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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
w25 सितंबर पेज 2-7

अध्ययन लेख 36

गीत 103 “आदमियों के रूप में तोहफे”

‘प्राचीनों को बुलाइए’

“वह मंडली के प्राचीनों को बुलाए।”—याकू. 5:14.

क्या सीखेंगे?

हम जानेंगे कि प्राचीनों से मदद लेना क्यों ज़रूरी है।

1. किन बातों से पता चलता है कि यहोवा की भेड़ें उसके लिए बहुत अनमोल हैं?

यहोवा की भेड़ें उसके लिए बहुत अनमोल हैं। उसने यीशु के खून से इन्हें खरीदा है और प्राचीनों को इनकी देखभाल करने के लिए ठहराया है। (प्रेषि. 20:28) यहोवा चाहता है कि प्राचीन भेड़ों के साथ प्यार से पेश आएँ। और वे अपनी यह ज़िम्मेदारी अच्छी तरह निभाते हैं। वे यीशु के अधीन रहकर मंडली के भाई-बहनों का हौसला बढ़ाते हैं और यहोवा के साथ एक मज़बूत रिश्‍ता बनाए रखने में उनकी मदद करते हैं।—यशा. 32:1, 2.

2. यहोवा किन लोगों की और भी ज़्यादा फिक्र करता है? (यहेजकेल 34:15, 16)

2 यहोवा अपनी सभी भेड़ों की बहुत परवाह करता है। लेकिन जो भेड़ें कमज़ोर हैं, वह उनकी और भी ज़्यादा फिक्र करता है। प्राचीनों के ज़रिए वह अपने उन सेवकों की मदद करता है जिनका उसके साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया है। (यहेजकेल 34:15, 16 पढ़िए।) इसके अलावा, वह चाहता है कि हम मुश्‍किल वक्‍त में मदद के लिए उसे पुकारें। जैसे, हम उससे दिल से प्रार्थना करें और मंडली के ‘चरवाहों और शिक्षकों’ से मदद लें।—इफि. 4:11, 12.

3. प्राचीनों के इंतज़ाम पर चर्चा करने से हमें क्या फायदा होगा?

3 यहोवा ने हमारी मदद करने के लिए प्राचीनों का जो इंतज़ाम किया है, उस बारे में हम इस लेख में और भी जानेंगे। हमें इन तीन सवालों के जवाब मिलेंगे: हमें कब प्राचीनों से मदद लेनी चाहिए? हमें क्यों उनसे मदद लेनी चाहिए? और वे किस तरह हमारी मदद करते हैं? हो सकता है, आज यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता बहुत मज़बूत हो और हमें प्राचीनों से मदद की ज़रूरत ना हो। लेकिन इस लेख पर चर्चा करने से प्राचीनों के इंतज़ाम के लिए हमारी कदर बढ़ेगी और कल को ज़रूरत पड़ने पर हमें पता होगा कि हम कैसे उनसे मदद ले सकते हैं।

हमें कब ‘प्राचीनों को बुलाना’ चाहिए?

4. याकूब 5:14-16, 19, 20 में किस बीमार व्यक्‍ति की बात की गयी है और हम ऐसा क्यों कह सकते हैं? (तसवीरें भी देखें।)

4 यहोवा प्राचीनों के ज़रिए उन लोगों की मदद करता है जिनका रिश्‍ता उसके साथ कमज़ोर पड़ जाता है। इस बारे में याकूब ने लिखा, “क्या तुम्हारे बीच कोई बीमार है? तो वह मंडली के प्राचीनों को बुलाए।” (याकूब 5:14-16, 19, 20 पढ़िए।) याकूब यहाँ सचमुच की बीमारी की बात नहीं कर रहा था। हम यह क्यों कह सकते हैं? क्योंकि उसने लिखा कि अगर कोई बीमार है, तो वह प्राचीनों को बुलाए, ना कि किसी डॉक्टर को। उसने यह भी कहा कि जब उस व्यक्‍ति के पाप माफ कर दिए जाते हैं, तो वह ठीक हो जाता है। लेकिन देखा जाए तो जिस व्यक्‍ति का यहोवा के साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ जाता है, उसकी हालात एक बीमार व्यक्‍ति की तरह ही होती है। उसे भी वही कदम उठाने होते हैं जो एक बीमार व्यक्‍ति उठाता है। जैसे एक बीमार व्यक्‍ति डॉक्टर के पास जाता है, उसे अपनी तकलीफ बताता है और डॉक्टर जो भी कहता है, वह उसे मानता है। उसी तरह जब यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ जाता है, तो हमें प्राचीनों के पास जाना चाहिए, उन्हें अपनी समस्या बतानी चाहिए और वे हमें बाइबल से जो भी सलाह देते हैं, उसे मानना चाहिए।

तसवीरें: 1. एक भाई डॉक्टर को बता रहा है कि उसके कंधे में दर्द होता है। 2. एक भाई एक प्राचीन के साथ पार्क में बेंच पर बैठा है और उसे अपनी समस्या बता रहा है।

जब हम बीमार पड़ते हैं, तो डॉक्टर के पास जाते हैं; उसी तरह जब यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ जाता है, तो हमें प्राचीनों के पास जाना चाहिए (पैराग्राफ 4)


5. हम कैसे जान सकते हैं कि यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ने लगा है?

5 याकूब अध्याय 5 में बताया गया है कि अगर यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ने लगा है, तो हमें प्राचीनों से बात करनी चाहिए। हमें जल्द-से-जल्द ऐसा करना चाहिए। क्योंकि अगर हम देर कर दें, तो यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता पूरी तरह टूट सकता है। लेकिन इस मामले में हमें ईमानदारी से खुद की जाँच करनी चाहिए। वह क्यों? क्योंकि बाइबल में बताया है कि हम इंसान झूठी दलीलों से खुद को धोखा दे सकते हैं। (याकू. 1:22) हो सकता है, हम खुद को यह यकीन दिलाएँ कि यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत है, लेकिन असल में ऐसा ना हो। पहली सदी में सरदीस की मंडली में कुछ मसीही भी ऐसा ही सोच रहे थे, इसलिए यीशु ने उन्हें खबरदार किया और बताया कि उन्हें यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता ठीक करने की ज़रूरत है। (प्रका. 3:1, 2) तो हम कैसे जान सकते हैं कि यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ने लगा है? सोचिए कि जब आपने बपतिस्मा लिया था, तब आपमें यहोवा की उपासना के लिए जो जोश था, क्या अब भी आपमें वही जोश है। (प्रका. 2:4, 5) यह जानने के लिए खुद से इस तरह के सवाल कीजिए: ‘क्या मुझे बाइबल पढ़ने और मनन करने में उतना ही मज़ा आता है, जितना पहले आता था? क्या मैं कभी-कभार ही सभाओं की तैयारी करता हूँ और उनमें जाता हूँ? क्या प्रचार के लिए मेरा जोश पहले से कम हो गया है? क्या मैं हमेशा मौज-मस्ती करने या चीज़ें खरीदने के बारे में ही सोचता रहता हूँ?’ अगर आपको एहसास होता है कि आप इनमें से किसी भी मामले में ढीले पड़ गए हैं, तो जल्द-से-जल्द कुछ कीजिए इससे पहले कि बात और बिगड़ जाए। अगर आप इसमें सुधार नहीं कर पा रहे हैं, या इस वजह से कुछ ऐसा कर बैठे हैं जो यहोवा की नज़र में गलत है, तो आपको तुरंत प्राचीनों से मदद लेनी चाहिए।

6. अगर एक व्यक्‍ति गंभीर पाप करता है, तो उसे क्या करना चाहिए?

6 कुछ पाप इतने गंभीर होते हैं कि अगर एक व्यक्‍ति पश्‍चाताप ना करे, तो उसे मंडली से निकाला जा सकता है। अगर आपने कोई गंभीर पाप किया है, तो इस बारे में आपको किसी प्राचीन से बात करनी चाहिए। (1 कुरिं. 5:11-13) वह इसलिए कि यहोवा के साथ आपका रिश्‍ता खराब हो गया है और आप खुद-ब-खुद इसे नहीं सुधार सकते। अगर आप फिरौती के आधार पर यहोवा से माफी पाना चाहते हैं, तो आपको अपने किए पर अफसोस होना चाहिए और “पश्‍चाताप दिखानेवाले काम” करने चाहिए। (प्रेषि. 26:20) इन कामों में से एक है कि आप अपने गंभीर पाप के बारे में प्राचीनों से बात करें।

7. गंभीर पाप करनेवालों के अलावा और कौन प्राचीनों से मदद ले सकते हैं?

7 गंभीर पाप करनेवालों के अलावा ऐसे भाई-बहन भी प्राचीनों से मदद ले सकते हैं जो बुरी इच्छाओं से लड़ रहे हैं। (प्रेषि. 20:35) जैसे हो सकता है, सच्चाई सीखने से पहले आप ड्रग्स लेते थे, पोर्नोग्राफी देखते थे या एक अनैतिक ज़िंदगी जी रहे थे। लेकिन सच्चाई सीखने के बाद भी आपके मन में उन गलत कामों को करने की इच्छा उठ सकती है और आप उससे लड़ते-लड़ते थक सकते हैं। पर याद रखिए, आपको यह लड़ाई अकेले नहीं लड़नी है। आप चाहें तो किसी प्राचीन से इस बारे में बात कर सकते हैं। वह प्राचीन आपकी ध्यान से सुनेगा, आपको बाइबल से बढ़िया सलाह देगा और आपको यकीन दिलाएगा कि आप इन इच्छाओं को ठुकराकर यहोवा को खुश कर सकते हैं। (सभो. 4:12) यह भी हो सकता है कि आप इस वजह से निराश हों कि लाख कोशिश करने पर भी आप बुरी इच्छाओं पर पूरी तरह काबू नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में प्राचीन आपको यकीन दिलाएँगे कि यहोवा आपसे खुश हैं, क्योंकि आप प्राचीनों से मदद ले रहे हैं और उसके साथ अपना रिश्‍ता मज़बूत करने के लिए मेहनत कर रहे हैं।—1 कुरिं. 10:12.

8. क्या हमें अपनी हर गलती के बारे में प्राचीनों से बात करनी चाहिए? समझाइए।

8 यह सच है कि हम प्राचीनों से मदद ले सकते हैं, लेकिन आपको अपनी हर गलती के बारे में उनसे बात करने की ज़रूरत नहीं है। जैसे अगर आपने किसी भाई या बहन को कुछ बुरा कहा है या आप उस पर बरस पड़े हैं, तो ज़रूरी नहीं कि आप यह बात जाकर प्राचीनों को बताएँ। इसके बजाय आप यीशु की सलाह मानकर उस भाई या बहन से माफी माँग सकते हैं और उसके साथ सुलह कर सकते हैं। (मत्ती 5:23, 24) इसके अलावा, आप कोमलता, सब्र और संयम जैसे गुणों पर हमारे प्रकाशनों में खोजबीन कर सकते हैं और सोच सकते हैं कि आप कैसे इन गुणों को और भी अच्छी तरह ज़ाहिर करेंगे। पर यह सब करने के बाद भी अगर समस्या नहीं सुलझती, तो आप किसी प्राचीन से मदद ले सकते हैं। पहली सदी में जब यूओदिया और सुन्तुखे के बीच अनबन हुई और वे आपस में मामले को सुलझा नहीं पाए, तो पौलुस ने एक भाई से कहा कि वह उन बहनों की मदद करे। उसी तरह प्राचीन आपकी भी मदद कर सकते हैं।—फिलि. 4:2, 3.

हमें क्यों प्राचीनों को बुलाना चाहिए?

9. हमें प्राचीनों से बात करने से क्यों पीछे नहीं हटना चाहिए? (नीतिवचन 28:13)

9 अगर हमने कोई गंभीर पाप किया है या हम अपनी बुरी इच्छाओं पर काबू नहीं कर पा रहे हैं, तो शायद प्राचीनों से बात करने में हमें शर्म महसूस हो। इसके लिए हमें हिम्मत और विश्‍वास की ज़रूरत होगी। लेकिन हमें ऐसा करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। वह क्यों? क्योंकि यहोवा ने प्राचीनों को हमारी मदद करने के लिए ठहराया है ताकि उसके साथ हमारा रिश्‍ता मज़बूत हो सके। इसलिए प्राचीनों से मदद लेकर हम दिखाते हैं कि हमें यहोवा पर भरोसा है, हम उसकी बात मानना चाहते हैं और अपने विश्‍वास में मज़बूत बने रहना चाहते हैं। यही नहीं, हम यह भी दिखाते हैं कि सही रास्ते पर बने रहने के लिए हमें यहोवा की मदद चाहिए। (भज. 94:18) और अगर हमने कोई पाप किया है और हम प्राचीनों के सामने उसे मान लेते हैं और अपनी गलती दोहराते नहीं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें माफ कर देगा।—नीतिवचन 28:13 पढ़िए।

10. अगर हम अपने पाप छिपाए रखें, तो क्या हो सकता है?

10 प्राचीनों के सामने अपने पाप मान लेने से हमें बहुत आशीषें मिलती हैं। लेकिन अगर हम अपने पाप छिपाए रखें, तो हमें बहुत दुख उठाना पड़ सकता है। याद कीजिए कि जब राजा दाविद ने अपने पाप छिपाए थे, तो उसे कैसा लगा था। वह दिन-भर कराह रहा था और बहुत बेचैन हो गया था, क्योंकि उसे पता था कि यहोवा उससे नाराज़ है। (भज. 32:3-5) सोचिए, अगर हमें कोई बड़ी चोट लग जाए या हम बीमार पड़ जाएँ और ऐसे में हम डॉक्टर के पास ना जाएँ, तो क्या होगा? हमारा घाव ठीक नहीं होगा या हम और बीमार पड़ जाएँगे। उसी तरह अगर हमने कोई पाप किया है, लेकिन हम प्राचीनों से मदद ना लें, तो यहोवा के साथ हमारी दोस्ती टूटी सकती है। यहोवा नहीं चाहता कि ऐसा हो, इसलिए वह हमसे कहता है कि हम उसके साथ अपना “मामला सुलझा लें।” और यह हम कैसे कर सकते हैं? प्राचीनों से बात करके।—यशा. 1:5, 6, 18.

11. अगर हम गंभीर पाप छिपाए रखें, तो इसका दूसरों पर क्या असर हो सकता है?

11 अगर हम अपने गंभीर पाप छिपाए रखें, तो इससे दूसरों को भी नुकसान पहुँच सकता है। हम परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति को मंडली पर काम करने से रोक रहे होंगे और इससे मंडली की शांति भी भंग हो सकती है। (इफि. 4:30) लेकिन अगर किसी और ने गंभीर पाप किया है और हम उस बारे में जानते हैं, तब हमें क्या करना चाहिए? हमें उससे कहना चाहिए कि वह जाकर प्राचीनों से बात करे।a अगर हम उसके गंभीर पापों को छिपाए रखें, तो उसके साथ-साथ यहोवा हमें भी दोषी समझेगा। (लैव्य. 5:1) हम यहोवा से प्यार करते हैं, इसलिए हम प्राचीनों को सबकुछ सच-सच बताएँगे। इस तरह हम मंडली को शुद्ध बनाए रखेंगे और उस भाई या बहन की भी मदद कर पाएँगे ताकि यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता दोबारा मज़बूत हो सके।

प्राचीन किस तरह हमारी मदद करते हैं?

12. प्राचीन कैसे उस भाई या बहन की मदद करते हैं जिसका यहोवा के साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया है?

12 प्राचीनों की ज़िम्मेदारी है कि वे उन भाई-बहनों की मदद करें जिनका यहोवा के साथ रिश्‍ता कमज़ोर पड़ गया है। (1 थिस्स. 5:14) जब वे किसी ऐसे भाई या बहन से बात करते हैं जिसने कोई पाप किया है, तो वे सोच-समझकर उससे सवाल करते हैं ताकि वे उसके दिल के विचार जान सकें। (नीति. 20:5) हो सकता है कि आप अपनी गलती की वजह से शर्मिंदा हों या जिस माहौल में आप पले-बढ़े हैं उस वजह से या फिर अपने स्वभाव की वजह से आपके लिए खुलकर बात करना मुश्‍किल हो। फिर भी प्राचीनों से बात करने से हिचकिचाइए मत। खुलकर उनसे बात कीजिए। यह सोचकर मत घबराइए कि कहीं आप “बेसिर-पैर की बातें” ना करने लगें। (अय्यू. 6:3) याद रखिए, प्राचीन आपके बारे में कोई राय कायम नहीं करेंगे, बल्कि आपकी ध्यान से सुनेंगे और मामले को अच्छी तरह समझने की कोशिश करेंगे और उसके बाद ही बाइबल से आपकी मदद करेंगे। (नीति. 18:13) प्राचीन अच्छी तरह जानते हैं कि एक ही मुलाकात में मामला नहीं सुलझाया जा सकता। इसलिए वह एक-से-ज़्यादा बार मिलने के लिए भी तैयार रहते हैं।

13. जब प्राचीन हमारे लिए प्रार्थना करते हैं और बाइबल की आयतों पर हमारा ध्यान दिलाते हैं, तो इससे हमें कैसे मदद मिलती है? (तसवीरें भी देखें।)

13 प्राचीन जानते हैं कि आप अपनी गलती की वजह से दोषी महसूस कर रहे हैं, इसलिए जब आप उन्हें बुलाते हैं, तो वे आपको और दोषी महसूस नहीं कराएँगे। इसके बजाय, वे आपके लिए प्रार्थना करेंगे जिसका आप पर “ज़बरदस्त असर” होगा। इसके अलावा, वे आप पर ‘यहोवा के नाम से तेल भी मलेंगे।’ (याकू. 5:14-16) यहाँ “तेल” का मतलब है, परमेश्‍वर के वचन में दी सच्चाइयाँ। प्राचीन ऐसी आयतों पर आपका ध्यान दिलाएँगे जिससे आपको दिलासा मिलेगा और आप यहोवा के साथ अपना रिश्‍ता दोबारा मज़बूत कर पाएँगे। (यशा. 57:18) बाइबल से वे आपको ऐसी बातें बताएँगे जिससे सही काम करने का आपका इरादा और पक्का हो जाएगा। प्राचीनों के ज़रिए आप यहोवा की यह आवाज़ सुन पाएँगे: “राह यही है, इसी पर चल।”—यशा. 30:21.

तसवीरें: 1. पिछली तसवीर में दिखाया गया डॉक्टर उस आदमी के कंधे की जाँच कर रहा है। उसके कंधे का एक्स-रे दीवार पर लगा है। 2. पिछली तसवीर में दिखाया गया प्राचीन और एक और प्राचीन उस भाई के घर पर हैं और बाइबल से उसका हौसला बढ़ा रहे हैं। भाई खुशी से उनकी बात सुन रहा है।

प्राचीन बाइबल की आयतों से हमें दिलासा देते हैं और हमारी हिम्मत बँधाते हैं (पैराग्राफ 13-14)


14. प्राचीन उनकी मदद कैसे करते हैं जो “गलत कदम” उठाते हैं? (गलातियों 6:1) (तसवीरें भी देखें।)

14 गलातियों 6:1 पढ़िए। जब एक मसीही “गलत कदम” उठाता है, तो वह यहोवा के स्तरों के खिलाफ चला जाता है। हो सकता है, उसने बिना सोचे-समझे कोई फैसला लिया हो या कोई गंभीर पाप किया हो। प्राचीन “कोमलता की भावना से ऐसे इंसान को सुधारने की कोशिश” करते हैं, क्योंकि वे उससे प्यार करते हैं। जिस यूनानी शब्द का अनुवाद यहाँ ‘सुधारना’ किया गया है, उसका यह मतलब भी हो सकता है, सरकी हुई हड्डी को अपनी जगह पर बिठाना, ताकि वह ठीक से जुड़ जाए। एक अच्छा डॉक्टर मरीज़ की टूटी हुई हड्डी को सावधानी से बिठाता है। वह इस बात का ध्यान रखता है कि मरीज़ को ज़्यादा दर्द ना हो और उसका इलाज भी हो जाए। उसी तरह जब प्राचीन किसी को सुधारते हैं, तो वे ध्यान रखते हैं कि वे प्यार से उसे समझाएँ और किसी भी तरह उसका दर्द ना बढ़ाएँ। प्राचीनों से कहा गया है कि वे ‘खुद पर भी नज़र रखें।’ दूसरों की मदद करते वक्‍त वे याद रखते हैं कि वे खुद भी अपरिपूर्ण हैं और गलत कदम उठा सकते हैं। इसलिए वे खुद को दूसरों से ज़्यादा नेक नहीं समझते। इसके बजाय वे नम्र रहते हैं और भाई-बहनों के साथ प्यार से पेश आते हैं और उनसे हमदर्दी जताते हैं।—1 पत. 3:8.

15. अगर हमें कोई समस्या हो, तो हमें क्या करना चाहिए?

15 हम प्राचीनों पर पूरा भरोसा कर सकते हैं। उन्हें सिखाया गया है कि वे भाई-बहनों की निजी बातें अपने तक रखें, किसी और को ना बताएँ। उन्हें यह भी सिखाया गया है कि वे दूसरों को अपनी राय बताने के बजाय बाइबल से सलाह दें। इसके अलावा, उन्हें सिखाया गया है कि वे लगातार उनकी मदद करते रहें। (नीति. 11:13; गला. 6:2) सभी प्राचीन एक-जैसे नहीं होते, हरेक का स्वभाव अलग होता है। कुछ प्राचीनों को काफी तजुरबा होता है और कुछ को कम अनुभव होता है। जो भी हो, हम अपनी समस्या के बारे में किसी भी प्राचीन से बात कर सकते हैं। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हम हर प्राचीन के पास जाकर सलाह लें जब तक कि हमें वह बात सुनने को ना मिले, जो हम सुनना चाहते हैं। अगर हम ऐसा करें, तो हम उन लोगों की तरह बन रहे होंगे जो बाइबल की “खरी शिक्षा” जानने के बजाय सिर्फ अपने ‘कानों की खुजली मिटाना’ चाहते हैं। (2 तीमु. 4:3) जब हम किसी प्राचीन को अपनी समस्या बताते हैं, तो वह शायद पूछे कि क्या हमने किसी और प्राचीन से इस बारे में बात की है और अगर हाँ, तो वह शायद पूछे कि उसने हमें क्या सलाह दी। यह भी हो सकता है कि वह प्राचीन हमसे कहे कि वह किसी दूसरे प्राचीन से इस बारे में सलाह-मशविरा करेगा और फिर हमारी मदद करेगा।—नीति. 13:10.

फैसला लेना हमारी ज़िम्मेदारी है

16. हममें से हरेक की क्या ज़िम्मेदारी है?

16 प्राचीन हमें प्यार से सलाह देते हैं और समस्याएँ आने पर हमारी मदद करते हैं। लेकिन वे कभी हमारे लिए फैसले नहीं लेते। फैसला लेना हमारी ज़िम्मेदारी है। हममें से हरेक को खुद यह तय करना होगा कि हम यहोवा को खुश करने के लिए क्या करेंगे। (रोमि. 14:12) लेकिन यहोवा हमें एक सही फैसला लेने में और उसके वफादार बने रहने में मदद कर सकता है। इसलिए प्राचीन यह बताने के बजाय के हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं, हमें बाइबल से बताते हैं कि किसी मामले में यहोवा की क्या सोच है। और जब हम बाइबल की उस सलाह को मानते हैं, तो हम “अपनी सोचने-समझने की शक्‍ति” को प्रशिक्षित करते हैं और अच्छे फैसले ले पाते हैं।—इब्रा. 5:14.

17. हम क्या करने से नहीं हिचकिचाएँगे और क्यों?

17 यह कितनी खुशी की बात है कि यहोवा अपनी प्यारी भेड़ों का अच्छी तरह खयाल रखता है। उसने यीशु को इस धरती पर भेजा जो एक बहुत ही “अच्छा चरवाहा” था। यीशु ने हमारे खातिर अपनी जान दे दी, ताकि हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल सके। (यूह. 10:11) इसके अलावा, हमारी देखभाल करने के लिए यहोवा ने मंडली में प्राचीनों को भी ठहराया है। इस तरह उसने अपना यह वादा पूरा किया है: “मैं अपने मन के मुताबिक तुम्हें चरवाहे दूँगा और वे तुम्हें ज्ञान और अंदरूनी समझ की खुराक देंगे।” (यिर्म. 3:15) तो जब यहोवा के साथ हमारा रिश्‍ता कमज़ोर पड़ने लगता है या हम कोई पाप कर बैठते हैं, तो हमें प्राचीनों को बुलाने से नहीं हिचकिचाना चाहिए। और जब हम ऐसा करेंगे, तो हम उनके ज़रिए यहोवा का प्यार महसूस कर पाएँगे।

आपका जवाब क्या होगा?

  • हमें मदद के लिए कब ‘प्राचीनों को बुलाना’ चाहिए?

  • हमें क्यों प्राचीनों को बुलाना चाहिए?

  • प्राचीन किस तरह हमारी मदद करते हैं?

गीत 31 चल याह के साथ!

a काफी समय बीतने के बाद भी, अगर वह व्यक्‍ति प्राचीनों को अपने पाप के बारे में नहीं बताता, तो आपको प्राचीनों के पास जाकर इस बारे में बात करनी चाहिए। इस तरह आप यहोवा के वफादार रह पाएँगे।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
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