25 अरे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम उन प्यालों और थालियों की तरह हो जिन्हें सिर्फ बाहर से साफ किया जाता है,+ मगर अंदर से वे गंदे हैं। तुम्हारे अंदर लालच* भरा है+ और तुम बेकाबू होकर अपनी इच्छाएँ पूरी करते हो।+
25 अरे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, धिक्कार है तुम पर! क्योंकि तुम उन प्यालों और थालियों की तरह हो जिन्हें सिर्फ बाहर से साफ किया जाता है,+ मगर अंदर से वे गंदे हैं। तुम्हारे अंदर लालच* भरा है+ और तुम बेकाबू होकर अपनी इच्छाएँ पूरी करते हो।+