यार करते हैं। साथ ही, हम शैतान के झूठे इलज़ामों का मुँहतोड़ जवाब भी दे पाते हैं। इसलिए हम कभी हार नहीं मानते! बाइबल कहती है: ‘खुश है वह मनुष्य, जो परीक्षा में धीरज धरे रहता है, क्योंकि वह खरा निकलकर जीवन का मुकुट पाएगा।’—याकू. 1:12, NW.