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  • यहोवा इंसान के जीवन को अनमोल समझता है
  • हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2021
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हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2021
mwb21 जुलाई पेज 7

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यहोवा इंसान के जीवन को अनमोल समझता है

शरण-नगर में पहुँचना आसान होता था (व्य 19:2, 3; प्र17.11 पेज 14 पै 4)

शरण-नगरों की वजह से इसराएली खून के दोषी होने से बच पाते थे (व्य 19:10; प्र17.11 पेज 15 पै 9)

अपने भाई-बहनों से नफरत करने से खून के दोषी बनने का खतरा रहता है (व्य 19:11-13; इंसाइट-1 पेज 344)

खुद से पूछिए, ‘अगर मैं यहोवा की तरह जीवन को अनमोल समझता हूँ, तो मैं किन बातों का ध्यान रखूँगा?’

तसवीरें: एक भाई गाड़ी चलाते समय फोन पर मैसेज कर रहा है। 2. उसी भाई ने अपनी गाड़ी खड़ी कर दी है और वह उसके पास खड़ा होकर मैसेज कर रहा है।
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