स्मारक के लिए याद रखनेवाली बातें
स्मारक की तैयारी करते वक्त, प्राचीनों को नीचे दी बातों का ध्यान रखना चाहिए:
◼ ध्यान रखिए कि स्मारक के प्रतीक, सूरज ढलने के बाद ही दिए जाएँ।
◼ सही किस्म की रोटी और दाखमधु का इंतज़ाम करके इन्हें तैयार रखना चाहिए।—15 फरवरी,2003 की प्रहरीदुर्ग के पेज 14-15 देखिए।
◼ प्लेट, गिलास, एक अच्छी मेज़ और मेज़पोश पहले से हॉल में लाकर सही जगह पर रखना चाहिए।
◼ राज्य घर या जहाँ स्मारक मनाया जाएगा, वहाँ पहले से अच्छी साफ-सफाई की जानी चाहिए।
◼ मददगार भाइयों और प्रतीक देनेवाले भाइयों को पहले से चुना जाना चाहिए और उन्हें उनका काम और उसे करने का सही तरीका बताया जाना चाहिए। यह भी बताना ज़रूरी है कि उनका पहनावा और बनाव-श्रृंगार शालीन हो।
◼ अगर कोई अभिषिक्त मसीही, बीमारी की वजह से स्मारक में हाज़िर नहीं हो सकता, तो उसे स्मारक की रोटी और दाखमधु देने का इंतज़ाम किया जाना चाहिए।
◼ अगर एक-से-ज़्यादा कलीसियाएँ एक ही राज्य घर में स्मारक मनाती हैं, तो उन्हें साथ मिलकर सही-सही इंतज़ाम करना चाहिए। इससे खाहमखाह राज्य घर के अंदर जाने के रास्ते में, बाहर फुटपाथ पर और गाड़ियाँ खड़ी करने की जगह पर भीड़-भाड़ नहीं होगी।
◼ अगर स्मारक मनाने के लिए किसी और जगह का इस्तेमाल किया जाता है, तो इस बात का खयाल रखिए कि वहाँ साउंड सिस्टम की अच्छी व्यवस्था हो, ताकि हाज़िर सभी लोगों को वक्ता की आवाज़ साफ सुनायी दे।