नए लोगों को प्रचार करने की तालीम कैसे दें
1. जब आप पहली बार घर-घर के प्रचार में गए थे, तो आपको कैसा लगा था?
क्या आपको वह दिन याद है, जब आपने पहली बार घर-घर के प्रचार में हिस्सा लिया था? आप शायद बेहद डरे हुए थे। अगर आप अपने बाइबल शिक्षक या किसी और प्रचारक के साथ प्रचार कर रहे थे, तो इसमें कोई शक नहीं कि आप उनकी मदद पाकर खुश थे। अब जब आपने एक सेवक के तौर पर अनुभव हासिल कर लिया है, तो आप दूसरों को प्रचार करने की तालीम देने के काबिल बन गए हैं।
2. नए प्रचारकों को क्या सीखने की ज़रूरत है?
2 नए प्रचारकों को बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत होती है। जैसे, घर-मालिक के साथ बातचीत शुरू करना, दरवाज़े पर खड़े होकर बाइबल का इस्तेमाल करना, वापसी भेंट करना, बाइबल अध्ययन शुरू करना और उसे चलाना। इसके अलावा उन्हें सड़क पर गवाही देना और बिज़नेस की जगहों पर लोगों से मुलाकात करना, जैसे प्रचार के अलग-अलग तरीकों में भी हिस्सा लेना सीखना होता है। उन्हें यह भी सीखने की ज़रूरत है कि दूसरों को खुशखबरी सुनाते वक्त उन्हें घर-मालिक के धार्मिक भावनाओं का आदर करने, साथ ही सावधानी और सूझ-बूझ से काम लेने की ज़रूरत है। (कुलु. 4:6) आप अपनी मिसाल और सुझावों के ज़रिए नए प्रचारकों को इन मामलों में सुधार लाने में मदद कर सकते हैं।
3. हम अपनी मिसाल से दूसरों की कैसे मदद कर सकते हैं?
3 अपनी मिसाल से सिखाइए: यीशु ने सिर्फ अपनी बातों से नहीं बल्कि खुद करके भी दिखाया कि प्रचार कैसे किया जाना चाहिए। (लूका 8:1; 1 पत. 2:21) जब आप किसी नए प्रचारक के साथ काम करते हैं, तो एक आसान-सी पेशकश तैयार कीजिए जिसे प्रचारक सीख सके। आप चाहें तो हमारे साहित्य में दी किसी एक पेशकश का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके बाद, पहले या दूसरे घर में आप बात कर सकते हैं ताकि प्रचारक आपको ध्यान से सुन सके। एक घर से दूसरे घर जाने के बीच आप प्रचारक से पूछ सकते हैं कि उसने आपकी पेशकश से क्या बातें सीखीं। ऐसा करने से उसे यह समझने में मदद मिलेगी कि प्रचार में दूसरों के साथ काम करने की कितनी अहमियत है। साथ ही उसकी पेशकश के बाद आप उसे जो सुझाव देते हैं, उन्हें भी कबूल करने में उसे आसानी होगी।
4. एक नए प्रचारक की पेशकश सुनने के बाद, हम कैसे उसकी मदद कर सकते हैं?
4 सुझाव दीजिए: यीशु ने अपने प्रेषितों को हिदायतें भी दीं कि उन्हें प्रचार कैसे करना है। (मत्ती 10:5-14) आप भी इसी तरह से एक नए प्रचारक की मदद कर सकते हैं। जब उसके बोलने की बारी आती है तो ध्यान से सुनिए। फिर घर से बाहर निकलने के बाद दिल खोलकर उसकी सच्ची तारीफ कीजिए, तब भी अगर आपने देखा है कि उसकी पेशकश में कुछ सुधार करने की ज़रूरत है। कोई सुझाव देने से पहले आप चाहें तो उसे एक और मौका देकर देख सकते हैं कि क्या उसने उस मामले में सुधार किया है। हो सकता है कि घबराहट की वजह से उससे वह गलती हो गयी हो। मगर यह भी ध्यान में रखिए कि सभी प्रचारकों में एक जैसी काबिलीयत नहीं होती। और किसी चीज़ को सही तरीके से करने के, एक से ज़्यादा तरीके होते हैं।—1 कुरिं. 12:4-7.
5. सुझाव देने के लिए जब हमें पहल करनी होती है, तब हम क्या कह सकते हैं?
5 कभी-कभी हो सकता है कि नया प्रचारक खुद आपसे सुझाव माँगें लेकिन अगर वह आपसे सुझाव नहीं माँगता, तो अपनी तरफ से उसकी मदद करने के लिए पहल कीजिए। आप यह कुशलता से कैसे कर सकते हैं? कुछ अनुभवी प्रचारक सिर्फ इतना पूछते हैं, “क्या मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ?” या “आपको अपनी पेशकश कैसी लगी?” एक और तरीका है यह कहना, “जब मैं एक नया प्रचारक था, तो मुझे भी यह . . . बहुत मुश्किल लगता था, मगर मुझे . . . इससे बहुत मदद मिली।” कभी-कभी साथ मिलकर रीज़निंग किताब से मदद लेना अच्छा होता है। नया प्रचारक आपके सुझावों के बोझ तले दब न जाए, इसलिए उसे उसकी पेशकश के किसी एक पहलू पर ही सुझाव दीजिए।
6. प्रचार सेवा में ‘लोहा कैसे लोहे को चमकाता’ है?
6 लोहा लोहे को चमकाता है: तीमुथियुस एक अनुभवी प्रचारक था। फिर भी पौलुस ने उसे सिखाने में लगे रहने और तरक्की करने के लिए उकसाया। (1 तीमु. 4:13, 15) भले ही आपको प्रचार काम करते काफी समय हो गया हो, लेकिन आपको अपना हुनर निखारने के लिए हमेशा कोशिश करते रहना चाहिए। आप जिन प्रचारकों के साथ प्रचार में जाते हैं उनसे सीखिए, उनसे भी जिन्हें प्रचार में आपसे कम अनुभव है। दूसरों को प्यार-भरी मदद देने के लिए हमेशा तैयार रहिए, खासकर नए लोगों को ताकि वे खुशखबरी के हुनरमंद प्रचारक बन सकें।—नीति. 27:17.