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  • यीशु ने “आज्ञा माननी सीखी”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2025
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शब्दों की समझ

यीशु ने “आज्ञा माननी सीखी”

यीशु ने हमेशा यहोवा की आज्ञा मानी। (यूह. 8:29) तो बाइबल में ऐसा क्यों लिखा है कि “उसने कई दुख सहकर आज्ञा माननी सीखी”?—इब्रा. 5:8.

धरती पर यीशु ऐसे हालात से गुज़रा जिनसे वह स्वर्ग में नहीं गुज़रा था। जैसे, उसकी परवरिश ऐसे माता-पिता ने की, जो यहोवा से प्यार तो करते थे, लेकिन अपरिपूर्ण थे। (लूका 2:51) उसे धर्म गुरुओं और अधिकारियों के हाथों बहुत कुछ सहना पड़ा। उन्होंने उसके साथ नाइंसाफी की और उसे बुरी तरह सताया। (मत्ती 26:59; मर. 15:15) आखिर में उसे तड़पा-तड़पाकर मार डाला गया। बाइबल में लिखा है कि ‘उसने खुद को नम्र किया और इस हद तक आज्ञा मानी कि उसने मौत भी सह ली।’—फिलि. 2:8.

इन हालात में यीशु ने एक नए तरीके से आज्ञा माननी सीखी जो वह स्वर्ग में नहीं सीख सकता था। इसलिए वह एक ऐसा राजा और महायाजक बन पाया जो हमसे हमदर्दी रख सकता है। (इब्रा. 4:15; 5:9) तकलीफें सहकर यीशु ने जिस तरह यहोवा की आज्ञा मानना सीखा, उस वजह से वह यहोवा की नज़र में और भी अनमोल हो गया और उस काम को करने के योग्य बन पाया जो यहोवा ने उसे दिया। अगर हम भी मुश्‍किल हालात में यहोवा की आज्ञा मानें, तो हम उसकी नज़र में और भी अनमोल बन जाएँगे और वह हमें जो भी काम देगा, उसे अच्छी तरह पूरा कर पाएँगे।—याकू. 1:4.

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