“मत डर”
1. यिर्मयाह की तरह हमारे सामने भी कैसी चुनौतियाँ आ सकती हैं?
जब यिर्मयाह को भविष्यवक्ता की ज़िम्मेदारी दी गयी, तो शुरू-शुरू में वह खुद को नाकाबिल महसूस करता था। मगर यहोवा ने उसे भरोसा दिलाया: “मत डर” और बड़े प्यार से उसकी हिम्मत बँधायी ताकि वह अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर सके। (यिर्म. 1:6-10) आज हमारे दिनों में, शर्मीलेपन या आत्म-विश्वास की कमी की वजह से हो सकता है कि हम प्रचार सेवा में ज्यादा हिस्सा न लेते हों। कभी-कभी हमें यह भी डर होता है कि न जाने लोग कैसी प्रतिक्रिया दिखाएँगे या हमें किस नज़र से देखेंगे, यह सोचकर हम गवाही देने से पीछे हट जाते हैं। हम इस तरह के अपने डर पर कैसे काबू पा सकते हैं और ऐसा करने से हमें क्या आशीषें मिलेंगी?
2. तैयारी करने से कैसे हमें प्रचार से जुड़े अपने डर को दूर करने में मदद मिल सकती है?
2 पहले से तैयारी कीजिए: अच्छी तैयारी करने से हम काफी हद तक अपने डर पर काबू पा सकते हैं। मिसाल के लिए, अगर हम पहले से तैयारी करें कि लोग बातचीत में रुकावट डालने के लिए क्या-क्या कह सकते हैं, तो हम आमतौर पर पूछे जानेवाले सवालों का जवाब देने के लिए तैयार रहेंगे। (नीति. 15:28) क्यों न आप पारिवारिक उपासना के दौरान तैयारी करें कि आप स्कूल और प्रचार सेवा में उठनेवाली मुश्किलों का सामना कैसे कर सकते हैं?—1 पत. 3:15.
3. यहोवा पर भरोसा रखने से कैसे हमें डर पर काबू पाने में मदद मिलेगी?
3 यहोवा पर भरोसा रखिए: अपने परमेश्वर पर भरोसा रखने से हम अपने डर पर काबू पा सकते हैं। यहोवा ने इस बात की गारंटी दी है कि वह हमारी मदद ज़रूर करेगा। (यशा. 41:10-13) इससे बड़ी गारंटी कौन हमें दे सकता है? इसके अलावा, यीशु ने हमें भरोसा दिलाया है कि अगर अचानक कोई मुश्किल सामने आती है तो परमेश्वर की पवित्र शक्ति अच्छी तरह गवाही देने में हमारी मदद करेगी। (मर. 13:11) इसलिए, नियमित तौर पर यहोवा से पवित्र शक्ति के लिए प्रार्थना कीजिए।—लूका 11:13.
4. मुश्किलों के बावजूद प्रचार में लगे रहने से हमें क्या आशीषें मिलती हैं?
4 आशीषें: जब हम मुश्किलों के बावजूद प्रचार में लगे रहते हैं, तो हम भविष्य में आनेवाली परीक्षाओं का सामना करने के लिए मज़बूत हो जाते हैं। हम अपने अंदर हिम्मत और निडरता पैदा कर पाते हैं, जो कि पवित्र शक्ति से भरे लोगों की खासियत है। (प्रेषि. 4:31) इसके अलावा, जब हम यहोवा की मदद से अपने डर पर काबू पा लेते हैं तो हमारा विश्वास मज़बूत होता है और हमारा भरोसा बढ़ता है कि वह हमें ज़रूर बचाएगा। (यशा. 33:2) यह एहसास कि हम स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता को खुश कर रहे हैं, हमें सच्ची खुशी और संतुष्टि देती है। (1 पत. 4:13, 14) तो आइए, हिम्मत के साथ राज का संदेश सुनाने में हम बिलकुल न डरें और हमेशा भरोसा रखें कि यहोवा हमारे साथ है!