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  • यकीन रखिए, यहोवा ने आपको माफ कर दिया है!

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  • यकीन रखिए, यहोवा ने आपको माफ कर दिया है!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 अगस्त पेज 14-19

अध्ययन लेख 34

गीत 3 हमारी ताकत, आशा और भरोसा

यकीन रखिए, यहोवा ने आपको माफ कर दिया है!

“तूने मेरे पाप, मेरे गुनाह माफ कर दिए।”—भज. 32:5.

क्या सीखेंगे?

यहोवा हमें माफ करता है, इस बात पर यकीन करना क्यों ज़रूरी है? और बाइबल में हमें कैसे यकीन दिलाया गया है कि यहोवा सच्चा पश्‍चाताप करनेवालों को माफ करता है?

1-2. जब यहोवा हमारे पाप माफ कर देता है, तो हम कैसा महसूस करते हैं? ( तसवीर भी देखें।)

राजा दाविद ने अपनी ज़िंदगी में कुछ बड़े-बड़े पाप किए थे। इसलिए वह अच्छी तरह जानता था कि दोषी महसूस करना कैसा होता है। (भज. 40:12; 51:3; उपरिलेख) लेकिन फिर उसने दिल से पश्‍चाताप किया और यहोवा ने उसे माफ कर दिया। (2 शमू. 12:13) माफी पाकर दाविद को बहुत राहत महसूस हुई।—भज. 32:1.

2 जब यहोवा हम पर दया करता है और हमारे पाप माफ कर देता है, तो हम भी दाविद की तरह राहत महसूस करते हैं। यह जानकर कितना दिलासा मिलता है कि यहोवा हमारे पाप माफ करता है। अगर हमने गंभीर पाप भी किए हों, तब भी यहोवा हमें माफ करने को तैयार रहता है। लेकिन इसके लिए हमें दिल से पश्‍चाताप करना होगा, अपने पाप मानने होंगे और पूरी कोशिश करनी होगी कि हम उन्हें कभी ना दोहराएँ। (नीति. 28:13; प्रेषि. 26:20; 1 यूह. 1:9) यह जानकर भी कितना अच्छा लगता है कि यहोवा हमारे पापों को पूरी तरह माफ कर देता है, मानो हमने वे पाप किए ही ना हों!—यहे. 33:16.

राजा दाविद अपनी बालकनी में बैठा सुरमंडल बजा रहा है और गाना गा रहा है।

राजा दाविद ने अपने कई भजनों में बताया कि यहोवा किस तरह माफ करता है (पैराग्राफ 1-2)


3-4. (क) बपतिस्मा लेने के बाद भी एक बहन को कैसा लग रहा था? (ख) इस लेख में हम क्या जानेंगे?

3 कभी-कभी कुछ लोगों के लिए यह मानना मुश्‍किल होता है कि यहोवा ने उन्हें माफ कर दिया है। जेनिफर के उदाहरण पर गौर कीजिए जो सच्चाई में पली-बढ़ी थी। जब वह बड़ी हो रही थी, तो वह गलत काम करने लगी और दोहरी ज़िंदगी जीने लगी। फिर कई सालों बाद वह यहोवा के पास लौट आयी और उसने बपतिस्मा लिया। वह कहती है, “मैं पैसों के पीछे पागल थी, बदचलन ज़िंदगी जी रही थी, खूब शराब पीती थी और बहुत गुस्सा करती थी। मैं जानती थी कि पश्‍चाताप करने से और माफी माँगने से यहोवा परमेश्‍वर यीशु के बलिदान के आधार पर हमें माफ कर देता है। लेकिन मेरा दिल नहीं मान रहा था कि यहोवा ने मुझे सच में माफ किया है।”

4 क्या आपको भी कभी-कभी यह मानना मुश्‍किल लगता है कि यहोवा ने आपकी बीती गलतियाँ माफ कर दी हैं? अगर हाँ, तो याद रखिए कि यहोवा चाहता है कि दाविद की तरह आप भी यकीन रखें कि उसने आपको पाप माफ कर दिया है और वह चाहता है कि आप राहत महसूस करें। इस लेख में हम जानेंगे कि हमारे लिए यह यकीन करना क्यों ज़रूरी है कि यहोवा ने हमारे पाप माफ कर दिए हैं और हम खुद को इस बात का कैसे यकीन दिला सकते हैं।

हमें क्यों यकीन रखना चाहिए कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

5. शैतान हमें क्या यकीन दिलाना चाहता है? उदाहरण देकर समझाइए।

5 इससे हम शैतान के फंदे में नहीं फँसेंगे। याद रखिए, शैतान चाहता है कि हम यहोवा की सेवा करना छोड़ दें और ऐसा करने के लिए वह कोई भी तरीका अपना सकता है। जैसे, वह चाहता है कि हम यह मान लें कि हमने इतना बड़ा पाप किया है कि हमें माफी नहीं मिल सकती। कुरिंथ के उस आदमी के उदाहरण पर गौर कीजिए जिसने नाजायज़ यौन-संबंध रखने का पाप किया था और उसे मंडली से निकाल दिया गया था। (1 कुरिं. 5:1, 5, 13) बाद में उसने अपने पापों के लिए पश्‍चाताप किया। मगर शैतान चाहता था कि मंडली के भाई-बहन उसे माफ ना करें, यहाँ तक कि मंडली में उसका स्वागत तक ना करें। लेकिन अगर भाई-बहन उसे माफ नहीं करते, तो वह आदमी शायद सोचता कि यहोवा ने भी उसे माफ नहीं किया है और “वह हद-से-ज़्यादा उदासी में डूब” जाता और यहोवा की सेवा करना छोड़ देता। शैतान बदला नहीं है, वह आज भी यही तरीका अपनाता है। वह हमें यकीन दिलाना चाहता है कि हमारे पाप माफी के लायक नहीं हैं। लेकिन “हम उसकी चालबाज़ियों से अनजान नहीं।”—2 कुरिं. 2:5-11.

6. अगर हम दोषी महसूस कर रहे हैं, तो राहत पाने के लिए हमें क्या करना होगा?

6 इससे हमें राहत मिलती है और हम दोषी महसूस नहीं करते। जब हम पाप करते हैं, तो हम दोषी महसूस करते हैं। (भज. 51:17) कुछ हद तक ऐसा महसूस करना सही है, क्योंकि इससे हमारा ज़मीर हमें सही काम करने के लिए उभारता है। (2 कुरिं. 7:10, 11) लेकिन अगर पापों का पश्‍चाताप करने के बाद भी हम दोषी महसूस करते रहें, तो हम हार मान बैठेंगे। लेकिन अगर हम यकीन रखें कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है, तो हम दोषी महसूस नहीं करेंगे। इसके बजाय हम साफ ज़मीर से और खुशी से यहोवा की सेवा करेंगे। और यहोवा भी यही चाहता है! (कुलु. 1:10, 11; 2 तीमु. 1:3) पर सवाल है, हम खुद को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

हम खुद को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

7-8. यहोवा ने मूसा को अपने बारे में क्या बताया और इस वजह से हम किस बात का यकीन कर सकते हैं? (निर्गमन 34:6, 7)

7 इस बारे में सोचिए कि यहोवा ने अपने बारे में क्या कहा। ध्यान दीजिए कि जब सीनै पहाड़ पर यहोवा ने मूसा से बात की, तो उसने क्या कहा।a (निर्गमन 34:6, 7 पढ़िए।) यहोवा चाहता तो मूसा को अपने बारे में और अपने गुणों के बारे में बहुत कुछ बता सकता था, लेकिन उसने अपने बारे में मूसा से कहा, “यहोवा परमेश्‍वर दयालु और करुणा से भरा है।” ज़रा सोचिए, अगर यहोवा का एक सेवक सच्चे दिल से पश्‍चाताप करें, तो क्या दयालु और करुणा से भरा परमेश्‍वर यहोवा उसे माफ नहीं करेगा? बिलकुल करेगा। अगर यहोवा माफ ना करें, तो वह एक बेरहम और पत्थरदिल परमेश्‍वर हो जाएगा। और हम जानते हैं कि ऐसा हो ही नहीं सकता!

8 यहोवा सच्चा परमेश्‍वर है, इसलिए वह कभी-भी अपने बारे में झूठी बातें नहीं कहेगा। (भज. 31:5) यहोवा जो भी कहता है, हम उस पर पूरा यकीन कर सकते हैं। अगर आप अपनी गलतियों की वजह से खुद को दोषी महसूस करते हैं, तो सोचिए: ‘क्या मैं मानता हूँ कि यहोवा सच में दयालु और करुणा से भरा है और पश्‍चाताप करनेवाले हर इंसान को माफ कर देता है? अगर हाँ, तो क्या मुझे इस बात पर यकीन नहीं करना चाहिए कि उसने मुझे भी माफ कर दिया है?’

9. यहोवा हमारे पाप “माफ” कर देता है, इसका क्या मतलब है? (भजन 32:5)

9 यहोवा हमें माफ करता है, इस बारे में उसने बाइबल लेखकों से जो लिखवाया है उस पर मनन कीजिए। ध्यान दीजिए कि भजन के एक लेखक, दाविद ने इस बारे में क्या लिखा। (भजन 32:5 पढ़िए।) उसने कहा, “तूने मेरे पाप, मेरे गुनाह माफ कर दिए।” जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद ‘माफ करना’ किया गया है उसका मतलब है, “उठाना” या “उठाकर ले जाना।” जब दाविद ने पाप किया, तो वह पाप के बोझ से दब गया। लेकिन फिर यहोवा ने उसे माफ कर दिया, मानो उसने दाविद के पाप का बोझ उठाया और उसे दूर ले गया। तब दाविद ने राहत महसूस की। (भज. 32:2-4) उसी तरह अगर हम सच्चे दिल से अपने पापों के लिए पश्‍चाताप करें, तो हमें भी राहत मिल सकती है। इसके बाद हमें दोषी महसूस करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि यहोवा पाप का बोझ उठाकर हमसे दूर ले गया है।

10-11. यहोवा “माफ करने को तत्पर रहता है,” इससे हमें उसके बारे में क्या पता चलता है? (भजन 86:5)

10 भजन 86:5 पढ़िए। दाविद ने इस आयत में यहोवा के बारे में लिखा कि वह “माफ करने को तत्पर रहता है।” इन शब्दों के बारे में बाइबल पर समझ देनेवाली एक किताब में लिखा है, “यहोवा ‘माफ’ करता है, यह उसके ‘स्वभाव’ में है।” हम ऐसा क्यों कह सकते हैं कि यह उसके स्वभाव में है? इसका जवाब हमें आयत के दूसरे भाग में मिलता है। वहाँ लिखा है, “तू उन सबके लिए अटल प्यार से भरपूर है जो तुझे पुकारते हैं।” जैसा हमने पिछले लेख में देखा, यहोवा अपने वफादार सेवकों से अटल प्यार करता है। इसका मतलब, वह उनसे गहरा लगाव रखता है और उनका साथ कभी नहीं छोड़ता। इसलिए यहोवा उन सब लोगों को “दिल खोलकर माफ करता है” जो सच्चे दिल से पश्‍चाताप करते हैं। (यशा. 55:7) अगर आपको इस बात पर यकीन करना मुश्‍किल लगता है कि यहोवा ने आपको माफ कर दिया है, तो खुद से पूछिए: ‘क्या मैं मानता हूँ कि यहोवा माफ करनेवाला परमेश्‍वर है और हर कोई जो पश्‍चाताप करता है और उसके आगे गिड़गिड़ाता है, वह उसे माफ करता है? अगर हाँ, तो क्या मुझे यह यकीन नहीं करना चाहिए कि जब मैंने अपने पापों के लिए पश्‍चाताप किया और उसके आगे गिड़गिड़ाया तो उसने मुझे भी माफ कर दिया है?’

11 यह जानकर कितना दिलासा मिलता है कि यहोवा हमें अच्छी तरह समझता है। वह जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और ना चाहते हुए भी गलतियाँ करते हैं। (भज. 139:1, 2) दाविद के एक और भजन से हमें यह बात पता चलती है। आइए उस पर गौर करते हैं। इससे हमें यकीन हो जाएगा कि यहोवा हमें माफ करता है।

यहोवा जो याद रखता है, उसे मत भूलिए!

12-13. भजन 103:14 के मुताबिक यहोवा हमारे बारे में क्या याद रखता है? और इस वजह से वह क्या करता है?

12 भजन 103:14 पढ़िए। दाविद यहाँ एक और वजह बताता है कि क्यों यहोवा उन लोगों को माफ करने के लिए तत्पर रहता है जो अपने पापों का पश्‍चाताप करते हैं। दाविद कहता है कि यहोवा “याद रखता है कि हम मिट्टी ही हैं।” इसका मतलब है कि उसे याद रहता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और ना चाहते हुए भी पाप करते हैं। इस बात को अच्छी तरह समझने के लिए आइए दाविद के शब्दों को और करीबी से जाँचें।

13 दाविद ने कहा कि यहोवा “हमारी रचना अच्छी तरह जानता है।” यहोवा ने आदम को “ज़मीन की मिट्टी से” रचा था और उसे परिपूर्ण बनाया था। वह जानता था कि आदम को ज़िंदा रहने के लिए खाना खाना है, सोना है और साँसें लेनी हैं। (उत्प. 2:7) लेकिन दाविद ने यह भी कहा कि यहोवा “याद रखता है कि हम मिट्टी ही हैं।” इसका क्या मतलब है? जब आदम और हव्वा ने पाप किया, तो वे अपरिपूर्ण हो गए। और आगे चलकर उन्होंने अपने बच्चों को भी विरासत में पाप दिया। इस वजह से मिट्टी से बने हम इंसानों का झुकाव बुराई की तरफ होता है। यहोवा इस बात को ना सिर्फ जानता है, बल्कि जैसा दाविद ने कहा वह इसे “याद” भी रखता है। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद “याद रखता है” किया गया है, उसका यह भी मतलब हो सकता है, “कुछ कदम उठाना।” तो यहोवा ना सिर्फ जानता है कि हमसे गलतियाँ हो जाती हैं, बल्कि जब हम दिल से पश्‍चाताप करते हैं, तो वह कदम उठाता है यानी हम पर दया करता है और हमें माफ करता है।—भज. 78:38, 39.

14. (क) यहोवा हमें किस हद तक माफ करता है, इस बारे में दाविद ने क्या कहा? (भजन 103:12) (ख) दाविद के उदाहरण से कैसे पता चलता है कि यहोवा हमारे पापों को पूरी तरह माफ कर देता है? (“यहोवा माफ करता है और पापों को भूल जाता है” नाम का बक्स देखें।)

14 यहोवा हमें किस हद तक माफ करता है? (भजन 103:12 पढ़िए।) दाविद ने कहा, “पूरब पश्‍चिम से जितना दूर है” वह हमारे पापों को हमसे उतना ही दूर फेंक देता है। पूरब और पश्‍चिम के बीच का फासला कभी मिटाया नहीं जा सकता। ये एक दूसरे से हमेशा दूर ही रहेंगे। भजन की इस आयत के बारे में एक किताब में समझाया गया है कि यहोवा हमारे पाप को इतना दूर फेंक देता है, मानो उसकी महक तक नहीं आती। इसलिए हम यकीन रख सकते हैं कि वह अपने दिमाग से हमारे पाप की यादें पूरी तरह मिटा देता है। आपने देखा होगा कि कई बार किसी खुशबू से हमारे मन में कुछ यादें ताज़ा हो जाती हैं। लेकिन जब यहोवा हमें माफ करता है, तो मानो उसे फिर कभी उस पाप की महक तक नहीं आती। वह फिर कभी उन पापों को याद नहीं करता, ना ही उनके लिए हमें दोषी ठहराता है या सज़ा देता है।—यहे. 18:21, 22; प्रेषि. 3:19.

तसवीरें: राजा दाविद छत पर खड़ा है और बतशेबा को नहाते हुए देख रहा है। 2. वह दिल से प्रार्थना कर रहा है। 3. वह कुछ लिख रहा है और गहराई से सोच रहा है।

यहोवा माफ करता है और पापों को भूल जाता है

जब यहोवा हमें माफ करता है, तो वह हमारे पाप भूल जाता है। इसका मतलब, वह हमारे उन पापों के लिए हमें फिर कभी दोषी नहीं ठहराता, ना ही सज़ा देता है। (यशा. 43:25) ज़रा राजा दाविद के उदाहरण पर ध्यान दीजिए। उससे हम सीखते हैं कि अगर हमने कोई बड़ा पाप किया है, तो भी हमें उसकी माफी मिल सकती है।

दाविद ने कुछ गंभीर पाप किए थे। जैसे उसने व्यभिचार किया था और एक व्यक्‍ति को मरवा डाला था। लेकिन फिर उसने सच्चे दिल से पश्‍चाताप किया, इसलिए यहोवा ने से माफ कर दिया। जब यहोवा ने उसे कड़ी सलाह दी तो उसने उसे माना। उसने खुद में सुधार किया और फिर कभी उन गलतियों को नहीं दोहराया।—2 शमू. 11:1-27; 12:13.

आगे चलकर यहोवा ने दाविद के बारे में उसके बेटे सुलैमान से कहा: ‘अपने पिता दाविद की तरह मेरे सामने सीधाई से और निर्दोष मन से चल।’ (1 राजा 9:4, 5) यहोवा ने दाविद के पापों का ज़िक्र तक नहीं किया। इसके बजाय, उसने दाविद के बारे में कहा कि वह उसका वफादार सेवक था जिसने वही किया जो सही था। और इस वजह से यहोवा ने उसे “ढेरों आशीषें” दीं।—भज. 13:6.

इससे हम क्या सीखते हैं? जब यहोवा माफ करता है, तो वह हमारे पापों पर ध्यान नहीं देता बल्कि वह हमारी अच्छाइयों पर ध्यान देता है और उनके लिए हमें आशीष देता है। (इब्रा. 11:6) इसलिए हमें अपनी उन गलतियों को याद नहीं करते रहना चाहिए जिन्हें यहोवा भूल चुका है।

15. अगर हम बीती गलतियों के बारे में सोच-सोचकर दोषी महसूस कर रहे हैं, तो हम क्या कर सकते हैं?

15 अगर आपको यह यकीन करना मुश्‍किल लग रहा है कि यहोवा ने आपको माफ कर दिया है, तो भजन 103 में लिखे दाविद के शब्दों से कैसे आपको मदद मिल सकती है? अगर आप बीती गलतियों को लेकर दोषी महसूस कर रहे हैं, तो खुद से पूछिए: ‘यहोवा जिस बात को याद रखता है क्या मैं उस बात को भूल रहा हूँ? क्या मैं यह भूल रहा हूँ कि यहोवा याद रखता है कि मैं मिट्टी ही हूँ और न चाहते हुए भी गलतियाँ करता हूँ और पश्‍चाताप करने पर वह मुझे माफ कर देता है? कहीं ऐसा तो नहीं मैं उन बातों को याद करता रहता हूँ जिन्हें यहोवा भूल चुका है? जैसे क्या मैं उन पापों के लिए अभी-भी खुद को दोषी ठहरता हूँ जिन्हें यहोवा माफ कर चुका है और जिनके लिए वह फिर कभी मुझे सज़ा नहीं देगा?’ याद रखिए, यहोवा हमारी बीती गलतियों पर ध्यान नहीं देता। और हमें भी उन पर ध्यान नहीं देना चाहिए। (भज. 130:3) जब हमें यकीन होगा कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है, तो हम अपनी गलतियों के लिए दोषी महसूस नहीं करेंगे और खुशी-खुशी यहोवा की सेवा करेंगे।

16. बीती गलतियों को याद करते रहना क्यों खतरनाक हो सकता है? उदाहरण देकर समझाइए। (तसवीर भी देखें।)

16 ज़रा एक उदाहरण पर ध्यान दीजिए। गाड़ी चलाते वक्‍त अगर एक आदमी आगे देखने के बजाय आईने में हमेशा पीछे की तरफ देखता रहे, तो क्या हो सकता है? ऐसा में उसका एक्सीडेंट हो सकता है। माना कि कभी-कभी पीछे देखना अच्छा होता है, पर हमेशा ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। उसी तरह, कभी-कभी अपनी गलतियों के बारे में सोचने में कोई हर्ज़ नहीं। ऐसा करने से हम उन गलतियों को दोहराने से बच सकते हैं। लेकिन अगर हम दिन-रात अपनी गलतियों के बारे में सोचते रहें और खुद को कोसते रहें, तो आज हम यहोवा की सेवा में जो कर सकते हैं, वह नहीं कर पाएँगे। अच्छा होगा कि हम आगे की तरफ देखें, परमेश्‍वर की नयी दुनिया पर अपना ध्यान लगाए रखें जहाँ बुरी यादें हमें फिर कभी नहीं सताएँगी।—यशा. 65:17; नीति. 4:25.

एक आदमी गाड़ी चलाते वक्‍त आइने में पीछे की तरफ देख रहा है। आगे टेढ़ी-मेढ़ी सड़क है।

गाड़ी चलानेवाला आगे देखता है, ना कि आइने में पीछे की तरफ; उसी तरह हमें आगे मिलनेवाली आशीषों पर ध्यान लगाना चाहिए, ना कि बीती गलतियों पर (पैराग्राफ 16)


खुद को यकीन दिलाते रहिए!

17. हमें खुद को क्यों यकीन दिलाते रहना चाहिए कि यहोवा हमसे प्यार करता है और हमें माफ करता है?

17 खुद को यकीन दिलाते रहिए कि यहोवा आपसे प्यार करता है और आपको माफ करने के लिए तैयार रहता है। (1 यूह. 3:19) ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? क्योंकि शैतान हमें यकीन दिलाने की पूरी कोशिश कर रहा है कि हम यहोवा के प्यार के लायक नहीं या हमने इतना गंभीर पाप किया है कि वह हमें माफ नहीं करेगा। जो भी हो, शैतान यही चाहता है कि हम यहोवा की सेवा करना छोड़ दें। और हम जानते हैं कि वह हार नहीं मानेगा बल्कि और भी ज़्यादा कोशिश करेगा, क्योंकि उसका बहुत कम वक्‍त बाकी रह गया है। (प्रका. 12:12) पर आइए हम ठान लें कि हम उसे जीतने नहीं देंगे!

18. हम खुद को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा हमसे प्यार करता है और उसने हमें माफ कर दिया है?

18 यहोवा आपसे प्यार करता है, इस बात का खुद को यकीन दिलाने के लिए पिछले लेख में दिए सुझावों को मानिए। और यहोवा ने आपको माफ कर दिया है, इस बात का खुद को यकीन दिलाने के लिए सोचिए कि यहोवा ने अपने बारे में क्या कहा है। इसके अलावा, उसने बाइबल लेखकों से जो बातें लिखवायी हैं, उन पर मनन कीजिए। कभी मत भूलिए कि यहोवा अच्छी तरह जानता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और ना चाहते हुए भी गलतियाँ करते हैं, इसलिए वह हम पर दया करता है। और याद रखिए कि यहोवा हमारे पाप पूरी तरह माफ करता है। अगर आप ऐसा करेंगे, तो आप भी दाविद की तरह पूरे यकीन के साथ कह पाएँगे, “शुक्रिया यहोवा, ‘तूने मेरे पाप, मेरे गुनाह माफ कर दिए’!”—भज. 32:5.

आपका जवाब क्या होगा?

  • यह यकीन करना क्यों ज़रूरी है कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

  • हम खुद को कैसे यकीन दिला सकते हैं कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

  • हमें क्यों लगातार खुद को यकीन दिलाते रहना है कि यहोवा ने हमें माफ कर दिया है?

गीत 1 यहोवा की खूबियाँ

a अक्टूबर-दिसंबर 2009 की प्रहरीदुर्ग में दिया लेख, “परमेश्‍वर के करीब आइए—जब परमेश्‍वर ने अपने बारे में बताया” पढ़ें।

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