22 जो काँटों के बीच बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता तो है, मगर इस ज़माने की ज़िंदगी की चिंता+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत* वचन को दबा देती है और वह* फल नहीं देता।+
22 जो काँटों के बीच बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता तो है, मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंता+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत वचन को दबा देती है और वह फल नहीं देता।+