25 और तूने पवित्र शक्ति के ज़रिए हमारे पुरखे और अपने सेवक दाविद के मुँह से कहलवाया,+ ‘राष्ट्र क्यों गुस्से से उफन रहे हैं? देश-देश के लोग क्यों खोखली बातें सोच* रहे हैं?
25 और तूने पवित्र शक्ति के ज़रिए हमारे पुरखे और अपने सेवक दाविद के मुँह से कहलवाया,+ ‘राष्ट्र क्यों गुस्से से उफन रहे हैं? देश-देश के लोग क्यों खोखली बातें सोच* रहे हैं?